स्वास्थ्य और कल्याणकारी संकल्पनाओं को ध्यान में रखते हुए उदाहरण सहित समझाइए कि खाद्य वैज्ञानिक संसाधित और पैक किए हुए खाद्यों के खाद्य मानों को बढ़ाने का किस प्रकार प्रयास कर रहे हैं?
उत्तर –
जैसे-जैसे खाद्य प्रौद्योगिकी का विकास होता जा रहा है वैसे-वैसे लोगों में खाद्य उत्पादों की माँग बढ़ती जा रही है जो खाद्य पदार्थ जल्दी से खराब न हो, भण्डारण में आसान एवं सुरक्षित रहे तथा लोगों को साल के किसी भी मौसम में गैर-मौसमी खाद्य पदार्थ अपनी असल गुणवत्ता एवं रूप रंग में प्राप्त हों। इसके लिए खाद्य वैज्ञानिकों ने बहुत-सी खोजे की हैं जिसमें मुख्य खोजे निम्नलिखित है-
• वर्ष 1810 में निकोलस ऐप्पर्ट द्वारा खाद्य पदार्थों को डिब्बों में बंद करने की प्रक्रिया को विकसित करना एक महत्वपूर्ण घटना थी। खाद्य पदार्थों की डिब्बाबंदी का खाद्य संरक्षण तकनीकों पर गहरा प्रभाव पड़ा।
• इसके बाद वर्ष 1864 में लुई पाश्चर द्वारा अँगूरी शराब के खराब होने पर किए जा रहे शोध अर्थात् उसे खराब होने से कैसे बचाएँ का वर्णन खाद्य प्रौद्योगिकी को वैज्ञानिक आधार देने की शुरूआत थी। अँगूरी शराब के खराब होने के अतिरिक्त पाश्चर ने ऐल्कोहल, सिरका, अँगूरी शराब और बीयर के अतिरिक्त दूध के खट्टा होने पर भी शोध कार्य किए। लुई पाश्चर ने ही विभिन्न प्रकार के खाद्यजनित रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए पाश्च्चुरीकरण (निर्जीवीकरण) विधि को विकसित किया। पाश्च्चुरीकरण विधि खाद्य पदार्थों को सूक्ष्मजीवों से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम था।
• हृदय रोग और मधुमेह जैसे रोगों की बढ़ती व्यापकता से वैज्ञानिकों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि खाद्यों में कुछ पोषक तत्वों की मात्रा को बदल दें, उदाहरण के लिए, संसाधित खाद्यों की कैलोरी मात्रा को कम करने के लिए कैलोरी क्त खाद्य को कृत्रिम मिठास देने वाले पदार्थों से बदल लें। इसी प्रकार आइसक्रीम में वसा की जगह विशेष रूप से उच्चारित प्रोटीनों का प्रयोग आइसक्रीम को वसा जैसी चिकनी बनावट तो देता है, एरंतु ऊर्जा की मात्रा को कम कर देता है।
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