NCERT Solutions Class 7th History Chapter – 6 ईश्वर से अनुराग (Devotional Paths to the Divine)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Social Science (इतिहास) |
Chapter | 6th |
Chapter Name | ईश्वर से अनुराग (Devotional Paths to the Divine) |
Category | Class 7th Social Science (इतिहास) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th History Chapter – 6 ईश्वर से अनुराग (Devotional Paths to the Divine) Question & Answer in Hindi ईश्वर से अनुराग का क्या मतलब है?, अनुराग क्या होता है?, अनुराग पुरुष का नाम है या महिला का?, राग और अनुराग में क्या अंतर है?अनुराग किसका स्थायी भाव है?, अनुराग अच्छा नाम है?, अनुराग में मूल शब्द क्या है?, अनुराग नाम कितना लोकप्रिय है?, अनुराग कैसे लिखते हैं?, 1 पुरुष का नाम क्या है?, अनुराग का सही पर्यायवाची क्या है?, अनु दांत में कौन सा उपसर्ग है?, अतिथि में उपसर्ग कौन सा है?, अनुराग को संस्कृत में कैसे लिखते हैं?, पार्वती रुद्राणी भवानी किसका पर्यायवाची है?, भोजन में कौन सा प्रत्यय है?, स्वतंत्रता का मूल शब्द क्या है?, अतिथि नाम की उत्पत्ति कहां से हुई?, स्वतंत्रता के 3 प्रकार कौन से हैं?, स्वतंत्रता के दो रूप कौन से हैं?, स्वतंत्रता का पुराना अंग्रेजी नाम क्या है?, 6 स्वतंत्रता प्रकार क्या हैं?, स्वतंत्रता शब्द का अर्थ क्या है?, इस स्वतंत्रता के चार उदाहरण क्या हैं आदि आगे पढेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th History Chapter – 6 ईश्वर से अनुराग (Devotional Paths to the Divine)
Chapter – 6
ईश्वर से अनुराग
प्रश्न – उतर
प्रश्न 1. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ –
(क) बुद्ध | नामघर |
(ख) शंकरदेव | विष्णु की पूजा |
(ग) निज़ामुद्दीन औलिया | सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए |
(घ) नयनार | सूफ़ी संत |
(ड़) अलवार | शिव की पूजा |
उत्तर –
(क) बुद् | सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए |
(ख) शंकरदेव | नामघर |
(ग) निज़ामुद्दीन औलिया | सूफ़ी संत |
(घ) नयनार | शिव की पूजा |
(ड़) अलवार | विष्णु की पूजा |
प्रश्न 2. रिक्त स्थान की पूर्ति करे –
(क) शंकर ______ के समर्थक थे।
उत्तर – अद्वैत
(ख) रामानुज _____ के द्वारा प्रभावित हुए थे।
उत्तर – अलवार
(ग) _____ , ____और ___वीरशैव मत के समर्थक थे।
उत्तर – वसवन्ना, अल्लामा प्रभु ,अक्कमहादेवी
(घ) _______ महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
उत्तर – पंढरपुर
प्रश्न 3. नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार-व्यवहारों का वर्णन करें।
उत्तर – इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह उभरे जिन्होंने साधारण तर्क वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकाण्डों और अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज व्यवस्था की अलोचना की। उनमे नाथपंथी, सिद्धों और योगी उल्लेखनीय है। उन्होंने संसार का परित्याग करने का समर्थन किया। उनके विचार से निराकार परम सत्य का चिन्तन – मनन और इसके साथ हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है।
इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिन्तन मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया। ये समूह खासतौर पर नीची कहीं जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय हुए। उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की अलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया जो आगे चलकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना।
प्रश्न 4. कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे ? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया ?
उत्तर – कबीर सम्भ्वत: पंद्रहवी- सोलहवीं शताब्दी में हुए थे। वे अत्यधिक प्रभावशाली संत थे। हमें उनके विचारों की जानकारी उनकी साखियों और पदों के विशाल संग्रह से मिलती है, जिनके बारे में यह कहा जाता है कि इनकी रचना तो कबीर ने की थी परन्तु ये घुमंतू भजन गायकों द्वारा गाए जाते थे। कबीर के विचार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं की पूर्ण एवं प्रचण्ड अस्वीकृति पर आधारित था। उनके उपदेशों में ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म और इस्लाम दोनों की बाह्य आडंबरपूर्ण पूजा के सभी रूपों का मजाक उड़ाया गया।
आइए समझे
प्रश्न 5. सूफियों के प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे ?
उत्तर – सूफी मुसलमान रहस्यवादी थे। वे धर्म के बाहरी आडंबरो को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे। वे ईश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी, दुनिया की परवाह किए बिना अपनी प्रियतमा से जुड़े रहना चाहते हो।
प्रश्न 6. आपके विचार से बहुत-से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया ?
उत्तर – हमारे विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित विश्वासों तथा प्रथाओं को निम्नलिखित कारणों से अस्वीकार किया। बहुत से गुरु एक ही धार्मिक शक्ति में विश्वास करते थे। उनका विश्वास था कि प्रचलित धार्मिक विश्वास कर्मकांडा से छुटकारा पाकर ही नीची जातियों को मार में समानता पर लाया जा सकता है। बहुत से गुरुओं ने ईश्वर भक्ति के अधिकार करना चाहा। वे ईश्वर की भक्ति को बड़े – बड़े से मुक्त करके सरल बनाना चाहते थे।
प्रश्न 7. बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थी ?
उत्तर – तलवंडी में जन्म लेने वाले बाबा गुरु नानक ने करतारपुर में एक केंद्र स्थापित करने से पहले कई यात्राएं की। उन्होंने अपने अनुयायियों के लिए करतारपुर में एक नियमित उपासना पद्धति अपनाई, जिनके अंतर्गत उन्हीं के भजनों को गाया जाता था। उनके अनुयायी अपने अपने पहले धर्म या जाति अथवा लिंग भेद को नजरअंदाज कर एक सांझी रसोई में इकठ्ठा खाते पीते थे।
उनका मानना था कि ईश्वर केवल एक हैं। ईश्वर को कभी जाति के अनुसार नहीं बांटना चाहिए। गुरुनानक सभी जाति और लिंग को एक सामान मानते थे। उनका कहना था कि अभी भी किसी को दुःख नहीं पहुंचना चाहिए।
आइए विचार करें
प्रश्न 8. जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के संतो का दृष्टिकोण कैसा था ? चर्चा करें।
उत्तर – वीरशैवों ने सभी व्यक्तियों की समानता के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने जाति तथा नारी के प्रति ब्राह्मणवादी विचारधारा का विरोध किया। इसके अलावा वीरशैव सभी प्रकार के कर्मकांडों और मूर्तिपूजा के भी विरोधी थे। इन सन्तों ने इस बात पर बल दिया कि असली भक्ति दूसरों के कष्ट दूर करने में है। महाराष्ट्र के सन्तों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों व जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया।
प्रश्न 9. आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर – जनसाधारण ने मीरा की याद को इसलिए सुरक्षित रखा क्योंकि मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थी। जिनका विवाह सोलहवीं शताब्दी में मेवाड़ के राजसी घराने में हुआ था। वे श्रीकृष्ण के प्रति समर्पित थी। उन्होंने अपने सम्पूर्ण भक्तिभाव को कई भजनों में भी व्यक्त किया है। उनके गीतों ने उच्च जातियों के रीतियों नियमों को खुलीं चुन्नौती दी। ये गीत लोकप्रिय भी हुए और पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से चलती भी आ रही है।
जब भी प्रसारण की कोई प्रक्रिया होती ये लोग अपने अनुभव भी जोड़ देते है। इस तरह आज मिलने वाले गीत, संतों की रचनाए तो है ही, साथ-साथ उन पीढ़ियों की लोगों की रचनाए भी मानी जा सकती है। जो उन्हें गाया भी करते थे। इस प्रकार वे हमारी जीती जागती संस्कृति की याद बन गई।
आइए करके देखें
प्रश्न 10. पता लगाएँ कि क्या आपके आस-पास भक्ति परंपरा के संतो से जुड़ी हुई कोई दरगाह, गुरुद्वारा या मंदिर है। इनमें से किसी एक को देखने जाइए और बताइए कि वहाँ आपने क्या देखा और सुना।
उत्तर – हमारे आसपास भक्ति परंपरा से जुड़ा एक मंदिर है। उस मंदिर का नाम राधे श्याम मंदिर है। मैं मंदिर में शनिवार को गया था। मंदिर में बहुत सारे भगवान जी की प्रतिमाएँ देखी। मंदिर में रात का दृश्य बहुत ही सुंदर था। चारों तरफ लडियाँ लगाई गई थी। मंदिर में जैसे ही सभी लोग आने लगते है, आरती शुरू हो जाती है। किसी घर में से कुछ व्यक्ति अपने घर की सुख शांति के लिए पूजा कराने आए हुए थे। कुछ बच्चे खेल रहे थे।
मैंने पंडित जी से मंदिर के इतिहास के बारे में भी पूछा। पंडित जी ने मुझे कहान सुनाई और यह मंदिर राधाकृष्ण जी की याद में और उनके प्रति भक्ति भाव दिखाने के लिए बनाया गया। इस मंदिर को बनाने में जो भी साहित्य कला, वास्तुकला और शैली का प्रयोग हुआ उन्होंने मुझे बताया। मैंने पंडित जी से आशीर्वाद लिया, सभी बातें अच्छे से सुनी और प्रसाद लेकर घर पे आ गया। आप स्वयं किसी मंदिर, दरगाह, गुरद्वारे जाइए, देखिए और इतिहास सुनिए।
प्रश्न 11. इस अध्याय में अनेक संत कवियों की रचनाओं के उद्धरण दिए गए हैं। उनकी कृतियों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें और उनकी उन कविताओं को नोट करें, जो यहां नहीं दी गई है। पता लगाएँ कि क्या ये गाई जाती है। यदि हाँ, तो कैसे गाई जाती हैं और कवियों ने इनमें किन विषयों पर लिखा था।
उत्तर – इस अध्याय में अनेक संतो के बारे में और उनकी रचनाओं के बारे में बताया गया है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण ज्ञानेश्वर, तुकाराम, एकनाथ और सूखाबाई के बारे में बताया गया है। इन संत कवियों ने सभी प्रकार के कर्मकाण्डों, पवित्रता के ढोंगो, और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया। ये सब कविताएं सब हर्षोल्लास से गाते भी और नाचते भी।
संत | कृतियां | कविताओं के कुछ अंश/नोट की हुई कुछ कविताएं |
ज्ञानेश्वर | ज्ञानेश्वरी (भावार्थदीपिका), अमृतानुभव, अनेक अभंग | भावेवीण भक्ति भक्तिवीण मुक्ति बळेवीण शक्ति बोलू नये। कैसेनि दैवत प्रसन्न त्वरित उगा राहे निवान्त शिणसी वाया। |
तुकाराम | चार हजार से अधिक अभंग | मैं भुली घरजानी बाट. गोरस बेचन आयें हाट। कान्हा रे मनमोहन लाल. सब ही बिसरूं देखें गोपाल ॥ |
एकनाथ | चतुश्लोकी भागवत, पौराणिक आख्यान और संतचरित्र, भागवत, रुक्मिणी स्वयंवर | ज्ञानियाचा एका बोल हे ऐकता। ठेवितो मी माथा तुझ्या पायी॥ ज्ञानाईने तुला सांगताच स्वप्नी। आलास धावुनी आळंदीस ॥ |
मीराबाई | नरसी जी का मायरा, राग गोविंद, राग सोरठ के पद, मीराबाई की मल्हार | नैना निपट बंकट छबि अटके। देखत रूप मदनमोहन को, पियत पियूख न मटके। बारिज भवाँ अलक टेढी मनौ, अति सुगंध रस अटके॥ टेढी कटि, टेढी कर मुरली, टेढी पाग लट लटके। |
प्रश्न 12. इस अध्याय में अनेक संत-कवियों के नामों का उल्लेख किया गया है। परंतु कुछ की रचनाओं को इस अध्याय में शामिल नहीं किया गया है उस भाषा के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें, जिसमें ऐसे कवियों ने अपनी कृतियों की रचना की। क्या उनकी रचनाएँ गाई जाती थी? उनकी रचनाओं का विषय क्या था?
उत्तर – कुछ संतो की रचनाएं पढ़ने सुनने के विषयों से जुड़ी हुई होती थी, तथा कुछ की गाने-नाचने से जुड़ी।
संत | प्रमुख रचनाएं |
ज्ञानेश्वर | श्रीमद्भागवत गीता |
तुकाराम | मैं भुली घरजानी बाट, गोरस बेचन आयें हाट, कान्हा रे मनमोहन लाल, सब ही बिसरूं देखें गोपाल। |
एकनाथ | लोकगीतों (भारुड) की रचनाएँ। |
मीराबाई | गीत गोविन्द टीका, सोरठा के पद, राग गोविन्द, नरसी जी रो मायरो। |
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