उद्योग में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न उत्पादन पद्धतियाँ बताइए।
उत्तर –
(a) दर्जी पद्धति – इस प्रकार की पद्धति में केवल एक ही व्यक्ति सभी टुकड़ों को जोड़कर तथा सिलकर एक परिधान का निर्माण करता है। इस पद्धति का प्रयोग अधिकतर व्यक्ति विशेष के वस्त्रों को सिलने के लिए किया जाता हैं, अर्थात् किसी व्यक्ति के शारीरिक माप के अनुरूप उसके लिए वस्त्र बनाए जाते हैं। विविध प्रकार की मशीनों पर कार्य करने में सक्क्षम होने के चलते इस पद्धति द्वारा परिधान बनाने वाले व्यक्ति को बहुत ही दक्ष एवं कार्यकुशल माना जाता है। इस पद्धति द्वारा वस्त्र सिलने में काफी समय लगता है।
(b) दल द्वारा कार्य करना अथवा मॉड्यूल पद्धति – इस प्रकार की पद्धति में वस्त्रों के टुकड़ों को सिलाई कारीगरों के एक समूह या टीम द्वारा जोड़ा जाता है। परिधान निर्माण में यह सबसे अधिक लोकप्रिय तथा प्रचलित पद्धति है। सिलाई कारीगरों के प्रत्येक दल में कुशल, अर्धकुशल और अकुशल कारीगरों का मिश्रण होता है और निर्माण प्रक्रिया की कौशल स्तर आवश्यकताओं के अनुसार कारीगरों में काम का वितरण किया जाता है। इस पद्धति द्वारा वस्त्र सिलने में अपेक्षाकृत कम समय लगता है।
(c) इकाई उत्पादन पद्धति – इकाई उत्पादन पद्धति में वस्त्रों के विभिन्न हिस्सों के संयोजन को छोटी-छोटी इकाइयों में बाँट दिया जाता है, जिन्हें प्रचालन कहते हैं। प्रत्येक इकाई को को एक या अधिक प्रचालन दिए जाते हैं, जो कि एक ही मशीन पर किए जाने होते हैं। परिधान के विभिन्न हिस्सों को पूरी तरह एक साथ जोड़ने के लिए एक पूर्वनिर्धारित पैटर्न के अनुसार प्रत्येक टुकड़ा एक इकाई से अगली इकाई तक भेज दिया जाता है। यह पद्धति अधिकतर वृहद् निर्माण सुविधाओं वाली इकाइयों अथवा अनेक प्रचालनों वाली वस्त्र इकाइयों के लिए अपनाई जाती है। इसके अतिरिक्त यह पद्धति उन निर्माण इकाइयों में भी अपनाई जाती है
जो केवल एक उत्पाद के उत्पादन का कार्य करती है। इस पद्धति द्वारा निर्माण में लगे कामगारों का उचित रूप से प्रशिक्षित होना जरूरी होता है क्योंकि बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए उन्हें कई प्रकार की विशिष्ट मशीनों का प्रयोग करना होता है, ताकि उत्पाद की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। छोटे ऑर्डरों तथा कम प्रचलन वाले वस्त्रों के लिए यह पद्धति उपयुक्त नहीं होती।
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