वीटो शक्ति को “नकारात्मक वोट” क्यों कहा जाता है?
वीटो शक्ति का तात्पर्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी सदस्यों (P5: अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन) को प्राप्त उस अधिकार से है, जिसके तहत वे किसी भी प्रस्ताव को पारित होने से रोक सकते हैं, भले ही अन्य सभी सदस्य देश उसके पक्ष में हों। इसे “नकारात्मक वोट” इसलिए कहा जाता है क्योंकि:
- सकारात्मक समर्थन की आवश्यकता नहीं होती: वीटो का उपयोग किसी प्रस्ताव के समर्थन के लिए नहीं, बल्कि उसे रोकने के लिए किया जाता है।
- अल्पमत के बावजूद प्रभाव: यदि एक स्थायी सदस्य वीटो का उपयोग करता है, तो प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो सकता, चाहे शेष सभी सदस्य इसके पक्ष में क्यों न हों।
- निर्णय पर पूर्ण रोक: वीटो शक्ति का उपयोग करके एक देश प्रस्ताव को निष्क्रिय बना सकता है, भले ही प्रस्ताव को वैश्विक समर्थन प्राप्त हो।
वीटो प्रणाली को समाप्त करने के पक्ष और विपक्ष में तर्क
(A) वीटो प्रणाली को समाप्त कर देना चाहिए:
- लोकतंत्र का उल्लंघन:
- वीटो शक्ति वैश्विक लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है, क्योंकि यह अल्पमत (P5) को बहुमत (अन्य देशों) के निर्णयों को रोकने का अधिकार देती है।
- UNSC में सभी देशों के मतों को समान महत्व दिया जाना चाहिए।
- पक्षपातपूर्ण और दुरुपयोग:
- स्थायी सदस्य अक्सर अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक प्राथमिकताओं के आधार पर वीटो शक्ति का उपयोग करते हैं।
- उदाहरण: सीरिया के गृहयुद्ध में रूस और चीन ने बार-बार वीटो का उपयोग किया, जबकि अन्य सदस्य देशों ने इस संघर्ष के समाधान का समर्थन किया।
- वैश्विक समस्याओं का समाधान बाधित होता है:
- वीटो शक्ति के कारण कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित नहीं हो पाते, जैसे जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे।
- यह प्रणाली वैश्विक सहयोग और शांति स्थापित करने में बाधा उत्पन्न करती है।
- भेदभावपूर्ण संरचना:
- वीटो केवल पांच देशों को दिया गया है, जबकि शेष 188 देशों को यह अधिकार नहीं है। यह UNSC की संरचना को भेदभावपूर्ण और अप्रासंगिक बनाता है।
- आज विश्व के कई उभरते देश (भारत, ब्राजील, जापान) वैश्विक शक्ति संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन उनके पास यह विशेष अधिकार नहीं है।
- संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर सवाल:
- वीटो शक्ति के कारण UNSC अक्सर निर्णय लेने में असफल रहता है। यह संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता और निष्पक्षता को कमजोर करता है।
(B) वीटो प्रणाली को समाप्त नहीं करना चाहिए:
- महाशक्तियों के बीच संतुलन बनाए रखना:
- वीटो शक्ति स्थायी सदस्यों को निर्णय प्रक्रिया में एक समान भागीदारी का आश्वासन देती है। यह वैश्विक शांति के लिए बड़े देशों के सहयोग को सुनिश्चित करती है।
- यदि वीटो प्रणाली समाप्त होती है, तो महाशक्तियां संयुक्त राष्ट्र से अलग हो सकती हैं, जिससे संगठन कमजोर होगा।
- वैश्विक स्थिरता:
- वीटो शक्ति का उद्देश्य स्थायी सदस्यों के बीच टकराव को रोकना है।
- यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी बड़ा निर्णय सभी प्रमुख देशों की सहमति से लिया जाए, जिससे वैश्विक शांति बनाए रखने में मदद मिलती है।
- छोटे देशों की रक्षा:
- कभी-कभी वीटो का उपयोग कमजोर देशों के हितों की रक्षा के लिए किया जाता है।
- उदाहरण: फ्रांस और ब्रिटेन ने कई बार अफ्रीकी देशों से जुड़े प्रस्तावों पर वीटो का उपयोग उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया।
- अव्यवस्था का खतरा:
- यदि वीटो शक्ति समाप्त हो जाती है, तो बहुमत के निर्णय पर निर्भरता बढ़ जाएगी। इससे छोटे देशों की आवाज दब सकती है।
- सुधार के विकल्प:
- वीटो प्रणाली को समाप्त करने के बजाय उसमें सुधार किया जा सकता है। उदाहरण:
- वीटो का उपयोग केवल विशेष मामलों में हो।
- वीटो के लिए न्यूनतम दो या तीन स्थायी सदस्यों की सहमति आवश्यक हो।
- वीटो प्रणाली को समाप्त करने के बजाय उसमें सुधार किया जा सकता है। उदाहरण:
निष्कर्ष
वीटो प्रणाली के समर्थक और विरोधी दोनों के पास अपने-अपने मजबूत तर्क हैं। यह सच है कि वीटो शक्ति ने कई बार वैश्विक शांति प्रक्रिया को बाधित किया है और इसे सुधारने की आवश्यकता है। हालांकि, इसे पूरी तरह समाप्त करने से वैश्विक स्थिरता और शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है।
बेहतर समाधान यह होगा कि वीटो प्रणाली में सुधार किया जाए ताकि इसका उपयोग केवल “वैश्विक हितों” के लिए हो और इसका दुरुपयोग रोका जा सके। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नई उभरती ताकतों (जैसे भारत, जापान, ब्राजील) को भी स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए।