NCERT Solutions Class 10th Social Science (Geography) Chapter – 3 जल संसाधन (Water Resources)
Text Book | NCERT |
Class | 10th |
Subject | Social Science (भूगोल) |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | जल संसाधन (Water Resources) |
Category | Class 10th Social Science (Geography) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Social Science (Geography) Chapter – 3 जल संसाधन (Water Resources) Notes in Hindi हम इस अध्याय में जल संसाधन, जल के कुछ रोचक तथ्य, जल दुर्लभता, जल दुर्लभता के कारण, औद्योगीकरण तथा शहरीकरण किस प्रकार जलदुर्लभता के लिए उत्तरदायी है, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ, जल विद्युत, हिंदी में कक्षा 10 भूगोल अध्याय 3 महत्वपूर्ण सवाल, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 10th Social Science (Geography) Chapter – 3 जल संसाधन (Water Resources)
Chapter – 3
जल संसाधन
Notes
जल दुर्लभता – जल दुर्लभता का अर्थ है पानी की कमी होना या पानी का न होना। अभी वर्तमान समय में भारत में कई ऐसे राज्य है जहाँ पानी की बहुत कमी हो रही है।
जल दुर्लभता के कारण
• बढ़ती हुई आबादी।
• सिंचित क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन।
• बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के साथ पानी की ज्यादा माँग।
• विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच पानी की असमानवितरण।
• उद्योगों द्वारा पानी का अत्यधिक उपयोग और क्षति।
• शहरी क्षेत्रों में पानी का अधिक दोहन।
वर्षा जल संग्रहण
1. एक तकनीक जिसमें वर्षा जल को खाली स्थानों, घरों में टैंक में, बेकार पड़े कुएँ में भरा जाता है। बाद में इसका प्रयोग किया जाता है।
2. पर्वतीय क्षेत्रों में ‘गुल‘ तथा ‘कुल‘ जैसी वाहिकाओं से नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों की सिचांई।
3. राजस्थान में पीने का जल एकत्रित करने के लिए छत वर्षा जल संग्रहण आम तकनीक है।
वर्षा जल संचयन की विधियां
1. पहाड़ी क्षेत्रों में, लोगों ने कृषि के लिए गुल और कुल जैसी वाहिकाएं बनायीं है। लोगों ने पश्चिमी हिमालय में गुल और कुल जैसी वाहिकाएं बनायी।
2. पश्चिम बंगाल में बाढ़ के दौरान बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते हैं।
3. राजस्थान के शुष्क और अर्ध – शुष्क क्षेत्रों में, कृषि क्षेत्रों को बरसाती भंडारण संरचनाओं में परिवर्तित किया गया।
4. शुष्क तथा अर्ध शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल एकत्रित करने के लिए गड्ढ़ों का निर्माण।
5. छत पर वर्षा जल संचयन।
6. बीकानेर, फलौदी और बाड़मेर में पीने हेतु भूमिगत टैंक या टाँका।
7. मेघालय में बॉस की ड्रिप सिंचाई प्रणाली।
प्राचीन भारत में जल संरक्षण
1. पहली शताब्दी ईसा पूर्व में, इलाहाबाद में परिष्कृत जल संचयन प्रणाली थी।
2. चंद्रगुप्त मौर्य के समय में बाँध, झीलें और सिंचाई प्रणालियों बड़े पैमाने पर बनायी गयी थीं।
3. ओडिशा के कलिंग, नागार्जुनकोंडा में परिष्कृत सिंचाई कार्य पाए गए हैं, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में बेन्नूर और महाराष्ट्र में कोल्हापुर।
4. 11 वीं शताब्दी में बनी भोपाल झील अपने समय की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक थी।
5. 14 वीं शताब्दी में, इल्तुतमिश ने पानी की आपूर्ति के लिए दिल्ली के हौज खास में एक टैंक का निर्माण किया सिरी किला क्षेत्र में।
टाँका – टाँका में वर्षा जल अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहित किया जा सकता है। यह इसे जल की कमी वाली ग्रीष्म ऋतु तक पीने का जल उपलब्ध करवाने वाला जल स्रोत बनाता है।
पालर पानी – वर्षा का पानी जो भूमिगत टैंकों में जमा होता है पीने योग्य पानी हैं। इसे पालर पानी कहा जाता है।
बहु – उद्देशीय परियोजनाएँ – नदियों पर बाँध बनाकर एक बार में अनेक उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है। बाँध – बहते जल को रोकने, दिशा देने या बहाव कम करने के लिए खड़ी की गई बाधा है जो आमतौर पर जलाशय, झील अथवा जलभरण बनाती है।
भारत में बहु – उद्देशीय परियोजनाओं
1. स्वतंत्रता के बाद उनके एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ लॉन्च किया गया।
2. जवाहरलाल नेहरू ने बांधों को गर्व से आधुनिक भारत के मंदिरों के रूप में घोषित किया।
3. यह कृषि और ग्राम अर्थव्यवस्था के विकास को तेजी से औद्योगिकीकरण और शहरी अर्थव्यवस्था के विकास के साथ एकीकृत करेगा।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना – नदी पर बाँध बनाकर इससे अनेक प्रकार के उद्देश्यों को पूरा करना, बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना कहलाता है।
बहु – उद्देशीय नदी घाटी परियोजना के उद्देश्य
1. जल विद्युत उत्पादन
2. सिंचाई
3. घरेलू व औद्योगिक जल आपूर्ति
4. नौचालन व पर्यटन
5. बाढ़ नियंत्रण
6. मछली पालन
बहु – उद्देशीय नदी परियोजनाओं के लाभ
1. सिंचाई
2. विद्युत उत्पादन
3. बाढ नियंत्रण
4. मत्स्य प्रजनन
5. अंतदेर्शीय नौवहन
6. घरेलू और औद्योगिक उपयोग
बहु – उद्देशीय नदी परियोजना की आलोचना
1. नदी के प्राकृतिक प्रवाह को प्रभावित करते है और जलाशय के अत्यधिक अवसादन एकत्र होता है।
2. नदी की जलीय जीवन की नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है।
3. स्थानीय समुदाय का बड़े पैमाने पर विस्थापन।
4. बाढ़ के मैदान पर बनाए गए जलाशय मौजूद वनस्पति को डूबा देंगे और एक समय के बाद मृदा का क्षरण करेंगे।
प्राचीन भारत के जलीय कृतिया
• ईसा से एक शताब्दी पहले की बात है इलाहाबाद Prayagraj (प्रयागराज) के नजदीक श्रिगंवेरा में गंगा नदी की बाढ़ के जल को संरक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट जल संग्रहण तंत्र बनाया गया था।
• चन्द्रगुप्त मौर्य के समय बृहत् स्तर पर बाँध, झील और सिंचाई तंत्रों का निर्माण करवाया गया था।
• कलिंग (ओडिशा), नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश) बेन्नूर (कर्नाटक) और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में उत्कृष्ट सिंचाई तंत्र होने के सबूत मिलते हैं।
• अपने समय की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक, भोपाल झील है जो लगभग 11 वीं शताब्दी में बनाई गई थी।
• 14 वीं शताब्दी में इल्तुतमिश ने दिल्ली में Siri Fort (सीरी किला) क्षेत्र में जल की सप्लाई के लिए हौज खास (एक विशिष्ट प्रकार का तालाब) बनवाया था।
बाँधों से होने वाले लाभ
1. सिंचाई
2. विद्युत उत्पादन
3. घरेलू तथा औद्योगिक आवश्यकता हेतु जल आपूर्ति
4. बाढ़ नियंत्रण
5. मनोरंजन तथा पर्यटन
6. मत्स्य पालन
बांध बहु – उद्देशीय परियोजना
1. बाँध से एकत्र जल का उपयोग एक दूसरे पर निर्भर हैं।
2. बांधों का निर्माण बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, बिजली उत्पादन ओर वितरण के लिए किया जाता हैं।
3. जल , वनस्पति और मिट्टी के सरंक्षण के लिए बांधों का निर्माण किया जाता हैं।
4. यह पर्यटन को बढ़वा देने में भी मदद करता हैं।
ताजे पानी के स्त्रोत
• वर्षा आदि।
• सतह जल – नदियों, झीलों आदि।
• भूजल – भूमि में संग्रहित जल, जो बारिश से रिचार्ज हो जाता है।
राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में इसका महत्व
• यह पेयजल का मुख्य स्त्रोत है, जब अन्य सभी स्त्रोत सूख गए हों।
• इसे पेयजल का शुद्धतम रूप माना जाता हैं।
• गर्मियों में, ये टैंक भूमिगत कमरों और उनसे जुड़े कमरों को ठंडा, साफ रखते हैं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन
1. नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध निर्माण के विरोध में था।
2. आंदोलन गैर सरकारी संगठन (NGO) द्वारा संचालित।
3. जनजातीय लोगों, किसानों, पर्यावरणविदों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का सरदार सरोवर परियोजना के विरोध में लामबंद होना।
4. आरंभ में यह आंदोलन जंगलों के बाँध के पानी में डूबने के मुद्दे पर केंद्रित।
5. बाद में इसका लक्ष्य विस्थापितों का पुनर्वास करना हो गया।
एक नवीकरणीय संसाधन होते हुए भी जल के संरक्षण तथा प्रबंधन की आवश्यकता
• विश्व में केवल 2.5 प्रतिशत ही ताजा जल है।
• जल संसाधनों का अति दोहन।
• बढ़ती जनसंख्या, अधिक मांग और असमान पहुँच।
• बढ़ता शहरी करण।
• औद्योगीकीकरण।
भारत देश में जल का अभाव बढ़ने के कारण
• भारत मानसूनी जलवायु का देश है।
• कई बार मानसून न आने से जल की कमी बढ़ रही है।
• सिंचाई के जल की मांग में तीव्र वृद्धि होती जा रही है।
• औद्योगिक क्रियाओं के कारण भूमिगत जल स्तर का गिरना।
• शहरीकरण की गति में वृद्धि के कारण जल संसाधनों पर बढ़ता दबाव।
• बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने के कारण।
अत्यधिक सिंचाई के नकारात्मक प्रभाव
• इससे मिट्टी के लवणीकरण जैसे बड़े पारिस्थितिक परिणाम हो सकते हैं।
• इससे मिट्टी की उर्वरता में कमी आती है।
• इससे समाज में पानी की कमी हो जाती हैं।
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