व्यक्ति की स्वस्थता / सुयोग्यता किन आयामों पर निर्भर करती है?

स्वस्थता / सुयोग्यता के आयाम (Dimensions of Wellness) – ‘स्वस्थ जीवन शैली’ अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य, भावनात्मक स्थिरता, परिवार, मित्रों और साथियों के साथ अच्छे संबंध और साथ ही अपने कार्य और कार्यस्थल में उत्पादकता और संतुष्टि से संबंधित है। प्रत्येक व्यक्ति की स्वस्थता / सुयोग्यता निम्न आयामों पर निर्भर करती हैं-

स्वस्थता/सुयोग्यता के आयाम

  1. सामाजिक स्वस्थता
  2. शारीरिक स्वस्थता
  3. बौद्धिक स्वस्थता
  4. व्यावसायिक स्वस्थता
  5. भानात्मक स्वस्थता
  6. आध्यात्मिक स्वस्थता
  7. पर्यावरणीय स्वस्थता
  8. आर्थिक स्वस्थता

1. सामाजिक स्वस्थता (Social Wellness) – सामाजिक सुयोग्यता का तात्पर्य व्यक्ति द्वारा समाज के अन्य लोगों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने की उसकी योग्यता से है। सामाजिक सुयोग्यता को विकसित करने तथा उसे बनाए रखने के लिए व्यक्ति को दूसरी पर अपना सकारात्मक प्रभाव (positive impression) बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए उसे दूसरों के साथ मधुर/शालीन भाषा में वार्तालाप, लोगों के प्रति सहयोग और सम्मान का भाव तथा दूसरों की भावनाओं का आदर करने का प्रयास करना चाहिए।

2. शारीरिक स्वस्थता (Physical Wellness) – शारीरिक सुयोग्यता या पुष्टि का अर्थ मनुष्य के उन गुणों से है जो उसे कठिन कार्यों को पुरा करने में समर्थ बनाती है। मनुष्य के शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता को ही ‘शारीरिक पुष्टि’ कहते हैं। सामान्य व्यक्ति की शारीरिक पुष्टि का अर्थ उसकी दैनिक कार्य करने की क्षमता से है, जिसे वह थकावट अनुभव किए बिना करता है। इसके साथ-साथ कार्य समाप्त करने के पश्चात् भी उसमें अतिरिक्त कार्य करने की शक्ति होनी चाहिए और पुनः शक्ति प्राप्ति की क्षमता भी होनी चाहिए।

शारीरिक पुष्टि के फलस्वरूप वह प्रतिदिन के कार्य भी करता है, मनोरंजन क्रियाओं में भाग लेता है और किसी आकस्मिक घटना या समस्या का सामना करने के लिए तैयार रहता है। प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक पुष्टि उसकी शक्ति, सहनक्षमता, लचक तथा समन्वय योग्यता पर निर्भर करती है।

3. बौद्धिक स्वस्थता (Intellectual Wellness) – बौद्धिक स्वस्थता का तात्पर्य व्यक्ति की उस जैसी से है जिसके द्वारा वह खुले दिमाग से नए-नए विचारों के विषय में हर प्रकार से सोच-विचार करता हैं और नए कौशलों को सीखने के लिए तैयार रहता है। “बौद्धिक रूप से स्वस्थ” व्यक्ति उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग अपने ज्ञानवर्धन, कौशलों में सुधार तथा समाज की भलाई के लिए करता है। बौद्धिक स्वस्थता के कारण ही कोई व्यक्ति बेहतर कार्य निष्पादन तथा बेहतर रूप से समस्याओं का निदान कर पाता है।

4. व्यावसायिक स्वस्थता (Occupational Wellness) – व्यावसायिक स्वस्थता का तात्पर्य व्यक्ति की उस क्षमता से हैं जिसके द्वारा वह अपने कार्य से संतोष एवं समृद्धि प्राप्त करता है। यहाँ संतोष का तात्पर्य व्यक्ति की उपलब्धि की अनुभूति से है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह अपने कार्य के माध्यम से अपने जीवन में व्यक्तिगत संतोष और समृद्धि प्राप्त करें ताकि उसे आराम और संतोष की अनुभूति हो। व्यावसायिक स्वस्थता के महत्व को समझते हुए आजकल हर छोटी-बड़ी कंपनी में कार्यस्थल पर स्वस्थता पर अत्यधिक बल दिया जा रहा है ताकि कर्मचारियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य, सकुशलता और उत्पादकता सुनिश्चित की जा सके।

5. भावनात्मक स्वस्थता (Emotional Wellness) – भावनात्मक सुयोग्यता का तात्पर्य व्यक्ति द्वारा अपने दैनिक जीवनयापन के दौरान हर दिन हँसी-खुशी तथा मौज-मस्ती के साथ-साथ तनाव तथा मानसिक दबाव रहित जीवन व्यतीत करने से होता है। भावनात्मक सुयोग्यता की प्राप्ति तथा उसे बढाने के लिए, व्यक्ति को अनावश्यक मानसिक दबाव से बचना चाहिए, इसके लिए मनोरंजक कार्यक्रमों तथा क्रियाकलापों में भाग लेना एक अच्छा विकल्प है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को ऐसे लोगों की संगति से दूर रहना चाहिए जिनके कारण वह दुःखी, क्रोधी तथा तनावग्रस्त महसूस करें।

6. आध्यात्मिक स्वस्थता (Spiritual Wellness) – आध्यात्मिक सुयोग्यता से तात्पर्य व्यक्ति के आध्यात्मिक तथा आन्तरिक या आत्मिक रूप से शान्त होने से है। आध्यात्मिक सुयोग्यता की प्राप्ति तथा उसे और अधिक विकसित करने के लिए व्यक्ति को स्वयं के प्रति सच्चा रहना चाहिए, इसके अतिरिक्त उसे एक ऐसे आदर्श चरित्र का निर्माण करना चाहिए जो विभिन्न प्रकार के सद्गुणों से युक्त हो तथा जो दूसरों के लिए एक आदर्श बन सके। आध्यात्मिक तथा आंतरिक शांति के लिए नियमित रूप से ध्यान लगाना, योग करना, आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना तथा ईश्वर की प्रार्थना करनी चाहिए। व्यक्ति को सभी धर्मों के प्रति भी आदर-सम्मान का भाव रखना चाहिए।

7. पर्यावरणीय स्वस्थता (Environemental Wellness) – प्रत्येक जीव अपने सम्पूर्ण जीवनकाल के दौरान जल, भूमि, वायु का निरन्तर प्रयोग करता हैं। इस दौरान वह बिना सोच-विचार ऐसे बहुत से क्रियाकलाप करता है जो हमारे पर्यावरण को निरन्तर नष्ट एवं दूषित कर रहे हैं। एक सजग व्यक्ति इस पर विचार करते हुए ऐसे उपाय अपनाने की चेष्टा करता है जिसमें उसके द्वारा इन प्राकृतिक संसाधनों का कम-से-कम ह्यास हो क्योंकि यह एक मानवीय आवश्यकता है कि व्यक्ति यह समझे कि वायु, जल, धरती केवल एक के लिए नहीं बल्कि सर्व उपयोग के लिए है एवं उसका बुद्धिमानीपूर्वक पुनः निर्माण एवं प्रयोग ही भावी पीढ़ी के लिए इनकी उपलब्धता सुनिश्चित कर सकता है।

8. आर्थिक स्वस्थता (Economic Wellness) – आर्थिक सुयोग्यता का अभिप्राय व्यक्ति द्वारा न केवल धन अर्जित करने की क्षमता से है, बल्कि नीतिपूर्वक अर्जित किए हुए धन को विवेकपूर्ण व्यय एवं बचत करने की प्रवृत्ति से भी है। ऋण मुक्त व्यक्ति ही तनावमुक्त, जीवन जीने में सक्षम होता है।

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