Tirupati Laddu Controversy – आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को लेकर के वहां प्रसाद के तौर पर जो लड्डू मिलता है उसको लेकर के एक बहुत ही गंभीर कंट्रोवर्सी देखने को मिल रही है जहां पर आंध्र प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार पर लड्डू को बनाने के लिए कुछ गलत एलिमेंट्स के इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं
खबर यही है कि बेसिकली आंध्र प्रदेश की मौजूदा सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि तिरुपति लड्डू प्रसाद की तैयारी में घी के बजाय वहां पर पशु वसा का उपयोग किया गया यानी कि एनिमल फैट का इस्तेमाल किया गया तो जाहिर तौर पर यहां पर धर्म को लेकर के बहुत बड़े आरोप जो है पूर्ववर्ती सरकार पर लगाए गए हैं
अब ये जो आरोप लगाए गए इन आरोपों की वजह से आंध्र प्रदेश की राजनीति बहुत गर्म हो गई है राष्ट्रीय स्तर पर भी आपको इन आरोपों पर बहुत ज्यादा विवाद देखने को मिल जाएगा अगर आंध्र प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार के रिप्रेजेंटेटिव्स की बात करें तो उनका कहना है कि यहां पर बेसिकली उन्होंने ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है
उनका यह कहना है कि बेसिकली यहां पर मंदिर का निर्माण मंदिर में जो प्रसाद बनता है उस प्रसाद का निर्माण करते समय पहले भी घी का ही इस्तेमाल किया जाता था और अभी भी घी का इस्तेमाल होता है और अभी तक प्रक्रिया में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है ना तो पहले कोई बदलाव किया गया था और ना ही अभी कोई बदलाव किया गया है तो यह कुछ आरोप जो है ये बेबुनयाद है
अब सबसे पहले यहां पर तिरुपति मंदिर में जो प्रसाद मिलता है उस प्रसाद के बारे में बात करते हैं तो ये जो मंदिर है बेसिकली आपका दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में मौजूद है आंध्र प्रदेश में जो शेषाचलम हिल्स आपको मिलती हैं वहां पर यह मंदिर आपको देखने को मिलता है ये मंदिर जो है बेसिकली आपका अपनी तमाम चीजों के लिए प्रसिद्ध है जिसमें से एक मंदिर का प्रसाद भी है मंदिर का जो प्रसाद है उस प्रसाद को ऑफिशियल भाषा में लड्डू प्रसादम कहा जाता है इस नाम से प्रसिद्ध है
लड्डू प्रसादम जो है वो बेसिकली अपने अनोखे स्वाद और अनोखी प्रक्रिया के लिए बहुत ज्यादा फेमस माना जाता है इसको बनाने में बेसिकली घी इस्तेमाल किया जाता है बेसन इस्तेमाल किया जाता है मेवे का इस्तेमाल किया जाता है और इसी की वजह से इस लड्डू को भारत सरकार की ओर से इसकी विशिष्ट पहचान के लिए इसकी प्रसिद्धि के लिए सरकार ने 2014 में इसको जीआई टैग भी प्रदान किया था
ज्योग्राफिकल इंडिकेटर टैग यहां पर दिया गया था तो यह चीज यहां पर आपको खास तौर पर याद रखनी है कि तिरुपति मंदिर का जो लड्डू है उस लड्डू को 2014 में सरकार की ओर से जीआई टैग दिया गया था इसके अलावा जीआई टैग दिए जाने का मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति जो है वह तिरुपति लड्डू नाम से कोई भी लड्डू नहीं बेच सकती है
यह लड्डू देने का जो अधिकार है वो केवल आपको तिरुपति मंदिर के पास ही मिल जाएगा इस लड्डू के इतिहास की अगर आप बात करें इस प्रसाद के इतिहास को अगर आप देखें तो बहुत सारे इतिहासकार बहुत सारे एक्सपर्ट ये बताते हैं कि इस लड्डू का जो इतिहास है वो भारत में तिरुपति मंदिर में 300 साल पुराना है
यह कहा जाता है कि इस मंदिर में प्रसाद देने की शुरुआत पहली बार लड्डू को दिए जाने की शुरुआत पहली बार 1715 में हुई थी और उसके बाद से लगातार वहां पर यह प्रसाद आपको देखने को मिल जाता है तो सबसे पहले यहां पर हमने तिरुपति मंदिर में जो प्रसाद मिलता है जो लड्डू मिलता है उस लड्डू की बात की विवाद को भी समझा अब यहां पर तिरुपति मंदिर या फिर आप कहें तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर के बारे में कुछ इंपॉर्टेंट पॉइंट्स डिस्कस कर लिए जाएं
यह जो मंदिर है इस मंदिर का निर्माण बेसिकली आपका भगवान वेंकटेश्वर यहां पर आपको देखने को मिलते हैं और भगवान वेंकटेश्वर जो हैं वो आपका विष्णु का रूप कहलाते हैं तो भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित ये मंदिर है जिस मंदिर का निर्माण थोडा मन राजाओं द्वारा किया गया था इसके अलावा चोल राजाओं ने पांडियों ने और विजयनगर सम्राटों ने बेसिकली आपका विजयनगर साम्राज्य के जो राजा थे उन्होंने इस मंदिर में काफी ज्यादा सुधार करवाया था
मंदिर में जो अनुष्ठान होते हैं जिस प्रक्रिया को फॉलो किया जाता है वो प्रक्रिया 11वीं शताब्दी में जो रामानुजाचार्य थे उनके द्वारा इसको औपचारिक रूप यहां पर दिया गया था इसके अलावा अगर आप आए के मामले में बात करें तो ये जो मंदिर है यह वैटिकन सिटी के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है आय के मामले में और वेल्थ के मामले में तो यह चीज आपका इस मंदिर के बारे में इंपॉर्टेंट है
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की बात करें तो हम देख चुके हैं कि जो मंदिर है ये भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है और भगवान वेंकटेश्वर को विष्णु का एक रूप माना जाता है जो कि यहां के मुख्य देवता हैं और भगवान वेंकटेश्वर जो हैं उनको खासतौर पर दक्षिण भारत में आप कहे आंध्र प्रदेश में समृद्धि के एक प्रतीक के तौर पर प्रोस्पेरिटी के सिंबल के तौर पर देखा जाता है
इसके अलावा यहां पर एक इंपॉर्टेंट फेस्टिवल भी आयोजित होता है जिसका नाम है श्रीवारी ब्रह्मोत्सवम तो ये भी आप याद रख सकते हैं यहां से आपका एक प्रीलिम्स का छोटा सा फैक्ट बनता है कि श्रीवारी ब्रह्म ब्रह्म ब्रह्मोत्सवम जो जो फेस्टिवल है वो कौन से मंदिर में आयोजित होता है ये सबसे पहले मंदिर के बारे में हमने बात की अब यहां पर मंदिर की अगर शिल्प वास्तु शिल्प विशेषताओं की बात करें तो यह मंदिर आपका द्रवण शैली में बनाया गया है
द्रवण शैली का आर्किटेक्चर यहां पर आपको देखने को मिलता है जिसमें एक गोपुरम आपको देखने को मिलेगा गोपुरम यानी कि मंदिर का प्रवेश द्वार और गोपुरम की विशेषता यह होती है कि उसको बहुत बेहतर ढंग से अलंकृत किया जाता
वहां पर आपको अलग-अलग तरह के जो है कलाकृतियां देखने को मिलती हैं तो यहां पर आपको गोपुरम देखने को मिलता है जिस पर जटिल प जो पत्थर है उस पर बहुत जटिलता से नक्काशी की गई है यानी कि वहां पर आपको बहुत सुंदर तरीके से गेट को दरवाजे को सजाया जाता है इसके अलावा यहां पर आपको एक विमान या आप कह सकते हैं