NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 3 रेशों से वस्त्र तक (Fiber To Fabric)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Science |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | रेशों से वस्त्र तक |
Category | Class 7th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th विज्ञान Chapter – 3 रेशों से वस्त्र तक (Fiber To Fabric) Notes in Hindi जिसमे हम रेशम से क्या प्राप्त होता है?, रेशों से धागा बनाते समय इसकी कताई करना क्यों आवश्यक होता है?, रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम कीट के कोकून को उबलते पानी में डालना क्यों आवश्यक होता है कारण दीजिए?, रेशम और उन क्या है?, रेशम के कपड़े कैसे बनते हैं?, रेशम के कीड़े का नाम क्या है?, सबसे मजबूत रेशा कौन सा होता है?, कौन सा रेशा सबसे लंबा होता है?, रेशों से कपड़ा कैसे प्राप्त होता है?, रेशम के कीड़े कितने समय तक जीवित रहते हैं?, रेशम के कीड़े कहाँ रहते हैं?, रेशम कीट कितने प्रकार के होते हैं?, असली रेशम कैसे बनता है?, रेशम कहां बनता है?, रेशम कैसे बनता है?, कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?, रेशम के कीड़े से क्या बनते हैं?, धागे से क्या बनता है?, पेड़ से कौन सा रेशा प्राप्त होता है?, मानव निर्मित रेशा कौन सा है?, प्राकृतिक रेशा का नाम क्या है?, नर रेशमकीट संभोग के बाद क्यों मर जाते हैं?, रेशम की उम्र कितनी होती है?, रेशमी पतंगे कैसे संभोग करते हैं?, रेशम कीट के अंदर से क्या निकलता है?, रेशम के कीड़े बिना भोजन के कब तक रह सकते हैं?, रेशम की खोज कब हुई थी?, रेशम के साथ कौन सा कपड़ा जाता है?, रेशम का आविष्कार क्यों हुआ था? इत्यादि के बारे में विस्तार से पढेंगें |
NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 3 रेशों से वस्त्र तक (Fiber To Fabric)
Chapter – 3
रेशों से वस्त्र तक
Notes
जांतव रेशे (Animal Fibers) क्या होता है?
जंतुओं से मिलने वाले रेशों को जांतव रेशा कहते हैं। ऊन एक जांतव रेशा है जो भेड़ों और बकरियों से मिलता है। रेशम एक जांतव रेशा है तो रेशम कीटों से मिलता है। |
ऊन (Wool) किसे कहते है?
भेड़, बकरी और याक के शरीर पर बालों की एक मोटी परत होती है। बालों के बीच हवा भरी होती है। हवा ऊष्मा की कुचालक होती है। इसलिए बालों की वजह से इन जानवरों को ठंड नहीं लगती है। यही कारण है कि ऊनी कपड़े गर्माहट देते हैं। |
भेड़ की त्वचा पर कितने तरह के बाल होते हैं?
भेड़ की त्वचा पर दो तरह के बाल होते हैं 1. दाढ़ी के रूखे बाल 2. त्वचा पर उपस्थित मुलायम बाल तंतुरूपी मुलायम बाल से कार्तित ऊन बनाने के लिए रेशे मिलते हैं। भेड़ों की कुछ विशेष नस्लों में केवल मुलायम बाल ही होते हैं। विशेष रूप से जनकों का चयन करके ऐसी नस्लों की संख्या बढ़ाई जाती है। इस प्रक्रिया को वरणात्मक प्रजनन कहते हैं। वरणात्मक शब्द वरण से बना है जिसका मतलब चयन करना या चुनाव करना। |
ऊन देने वाले जंतु कँहा से मिलती है?
ऊन का मुख्य स्रोत भेड़ होती है, लेकिन कई अन्य जानवरों से भी ऊन निकाली जाती है। तिब्बत और लद्दाख में याक से ऊन मिलती है। जम्मू कश्मीर में पाई जाने वाली अंगोरा नस्ल की बकरियों से अंगोरा ऊन मिलती है। कश्मीर की बकरी की एक अन्य नस्ल से मुलायम ऊन मिलती है जिसे पश्मीना कहते हैं। पश्मीना ऊन का इस्तेमाल अक्सर शॉल बनाने में होता है। दक्षिणी अमेरिका में लामा और ऐल्पेका नाम के जानवरों से ऊन निकाली जाती है। |
भेड़ पालन (Sheep rearing) क्या है?
भेड़ों को भारत के कई राज्यों में पाला जाता है: जैसे कि जम्मू, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात। भेड़ों को हरी घास और पत्तियाँ खिलाई जाती हैं। इसके अलावा उन्हें दाल, मक्का, ज्वार, खली और खनिज भी खिलाया जाता है।
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रेशों से ऊन बनाना
चरण 1 (Step 1) भेड़ के बालों को त्वचा की पतली परत के साथ काट लिया जाता है। इस प्रक्रिया को ऊन क कटाई कहते हैं। इसके लिए बाल ट्रिम करने की मशीन इस्तेमाल होती है। ऊन की कटाई अक्सर गर्मी के मौसम में की जाती है ताकि जाड़ा आने तक भेड़ों के बाल बढ़ जाएँ और उन्हें जाड़े में कोई तकलीफ न हो। चरण 2 (Step 2) बालों को बड़ी बड़ी टंकियों में अच्छी तरह से रगड़ कर धोया जाता है ताकि गंदगी निकल जाए। इस प्रक्रिया को अभिमार्जन कहते हैं। चरण 3 (Step 3) बालों को साफ करने के बाद उनकी छँटाई होती है। इस प्रक्रिया में ऊन को गठन के हिसाब से अलग-अलग किया जाता है। मोटे ऊन और पतले ऊन की अलग-अलग ढ़ेरी बनाई जाती है। चरण 4 (Step 4) ऊन में से छोटे-छोटे कोमल और फूले हुए रेशों को अलग किया जाता है। इन छोटे रेशों को बर कहते हैं। कभी-कभी आपके स्वेटर पर इस तरह के बर देखने को मिलते होंगे। चरण 5 (Step 5) ऊन को अच्छी तरह सुखाने के बाद अलग-अलग रंगों से रंग दिया जाता है। यह याद रखना होगा कि भेड़ से निकलने वाली ऊन सफेद, भूरी या काली होती है। चरण 6 (Step 6) रेशों को सीधा करके सुखा लिया जाता है। उसके बाद रेशों से ऊन के धागे बनाये जाते हैं। इस प्रक्रिया को ऊन की रीलिंग कहते हैं। |
प्रश्न 1. जांतव रेशे क्या है?
जंतुओं से मिलने वाले रेशों को जांतव रेशा कहते हैं। ऊन एक जांतव रेशा है जो भेड़ों और बकरियों से मिलता है।
प्रश्न 2. ऊन किसे कहते है?
भेड़, बकरी और याक के शरीर पर बालों की एक मोटी परत होती है। बालों के बीच हवा भरी होती है। इसलिए बालों की वजह से इन जानवरों को ठंड नहीं लगती है। यही कारण है कि ऊनी कपड़े गर्माहट देते हैं।
प्रश्न 3. रेशम की खोज कहाँ पर हुई थी ?
रेशम की खोज चीन में हुई हैं।
प्रश्न 4. भेड़, बकरी, याक से हमें क्या प्राप्त होता हैं ?
भेड़, बकरी, याक से हमें ऊन प्राप्त होता हैं।
प्रश्न 5. भेड़ों की ‘मारवाड़ी नस्ल’ कौन से राज्य में पाई जाती है ?
गुजरात
प्रश्न 6. जोतव रेशा किसे कहते हैं?
जंतुओं से प्राप्त रेशा, जातव रेशा कहलाता है।
प्रश्न 7. तंतुरूपी बालों का दूसरा नाम क्या है?
कार्तित ऊन तंतुरूपी बालों का दूसरा नाम है।
प्रश्न 8. याक की ऊन कहाँ सर्वाधिक प्रचलित है?
याक की ऊन तिब्बत व लद्दाख में प्रचलित है।
प्रश्न 9. लामा और ऐल्पेका विश्व के किस देश में पाए जाते हैं?
लामा और ऐल्पेका विश्व के दक्षिण अमेरिका देश में पाए जाते हैं।
प्रश्न 10. रेशम का फाइबर रेशम कीट के …………. से प्राप्त होता है।
रेशम का फाइबर रेशम कीट के कोकून से प्राप्त होता है।
प्रश्न 11. रेशे प्रदान करने वाले जंतुओं के नाम लिखें।
रेशे प्रदान करने वाले जंतुओं के नाम भेड़, बकरी एवं याक हैं।
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