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NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक (1757-1857) (Impact of British Rule on India: Economic, Social and Cultural (1757-1857)) Question Answer In Hindi

March 21, 2023
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    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक (1757-1857) (Impact of British Rule on India: Economic, Social and Cultural (1757-1857)) 

    TextbookNIOS
    Class10th
    Subjectसामाजिक विज्ञान (Social Science)
    Chapter5th
    Chapter Nameभारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक
    CategoryClass 10th सामाजिक विज्ञान
    MediumHindi
    SourceLast Doubt

    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक (1757-1857) (Impact of British Rule on India: Economic, Social and Cultural (1757-1857)) Question & Answer In Hindi ब्रिटिश शासन का भारत पर क्या आर्थिक प्रभाव पड़ा विस्तार से बताइए?, ब्रिटिश आर्थिक नीतियों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव?, ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव क्या थे?, ब्रिटिश आर्थिक नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?, भारत में ब्रिटिश शासन के परिणाम क्या थे?, भारत में ब्रिटिश शासन के आर्थिक प्रभाव को समझना क्यों महत्वपूर्ण था?, ब्रिटिश शासन से भारत को कैसे लाभ हुआ?, ब्रिटिश शासन से भारतीयों को कौन से मुख्य लाभ हुआ?, भारत में ब्रिटिश शासन के सकारात्मक प्रभाव क्या थे?, ब्रिटिश शासन की मुख्य विशेषता क्या है?

    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक (1757-1857) (Impact of British Rule on India: Economic, Social and Cultural (1757-1857))

    Chapter – 5

    भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक

    प्रश्न – उत्तर

    प्राठीत प्रश्न

    प्रश्न 1. अंग्रेजों की भू-राजस्व नीतियों ने किसानों के जीवन को कैसे प्रभावित किया ?
    उत्तर – प्राचीन काल से ही भारत कृषि प्रधान देश रहा है
    प्रश्न 2. स्थाई बंदोबस्त और महलवारी बंदोबस्त के बीच भेद बताएँ ।
    उत्तर – स्थाई बंदोबस्त और महलवारी बंदोबस्त के बीच भेद निम्नलिखित हैं-

    स्थाई बंदोबस्तमहलवारी बंदोबस्त
    (i) स्थाई बंदोबस्त लॉर्ड कार्नवालिस ने 1793 ई० में बंगाल और बिहार में लागू किया।

    (ii) इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों को सरकारी खजाने में पैसे की एक निश्चित राशि जमा करनी थी।

    (iii) राशि के बदले में वे भूमि के वंशानुगत मालिकों के रूप में पहचाने गए और इससे जमींदार भूमि का मालिक बन गया।

    (i) जबकि महलवारी बंदोबस्त 1822 ई० में अंग्रेजों ने कुछ हिस्सों में लागू किया।

    (ii) महलवारी का आधार एक महल या संपत्ति का उत्पादन होता था जो शायद एक गाँव या एक समूह के बराबर होता था।

    (iii) महल के सभी मालिक संयुक्त रूप से सरकार द्वारा मूल्यांकन राजस्व की राशि के भुगतान के लिए जिम्मेदार थे:

    प्रश्न 3. अंग्रेजी शिक्षा ने भारत में राष्ट्रवाद की वृद्धि में कैसे योगदान दिया ? उदार और देशभक्ति के दृष्टिकोण को अपनाने में सहायता की।
    उत्तर – अंग्रेजी शिक्षा भारत में राष्ट्रवाद की वृद्धि में अनेक प्रकार से सहायक सिद्ध हुई और समाज में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा। कई सुधारक, जैसे- राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, स्वामी दयानंद सरस्वती, सर सैयद अहमद खाँ और स्वामी विवेकानंद ने उदारवाद और लोकतंत्र के पश्चिमी विचारों को माना तथा उस समय के गैर-मानवीय सामाजिक और आर्थिक प्रथाओं को सुधारने का प्रयत्न किया। हालाँकि शिक्षा आम जनता तक नहीं पहुँची, लेकिन साम्राज्यवाद विरोधी रष्ट्रवाद, सामाजिक और आर्थिक समानता के विचारों ने अपनी जड़ें राजनीतिक दलों, वाद-विवाह, सार्वजनिक, मंच और प्रेस के माध्यम से लोगों में जमा ली। अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी शिक्षा के प्रसार ने भारतीयों को आधुनिक तर्कसंगत, लोकतांत्रिक, उन्होंने ज्ञान के नए क्षेत्र, जैसे-विज्ञान, मानविकी साहित्यिक को अपनाया।
    प्रश्न 4. देश में अंग्रेजी भाषा की सफलता के लिए कारणों की जाँच कीजिए।
    उत्तर – देश में अंग्रेजी भाषा की सफलता के लिए पश्चिमी विचारों और साहित्य का शिक्षण केवल अंग्रेजी भाषा के माध्यम से करवाने का निर्माण लिया गया। इस दिशा में वुड्स डिस्पैच 1854 ने अन्य निर्देश जारी किए। इसने भारत सरकार से कहा कि जनता की शिक्षा के लिए उसको जिम्मेदारी लेनी होगी। वुड्स डिस्पैस के निर्देश के कारण कलकत्ता, मद्रास और मुंबई में 1857 में विश्वविद्यालय और सभी प्रांतों में शिक्षा विभाग स्थापित किए। प्राथमिक विद्यालयों के बजाय कुछ अंग्रेजी स्कूलों और कॉलेजों को खोल गया।

    अति लघु उत्तरीय प्रश्न

    प्रश्न 1. 18वीं सदी में भारत की राजनीतिक स्थिति कैसी थी ?
    उत्तर – 18वीं सदी में भारत की राजनीतिक स्थिति संतोष- जनक नहीं थी। एक ओर मुगल सम्राट् का पतन हो रहा था। और दूसरी ओर ब्रिटिश शक्ति अपने पाँव पसारने में संलग्न थी।
    प्रश्न 2. कोलकाता शहर की स्थापना कब हुई ?
    उत्तर – 1696 ई० में कंपनी ने बंगाल में तीन गाँवों का एक शहर में विकसित किया और इसे कोलकाता नाम दिया।
    प्रश्न 3. कौन-सा स्थान फोर्ट विलियम के नाम से जाना जाता है ?
    उत्तर – कंपनी के शहर के चारों ओर एक किले का निर्माण किया, जो फोर्ट विलियम के नाम से जाना जाता है।
    प्रश्न 4. सेंट जॉर्ज किला किसे कहा जाता है ?
    उत्तर – 1615 में सर थॉमस रो को मुगल सम्राट् जहाँगीर से आगरा, अहमदाबाद तथा भडूच में फैक्ट्री खोलने की अनुमति मिल गई। उनकी महत्त्वपूर्ण बस्ती दक्षिणी तट पर मद्रास थी। जहाँ उन्होंने एक किलेबंद फैक्ट्री का निर्माण किया था, जो सेंट जॉर्ज किला कहलाता है।
    प्रश्न 5. उपनिवेशवाद किसे कहते हैं ?
    उत्तर – उपनिवेशवाद उसे कहते हैं जिसके अंतर्गत शक्तिशाली राष्ट्र किसी कमजोर राष्ट्र पर अपना आधिपत्य स्थापित कर उससे आर्थिक लाभ अर्जित करता है।.
    प्रश्न 6. बक्सर की लड़ाई कब और किसके बीच हुई ?
    उत्तर – बक्सर की लड़ाई 1764 ई० में हुई। यह युद्ध मीर कासिम, अवध के नवाब शाह आलम द्वितीय और अंग्रेजों के मध्य हुई। इस युद्ध में अंग्रेज विजयी रहे।
    प्रश्न 7. बक्सर युद्ध के क्या परिणाम हुए?
    उत्तर – बक्सर युद्ध के परिणाम ने अंग्रेजों की भारत स्थिति दृढ़ कर दी। इन युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों ने अवध अपनी सेना रखने और बंगाल में राजस्व वसूली का अधिकार भी प्राप्त कर लिया।
    प्रश्न 8. हैदर अली कौन था ?
    उत्तर – हैदर अली मैसूर का सुल्तान था। अंग्रेजों को वह अपना शत्रु समझता था। अंग्रेजों के साथ उसके युद्ध इतिहास में प्रसिद्ध हैं।
    प्रश्न 9. अठारहवीं सदी में किसानों की स्थिति कैसी थी ?
    उत्तर – अठारहवी सदी में किसानों की संकटमय थी। जोतदारों का उदय हो चुका था। जोतदारों की शक्ति जमींदारों की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली थी।
    प्रश्न 10. राजस्व राशि के भुगतान में जमींदार क्यों असफल हो जाते थे ?
    उत्तर – कंपनी के अधिकारियों का मानना था कि राजस्व माँग निर्धारित किए जाने से जमींदारों में सुरक्षा का भाव उत्पन्न होगा और वे अपने निवेश पर प्रतिफल प्राप्ति की आशा से प्रेरित होकर अपनी संपदाओं में सुधार के लिए प्रेरित होंगे।
    प्रश्न 11. रैय्यतवाड़ी बंदोबस्त से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर – रैय्यतवाड़ी बंदोबस्त के अंतर्गत किसान और कंपनी के बीच लगान संबंधी सीधा इकरार था। इसके अनुसार कंपनी ने किसान को भू-स्वामी मान लिया बशर्ते वह लगान देता रहे।
    प्रश्न 12. रैव्यतवाड़ी व्यवस्था के दो दोष उजागर कीजिए।
    उत्तर – रैय्यतवाड़ी व्यवस्था के दो दोष निम्नलिखित हैं-
    (i) राजस्व की दरें बड़ी ऊँची थीं।
    (ii) राजस्व बड़ी सख्ती के साथ वसूला जाता था।
    प्रश्न 13. स्थाई बंदोबस्त क्यों आरंभ किया गया ?
    उत्तर- लगान की निश्चित राशि प्राप्त करने और जमींदारों के ब्रिटिश समर्थक बनाने के लिए 1793 ई० में लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल और बिहार में स्थाई बंदोबस्त आरंभ किया।
    प्रश्न 14. स्थाई बंदोबस्त की दो मुख्य विशेषताएँ क्या थीं ?
    उत्तर – स्थाई बंदोबस्त की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्न थीं-
    (i) इसमें जमींदारों और भूमिकर वसूल करने वालों को वंशानुगत भू-स्वामी वर्ग में बदल दिया गया।
    (ii) इस व्यवस्था के द्वारा लगान सदा के लिए निश्चित
    कर दिया गया। अंग्रेजों का हिस्सा वसूल गई राशि का 10/11 भाग होता था।
    प्रश्न 15. महलवारी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर – महलवारी व्यवस्था उत्तर और मध्य भारत में लागू की गई थी। महलवारी शब्द महल से बना है, जिसका अर्थ जागीर अथवा ग्राम से है। इस व्यवस्था के अनुसार भूमिकर की इकाई किसान का खेत नहीं अपितु ग्राम अथवा महल होता है।
    प्रश्न 16. धन निष्कासन के अर्थ की व्याख्या कीजिए।
    उत्तर – धन निष्कासन का अर्थ था कि आयात की अपेक्षा निर्यातक की अधिकता से जो अधिशेष बनता था, वह इंग्लैण्ड भेजा जाता था, अर्थात् भारत की राष्ट्रीय संपदा का बड़ा भाग इंग्लैण्ड भेज दिया जाता था, जिसके बदले भारत को कोई आर्थिक या नैतिक लाभ नहीं मिलता था।
    प्रश्न 17. प्रथम यात्री सवारी गाड़ी कब चलाई गई ?
    उत्तर – सबसे पहली रेलवे लाईन रेड हिल में रेड रोड लाइन मद्रास में थी। इसे 1837 में ग्रेनाइट पत्थर को ले जाने के लिए। खोला गया था. जबकि 1853 में बम्बई से थाने के लिए यात्री सवारी गाड़ी चलाई गई।
    प्रश्न 18. अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग क्यों आरंभ किया ?
    उत्तर – अंग्रेजों ने अपनी राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अंग्रेजी भाषा को प्रारम्भ किया। वे सोचते थे कि अंग्रेजी पढ़े-लिखे भारतीय अंग्रेजों के हित में काम करेंगे और उनके हित की पूर्ति होगी।
    प्रश्न 19. 1857 के विद्रोह के प्रमुख परिणाम क्या हुए ?
    उत्तर- (i) इस विद्रोह के पश्चात् कंपनी की सत्ता समाप्त हो गई।
    (ii) भारत में सर्वोच्च ब्रिटिश शासक की उपाधि में भी परिवर्तन आया।
    प्रश्न 20. 1857 के विद्रोह की असफलता के राजनीतिक और सैन्य कारण बताइए।
    उत्तर – (i)सैन्यकरण- अंग्रेजों के पास सभी सैनिक योग्य एवं प्रशिक्षित थे। लॉरेंस बंधु, निकल्सन आदि उच्च कोटि के सेनापति थे।
    (ii) राजनीतिक कारण-राजनैतिक कारणों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारण के रूप में डलहौजी की गोद निषेध प्रथा या हड़प नीति को माना जाता है।
    प्रश्न 21. ड्यूटी, टैक्स दोनों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर – खरीदे या बेचे जाने वाले माल पर जो ‘कर’ सरकार को अदा किया जाता था, उसे ड्यूटी कहते हैं। सरकार द्वारा आय. संपत्ति और बिक्री पर लगाए गए टैक्स को कर कहते हैं।

    लघु उत्तरीय प्रश्न

    प्रश्न 1. आंग्ल-मैसूर युद्ध से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर – हैदर अली और उसके पुत्र टीपू सुल्तान के सक्षम नेतृत्व में मैसूर एक शक्तिशाली राज्य के रूप में 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में उभरा। अंग्रेजों और मैसूर के मध्य चार युद्ध हुए और अंत में चौथे आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 में वीरतापूर्ण पराजय और टीपू सुल्तान की मृत्यु से मैसूर और अंग्रेजों के मध्य संघर्ष का एक गौरवशाली अध्याय समाप्त हो गया तथा कनारा, कोयम्बटूर और श्रीरंगपट्टनम जैसे बड़े बंदरगाह अंग्रेजों द्वारा सुरक्षित अधिकार में ले लिए गए।
    प्रश्न 2. सहायक संधि से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर – लॉर्ड वेलेजली विस्तारवादी प्रवृत्ति का एक महत्त्वांकाक्षी व्यक्ति था। उसका उद्देश्य भारत के देशी राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करके ब्रिटिश साम्राज्यवाद का विस्तार करना और ब्रिटिश को सर्वोपरि बनाना था। अपने इन उद्देश्य को पूरा करने के लिए देशी राजाओं के साथ एक नवीन प्रकार की संधि करनी प्रारंभ की जो इतिहास में सहायक संधि के नाम से जानी जाती है।
    प्रश्न 3. लॉर्ड डलहौजी द्वारा राज्यों के विलय के तीन तरीके बताइए।
    उत्तर – लार्ड डलहौजी द्वारा राज्यों के विलय के तीन तरीके निम्न हैं-
    1. उत्तराधिकार अपहरण सिद्धांत द्वारा डलहौजी की इस नीति के अनुसार निःसंतान शासक अपने गोद लिए हुए व्यक्ति को राजसिंहासन नहीं सौंप सकता था। उसकी मृत्यु के बाद वह राज्य अंग्रेजी राज्य में मिला लिया जाता था। इसी नीति द्वारा उदयपुर, सतारा, वघाट आदि राज्य अंग्रेजी राज्य में मिला लिए गए।
    2. विजय द्वारा लॉर्ड डलहौजी ने पंजाब, लोअर बर्मा आदि के जीतकर अंग्रेजी राज्य का अंग बना लिया।
    3. कुशासन का आरोप लगाकर डलहौजी ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह पर कुप्रबंध तथा दुर्व्यवहार का आरोप लगाकर उसके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
    प्रश्न 4. अंग्रेजों की औद्योगिक नीति के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?
    उत्तर – अंग्रेजों की औद्योगिक नीति के मुख्य उद्देश्य निम्न 1. इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति का विकास शुरू हो गया था और अनेक उद्योग स्थापित हो गए थे। इसलिए अंग्रेज भारत से अपने उद्योगों के लिए कच्चा माल सस्ते दामों पर प्राप्त करना चाहते थे।
    2. वे भारत को अपनी मण्डी के रूप में भी स्थापित करना “चाहते थे। वे अपने उद्योग में तैयार वस्तुओं को भारतीय बाजारों में बेचना चाहते थे।
    3. वे एकतरफा मुक्त व्यापार करना चाहते थे जिसके अंतर्गत यह व्यवस्था थी कि ब्रिटिश माल बिना किसी रुकावट के और बिना कर के भारत आ सकता था, परंतु भारत से ब्रिटेन को निर्यात किए जाने वाल माल पर भारी कर लगा दिया गया।
    4. अंग्रेज अधिकांश उद्योगों पर अपना स्वामित्व स्थापित करना चाहते थे। वे भारतीय उद्योग को नष्ट भी करना चाहते थे।
    प्रश्न 5. औद्योगिक नीति से हस्तशिल्प पर क्या प्रभाव पड़ा ?
    उत्तर – अंग्रेजों की औद्योगिक नीति के कारण भारतीय हस्तशिल्प बर्बाद हो गया। भारतीय हस्तशिल्प उद्योग के लिए भारतीय बाजार विदेशी बाजार में भारतीय शिल्प उद्योग को ब्रिटेन में मशीन द्वारा निर्मित वस्तुओं की प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता था।
    प्रश्न 6. कृषि के व्यवसायीकरण से क्या अभिप्राय है ?
    उत्तर – भारत शुरू से ही कृषि प्रधान देश रहा है। यहाँ खाद्य फसलों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता था। अंग्रेजों को अपने इंग्लैण्ड स्थित कारखानों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता थीं। अतः उन्होंने नील, कपास, तिलहन आदि व्यावसायिक फसलों की खेती करनी आरंभ करा दी। फसलों का उत्पादन उपभोग के बजाय बाजार के लिए करने को प्रोत्साहन दिया। कृषि के.व्यावसायिकता ने किसानों के जीवन और उनके आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
    प्रश्न 7. अंग्रेजों के आर्थिक नीतियों का क्या परिणाम हुआ ?
    उत्तर – अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों के फलस्वरूप हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग नष्ट हो गए। ये ही भारतीय व्यापार और संपदा के प्रमुख स्रोत थे। अंग्रेजों ने सूत कताई, बुनाई, सिल्क, ऊन, मिट्टी के बर्तन, काँच, कागज, चमड़े की सफाई तथा रंगाई जैसे उद्योगों को बर्बाद कर दिया। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और उद्योग का युगों से चला आ रहा। संबंध समाप्त हो गया और भारत की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई। भारत में बेरोजगारी बढ़ गई तथा खेती पर बोझ बढ़ गया।”
    प्रश्न 8. रेलवे की स्थापना कब की गई ? इसके बाद के व्यापारिक परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
    उत्तर – व्यापार की प्रगति तथा दूरियों को कम करने के उद्देश्य से 1853 ई० में रेलवे की स्थापना की गई। रेलवे के आगमन ने भारतीय समाज में एक नई क्रांति ला दी। रेलवे के आगमन से व्यापार को एक नई दिशा मिली। व्यापारियों को दोनों हाथों से मुनाफा होने लगा। प्रत्येक रेलवे स्टेशन कच्चे माल का संग्रह केंद्र और आयातित वस्तुओं का वितरण बिंदु बन गया।
    प्रश्न 9. अंग्रेजी शासन काल में समाज सुधार के क्षेत्र में क्या कार्य किया गया ?
    उत्तर – अंग्रेजी शासन काल में समाज सुधार के क्षेत्र में समाज-सुधारकों ने अंग्रेजी सरकार से मिलकर सती प्रथा के उन्मूलन, मानव बलि और भ्रूण हत्या पर रोक तथा विधवा विवाह कानून जैसे कदम उठाये। अंग्रेजी शासकों ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलनों का समर्थन किया। भारत में ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज जैसे अनेक सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों का प्रभाव हुआ।
    प्रश्न 10. अंग्रेजों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों की समीक्षा कीजिए।
    उत्तर – भारत में अंग्रेज मिशनरियों ने शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त कार्य किया। यद्यपि उनका उद्देश्य ईसाई मत का प्रचार करना था। अंग्रेजों ने बहुत से स्कूलों ओर कॉलेजों की स्थापना की। उन्होंने लड़कियों के लिए बहुत से स्कूल स्थापित किए। सरकार ने 1833 के बाद पश्चिमी शिक्षा पर अधिक जोर दिया। भारतीयों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए 1857 में कलकत्ता, मद्रास और बम्बई में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। इस प्रकार पश्चिमी शिक्षा के ज्ञान से भारतवासियों में नए विचार और नई धारणाओं ने प्रभावित करना आरंभ कर दिया।
    प्रश्न 11. अंग्रेजी शिक्षा का भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ा विश्लेषण कीजिए।
    उत्तर – भारत में जब अंग्रेजों ने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों की स्थापना की तो उसका प्रभाव बहुत अधिक पड़ा। भारतीय समाज में यूरोप विचार भी फैलने लगे। भारतीयों को अंग्रेजी साम्राज्यवाद के शोषण के खिलाफ समझ विकसित हुई। तर्क, बुद्धिवाद, मानवतावाद, गणतंत्रवाद, प्रभुसत्ता और उपयोगितावाद जैसे विचारों ने शिक्षित भारतीयों पर भारी प्रभाव डाला। इन पश्चिमी विचारों ने अपने समाज को आलोचनात्मक दृष्टि से परखने में सहायता की। वे अंग्रेजी साम्राज्य की शोषणकारी भूमिका को भी समझ सके।
    प्रश्न 12. 19वीं शताब्दी के पूवार्द्ध में अंग्रेजी शिक्षा के विकास की तीन विशेषताएँ बताइए।
    उत्तर – 1. कंपनी की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए- निम्न स्तर के प्रशासनिक पदों को भरने के लिए अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त क्लकों की आवश्यकता हुई। फलस्वरूप 1813 ई० में शिक्षा के लिए थोड़ी-सी रकम की व्यवस्था की गयी।
    2. मैकाले जैसे कुछ अंग्रेजों ने सिफारिश की कि यह धन अंग्रेजी शिक्षा पर खर्च किया जाए।
    3. लॉर्ड विलियम बैंटिक के काल में शिक्षा नीति निश्चित हो गयी और अंग्रेजी के शिक्षा का माध्यम बनाया गया, परंतु शिक्षा केवल उच्च वर्ग तक ही सीमित थी।
    प्रश्न 13. बंगाल के संवासी और फकीर आंदोलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
    उत्तर – सन् 1770 ई० में बंगाल में महाअकाल के पहले और बाद में अंग्रेजी राज के विरुद्ध हिन्दू संयासियों ने विद्रोह किया था। अंग्रेजों ने मंदिरों और अन्य पवित्र स्थलों के तीर्थ यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिए। जनसाधारण के सहयोग से इन सन्यासियों ने अंग्रेजों के कारखानों तथा इनकी बस्तियों पर धावा बोल दिया। उन्होंने भारी मात्रा में चन्दा एकत्र किया। बहुत मुस्लिम फकीरों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी। अंग्रेजों के कारखानों पर हमला किया गया। अंग्रेजों और फकीरों के बीच चली लड़ाइयों में अंग्रेजों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
    प्रश्न 14. फराजी आंदोलन से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर – फराजी आंदोलन की नींव पूर्वी बंगाल के फरीदपुर नामक स्थान के हाजी शरीयत उल्ला ने रखी थी। उसका मुख्य लक्ष्य मुस्लिम समाज से गैर-इस्लामिक तौर-तरीकों को समाप्त करना तथा भारत से इसाइयों अर्थात् अंग्रेजों को निकाल बाहर कर एक बार फिर मुस्लिम राज की स्थापना करना था। अतः इस आंदोलन की प्रकृति जबरदस्त तौर पर धार्मिक, राजनीतिक थी। उसके उत्तराधिकारियों-दादू मियां और वोवा मियां ने मध्य और पूर्वी बंगाल के मुस्लिम किसानों को जमींदारों और साहूकारों (जो अधिकतर हिंदू थे) तथा नील बागानों के मालिकों, जो अंग्रेज थे, के खिलाफ सफलतापूर्वक लामबंद किया। अंत में गिरफ्तारियों, मुकद्दमों और सजाओं को सिलसिला चलाकर बंगाल सरकार ने इस आंदोलन को कुचल दिया।
    प्रश्न 15. निम्नलिखित में से किसी एक पर 100 शब्दोंक में टिप्पणी लिखिए। (क) संथाल विद्रोह, (ख) बहावी आंदोलन।
    उत्तर – (क) संथाल विद्रोह-संथाल विद्रोह पर आदिवासी ना आक्रोश तथा अंग्रेज विरोध भावनाओं की छाप थी। सिद्ध और कान्हू के नेतृत्व में हजारों संथालों ने अत्याचारी अंग्रेजों और उनके स्थानीय सहयोगियों के विरुद्ध बगावत की। संथालों ने भूस्वामियों, सूदखोरों, बगान मालिकों और अंग्रेज अफसरों के मकानों पर हमले किए और उनको नष्ट कर दिया। निचले स्तर के दूसरे लोग भी उनके साथ हो गए। उन्होंने अंग्रेजी राज की समाप्ति की घोषणा कर दी। शुरू-शुरू में अनेक विफलताओं के बाद अंग्रेजों ने सेना के बल पर संथाल विद्रोह का अंत कर दिया।
    (ख) बहावी आंदोलन- यह आंदोलन एक इस्लामिक सामाजिक, धार्मिक सुधार आंदोलन था। उसने उन गैर-इस्लामी व्यवहारों को समाप्त करके मुसलमानों को शुद्ध करने का प्रयास किया जो युगों से मुस्लिम समाज में घर कर गए थे। भारत में इस आंदोलनों की स्थापना रायबरेली के सैयद अहमद (1786-1831) ने की थी। लेकिन उनका असली मकसद पंजाब से सिक्खों और बंगाल से अंग्रेजों की सत्ता खत्म करके
    मुस्लिम राज की स्थापना करने की थी। बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा उत्तर पश्चिम भारत में वहाबीवाद का तेजी से प्रसार हुआ। सिक्खों के खिलाफ बालाकोट की लड़ाई में (1631) सैयद अहमदों की मौत हो गई। उनके बाद इस आंदोलन का केंद्र पटना बन गया। बंगाल से सैयद निसार अहमद (टीटू मीर) ने अंग्रेज विरोधी संघर्ष का नेतृत्व किया जिसने कभी-कभी सांप्रदायिक मोड़ भी ले लिया। हालाँकि बहावी विद्रोह मुख्यतया साम्राज्यवाद विरोधी भावना से प्रेरित था, इसमें कुछ पुनरुत्थानवादी और सांप्रदायिक रुझान भी मौजूद था। अंग्रेजों ने इसके विरुद्ध मजबूत कदम उठाए और 1870 में इसको पूरी तरह से खत्म कर दिया।

    दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

    प्रश्न 1. किस प्रकार अंग्रेजों ने भारत में अपना व्यापार स्थापित किया ?
    उत्तर – जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति शरू हुई तो इन छोटे राज्यों के पास अपने उद्योगों के लिए कच्चा माल और तैयार माल के लिए बाजार नहीं था। जब इन देशों ने एशिया और अफ्रीका में बाजार को तलाश करना शुरू कर दिया। इंग्लैण्ड भारत के साथ व्यापार में सफल रहा और 1600 ई० में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की। 1615 ई० में सम्राट् जेम्स प्रथम ने ‘सर टॉमस रो’ को अपना राजदूत बनाकर जहाँगीर के पास भेजा। रो का एकमात्र उद्देश्य था-व्यापारिक संधि करना। यद्यपि उसका जहाँगीर के साथ कोई व्यापारिक समझौता नहीं हुआ तथापि उसे गुजरात व्यापारिक कोठियों को खोलने के लिए फरमान प्राप्त हो गया और उसने सूरत, आगरा, अहमदाबाद और भडोच में अंग्रेजों की व्यापरिक कोठियाँ स्थापित कर ली। शीघ्र ही अंग्रेजों का व्यापार यहाँ फैलने लगा। पूर्वी भारत अंग्रेजों ने अपना पहला कारखाना उड़ीसा में खोला। वास्तव में ईस्ट इंडिया कंपनी एक निजी व्यापारिक कंपनी थी जिसने 1600 ई० में शाही अधिकार द्वारा व्यापार करने का अधिकार प्राप्त कर लिया था। कंपनी का मुख्य उद्देश्य धन कमाना था।
    प्रश्न 2. अंग्रेजों और मराठों के मध्य चले युद्ध का वर्णन कीजिए।
    उत्तर – अठारहवीं शताब्दी में पश्चिम और मध्य भारत में मराठा साम्राज्य अपनी उन्नति पर था। लेकिन मराठों के बीच सत्ता संघर्ष चलते रहने के कारण अंग्रेजों को उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अवसर मिला। अंग्रेजों और मराठों के बीच पहला युद्ध 1775 से 1782 ई० तक चला। यह युद्ध हार-जीत के बिना समाप्त हो गया। 1782 की सलवाई की संधि के अनुसार यथास्थिति बनाए रखी गई। यह स्थिति 20 वर्ष तक चली। परंतु जब मराठा सरदार स्वार्थी और महत्त्वाकांक्षी बन गए. अंग्रेज गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेजली ने इस स्थिति का फायदा उठाया। उसने 1802 की सब्सिडियरी संधि पर हस्ताक्षर कराकर पेशवा बालाजी राव द्वितीय को अंग्रेजों का आधिपत्य स्वीकार करने को बाध्य कर दिया। परंतु बार-बार मराठों के मामले में हस्तक्षेप करने के कारण 1803 से 1805 के बीच दूसरी लड़ाई) हुई। अंग्रेजों ने सिंधिया और भोंसले जैसे मराठा सरदारों को हराकर होलकर से संधि कर ली। 1819 में मराठों और अंग्रेजों के बीच तीसरा युद्ध हुआ। पेशवा को अपनी गद्दी से हाथ धोना पड़ा और उसको पेंशन देकर बिठूर में भेज दिया। 1818 तक मराठे पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन हो गए।
    प्रश्न 3. आंग्ल-सिख युद्ध से आप क्या समझते हैं ?
    उत्तर – उत्तर-पश्चिमी भारत में योग्य शासक रणजीत सिंह, जी के नेतृत्व में सिक्ख एक प्रभावशाली राजनीतिक शक्ति बन गए। अंग्रेजों को सिक्खों की बढ़ती हुई शक्ति से खतरा उत्पन्न हो गया था। अंग्रेज सिक्खों को अपने नियंत्रण में लाना चाहते थे। रणजीत सिंह के सफल विजय अभियानों से अंग्रेजों को खतरा दिखाई पड़ने लगा। इसलिए 1809 ई० में अंग्रेजों को खतरा दिखाई पड़ने लगा। इसलिए 1809 ई० में अंग्रेजों ने रणजीत सिंह से समझौता कर लिया। रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद पंजाब में अराजकता फैल गई। पहली अंग्रेज सिक्ख लड़ाई। 1845 में शुरू हुई। 1846 में सिक्ख हार गए। 1846 में लाहौर की अपमानजनक संधि हुई। 1849 में सिक्खों और अंग्रेजों का दूसरा युद्ध हुआ। इसमें सिक्ख सेना पूरी तरह पराजित हो गई। सिक्ख सरदारों ने हथियार डाल दिए। लॉर्ड डलहौजी ने पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया। महाराजा दिलीप सिंह को पेंशन देकर इंग्लैण्ड भेज दिया गया।
    प्रश्न 4. अंग्रेजों की औद्योगिक नीति के मुख्य चार उद्देश्य बताइए।
    उत्तर – अंग्रेजों की औद्योगिक नीति के मुख्य चार उद्देश्य निम्नलिखित है-
    1. औद्योगिक क्रांति इंग्लैण्ड में आरंभ हुई और शीघ्र ही एक विशाल उद्योग इंग्लैण्ड में स्थापित हो गया। अब अंग्रेजों को कच्चे माल की आवश्यकता होने लगी। इसलिए वे अपने उद्योगों के लिए कच्चा माल सस्ते मूल्यों पर प्राप्त करना चाहते थे जो भारत में उपलब्ध था।
    2. अंग्रेज अपने तैयार माल को भारतीय बाजार में बेचना चाहते थे। इसलिए वे भारत में अपनी मण्डी स्थापित करने के लिए तत्पर थे।
    3. अंग्रेज भारतीय उद्योग को नष्ट कर स्वयं उद्योगों पर अपना स्वामित्व चाहते थे।
    4. वे एकतरफा मुक्त व्यापार करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने भारत से ब्रिटेन को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर भारी कर लगा दिया।
    प्रश्न 5. सहायक संधि किसे कहा जाता है ? इसके मुख्य तत्त्वों की विवेचना कीजिए।
    उत्तर – लॉर्ड वेलेजली ने देसी राज्यों पर नियंत्रण स्थापित करने तथा फ्रांसीसियों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए 1798 ई० में एक विशेष नीति का निर्माण किया गया, जिसे सहायक संधि कहा जाता है। इस संधि के मुख्य तत्त्व निम्न हैं-
    1. देशी राजा इस संधि को स्वीकार करने पर अंग्रेजों को संप्रभु शक्ति समझेंगे तथा उनके आदेशों का पालन करेंगे।
    2. संधि करने वाले राज्यों के शासकों को अपने क्षेत्र में ब्रिटिश सेना रखनी होती थी तथा उसके रख-रखाव के लिए आर्थिक सहायता देनी होती थी। बाद में उन्हें क्षेत्र की अधीनता स्वीकार करनी पड़ती थी।
    3. भारतीय राजाओं के दरबार में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखना अनिवार्य था। ये राजा ब्रिटिश सरकार के अनुमोदन के बिना अपनी सेवा में किसी यूरोपियन को नियुक्त नहीं कर सकते थे।।
    4. गवर्नर-जनरल की स्वीकृति के बिना भारतीय राज्य अन्य राज्यों से संबंध नहीं रख सकते थे। इसके बदले में उन्हें शत्रुओं सुरक्षा दी जाती थी।
    प्रश्न 6. लॉर्ड कार्नवालिस की द्वारा लागू की गई भू राज्सव प्रणाली की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

    उत्तर – लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल में भू-राजस्व वसूली के लिए एक नवीन प्रकार की व्यवस्था लागू की जिसे भूमि बंदोबस्त व्यवस्था कहते हैं। इसके अंतर्गत तीन प्रकार के भूमि बंदोवस्त थे – (1) जमींदारी प्रथा, (ii) महलवारी व्यवस्था, और (iii) रैय्यतवाड़ी व्यवस्था।
    1. जमींदारी प्रथा जमींदारी प्रथा लॉर्ड कार्नवालिस ने सर्वप्रथम बंगाल एवं बिहार में लागू की। इसके अंतर्गत राजस्व वसूली का काम जमींदारों को सौंप दिया गया था और उनको उगाए गए लगान का दसवाँ या ग्यारहवाँ भाग राज्य को देना पड़ता था। यदि भविष्य में लगान बढ़ाया जाता तो रियासत का जमींदार उसे स्वयं रख सकता था। जमींदारों ने लगान वसूली करने के लिए किसानों पर अत्याचार किए।
    2. महलवारी प्रथा-सन् 1822 में गंगा की घाटी पूर्वोत्तर प्रांतों और मध्य भारत के कुछ हिस्सों तथा पंजाब में जो बंदोबस्त किया, उसे महलवारी प्रथा कहते हैं। इसके अंतर्गत राजस्व का बंदोबस्त स्थानीय सरदारों या पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे वसूली करने वालों के साथ मिलकर गाँव-गाँव या रियासत-रियासत में किया जाता था। इस व्यवस्था में राजस्व की राशि को समय-समय पर बदला जा सकता था।
    3. रैयतवाड़ी बंदोबस्त – इसे मद्रास और बम्बई (प्रेसीडेंसी) के कुछ भागों में लागू किया गया। इस व्यवस्था के अंतर्गत अंग्रेज सरकार ने सीधे-सीधे रैयतों या किसानों पर लगान तय किया, परंतु लगान की राशि बहुत अधिक थी। सरकार जब चाहे इसे बढ़ा सकती थी और यदि किसान समय से लगान अदा नहीं कर सकते थे तो उन्हें बेदखल किया जा सकता था। उपर्युक्त व्यवस्था किसानों के लिए कष्टप्रद थी। उनके जीवन पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ा। वे बने रहे। शोषित और पीड़ित बने रहे

    प्रश्न 7. ब्रिटिश प्रभाव से सामाजिक क्षेत्र में क्या-क्या परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए ? इसकी व्याख्या प्रस्तुत कीजिए।
    उत्तर – भारत में अंग्रेजों के आने से समाज में अनेक परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए। समाज, जो अनेक प्रकार की ऐसी कुप्रथाओं में फँसा था, जो मानव की गरिमा और मूल्यों के विरुद्ध थी। महिलाओं के साथ भेदभाव। जाति-व्यवस्था इत्यादि अनेक सामाजिक बुराइयाँ थीं। वे स्वतंत्रता, समानता, आजादी जब अंग्रेज भारत आए और मानवाधिकार जैसे विचार के रूप में नए विचार यूरोप के पुर्नर्जागरण, सुधार आंदोलनों और विभिन्न क्रांतियों से यहाँ लाए। इसके अतिरिक्त कई कानूनी उपाय शुरू किए गए जिससे महिलाओं की स्थिति में सुधार आया। जैसे लॉर्ड बैटिक ने 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया। 1856 ई० विधवा पुनर्विवाह कानून पारित किया गया। एक कानून 1872 में पारित किया गया जिसमें अंतर-जाति और अंतर-सांप्रदायिक विवाह को अनुमति प्रदान की गई। 1929 में अधिनियम पारित करके बाल विवाह और पर रोक लगाई गई और विवाह के लिए एक निश्चित आयु सीमा निर्धारित की गई। अब महिलाओं के बेहतर शिक्षा व्यवस्था सार्वजनिक रोजगार के अवसर मिलने लगे। इस प्रकार सामाजिक क्षेत्र में ब्रिटिश के बड़े सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर हुए। में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया। 1856 ई० विधवा पुनर्विवाह कानून पारित किया गया। एक कानून 1872 में पारित किया गया जिसमें अंतर-जाति और अंतर-सांप्रदायिक विवाह को अनुमति प्रदान की गई। 1929 में अधिनियम पारित करके बाल विवाह और पर रोक लगाई गई और विवाह के लिए एक निश्चित आयु सीमा निर्धारित की गई। अब महिलाओं के बेहतर शिक्षा व्यवस्था सार्वजनिक रोजगार के अवसर मिलने लगे। इस प्रकार सामाजिक क्षेत्र में ब्रिटिश के बड़े सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर हुए।
    प्रश्न 8. ब्रिटिश प्रशासन की न्याय प्रणाली कैसी थी ?
    उत्तर – भारतीयों को ब्रिटिश प्रशासन की नई प्रणाली को समायोजित करने में कठिनाई हुई। भारतीय राजनीतिक अधिकारों से वंचित थे और ब्रिटिश अधिकारी उनसे अवमानना के साथ व्यवहार करते थे। भारतीयों को प्रशासनिक और सैन्य सभी उच्च पदों से बाहर रखा गया। अंग्रेजों ने भारत में कानून और न्याय की एक नवीन प्रणाली की शुरूआत की। एक श्रेणीबद्ध सिविल और आपराधिक अदालतों को स्थापित किया गया। कानूनों के कोड़ बनाए गए तथा कार्यपालिका से न्यायपालिका को अलग करने का प्रयास किया गया। भारत में कानून के शासन को स्थापित करने के प्रयास किए गए। लेकिन ब्रिटिश भारतीयों के अधिकारों और स्वतंत्रता के साथ हस्तक्षेप कर रहे थे तथा अपनी निर्णायक शक्तियों का आनंद ले रहे थे। कानूनी अदालतें भी आम लोगों के लिए सुलभ नहीं थीं। न्याय एक महँगा मामला बन गाया | नई न्यायधिक प्रणाली भी यूरोपियन तथा भारतीय के बीच भेदभाव रखी थी

    NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi

    • Chapter – 1 प्राचीन विश्व
    • Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
    • Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
    • Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
    • Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
    • Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
    • Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
    • Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
    • Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
    • Chapter – 10 जलवायु
    • Chapter – 11 जैव विविधता
    • Chapter – 12 भारत में कृषि
    • Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
    • Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन

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