प्रश्न. “स्वयं” शब्द से आप क्या समझते हैं? समझाएँ। उदाहरण देकर इसके विभिन्न आयामों पर चर्चा करें। |
उत्तर- विश्व के विभिन्न शब्द कोषों में ‘स्व’ शब्द के लिए लगभग 500 से भी अधिक शब्दावलियों का प्रयोग हुआ हैं। इसका अर्थ है कि, विभिन्न लोगों के लिए ‘स्व’ यानि स्वयं का बोद्ध क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है। ऐसा माना जाता है कि मानव जीवन का सारांश स्व-पहचान (अपनी अलग पहचान बनाना) की संघर्ष यात्रा है। किशोरावस्था के दौरान तीव्र गति से होने वाले शारीरिक, लैंगिक, सामाजिक व भावनात्मक परिवर्तनों के कारण यह संघर्ष किशोरावस्था में अपनी चरम सीमा पर होता है। इस दौरान ‘मैं कौन हूँ’ का प्रश्न अत्यन्त महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि आप में से प्रत्येक से यह पूछा जाए कि आप कौन है? तो आप में से प्रत्येक के उत्तर भिन्न-भिन्न होगे। उदाहरण के लिए, कोई कहेंगा कि मैं सुन्दर हूँ, मैं मोटी हूँ मैं आत्मविश्वासी हूँ, में लम्बी हूँ, मैं हँसमुख हूँ इत्यादि। (a) व्यक्तिगत पहचान : व्यक्तिगत पहचान का अर्थ है – वे गुण तथा योग्यताएँ जो एक किशोर को अन्य लोगों से अलग करते हैं तथा जिन्हें किशोर पहचान कर न केवल स्वीकार करते हैं बल्कि उनमें सुधार लाने का प्रयास भी करते हैं। उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत स्वरूप को स्वस्थ व सुन्दर बनाने के लिए जिम जाना, अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित भोजन करना इत्यादि। (b) सामाजिक पहचान : सामाजिक पहचान का तात्पर्य उन क्षमताओं तथा योग्यताओं से हैं जो किसी व्यक्ति को उसके समाज से जोड़ने तथा समाज में एक अलग पहचान बनाने में मदद करती है। वास्तव में, एक व्यक्ति की एक ही समय में अलग-अलग सामाजिक पहचान हो सकती है) उदाहरण के लिए, जैसे कोई व्यक्ति स्वयं को भारतीय मानने के साथ-साथ स्वयं को सांस्कृतिक स्तर पर बंगाली, पंजाबी अथवा राजपूत मानता हों। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘स्व का निर्माण मानव जीवन की सम्पूर्ण यात्रा का निष्कर्ष है’ जिसे व्यक्ति जीवन पर्यन्त अपने गुणों, योग्यताओं, क्षमताओं तथा अनुभवों के आधार पर बनाता तथा परिवर्तित करता रहता है ताकि वह अंततः एक सही व सन्तुष्ट मानव जीवन यात्रा कर सके। |
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