NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 2 प्राणियों में पोषण (Nutrition in Animals) Notes in Hindi

NCERT Solution Class 7th Science Chapter – 2 प्राणियों में पोषण (Nutrition in Animals)

TextbookNCERT
Class 7th
Subject Science
Chapter2nd
Chapter Nameप्राणियों में पोषण (Nutrition in Animals)
CategoryClass 7th Science
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 2 प्राणियों में पोषण (Nutrition in Animals) Notes in Hindi इस अध्याय में हम प्राणियों में पोषण (Nutrition in Animals), अमीबा का आहार क्या है?, जंतुओं में पोषण की कौन कौन सी विधि पाई जाती है?, अमीबा पोषण कैसे प्राप्त करते हैं?, अमीबा का दूसरा नाम क्या है?, अमीबा के खोजकर्ता कौन है?, अमीबा नर है या मादा?, अमीबा हमारे शरीर में कहां स्थित है?, बेटी अमीबा क्यों कहा जाता है?, अमीबा में बेटी कोशिकाएं क्या हैं?, अमीबा की खोज कब हुई थी? आदि के बारे में हम पढ़ेंगे।

NCERT Solution Class 7th Science Chapter – 2 प्राणियों में पोषण (Nutrition in Animals)

Chapter – 2

प्राणियों में पोषण

Notes

पाचन – पाचन वह प्रक्रिया है जिसमें भोजन को यांत्रि‍कीय और रासायनिक रूप से छोटे-छोटे घटकों में विभाजित कर दिया जाता है ताकि उन्हें रक्त धारा में अवशोषित किया जा सके पाचन एक प्रकार की अपचय क्रिया है जिसमें भोजन के बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में बदल दिया जाता है । इस प्रक्रिया को पाचन कहते हैं

खाद्य अंतर्ग्रहण की विधियाँ

• भोजन के अंतर्ग्रहण की विधि विभिन्न जीवों में भिन्न- भिन्न होती है।

• मधुमक्खी एवं मर्मर पक्षी (हमिंग बर्ड) पौधों का मकरंद चूसते हैं।

• मानव एवं अन्य जन्तुओं में शिशु माँ का दूध पीते है।

• अजगर जैसे सर्प शिकार को सीधे ही निगल जाते हैं।

• जलीय प्राणी अपने आस पास पानी में तैरते हुए खाद्य कणों को छान कर उनका भक्षण भरते

• रोचक तथ्य स्टारफिश (तारा मछली) कैल्शियम।

• कार्बोनेट के कठोर कवच वाले जन्तुओं का आहार करती है।

• यह अपने मुख से अपना आमाशय बाहर निकालती है तथा जंतु के कोमल भागों को खाती है। आमाशय वापस शरीर में चला जाता है तथा आहार धीरे-धीरे पचता है।

मनुष्य में पाचन तंत्र कैसे काम करती है

मनुष्य का पाचन तंत्र एक जटिल सिस्टम है, जिसके मुख्य अंग हैं आहार नाल और कुछ ग्रंथियाँ।

• मानव पाचन तन्त्र में जठरान्त्र मार्ग और पाचन के सहायक अंग (जिह्वा, लार ग्रंथियाँ, अग्न्याशय, यकृत और पित्ताशय) होते हैं।

• पाचन में भोजन को क्षुद्र घटकों में अपचय शामिल है, जब तक कि उन्हें शरीर में अवशोषित और आत्मसात नहीं किया जा सकता।

पाचन की प्रक्रिया में तीन चरण होते हैं –

1. सेफ़िलिक चरण
2. जठरीय चरण
3. आन्तरिक चरण

आहार नालयह एक नली है जो मुँह से शुरु होती ह और गुदा में समाप्त होती है। आहार नाल को कई भागों में बाँटा जा सकता है, जिनके नाम हैं: मुख-गुहिका, ग्रास नली (इसोफेगस), आमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँत और गुदा।

पाचन ग्रंथियांभोजन के पाचन में कुछ विशेष ग्रंथियों से स्रावित होने वाले रसों का भी महत्त्व होता है, इन ग्रंथियों को पाचक रस ग्रंथियाँ कहते हैं, जैसे लाला-ग्रंथि, यकृत, अग्न्याशय आदि।

मुख-गुहिका – मुख तथा होंठ दो मांसल, चल होंठों के बीच, अनुप्रस्थ दरारनुमा हमारा मुखद्वार या मुख विदर होता है जो मुख – ग्रासन गुहिका में खुलता है। हमारे होंठ बाहर की ओर थोड़े इस प्रकार घूमे हुए होते हैं कि भीतर की ओर इन पर मुखगुहिका का श्लेष्मिक स्तर दिखाई देता है। ऊपरी होंठ पर मध्य में नासिका तक फैली एक छिछली खाँच होती है जिसे फिल्ट्रोन कहते हैं। इसका महत्त्व अनिश्चित है। वयस्क पुरुषों में ऊपरी होंठ पर मूंछ के बाल निकलते हैं।

जीभ यह एक मांसल अंग है जो पीछे की तरफ मुख-गुहिका के आधार से जुड़ी रहती है और आगे से स्वतंत्र रहती है। जीभ का काम है भोजन में लार को मिलाना। जीभ के ऊपर स्वाद-कलिकाएँ रहती हैं, जिनके कारण हमें अलग-अलग स्वादों का पता चलता है।

भोजन नली (ग्रसिका)

• निगला हुआ भोजन ग्रास नली में जाता है। ग्रसिका गले एवं वक्ष से होती हुई नीचे जाती है।

• ग्रसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे आमाशय में धकेला जाता है।

• कभी-कभी आमाशय खाए हुए भोजन को स्वीकार नहीं करता, फलस्वरूप वमन द्वारा उसे बाहरनिकाल दिया जाता है।

आमाशय – आमाशय मोटी भित्ति वाली एक थैलीनुमा संरचना है। यह चपटा एवं ‘J’ की आकृति का होता है तथा आहार नाल का सबसे चौड़ा भाग है। यह एक ओर ग्रसिका (ग्रास नली) से खाद्य प्राप्त करता है तथा दूसरी ओर क्षुद्रांत्र में खुलता है।आमाशय का आंतरिक अस्तर ( सतह ) श्लेष्मल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस स्रावित करता है। श्लेष्मल आमाशय के अतिरिक अस्तर को सुरक्षा प्रदान करता है। अम्ल अनेक ऐसे जीवाणुओं को नष्ट करता है, जो भोजन के साथ वहाँ तक पहुँच जाते हैं। साथ ही यह माध्यम को अम्लीय बनाता है जिससे पाचक रसों को क्रिया करने में सहायता मिलती है। पाचक रस (जठर रस) प्रोटीन को सरल पदार्थों में विघटित कर देता है।

क्षुद्रांत्र – क्षुद्रांत्र या छोटी आंत कहते हैं (Small Intestine) मानव पाचन तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है जो आमाशय से आरम्भ होकर बृहदांत्र (बड़ी आंत) पर पूर्ण होती है। क्षुदान्त्र में ही भोजन का सबसे अधिक पाचन और अवशोषण होता है। छोटी आत की लंबाई 7.5 मीटर होती है।

बृहदांत्र – बृहदांत्र या बड़ी आंत कहते हैं (Big Intestine) बृहदांत्र, क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह लगभग 1.5 मीटर लंबी होती है। इसका मुख्य कार्य जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना है। बचा हुआ अपचित पदार्थ मलाशय में चला जाता है तथा अर्धठोस मल के रूप में रहता है। समय-समय पर गुदा द्वारा यह मल बाहर निकाल दिया जाता है। इसे निष्कासन कहते हैं।

क्षुद्रांत्र में अवशोषण

• पचित भोजन अवशोषित होकर क्षुद्रांत्र की भित्ति में स्थित रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। इस प्रक्रम को अवशोषण कहते हैं।

• क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर अंगुली के समान उभरी हुई संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें दीर्घरोम अथवा रसांकुर कहते हैं।

• दीर्घरोम पचे हुए भोजन के अवशोषण हेतु तल क्षेत्र बढ़ा देते हैं।

• दीर्घरोम द्वारा अवशोषित भोजन रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है।

घास खाने वाले जन्तुओं में पाचन

• गाय, भैंस तथा घास खाने वाले जन्तु पहले घास को जल्दी-जल्दी निगलकर आमाशय के एक भाग में भंडारित कर लेते हैं।

• आमाशय का यह भाग रुमेन (प्रथम आमाशय) कहलाता है।

• रूमिनैन्ट में आमाशय चार भागों में बँटा होता है। रूमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है, जिसे जुगाल (कड) कहते हैं।

• जन्तु बाद में इसको छोटे-छोटे पिंडकों के रूप में पुनः मुख में लाता है तथा चबाता रहता है।

• इस प्रक्रम को रोमन्थन (जुगाली करना) कहते हैं तथा ऐसे जन्तु रूमिनैन्ट अथवा रोमन्थी कहलाते हैं।

• घास में सेलुलोस की प्रचुरता होती है, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है।

• रूमिनैन्ट पशु, हिरण आदि के रूमेन में सेलुलोस का पाचन करने वाले जीवाणु पाये जाते हैं।

अमीबा में संभरण एवं पाचन

• अमीबा जलाशयों में पाया जाने वाला एककोशिकीय जीव है।

• अमीबा की कोशिका में एक कोशिका झिल्ली होती है, एक गोल केन्द्रक एवं कोशिका द्रव्य में बुलबुले के समान अनेक धानियाँ होती हैं।

• अमीबा निरन्तर अपनी आकृति एवं स्थिति बदलता रहता है।

• यह एक अथवा अधिक अँगुली के समान प्रवर्ध निकालता रहता है, जिन्हें पादाभ (कृत्रिम पाँव) जाते हैं।

• अमीबा सूक्ष्म जीवों का आहार करता है, जब इसे भोजन का आभास होता है, तो यह खाद्य कण के चारों ओर पादाभ विकसित करके उसे निगल लेता है। खाद्य पदार्थ उसकी खाद्य धानी में फँस जाते हैं।

• खाद्य धानी में ही पाचक रस स्रावित होते हैं। ये खाद्य पदार्थ पर क्रिया करके उन्हें सरल पदार्थों बदल लेते हैं।

• पचा हुआ खाद्य धीरे-धीरे अवशोषित हो जाता है। अवशोषित पदार्थ अमीबा की वृद्धि एवं गुणन के लिए उपयोग किए जाते हैं।

• बिना पचा अपशिष्ट खाद्य धानी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

• भोजन के पाचन का आधारभूत प्रक्रम सभी प्राणियों में समान है, जिसमें खाद्य पदार्थ सरल पदार्थों में परिवर्तित किए जाते हैं एवं ऊर्जा मुक्त होती है।

अंतर्ग्रहण – आहार को शरीर के अन्दर लेने की क्रिया अंतर्ग्रहण कहलाती है।

पित्ताशय – पित्त रस एक थैली में संग्रहित होता रहता है, इसे पित्ताशय कहते हैं, पित्त रस वसा के पाचन में महत्त्वपूर्ण ‘भमिका निभाता है।

अग्न्याशय – अग्न्याशय हल्के पीले रंग की बड़ी ग्रंथि है, जो आमाशय के ठीक नीचे स्थित होती है जो ‘अग्न्याशयिक रस स्त्रावित करती है

अवशोषण – पचित भोजन अवशोषित होकर क्षुद्रांत्र की भित्ति में स्थित रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। इस प्रक्रम को अवशोषण कहते हैं।

दीर्घरोम – क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर अंगुली के समान उभरी हुई संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें दीर्घरोम अथवा रसांकुर कहते हैं।

निष्कासन – समय-समय पर गुदा द्वारा यह मल बाहर निकाल दिया जाता है, इसे निष्कासन कहते हैं।

रुमेन – आमाशय का यह भाग रुमेन (प्रथम आमाशय) कहलाता है।

रूमिनैन्ट रोमन्थी – इस प्रक्रम को रोमन्थन (जुगाली करना) कहते हैं तथा ऐसे जन्तु रूमिनैन्ट अथवा रोमन्थी कहलाते हैं।

पादाभ – यह एक अथवा अधिक अँगुली के समान प्रवर्ध निकालता रहता है, जिन्हें पादाभ (कृत्रिम पाँव) जाते हैं।

स्वांगीकरण – अवशोषित पदार्थों का स्थानांतरण रुधिर वाहिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों तक होता है, जहाँ उनका उपयोग जटिल पदार्थों को बनाने में किया जाता है। इस प्रक्रम को स्वांगीकरण कहते हैं।

खाद्य धानी – अमीबा में भोजन का अंतर्ग्रहण पादाभ की सहायता से होता है तथा इसका पाचन खाद्य धानी में होता है।

लाला – ग्रंथि – आमाशय की आंतरिक भित्ति, क्षुद्रांत्र तथा आहार नाल से संबद्ध विभिन्न ग्रंथियाँ जैसे कि लाला – ग्रंथि यकृत, अग्न्याशय पाचक रस स्स्रावित करती हैं। पाचक रस जटिल पदार्थों को उनके सरल रूप में बदल देते हैं।

एमीनो अम्ल – वसा’, वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में तथा ‘प्रोटीन’, एमीनो अम्ल में परिवर्तत जाती है ।

FAQ

प्रश्न 1. पाचन किसे कहते हैं?

जटिल पदार्थों का सरल पदार्थों में परिवर्तित होना या टूटना विखंडन कहलाता है, इस प्रक्रम को पाचन कहते हैं।

प्रश्न 2. पौधों का मकरंद चूसने वाले दो जीवों के नाम लिखें।

पौधों का मकरंद चूसने वाले दो जीव मधुमक्खी तथा मर्मर पक्षी है।

प्रश्न 3. अपने शिकार को पूरा निगलने वाले एक प्राणी का नाम लिखें।

अपने शिकार को पूरा निगलने वाले प्राणी का नाम अजगर है।

प्रश्न 4. पाचन नली का सबसे पहला भाग कौन-सा है?

पाचन नली का सबसे पहला भाग मुख-गुहिका है।

प्रश्न 5. मानव पाचन तंत्र के प्रमुख भाग कौन-कौन से हैं?

मानव पाचन तंत्र के प्रमुख भाग पाचन नली व पाचक रस ग्रंथियाँ हैं।

प्रश्न 6. किस आयु तक शैशवकाल के सभी दाँत गिर जाते हैं?

8 वर्ष की आयु तक शैशवकाल के सभी दाँत गिर जाते हैं।

प्रश्न 7. शैशवकाल के दाँतों का नाम क्या है?

शैशवकाल के दाँतों का नाम है–दूध के दाँत।

प्रश्न 8. दूध के दाँतों के बाद कौन-से दाँत आते हैं?

दूध के दाँतों के बाद स्थायी दाँत आते हैं।

प्रश्न 9. लाला-ग्रंथि कौन-सा स्राव उत्पन्न करती है?

लाला-ग्रंथि लाला रस या लार स्राव उत्पन्न करती है।

प्रश्न 10. लार मंड को किसमें बदलता है? (शर्करा/प्रोटीन/वसा)

लार मंड को शर्करा में बदलता है।

प्रश्न 11. दाँतों को हानि पहुँचाने वाले दो पदार्थों के नाम लिखें।

दाँतों को हानि पहुँचाने वाले दो पदार्थ चॉकलेट और ठंडे पेय हैं।

प्रश्न 12. ग्रसिका में भोजन के गति करने का कारण क्या है?

ग्रसिका में भोजन के गति करने का कारण आहार नाल में संकुचन होना है।

प्रश्न 13. जब आमाशय खाए भोजन को स्वीकार नहीं करता और उसे बाहर निकाल देता है तो इस घटना को क्या कहते हैं?

जब आमाशय खाए भोजन को स्वीकार नहीं करता और उसे बाहर निकाल देता है तो इसे घटना को वमन आना कहते हैं।

प्रश्न 14. आमाशय का आकार कैसे होता है?

आमाशय का आकार चपटा एवं ‘U’ आकार का होता है।

प्रश्न 15. भोजन खाते समय कई बार तेजी से खाँसी आती है, इसका क्या कारण होता है?

भोजन खाते समय कई बार तेजी से खाँसी आती है, तो इसका कारण भोजन के कणों का श्वास नली में चला जाना होता है।

प्रश्न 16. आमाशय में पहुँचे भोजन में पाए जाने वाले जीवाणुओं को कौन-सा रस नष्ट करता है?

आमाशय में पहुँचे भोजन में पाए जाने वाले जीवाणुओं को नमकाम्ल रस नष्ट करता है।

प्रश्न 17. आमाशय के आंतरिक अस्तर को सुरक्षा प्रदान करता है।

आमाशय के आंतरिक अस्तर को श्लेष्मल रस सुरक्षा प्रदान करता है।

प्रश्न 18. यकृत किस रस को स्रावित करता है?

यकृत पित्त रस को स्रावित करता है।

प्रश्न 19. इंसुलिन का उत्पादन कौन-सी ग्रंथि करती है?

इंसुलिन का उत्पादन अग्न्याशय ग्रंथि करती है।

प्रश्न 20. पचा हुआ भोजन कहाँ अवशोषित होता है?

पचा हुआ भोजन छोटी आंत में अवशोषित होता है।
NCERT Solution Class 7th विज्ञान Notes in Hindi
Chapter – 1 पादपों में पोषण
Chapter – 2 प्राणियों में पोषण
Chapter – 3 ऊष्मा
Chapter – 4 अम्ल, क्षारक और लवण
Chapter – 5 भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
Chapter – 6 जीवों में श्वसन
Chapter – 7 जंतु एवं पादप में परिवहन
Chapter – 8 पादप में जनन
Chapter – 9 गति एवं समय
Chapter – 10 विद्युत धारा एवं इसके प्रभाव
Chapter – 11 प्रकाश
Chapter – 12 वन हमारी जीवन रेखा
Chapter – 13 अपशिष्ट जल की कहानी
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