प्रश्न स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी व उसके प्रभाव पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर- परिचय
असंख्य महिलाओं के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण ही आजादी का यह महान आंदोलन सक्रिय बन पड़ा। स्त्रियों ने देश के प्रति प्रेम भावना का परिचय देते हुए व उसे स्वतंत्र कराने के लिए सभी तरीको से अपना योगदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम में स्त्रियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गैदिन्ल्यू, बेगम हज़रत महल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी
1857 के इस विद्रोह में वीर योद्धाओं ने अपनी जान दाँव पर लगाई वहीं हमारी वीरांगनाओं ने भी अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया गांधी युग में राष्ट्रीय आन्दोलन जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया। इस युग में सभी धर्मों व सम्प्रदायों के अनुयायियों तथा जनता के प्रत्येक वर्ग ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस कार्य में महिलाएँ भी पीछे नहीं रही।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जहाँ महिला वीर योद्धाओं ने अपनी जान दाँव पर लगाई। वहीं हमारी वीरांगनाओं ने भी अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, अवन्ती बाई लोदी, टेस बाई और अजीजन जैसी अनेक वीरांगनाओं ने युद्ध में अंग्रेजों के सम्मुख अपना लोहा मनवाया।
1. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई
उन्होंने न केवल भारत की बल्कि विश्व की महिलाओं को गौरवान्वित किया। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी की रानी और भारत की स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वनिता थीं भारत को दासता से मुक्त करने के लिए सन् 1857 में बहुत बड़ा प्रयास हुआ।
2. बेगम हजरत महत
1857 के संग्राम में सेना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला, ‘महक परी’ से बनी ‘बेगम हजरत महत अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी बेगम हजरत महल पहली महिला हैं जिन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में सेना का नेतृत्व किया था। हजरत महल की सेना में महिला सैनिक दल भी शामिल था।
3. अजीजन बेगम
अजीजनबाई मूलत एक पेशेवर नर्तकी थी जो देशभक्ति की भावना से भरपूर थी। गुलामी की बेड़ियां तोड़ने के लिए उसने घुंघरू उतार दिए थे। रसिकों की महफिलें सजाने वाली अजीजन क्रांतिकारियों के साथ बैठक कर रणनीतियां बनाने लगी थी स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया था।
जब कानपुर में क्रांति की अग्नि प्रज्वलित हुई तो उसमें कानपुर की वीरांगना अजीजन का प्रशंसनीय योगदान था। ‘अजीजन बेगम अपने समय की प्रसिद्ध नर्तकी थी कानपुर में क्रांति के शुरू होने पर अजीजन ने वीर, साहसी और निर्भय महिलाओं की एक टुकड़ी तैयार की। उस महिला सैनिक दल की वीरांगनाएँ पुरुष वेश में घोड़ों पर सवार हाथ में नंगी तलवार लेकर निकल पड़ी, वे पुरुषों को स्वाधीनता संग्राम में सम्मिलित होने के लिए कहती, वे घायलों की सेवा सुश्रूषा करती तथा युद्धरत सैनिकों को दूध, मिठाई और फल बांटती जब आवश्यकता पड़ती तो रणभूमि में संकट तथा गोली वर्षा की परवाह न कर युद्धरत सैनिकों को कारतूस पहुचांती यह सब वीरांगना अजीजन की प्रेरणा तथा नेतृत्व का चमत्कार था कि परदे में रहने वाली स्त्रियाँ रणभूमि में थीं।
निष्कर्ष
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई केवल पुरुषों की हिस्सेदारी से फतह नहीं की गई, बल्कि इस महायज्ञ में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अंग्रेजों के विरूद्ध पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की बेटियों ने अपना कर्तव्यनिभाया। उन्होने अंग्रेजों के विरूद्ध कदम उठाए, वीरता और साहस तथा नेतृत्व की क्षमता का अभूतपूर्व परिचय दिया।
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