NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 10 जलवायु (Climate) Question Answer in Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 10 जलवायु (Climate)

TextbookNIOS
class10th
SubjectSocial Science
Chapter8th
Chapter Nameजलवायु (Climate)
CategoryClass 10th NIOS Social Science (213)
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 9 जलवायु (Climate) Question Answer in Hindi जिसमे हम जलवायु से आप क्या समझते हैं?, भारत की जलवायु कितनी है?, जलवायु के कितने प्रकार है?, जलवायु का उदाहरण क्या है?, जलवायु का महत्व क्या है?, जलवायु का क्या कारण है?, जलवायु के तत्व क्या हैं?, जलवायु के तीन मूल तत्व कौन से हैं?, 8 जलवायु चर क्या हैं?, जलवायु के दो महत्वपूर्ण तत्व कौन से हैं?, क्या जलवायु की तरह भारत में पाया जाता है?, मौसम के 3 सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन से हैं?, 8 मौसम तत्व क्या हैं?आदि के बारे में पढ़ेंगे 

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 10 जलवायु (Climate)

Chapter – 10

जलवायु

प्रश्न – उत्तर 

पाठांत प्रश्न

प्रश्न 1. जलवायु को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक कारक के लिए एक उदाहरण की सहायता के साथ व्याख्या करें।
उत्तर – जलवायु को प्रभावित करने वाले पाँच कारक निम्नलिखित हैं-

(i) स्थान – जो स्थान भूमध्य रेखा के करीब हैं, वहाँ तापमान अधिक रहता है। हमारे देश भारत की स्थिति उत्तरी गोलार्द्ध में विषुवत वृत्त से 8°4′ उत्तर में स्थित है तथा कर्क वृत्त (231293) भारत के मध्य से गुजरती है। इस प्रकार से कर्क वृत्त के दक्षिण की जलवायु उष्ण कटिबंधीय और उसके उत्तर में जलवायु उपोष्ण कटिबंधीय है। उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश की जलवायु हरियाणा से अधिक गर्म है।

(ii) समुद्र से दूरी – भारत का दक्षिणी आधा भाग तीन ओर समुद्र से घिरा है। पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिन्द महासागर है। समुद्र के अनुकूल प्रभाव के कारण यह क्षेत्र न तो गर्मियों में ज्यादा गर्म और न ही सर्दियों में बहुत ठंड होती है। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत के क्षेत्र, जो समुद्र से बहुत दूर हैं, की जलवायु विषम है; जबकि दक्षिण भारत, जो समुद्र के निकट हैं, की जलवायु सम है। आप अध्ययन की सुविधा के लिए निम्नलिखित तालिका, को देख सकते हैं-

(iii) समुद्र तल से ऊँचाई – इसका तात्पर्य है- औसत समुद्र तल से ऊँचाई। जब हम पृथ्वी की सतह से ऊपर की ओर जाते हैं तो वायुमंडल कम घना होता चला जाता है। उदाहरण के लिए, पहाड़ियों पर स्थित शहर ठंडे होते हैं, जैसे- शिमला, जबकि एक ही अक्षांश पर मैदानों में स्थित शहर लुधियाना की जलवायु गर्म है।

(iv) धरातलीय पवनों की दिशा – पवन प्रणाली भी भारतीय जलवायु को प्रभावित करती है। मानसूनी पवनें, धरातलीय और समुद्र और स्थानीय पवनें इसमें सम्मिलित होती हैं। सर्दियों में भूमि से समुद्र की ओर जाने वाली पवनें ठंड़ी और शुष्क होती हैं। दूसरी ओर गर्मियों में पवनें समुद्र से धरातल की ओर चलती हैं। ये अपने साथ समुद्र से नमी लेकर आती है और देश के अधिकतर भागों में वर्षों करती हैं।

(v) पर्वत श्रेणियाँ – पर्वत श्रृंखलाएँ भी काफी हद तक किसी भी क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित करती है। हिमालय पर्वत हमारे देश के उत्तरी भाग में 6000 मीटर की औसत ऊँचाई के साथ स्थित। यह हमारे देश की मध्य एशिया से आने वाले ठंडी हवाओं से बचाता है। इसके अतिरिक्त यह वर्षा करने वाले दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों को रोककर भारत में वर्षा करने के लिए बाध्य करता है। पर्वत हमारे देश के उत्तरी भाग में 6000 मीटर की औसत ऊँचाई के साथ स्थित। यह हमारे देश की मध्य एशिया से आने वाले । ठंडी हवाओं से बचाता है। इसके अतिरिक्त यह वर्षा करने वाले दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों को रोककर भारत में वर्षा करने के लिए बाध्य करता है। और के बीच अंतर बताइए।

प्रश्न 2. जलवायु और मौसम के बीच अंतर बताइए।
उत्तर – एक बहुत बड़े क्षेत्र में एक लंबे समय के लिए वर्ष से अधिक) मौसम की दशाओं और विविधताओं के कुल योग को जलवायु कहते हैं। किसी एक समय पर वायुमंडल की दशा को मौसम कहते हैं।
प्रश्न 3. पवनें और उनकी दशा जलवायु को कैसे प्रभावित करती है ? उदाहरण देकर व्याख्या करें।
उत्तर – पवनों की दिशा का यह उत्क्रमण उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम और इसके विपरीत मानसून के रूप में जाना जाता है। इन हवाओं की उत्पत्ति गर्म समुद्र के ऊपर होती है इसलिए इनमें बहुत अधिक नमी होती है। जब ये आई पवनें भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर पहुँचती हैं तो ये पूरे भारत में जून से सितम्बर के बीच चार महीनों में व्यापक वर्षा करती है।
प्रश्न 4. मानसून की परिभाषा लिखिए। व्यापारिक पवनों के विपरीत दिशा में चलने के मुख्य कारण को पहचानिए ।
उत्तर – ‘मानसून’ – शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से हुई है, जिसका अर्थ है- मौसम या ऋतु । वर्ष के दौरान पवनों की दिशा में ऋतुवत् परिवर्तन मानसून कहलाता है। उत्तरमध्य भारतीय मैदान और हिंद महासागर पर तापमान और इसके परिणामस्वरूप वायुदाब में अंतर है। इस अंतर के कारण समुद्र के उच्च दाब क्षेत्र से पवनें उत्तर भारत के कम दाब के क्षेत्र की ओर चलनी शुरू हो जाती है। इस प्रकार मध्य जून तक हवा की सामान्य दिशा हिन्द महासागर के भूमध्य रेखीय क्षेत्रों से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर जाती है। इन हवाओं की दिशा सामान्य दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होती है। यह दिशा भारत में सदियों के दौरान प्रचलित व्यापारिक (उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम) पवनों के बिल्कुल विपरीत है। पवनों की दिशा का यह उत्क्रमण-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम और इसके विपरीत मानसून के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 5. शीत ऋतु की कोई चार विशेषताएं बताइए ।
उत्तर – भारत में दिसंबर से फरवरी तक की अवधि को शीत ऋतु कहा जाता है। जनवरी सबसे ज्यादा ठंड वाला महीना होता है। इस समय उत्तर भारत का तापमान 12° से 15° सेल्सियस होता है। होता है।

(1) शीत ऋतु में हिमालय के उच्च ढलानों पर हिमपात
(ii) इस समय उत्तर-पूर्व व्यापारिक पवनें चलती हैं।
(iii) इस समय तमिलनाडु पर इन हवाओं के कारण वर्षा होती है।
(iv) शीत ऋतु में उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में प्राय: पाला पड़ता है।

प्रश्न 6. ग्रीष्म ऋतु के मौसम की किन्हीं चार मुख्य विशेषताओं की सूची बनाइए ।
उत्तर –  मार्च से मई तक की अवधि को ग्रीष्म ऋतु कहा जाता है। ग्रीष्म ऋतु की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) ग्रीष्म ‘ऋतु में भारत के पश्चिमी भागों पर प्रायद्वीपीय भारत के मध्य में उच्च तापमान रहता है।
(ii) इस ऋतु में भारत का उत्तरी मैदानों में दोपहर के बाद गर्म और शुष्क हवा चलती है।
(iii) इस समय उत्तर पश्चिमी भारत में धूल भरी आँधियाँ चलती हैं।

प्रश्न 7. उदाहरण देकर भारत में वैश्विक तापन के प्रभाव समझाइए | इसका क्या कारण है ? अधिक जानकारी के लिए इसलिए इनमें बहुत अधिक नमी होती है। जब ये आर्द्र पवनें भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर पहुँचती हैं तो ये पूरे भारत में जून से सितम्बर के बीच चार महीनों में व्यापक वर्षा करती है।
उत्तर – वैश्विक तापन आज का ज्वलंत विषय है और जिसका प्रभाव सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सभी क्षेत्रों पर पड़ा है जिसने हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है। वैश्विक तापन का विश्व जलवायु पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। पिछले दशकों के दौरान नगरीकरण, औद्योगीकरण और जनसंख्या में वृद्धि के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो गया है। मानवीय अनुक्रियाओं के कारण कार्बन डाइऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन और अन्य विनाशकारी गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है। सौर ऊर्जा का लगभग 51 प्रतिशत भाग पृथ्वी के धरातल द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है जिससे इसका तापमान बढ़ जाता है। बाकी की सौर ऊर्जा वायुमंडल में परावर्तित हो जाती है। यह एक निश्चित तापन बनाए रखने में मदद करता है। परंतु अब प्रदूषण के कारण ऊर्जा का कुछ भाग हरित गैसों जैसे मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड द्वारा रोक लिया जाता है। इससे पृथ्वी के धरातल का तापमान बढ़ गया है। इस बात के प्रमाण है कि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 ) का स्तर अब भी बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्था के अंतर्गत बहुत से देशों ने हरित गैसों का कम करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जलवायु किसे कहते हैं ?
उत्तर – एक बहुत बड़े क्षेत्र में एक लम्बे समय के लिए, (30 वर्ष अधिक) मौसम की दशाओं और विविधताओं के कुल योग को जलवायु कहते हैं।
प्रश्न 2. मौसम किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी एक समय पर वायुमंडल की दिशा को मौसम कहते हैं।

प्रश्न 3. भारत की जलवायु को प्रभवित करने वाले कारकों का नाम बताइए ।
उत्तर – भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-

(1) स्थान,
(ii) समुद्र से दूरी,
(ii) समुद्र तल से ऊँचाई,
(iv) पर्वत श्रेणियाँ,
(v) धरातलीय पवनों की दिशा,
(vi) ऊपरी वायु धाराएँ ।

प्रश्न 4. जेट स्ट्रीम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – धरातलीय पवनों के अतिरिक्त शक्तिशाली वायु धाराएँ हैं जिन्हें जेट स्ट्रीम कहते हैं।
प्रश्न 5. भारत में मौसमी विविधता क्यों पाई जाती
उत्तर – भारत में मौसमी विविधता भौगोलिक स्थिति के कारण पाई जाती है जो यहाँ की अनूठी विशेषता है।
प्रश्न 6. भारत में कितनी ऋतुएँ होती हैं ?
उत्तर – भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार की ऋतुएँ पाई जाती हैं। वह ये हैं-
(क) शीत ऋतु (दिसंबर-फरवरी)
(ख) ग्रीष्म ऋतु (मार्च-मई) होती है। इसे आम्रवृष्टि कहते हैं।
(ग) आगे बढ़ते हुए दक्षिण-पश्चिमी मानसून की ऋतु ठण्डक से रहित उस अवधि से है जिसमें पौधे या फसलों का (जनू-सितंबर)
(घ) पीछे हटते हुए मानसून की ऋतु (अक्टूबर-नवंबर)
प्रश्न 7. दक्षिण भारत में शीत ऋतु क्यों नहीं होती ?
उत्तर – दक्षिण भारत में सागरीय प्रभाव के कारण शीत ऋतु नहीं होती है।
प्रश्न 8. शीत ऋतु में कौन-कौन से त्यौहार मनाए जाते
उत्तर – शीत ऋतु में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार हैं- पंजाब में लोहड़ी, असम में बीहू, तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर भारत के कुछ राज्यों में बसंत पंचमी और मकर संक्रांति।
प्रश्न 9. ग्रीष्म ऋतु किन महीनों में होती है ?
उत्तर – मार्च, अप्रैल, मई और जून ग्रीष्म ऋतु होते हैं। के महीने होती है
प्रश्न 10. ‘लू’ किसे कहते हैं ?
उत्तर – ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तरी मैदानों में दोपहर के बाद शुष्क और गर्म पवनें चलती हैं। इन्हें लू कहते हैं। संक्षेप में, ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म पवनों को लू कहते हैं।
प्रश्न 11. बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तूफान कब विकसित होते हैं ?
उत्तर – अक्टूबर के अंत में तापमान गिरने लगता है, रातें सुहानी होने लगती हैं। इस समय उत्तर पश्चिम भारत का निम्न वायुदाब का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में स्थानांतरित हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय तूफान विकसित होते हैं।
प्रश्न 12. ‘मानसून के आगमन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – जून के प्रथम सप्ताह से केरल के तटीय भागों की ओर से आर्द्रता भरी पवनें देश में अचानक घुसते ही प्रचंड गर्जना के साथ घनघोर वर्षा करती है। इस प्रकार वर्षा वाहिनी पवनों के अचानक आने को मानसून का आगमन कहते हैं।
प्रश्न 13. कालबैसाखी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – ग्रीष्म ऋतु के अंत में पश्चिम बंगाल और असम में बिजली चमकने के साथ तेज बौछारें पड़ती हैं। अपने इस कुख्यात स्वरूप के कारण इन्हें पश्चिमी बंगाल और असम में कालबैसाखी कहते हैं।
प्रश्न 14. आम्रवृष्टि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – ग्रीष्म ऋतु के अंत में केरल और कर्नाटक के तटीय  भागों में मानसून के आने से पहले तेज हवाओं के साथ वर्षा होती है। इसे आम्रवृष्टि कहते हैं।
प्रश्न 15. वर्धन काल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – वर्धन काल का आशय पाला, बर्फ तथा अत्याधिक ठण्डक से रहित उस अवधि से है जिसमें पौधे या फसलों का वर्धन कम से कम अवरोधों के साथ हो।
प्रश्न 16. भारत में 20 सेमी वार्षिक से कम वर्षा वाले स्थान कौन-से हैं?
उत्तर – राजस्थान और लद्दाख ऐसे क्षेत्र है जहाँ 20 सेमी से कम वर्षा होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मानसून का रचनातंत्र से आप क्या समझते
उत्तर – ‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से हुई है जिसका अर्थ है-मौसिम या ऋतु। वर्ष के दौरान पवनों की दिशा में ऋतुवत परिवर्तन ही मानसून कहलाता है। गर्मियों के दौरान उत्तर भारतीय मैदान के भीतरी भाग बहुत अधिक गर्म हो जाते हैं, जैसे-राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश। इन भागों में दैनिक अधिकतम तापमान 45° से० तक हो जाता है।

प्रश्न 2. मानसून की कोई तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर – (i) मानसून पवनें स्थाई पवनें नहीं हैं। वे प्रकृति में अनियमित हैं एवं वातावरण की विभिन्न दिशाओं जैसे क्षेत्रीय जल वायविक दशाओं से प्रभावित होती है। किसी वर्ष मानसून जल्दी आता है तो कभी देर से आता है।

(ii) मानसून समान रूप से वितरित नहीं है। केरल, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा जैसे तटीय क्षेत्र भारी वर्षा प्राप्त करते हैं। जबकि हरियाणा, मध्य प्रदेश जैसे आंतरिक क्षेत्रों में कम वर्षा प्राप्त होती है।

(iii) जब मानसून आता है तो सैकड़ों दिन तक भारी वर्षा होती है। यह मानसून के फटना के रूप में जाना जाता है। यह मुख्य रूप से केरल तट पर होता है। जहाँ यह सबसे पहले पहुँचता है।

प्रश्न 3. समुद्र तट से दूरी भारत की जलवायु को कैसे प्रभावित करती?
उत्तर – (i) भारत का दक्षिणी प्रायद्वीप भाग तीन ओर से समुद्र से घिरा है। दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिंद महासागर तथा बंगाल की खाड़ी ने दक्षिणी भाग को घेर रखा है। समुद्र के समकारी प्रभाव के कारण ठंडा यह क्षेत्र न अधिक गर्म और न ही शीत काल में ज्यादा ठंडा रहता है। समुद्र तट से दूर स्थित उत्तरी भारत की जलवायु अति विषम है।
प्रश्न 4. पश्चिमी विक्षोभ क्या है ?
उत्तर – पश्चिमी विक्षोभ वे निम्न वायुदाब क्षेत्र हैं, जो भूमध्य सागरीय प्रदेश से उत्पन्न होकर पूर्व की ओर पाकिस्तान को पार करके भारत में हिमाचल तक पहुँचते हैं तथा उत्तरी भारत तथा पश्चिमी हिमाचल प्रदेश में शीतकालीन वर्षा कराते हैं तथा मौसमी दशाओं को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 5. मानसून गर्त क्या है ? इसका विकास कैसे है होता है

उत्तर – जब उच्च तापमान से हवाएँ गर्म होने लगती हैं और गर्म हवाओं के ऊपर उठने से इस क्षेत्र में निम्न वायु दाब क्षेत्र को मानसूनी कम दाब का गर्त कहते हैं। इसकी धूरी पश्चिम में जैसलमेर और पूर्व में बालासोर उड़ीसा है। ।

प्रश्न 6. शिमला लुधियाना से ठंडा क्यों है? कारण बताइए ।
उत्तर – शिमला लुधियाना की तुलना में अधिक ऊँचाई पर स्थित है, इसलिए शिमला अधिक ठंडा है।
प्रश्न 7. महाबलेश्वर में पुणे की तुलना में अधिक वर्षा होती है। क्यों ?
उत्तर – पुणे पश्चिमी घाट के पवनाभिमुख ढाल पर वृष्टि छाया क्षेत्र में स्थित है। इसकी वार्षिक वर्षा 70.4 सेमी है, जबकि पूणे से 80 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित महाबलेश्वर की औसत वार्षिक वर्षा 570 सेमी है, क्योंकि यह पवनाभिमुख  ढाल पर स्थित है।
प्रश्न 8. दक्षिण-पश्चिम मानसून ऋतु में हवाएँ समुद्र की ओर से प्रायद्वीपीय भारत की और क्यों आकर्षित होती हैं ?
उत्तर – जून से सितंबर की अवधि में आगे बढ़ते हुए दक्षिण-पश्चिम मानसून की ऋतु होती है। मई के अंत तक उत्तर-पश्चिम के मैदानों पर ग्रीष्म ऋतु में पवनों की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व ही ओर हो जाती है और गर्जन के साथ वर्षा करती है। उत्तर-पश्चिम के मैदानों पर ग्रीष्म ऋतु में निम्न दाब क्षेत्र अधिक तापमान के कारण अब अधिक तीव्र हो जाता है। पवनों की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर हो जाती है।
प्रश्न 9. सितंबर महीने से उत्तरी भारत में मानसून की वापसी क्यों शुरू हो जाती है ?
उत्तर – सितंबर-अक्टूबर के महीने में उत्तरी भारत में तापमान कम होने लगता है। फलस्वरूप इस ऋतु में उत्तरी पश्चिमी भारत में मानसून का निम्न वायुदाब का गर्त कमजोर पड़ जाता है। अतः नवंबर के अंत तक भारत के उत्तरी मैदानों से तथा दिसम्बर तक इन पवनों की पूर्ण वापसी हो जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु में अंतर कीजिए।
उत्तर – शीत ऋतु उत्तरी भारत के आंतरिक भाग और मध्य भारत में दिसम्बर, जनवरी तथा फरवरी में शीत ऋतु होती और दक्षिण के सागरों पर अपेक्षाकृत निम्न वायुदाब क्षेत्र विकसित हो जाता है। शीत ऋतु में दिन सामान्यतः कम ठंडे और रात खूब ठंडी होती है। ऊँचाई पर स्थित स्थानों पर थोड़ा बहुत पाला पड़ता है।

ग्रीष्म ऋतु – मार्च-अप्रैल और मई ग्रीष्म ऋतु के महीने होते हैं। इन महीनों में अधिक ऊष्मा से उत्तर की ओर बढ़ने लगता है। उत्तरी और मध्य भाग में अधिक गर्मी पड़ती है।

प्रश्न 2. मौसम सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर – मौसम का सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से गहरा संबंध हैं। मौसम हमारे जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि की आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से मौसम के चक्र पर निर्भर है। खरीफ फसल का समय आगे बढ़ते मानसून की ऋतु है और कटाई। मानसून के बाद होती है। रबी की फसल सर्दियों में उगाई जाती है और जायद फसल सार्दियों के मौसम के अंत में। बाढ़ और सूखा देश के आर्थिक विकास में बाधा है। क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है। हमारी सभी गतिविधियाँ ऋतुओं के साथ संबंधित हैं। जब सर्दियों का मौसम आता है तो हम गर्म कपड़े पहनते हैं। इस मौसम में दिन छोटा और रात लंबी होती है। इस हम कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ ज्यादा लेते हैं, जैसे-मूँगफली, सूखे मेवे इत्यादि। इस मौसम में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं। T सर्दियों विभिन्न फसलों की रोपाई होती है। लोग फसल के देवता से अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना करते हैं। उसी प्रकार गर्मी के मौसम का एक अलग आनंद है। इस मौसम में रसीले फल, आईसक्रीम और पेय पदार्थों की विविधता होती है। होली और बैसाखी गर्मी के त्यौहार हैं। उसी प्रकार वर्षा ऋतु भी होती है। किसान अपने खेतों की तैयारी शुरू कर देते हैं ताकि वे बारिश का स्वागत कर सकें। किसानों को वर्षा ऋतु का बड़ा इंतजार होता है।

प्रश्न 3. भारत में वर्षा का वितरण असमान क्यों हैं ?

उत्तर –

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 9 जलवायु (Climate) Question Answer in Hindi

उपर्युक्त मानचित्र को देखकर हम यह समझ सकते हैं कि भारत में वर्षा का वितरण कहाँ-कहाँ असमान है। वर्ष के किसी एक समय में भारत में वर्षा का वितरण अत्यंत असमान है। पूर्व से पश्चिम की ओर उत्तरी मैदानों तथा मध्य भारत में वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। प्रायद्वीपीय भारत में तटीय क्षेत्रों से आंतरिक क्षेत्रों की ओर वर्षा होती जाती है। वर्षा के वितरण में बहुत अधिक विषमताओं वाला भारत एक अनोखा उदाहरण है। विश्व के सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान तथा सबसे कम वर्षा वाले स्थान भारत में ही पाए जाते हैं। भारत में वर्षा की स्थानिक विषमताओं को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत दिखाया जा सकता है। उपर्युक्त मानचित्र को ध्यान से देखकर और दिए गए वर्गीकरण में आने वाले राज्यों को मालूम किया जा सकता है।

(i) उच्च वर्षा (200 सेमी से अधिक) के क्षेत्र-पश्चिमी  तट, उत्तरी पूर्व का उपहिमालयी क्षेत्र और मेघालय की गारो. खासी जयंतिया पहाड़ियों पर वर्षा अधिक होती है।

(ii) सामान्य वर्षा (100-200 सेमी) के क्षेत्र-भारत में 100 से 200 सेमी वर्षा पश्चिमी घाट, पश्चिमी बंगाल, ओडीसा, बिहार तथा कई अन्य राज्यों में होती है।

(iii) कम वर्षा (100-200 सेमी) के क्षेत्र-यह कम वर्षा, के क्षेत्र है। इसके अंतर्गत उत्तर-प्रदेश के कुछ भाग, राजस्थान तथा दक्कन पठार का आंतरिक भाग है।

(iv) अपर्याप्त वर्षा के क्षेत्र (60 सेमी से कम)-अल्प वर्षा का यह क्षेत्र भारत के राज्यों में शामिल है। राजस्थान के पश्चिमी भाग गुजरात, लद्दाख और दक्षिणी मध्य भाग 20 सेमी से भी कम वर्षा प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 4. भारतीय मानसून की विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर – भारतीय जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता हैं। ‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से हुई है। मौसिम का शाब्दिक अर्थ है-मौसम अर्थात् ऋतु। मानसून का अर्थ एक ऐसी ऋतु से है जिसमें पवनों की दिशा पूरी तरह से बदल जाती है। ये पवनें दक्षिण-पश्चिम दिशा से चलती हैं। इन्हें दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। जब उच्च तापमान से हवाएँ गर्म होने लगती हैं और गर्म हवाओं के ऊपर उठने से इस क्षेत्र में निम्न वायुदाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है। निम्न वायुदाब क्षेत्र को मानसूनी कम दाब का गर्त कहते हैं। हिन्दू महासागर पर स्थल की अपेक्षा कम तापमान होने के कारण समुद्र भाग पर उच्चदाब विकसित हो जाता है, क्योंकि स्थल की तुलना में जल देर से गर्म होता है। इस प्रकार ताप में अंतर के कारण उत्तर पश्चिमी मैदानी भाग में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। समुद्री उच्च वायुदाब से उत्तरी-पश्चिमी निम्न वायुदाब क्षेत्र की और पवनें चलने लगती हैं। यह घटना पवनों की दिशा परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है, जिससे दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्पत्ति होती हैं। शीत ऋतु

बहने वाली ठंडी उत्तर व्यापारिक पवनें ग्रीष्म काल में इन पवनों को स्थान देती हैं और इस प्रकार देश में मानसूनी पवनें पहुँचती है। ये पवनें समुद्र से आती हैं, और इनमें नमी की मात्रा अधिक होती है और उनमें लगभग पूरे भारत में जून से सितंबर के मध्य वर्षा होती है। मानसून का अर्थ ऐसी ऋतु से है जिसमें पवनों की दिशा पूरी तरह उल्ट जाती है। ये पवनें दक्षिण-पश्चिमी दिशा से चलती है।

प्रश्न 5. भारत के पश्चिमी घाट के तटीय क्षेत्रों में तथा उत्तर-पूर्वी भागों में अधिक वर्षा क्यों होती है ?
उत्तर – भारतीय प्रायद्वीप के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून की दो शाखाएँ हो जाती हैं। इनमें एक अरब सागर की शाखा तथा दूसरी बंगाल की खाड़ी की शाखा है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून की अरब सागर की शाखा के सामने पश्चिमी घाट का अवरोध आ जाता है। इसी कारण पश्चिमी घाट पर भारी वर्षा होती है। पश्चिमी घाट के पवन विमुख ढालों पर कम वर्षा होती है। पश्चिमी घाट को पार करके यह शाखक्क मध्य भारत में पहुँच जाती है। जहाँ इन से भारी वर्षा होती है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून से सारे भारत में वर्षा होती है, परंतु इस ऋतु में तमिलनाडु और पूर्वी घाट पर वर्षा कम होती है।