NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 7 जंतुओं और पादप में परिवहन (Transportation in Animals and Plants)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Science |
Chapter | 7th |
Chapter Name | जंतुओं और पादप में परिवहन (Transportation in Animals and Plants) |
Category | Class 7th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 7 जंतुओं और पादप में परिवहन (Transportation in Animals and Plants) Notes in Hindi में हम पौधों और जंतुओं में परिवहन क्यों आवश्यक है?, पौधों में पदार्थों का परिवहन क्या है?, क्या परिवहन पौधों में कोई उपयोगी कार्य करता है?, पौधों में परिवहन कौन करता है?, जंतुओं में परिवहन कैसे होता है?, पौधों या जंतुओं में आवश्यक पदार्थों का परिवहन क्या है समझाइए?, पादप परिवहन क्या है?, पौधों में 2 परिवहन प्रणालियां क्या हैं?, पौधों में परिवहन का क्या महत्व है?, जंतुओं में कौन सा तंत्र पाया जाता है?, पशु परिवहन से आप क्या समझते हैं?, जंतुओं से कौन कौन से उत्पाद प्राप्त होते हैं?, परिवहन के विभिन्न प्रकार क्या हैं?, परिवहन में जानवरों की क्या भूमिका है?, पौधों में परिवहन कैसे होता है?, पौधों में परिवहन तंत्र के दो मार्ग कौन से हैं?, पौधों और जानवरों में ऑक्सीजन का परिवहन कैसे होता है?, ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत क्या है?, जलीय पौधे और जानवर कैसे सांस लेते हैं?, परिवहन तंत्र कितने प्रकार का होता है?, इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 7 जंतुओं और पादप में परिवहन (Transportation in Animals and Plants)
Chapter – 7
जंतुओं और पादप में परिवहन
Notes
परिसंचरण तंत्र का कार्य – पाचन के बाद पोषकों को कोशिकाओं तक पहुँचाने की जरूरत होती है। भोजन का श्वसन करने के लिए कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुँचाने की जरूरत होती है। श्वसन के बाद मुक्त होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर के बाहर निकालने की जरूरत होती है। इसी तरह शरीर में कई अन्य पदार्थों को पहुँचाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए हमारे शरीर में एक परिसंचरण तंत्र होता है।
मानव परिसंचरण तंत्र के मुख्य घटक – मानव परिसंचरण तंत्र के मुख्य घटक हैं:- हृदय, रक्त वाहिनियाँ और रक्त।
हृदय
हृदय में चार कक्ष होते हैं – दायाँ अलिंद, बायाँ अलिंद, दायाँ निलय और बायाँ निलय। ऊपर वाले कक्षों को अलिंद और नीचे वाले कक्षों को निलय कहा जाता हैं। अलिंद और निलय के बीच वाल्व होते हैं जो रक्त को एक ही दिशा में जाने देते हैं। मानव हृदय के दायें और बायें भाग एक दूसरे से बिलकुल अलग होते हैं ताकि गंदा रक्त और साफ रक्त एक दूसरे से मिल न पाएँ। ऑक्सीजन से भरपूर रक्त को साफ रक्त और कार्बन डाइऑक्साइड से भरपूर रक्त को गंदा रक्त कहते हैं।
हृदय से होकर रक्त का प्रवाह – शरीर विभिन्न अंगों से → दायाँ अलिंद → दायाँ निलय → फेफड़ा → बायाँ अलिंद → बायाँ निलय → शरीर के विभिन्न अंगों की ओर
नोट – नीले रंग का मतलब है कार्बन डाइऑक्साइड से भरपूर रक्त, जबकि लाल रंग का मतलब है ऑक्सीजन से भरपूर रक्त।
यह याद रखना होगा कि रक्त जब फेफड़े में जाता है तो रक्त में से कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है और फिर रक्त में ऑक्सीजन मिल जाती है।
रक्त वाहिनियाँ के प्रकार – रक्त वाहिनियाँ तीन प्रकार की होती हैं:- धमनी, शिरा और केशिका।
धमनी – धमनी की भित्ति मोटी होती है। धमनी से होकर हृदय से विभिन्न अंगों की तरफ रक्त का संचार होता है। अधिकतर धमनियों में ऑक्सीजन से भरपूर रक्त बहता है।
शिरा – शिरा की भित्ती पतली होती है। शिरा से होकर विभिन्न अंगों से हृदय की ओर रक्त का संचार होता है। अधिकतर शिराओं से कार्बन डाइऑक्साइड से भरपूर रक्त बहता है। शिराओं में वाल्व होते हैं ताकि रक्त का प्रवाह एक ही दिशा में हो।
केशिकाएँ – केशिकाएँ बहुत पतली होती हैं और रक्त को कोशिकाओं तक ले जाने का काम करती हैं। केशिकाएँ धमनियों और शिराओं से जुड़ी रहती हैं।
रक्त के तीन मुख्य अवयव कौन-से हैं – रक्त एक द्रव ऊतक है जिसके तीन मुख्य अवयव होते हैं:- प्लाज्मा, रक्त कोशिकाएँ और प्लैटलेट (पट्टिकाणु)।
प्लाज्मा – यह रक्त का तरल भाग है तो एक आधात्री (मैट्रिक्स) प्रदान करता है।
रक्त कोशिकाएँ – रक्त में दो प्रकार की रक्त कोशिकाएँ होती हैं: लाल रक्त कोशिकाएँ और श्वेत रक्त कोशिकाएँ। लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन नाम का पदार्थ होता है जिसके कारण रक्त का रंग लाल होता है। हीमोग्लोबिन का काम है ऑक्सीजन का परिवहन। श्वेत रक्त कोशिकाएँ अनियमित आकार की होती हैं। श्वेत रक्त कोशिकाएँ रोगाणुओं को मार देती हैं और इस तरह रोगों से लड़ने का काम करती हैं।
प्लैटलेट – इनका काम है रक्त के थक्के जमाना। जब आप खेल रहे होते हैं तो हो सकता है गिरने से आपके घुटने में जख्म हो जाए और वहाँ से खून बहने लगे। आपने देखा होगा कि थोड़ी देर में खून का थक्का जम जाता है और खून बहना बंद हो जाता है। इससे फायदा यह होता है कि बहुत अधिक खून नहीं बहता है। यदि किसी का खून बहुत अधिक बह जाए तो यह जान के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे यह स्पष्ट है कि प्लैटलेट का काम है रक्त के अत्यधिक बहने को रोककर व्यक्ति की जान बचाना।
उत्सर्जन तंत्र – हमारे शरीर में कई तरह की उपापचयी क्रियाएँ होती रहती हैं। इन क्रियाओं के फलस्वरूप कई अपशिष्ट पदार्थ बनते हैं। ये पदार्थ विषैले होते हैं इसलिए इनको समय समय पर शरीर से बाहर निकालना जरूरी होता है। कार्बन डाइऑक्साइड ऐसा ही एक पदार्थ है जिसे उच्छश्वसन द्वारा बाहर निकाला जाता है। कुछ अपशिष्ट पदार्थों को पसीने के साथ तो कुछ को मल के साथ निकाला जाता है। लेकिन मुख्य अपशिष्ट पदार्थ यूरिया है जिसे शरीर से बाहर निकालने के लिए विशेष रूप से उत्सर्जन तंत्र होता है। मानव उत्सर्जन तंत्र के मुख्य अंग हैं: वृक्क, मूत्रवाहिका, मूत्राशय।
वृक्क – मानव शरीर में एक जोड़ा वृक्क होता है। वृक्क का काम है रक्त में से अपशिष्ट पदार्थों को छानकर बाहर निकालना। अपशिष्ट पदार्थ जल के साथ मिलकर मूत्र का निर्माण करते हैं। वृक्क से मूत्रवाहिनी से होकर मूत्र मूत्राशय में जमा होता है। मूत्राशय से इसे समय समय पर मूत्रमार्ग द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
मूत्रवाहिका – मूत्रवाहिका उत्सर्जन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जो मूत्र को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। यह एक नलिका होता है जो गुर्दे से शुरू होता है और मूत्राशय तक पहुँचता है।
मूत्राशय – मूत्राशय का संरचना एक पाइप जैसा होता है, जो मूत्र को इकठ्ठा करता है मूत्र को मूत्रवाहिका के माध्यम से मूत्राशय तक भेजा जाता है। तथा मूत्राशय में मूत्र का निर्माण होता है जो शरीर से निकाल दिया जाना चाहिए। नहीं तो अनेक शारीरिक समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकता है।
हीमोग्लोबिन किसे कहते हैं – लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC) होती हैं उनमें एक लाल वर्णक होता है, जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण ही रक्त का रंग लाल होता है।
श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) किसे कहते हैं – रक्त में अन्य प्रकार की कोशिकाएँ भी होती है जिन्हें श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) कहते हैं। ये कोशिकाएँ उन रोगाणुओं को नष्ट करती हैं, जो हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
पट्टिकाणु किसे कहते हैं – रक्त का थक्का बन जाना उसमें एक अन्य प्रकार की कोशिकाओं की उपस्थिति के कारण होता है जिन्हें पट्टिकाणु (प्लेटलेट्स) कहते हैं।
पादपों में परिवहन – पादपों में परिवहन के लिए दो विशेष ऊतक मौजूद होते हैं: जाइलम और फ्लोएम। इन्हें संवहन ऊतक कहते हैं।
जाइलम – जाइलम का काम पानी और खनिज पदार्थों को जड़ से पत्तियों तक पहुँचाना। जड़ों में रोएँ जैसी रचना होती है जिन्हें मूल रोम कहते हैं। असंख्य मूल रोम के कारण जड़ का पृष्ठ क्षेत्र बढ़ जाता है जिससे वह अधिक से अधिक पानी सोख पाता है। मिट्टी में मौजूद पानी विसरण की प्रक्रिया द्वारा जड़ों में प्रवेश करता है। उसके बाद पानी जाइलम से बनी पाइपलाइन द्वारा पत्तियों तक पहुँचता है।
फ्लोएम – जब पत्तियों में भोजन बनता है तो उसे पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाने की जरूरत होती है। यह काम फ्लोएम द्वारा होता है।
वाष्पोत्सर्जन – पत्तियों के रंध्रों तथा तने में स्थित लेंटिसेल से होकर जलवाष्प निकलती रहती है। इस क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। वाष्पोत्सर्जन के कारण रंध्रों में एक चूषक बल पैदा होता है। यह ठीक वैसे ही होता है जैसा तब होता है जब आप कोई ड्रिंक पीने के लिए ड्रिंकिंग स्ट्रॉ का इस्तेमाल करते हैं। इस चूषक बल के कारण पानी जाइलम से होते हुए ऊँची ऊँची डालियों तक पहुँच जाता है।
FAQ
प्रश्न 1. परिवहन किसे कहते हैं?
प्रश्न 2. शिराओं का एक कार्य लिखें।
प्रश्न 3. पादपों की मूल की सतह का क्षेत्रफल किसके द्वारा बनाया जाता है?
प्रश्न 4. मछली की जंतु कोशिका के अपशिष्ट उत्पाद का नाम लिखें।
प्रश्न 5. उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं?
प्रश्न 6. मूत्र में जल और यूरिया की प्रतिशत मात्रा कितनी होती है?
प्रश्न 7. फुफ्फुस धमनी में कैसा रक्त बहता है?
प्रश्न 8. मानव किन-किन पदार्थों को अपशिष्ट के रूप में बाहर निकालता है?
प्रश्न 9. मानव परिसंचरण तंत्र किसे कहते हैं?
प्रश्न 10. कौन-सी कोशिकाएँ सभी भागों तक ऑक्सीजन पहुंचने ?
प्रश्न 11. धमनियाँ क्या कार्य करती हैं?
प्रश्न 12. पसीने में क्या-क्या पाया जाता है?
प्रश्न 13. वाष्पोत्सर्जन के द्वारा पौधों में कौन-सा बल उत्पन्न होता है?
प्रश्न 14. उत्सर्जन किसे कहते हैं?
प्रश्न 15. प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में तैयार मंड, पौधे के अन्य भागों तक कैसे पहुँचाया जाता है?
प्रश्न 16. पसीने का उत्सर्जन किस अंग द्वारा होता है?
प्रश्न 17. रक्त क्या है?
प्रश्न 18. रक्त के मुख्य भाग कौन-कौन से हैं?
प्रश्न 19. रक्त वाहिनियाँ कितने प्रकार की होती हैं?
प्रश्न 20. वृक्क किस अपशिष्ट उत्पाद को बाहर निकालते हैं?
प्रश्न 21. रक्त में कौन-सी कोशिकाएँ पाई जाती हैं?
प्रश्न 22. शिराओं की विशेषता लिखें।
प्रश्न 23. वृक्क खराब होने की स्थिति में, शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को कैसे हटाया जाता है?
प्रश्न 24. पौधों के संवहन ऊतकों के नाम लिखें।
प्रश्न 25. रक्त का एक कार्य लिखें।
प्रश्न 26. स्पंदन दर किसे कहते हैं?
प्रश्न 27. एक वयस्क 24 घंटे में कितना मूत्र करता है?
प्रश्न 28. पौधे की जड़ों द्वारा अवशोषित पोषक, पत्तियों तक कैसे पहुँचते हैं?
प्रश्न 29. पत्तियों में तैयार स्टार्च (मंड) पौधे के अन्य भागों तक किस ऊतक द्वारा पहुँचता है?
प्रश्न 30. केशिकाएँ किन्हें कहते हैं?
प्रश्न 31. वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं?
प्रश्न 32. फुफ्फुस शिरा में कैसा रक्त बहता हैं?
प्रश्न 33. हृदय (Heart) किसे कहते हैं?
प्रश्न 34. हृदय का आकार कैसा होता है?
प्रश्न 35. रक्त का थक्का बनाने में सहायक रक्त कोशिकाओं के नाम लिखें।
प्रश्न 36. स्वस्थ वयस्क व्यक्ति की स्पंदन दर कितनी है?
प्रश्न 37. गर्मियों में पसीना आने का क्या लाभ है?
प्रश्न 38. कौन-सी रक्त कोशिकाएँ हमें बीमारियों से बचाती हैं?
प्रश्न 39. नाड़ी स्पंद किसे कहते हैं?
प्रश्न 40. हृदय स्पंदन को किस उपकरण द्वारा जाँचा जा सकता है?
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