विभिन्न प्रकार की रेखाएँ तथा आकृतियाँ कौन-सी होती हैं? वे किस प्रकार विभिन्न प्रभावों तथा मनोदशाओं का सर्जन करती है ?

विभिन्न प्रकार की रेखाएँ तथा आकृतियाँ कौन-सी होती हैं? वे किस प्रकार विभिन्न प्रभावों तथा मनोदशाओं का सर्जन करती है ?

उत्तर –

(a) ऊर्ध्वाधर/लम्बत्तर रेखाएँ : ये रेखाएँ पृथ्वी के साथ-साथ लम्ब बनाती हैं। इन रेखाओं के साथ दृष्टि नीचे से ऊपर को घूमती है और लम्बाई का एहसास देती है। इन रेखाओं के प्रयोग से किसी भी वस्तु की लम्बाई बढ़ती हुई प्रतीत होती है। यदि व्यक्ति छोटे कद का अथवा मोटा हो और उसके परिधान में इन रेखाओं का प्रयोग किया जाए तो छोटे व्यक्ति का कद वास्तविक कद से लम्बा प्रतीत होता है।

• आकर्षक व्यक्तित्व देती हैं।
• इकहरेपन का अच्छा प्रभाव देती है।
• बड़ा दिखाने का दृष्टि भ्रम उत्पन्न करती है।

(b) क्षैतिज रेखाएँ : ये रेखाएँ पृथ्वी के समानान्तर होती हैं। इनके साथ-साथ दृष्टि एक ओर से दूसरी ओर घूमती हैं। इनसे चौड़ाई का एहसास होता है। यदि व्यक्ति अधिक लम्बा तथा दुबला-पतला हो तो उसके परिधान में ऐसी रेखाओं का प्रयोग करना चाहिए ताकि लम्बे व्यक्ति का कद थोड़ा कम प्रतीत हो तथा पतला व्यक्ति थोड़ा मोटा दिखाई दे।

• ये रेखाएँ विश्राम, सौम्यता, चौड़ाई और सहजता का भ्रम उजागर करती हैं।
• चौड़ाई और स्थिरता प्रदान करती हैं।

(c) तिरछी रेखाएँ : तिरछी रेखाओं वाले वस्त्रों द्वारा किसी व्यक्ति की लम्बाई और चौड़ाई बढ़ाना दोनों ही बातें संभव होती हैं। इन तिरछी रेखाओं के ढालू होने के कारण उनसे बनने वाला कोण, उसकी बढ़ी हुई लम्बाई व चौड़ाई का निर्धारण करता है। सामान्य रूप से लम्बवत तिरछी रेखाएँ लंबाई बढ़ाती हैं तथा आड़ी – तिरछी रेखाएँ लम्बाई कम होने का आभास देती हैं।

(d) वक्र रेखाएँ : किसी भी प्रकार की गोलाई वाली रेखा, वक्र रेखा कहलाती है। ये रेखाएँ घुमावदार होती हैं, इसलिए इन रेखाओं के साथ-साथ दृष्टि भी धीरे-धीरे घूमती है। ये रेखाएँ देखने में अधिक सुंदर लगती हैं। यदि इन रेखाओं का घुमाव लम्बवत् हो तो यह लंबाई का भ्रम देती हैं और यदि घुमावदार रेखाएँ आड़ी दिशा में हों तो लंबाई कम होने का आभास देती हैं। वस्त्रों में वक्र रेखाएँ पहनने वाले में कोमलता तथा सौम्यता का भाव उत्पन्न करती हैं।

किसी भी डिजाइन की आकृति या आकार विभिन्न प्रकार की रेखाओं को जोड़कर ही बनाया जाता है। किसी आकृति को बनाने में प्रयोग की जाने वाली विभिन्न प्रकार की रेखाओं के गुण ही उस आकृति के गुण निर्धारित करते है। विभिन्न प्रकार की रेखाओं एवं आकृतियों का भिन्न-भिन्न संयोजनों (Proportions) में प्रयोग करके कई नई आकृतियों को बनाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की आकृतियों को मुख्यतः निम्न चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है –

• प्राकृतिक आकृतियाँ : वह आकृतियाँ, जो किसी प्राकृतिक अथवा मानव-निर्मित वस्तुओं की सामान्य आकृतियों की नकल होती है, प्राकृतिक आकृतियाँ कहलाती है।

• फैशनेबल शैली की आकृतियाँ : वह आकृतियाँ जो प्राकृतिक आकृतियों का सरलीकृत अथवा संशोधित रूप हो फैशनेबल शैली की आकृतियाँ कहलाती है। इस प्रकार की आकृतियों का कुछ भाग विकृत अथवा अतिश्योक्तिपूर्ण दर्शाया गया होता है।

• ज्यामितीय आकृतियाँ : वह आकृतियाँ जो गणितीय रूप से पैमाना, कपास अथवा अन्य मापक उपकरणों का उपयोग कर बनाई जाती हैं अथवा कुछ वैसा ही आभास देती है, ज्यामितीय आकृतियाँ कहलाती है।

• अमूर्त आकृतियाँ : वह आकृतियाँ जिनका कोई रूप नहीं होता अर्थात् वह किसी विशिष्ट वस्तु जैसी दिखाई नहीं देती हैं, अमूर्त आकृतियाँ कहलाती है।

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