गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement – NAM) का उद्भव शीत युद्ध के दौरान हुआ। यह एक ऐसा आंदोलन था, जो उन देशों के लिए था जो अमेरिका और सोवियत संघ के बीच के संघर्ष में किसी भी गुट में शामिल नहीं होना चाहते थे। गुटनिरपेक्ष आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था कि ये देश स्वतंत्र रूप से अपनी नीतियाँ बनाएं और किसी भी महाशक्ति के प्रभाव से मुक्त रहें।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उद्भव
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की औपचारिक शुरुआत 1961 में बेलग्रेड, यूगोस्लाविया में हुई थी, लेकिन इसके विचार की जड़ें 1950 के दशक में पाई जा सकती हैं। इसका नेतृत्व मुख्यतः भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासर, यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो, घाना के राष्ट्रपति क्वामे एंक्रूमा, और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो ने किया। इन नेताओं ने शीत युद्ध के समय दुनिया के अन्य देशों को एक स्वतंत्र और तटस्थ मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित किया।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के सिद्धांत 1955 में आयोजित बांडुंग सम्मेलन में सामने आए थे। इस सम्मेलन में एशिया और अफ्रीका के कई देशों के नेता एकत्रित हुए और औपनिवेशिक शासन, नस्लवाद, और शीत युद्ध के महाशक्तियों के दबाव के खिलाफ एकता की भावना विकसित की। इसका उद्देश्य शांति, सुरक्षा, और समानता को बढ़ावा देना था, और गुटनिरपेक्षता के आधार पर एक वैश्विक मंच का निर्माण करना था।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का महत्व
- स्वतंत्र नीति निर्धारण:
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि देशों को अमेरिका और सोवियत संघ के गुटों में शामिल होने के लिए बाध्य न किया जाए। यह छोटे और नव स्वतंत्र देशों को अपनी विदेश और घरेलू नीतियों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने का अवसर प्रदान करता था।
- आंदोलन ने नवस्वतंत्र देशों को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अपनी नीतियाँ बनाने की स्वतंत्रता दी, जिससे वे औपनिवेशिक शासन से मिली स्वतंत्रता का पूरा लाभ उठा सकें।
- औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी विरोध:
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई। यह उन देशों के लिए एक मंच बन गया, जो हाल ही में स्वतंत्र हुए थे और जिन्होंने पश्चिमी औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ संघर्ष किया था।
- इस आंदोलन ने इन देशों को अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने का अवसर दिया।
- वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा:
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन का एक प्रमुख उद्देश्य वैश्विक शांति को बढ़ावा देना था। इसके सदस्य देशों ने युद्ध और सैन्य गठबंधनों से दूर रहकर विश्व में स्थिरता और शांति बनाए रखने का प्रयास किया।
- यह आंदोलन शीत युद्ध के तनाव को कम करने में सहायक रहा, क्योंकि गुटनिरपेक्ष देश महाशक्तियों के बीच संवाद और बातचीत को प्रोत्साहित करते थे।
- विकासशील देशों के अधिकारों की रक्षा:
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने विकासशील देशों के अधिकारों और उनके हितों को वैश्विक मंच पर उठाने का कार्य किया।
- इसने आर्थिक असमानता, गरीबी, और शोषण के खिलाफ संघर्ष किया और विकासशील देशों के लिए आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, और न्याय का समर्थन किया।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग:
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने एशिया, अफ्रीका, और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया। यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया, जिसमें सदस्य देशों ने आर्थिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक क्षेत्रों में सहयोग किया।
- इसका उद्देश्य था कि ये देश एक-दूसरे की मदद करें और विकास की दिशा में सहयोगी बनें।
निष्कर्ष
गुटनिरपेक्ष आंदोलन का उद्भव और विकास शीत युद्ध के समय में उन देशों के लिए महत्वपूर्ण था, जो स्वतंत्र रूप से अपनी नीतियाँ बनाने और वैश्विक शांति और सहयोग को बढ़ावा देना चाहते थे। यह आंदोलन शीत युद्ध की द्विध्रुवीयता के बीच एक तीसरे मार्ग का प्रतिनिधित्व करता था और विकासशील देशों की समस्याओं और अधिकारों को उठाने का एक सशक्त मंच बन गया। हालांकि, शीत युद्ध के अंत के बाद इसका प्रभाव कुछ हद तक कम हुआ, लेकिन यह अब भी एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण आंदोलन के रूप में माना जाता है।