NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 27 शांति और सुरक्षा (Peace and Security) Question Answer In Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 27 शांति और सुरक्षा (Peace and Security)

TextbookNIOS
class10th
SubjectSocial Science
Chapter27th
Chapter Nameशांति और सुरक्षा (Peace and Security)
CategoryClass 10th NIOS Social Science (213)
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 25 शांति और सुरक्षा (Peace and Security) Question & Answer in Hindi शांति और सुरक्षा का क्या तात्पर्य है?, सुरक्षा और शांति में क्या अंतर है?, शांति और सुरक्षा का क्या महत्व है?, शांति और सुरक्षा कौन रखता है?, सुरक्षा से क्या अर्थ है?, शांति से आप क्या समझते हैं?, सुरक्षा के प्रकार क्या हैं?, हमें शांति की आवश्यकता क्यों है?, शांति की विशेषताएं क्या हैं?, 5 सुरक्षा सेवाएं कौन सी हैं?, सुरक्षा के 3 स्तर क्या हैं?, सुरक्षा का महत्व क्या है?, सुरक्षा नियम क्या है?, भारत में सुरक्षा कितने प्रकार की है?, घर हमें सुरक्षा कैसे देता है?, सुरक्षा नियंत्रण के 4 प्रकार क्या हैं?, सुरक्षा के 4 स्तर क्या हैं?, सुरक्षा विशेषताएं क्या हैं?, शांति की सबसे अच्छी परिभाषा क्या है?, शांति के पांच प्रकार कौन से हैं?, शांति का आदमी कौन है?, सुरक्षा चिन्ह कितने प्रकार के होते हैं?, सुरक्षा के कितने बिट्स?, शांति के क्या फायदे हैं?, शांति कैसे विकास में मदद करती है?, मन की शांति कितनी महत्वपूर्ण है?, भारत की सबसे अच्छी सुरक्षा कौन सी है?, भारत की सुरक्षा कौन करता है?, सुरक्षा की सीमा क्या है?, सुरक्षा और उदाहरण क्या है?, कौन सी 3 सुरक्षा विशेषताएं सर्वर सुरक्षा स्तर से मेल खाती हैं?

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 27 शांति और सुरक्षा (Peace and Security)

Chapter – 27

शांति और सुरक्षा

प्रश्न – उत्तर

पाठांत प्रश्न

प्रश्न 1. शांति और सुरक्षा का क्या अर्थ है ? इसकी पारंपारिक धारणा नई धारणा से किस तरह भिन्न है ?
उत्तर- शांति एक सामाजिक और राजनीतिक अवस्था है, जो व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र का विकास सुनिश्चित करता है। यह सद्भावना की स्थिति है, जिसमें निम्न बातें पाई जाती हैं-
(i) स्वस्थ अंतर-वैयक्तिक अथवा अंतर-समूह या अंतर-क्षेत्रीय या अंतर-राज्य या अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का अस्तित्व।
(ii) आर्थिक या सामाजिक कल्याण में समृद्धि।
(iii) समानता की स्थापना ।
(iv) सभी के सच्चे मित्रों की रक्षा करने वाली कार्यशील राजनीतिक व्यवस्था । अंतर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में शांति केवल युद्ध या संघर्ष का अभाव नहीं है, अपितु सामाजिक संस्कृति तथा आर्थिक समझ और एकता की भी उपस्थिति है। सच्ची शांति की प्राप्ति के लिए संबंधों में सहिष्णुता की भावना होती है।
सुरक्षा सामान्य अथों में सुरक्षा का अर्थ है-भयमुक्त सुरक्षित अवस्था या भावना। इसका अर्थ एक व्यक्ति, संस्था, क्षेत्र, राष्ट्र अथवा विश्व की सुरक्षा भी है। हालांकि सुरक्षा का मौलिक अर्थ है-अत्यधिक भयानक खतरे से बचाव इसका संबंध उन संकटों से भी है जिससे मानवाधिकार जैसे आधारभूत मूल्यों को खतरा है।
पारंपारिक धारणा और नवीन धारणा में भिन्नता- पारंपारिक रूप से शांति और सुरक्षा युगों से सैनिक संघर्ष या धमकी के खतरों पर केंद्रित रहा है। किंतु नई धारणा मानवीय शांति और सुरक्षा अथवा वैश्विक शांति पर केंद्रित है। यह मूलरूप से व्यक्ति को संबोधित करता है तथा सामाजिक आर्थिक विकास तथा मानव गरिमा के रख-रखाव की पहली है।
प्रश्न 2. क्या आप सहमत हैं कि शांति व सुरक्षा तथा लोकतंत्र और विकास से पारस्परिक संबंध है ? अपने उत्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- निःसंदेह शांति व सुरक्षा तथा लोकतंत्र और विकास में पारस्परिक संबंध है। विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित है- लोकतंत्र और विकास तथा शांति और सुरक्षा के बीच पारस्परिक संबंध है। शांति और सुरक्षा के अभाव में लोकतंत्र काम नहीं कर सकता और विकास नहीं हो सकता। चुनाव के संचालन के लिए शांति आवश्यक है। शांति के अभाव में लोकतांत्रिक संस्थाएँ काम नहीं कर सकती हैं। शांति के वातावरण में ही नागरिक विभिन्न स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए शांति और भी आवश्यक है। उपद्रव, हिंसा या युद्ध के माहौल में विकास की गतिविधियाँ संभव नहीं है। लोकतंत्र युद्ध के पक्ष में नहीं होते। कहा जा सकता है कि किसी क्षेत्र के सभी देशों में यदि लोकतंत्र हो तो क्षेत्रीय शांति की संभावना बढ़ जाती है। विकास भी शांति को प्रोत्साहन देता है। विकास के माध्यम से ही राष्ट्र लोगों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित कर सकता है तथा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है। इसके लिए शांति और सुरक्षा आवश्यक शर्त है।
प्रश्न 3. राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम का शांति और सुरक्षा के खतरे से निपटने के लिए भारत कौन-सी महत्त्वपूर्ण रणनीति और तरीके अपनाता रहा है ?
उत्तर- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ही शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपागम के विचार और दृष्टिकोण की शुरूआत हुई। स्वाधीनता आंदोलन के नेतृत्व ने विचार व्यक्त किया कि स्वतंत्र भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को स्थापित रखने और प्रोत्साहन देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लाग देगा। उन्होंने विश्व में उपनिवेशवाद विरोधी तथा जातिभेद विरोधी सभी आंदोलनों का खुलकर समर्थन किया तथा लोकतंत्र का प्रोत्साहन दिया। उन्होंने विश्व में उपनिवेशवाद विरोधी तथा जातिभेद विरोधी सभी आंदोलनों का खुलकर समर्थन किया तथा लोकतंत्र को प्रोत्साहन दिया। सामाजिक न्याय तथा पंथ निरपेक्षता पर बल देते हुए सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समाजवादी उपागम अपनाने पर हुई आम सहमति का लक्ष्य ऐसी शर्तें तैयार करना था जो शांति के लिए आंतरिक खतरों के विरुद्ध सुरक्षा को प्रोत्साहन दें। संविधान निर्माण की प्रक्रिया काफी हद तक स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विकसित विचारों से प्रभावित है। संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व अध्याय में शांति और सुरक्षा की चर्चा की गई है।
प्रश्न 4. भारत में शांति और सुरक्षा के कौन-से गंभीर खतरे हैं ?
उत्तर- भारत में शांति और सुरक्षा के लिए अनेक गंभीर खतरें हैं, जैसे- आतंकवाद, विद्रोह, नक्सलवादी आंदोलन इत्यादि विस्तृत विवरण निम्नलिखित है-
(i) आतंकवाद – आतंकवाद देश की शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। वास्तव में आतंकवाद है क्या ? इसको परिभाषित करना एक कठिन समस्या है। किंतु भारत के संदर्भ में मोटे तौर पर आतंकवाद आवश्यक रूप से एक आपराधिक गतिविधि है, जिसके द्वारा भय का माहौल बनाने के लिए तथा सामान्य रूप से राजनीतिक तथा वैचारिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आम नागरिकों पर घातक हमला किया जाता है। आतंकवाद एक अपराध है। जिसे रोकने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
(ii) विद्रोह भारत में विद्रोह का एक लंबा इतिहास रहा है। मोटे तौर पर विद्रोह को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-राजनीतिक उद्देश्य से चलाए गए आंदोलन तथा सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए आंदोलन अथवा विद्रोह सबसे प्रमुख उग्रवादी गुट हैं-जम्मू और कश्मीर तथा असम में कार्यरत हिंसक चरमपंथी अलगाववादी तथा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैण्ड तथा त्रिपुरा में विभिन्न उग्रवादी गुट। ये उग्रवादी आंदोलन चल रहे हैं, क्योंकि इनमें शामिल गुट अपनी वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट हैं; जबकि कुछ ऐसे भी गुट हैं, विशेषकर जम्मू कश्मीर और असम में, जिनका राजनीतिक एजेंडा है. ये देश से पृथक होने के लिए संघर्षशील हैं। उन गुटों को पड़ोसी देशों तथा कुछ अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी गुटों का सक्रिय सहयोग प्राप्त है।
(iii) नक्सलवादी आंदोलन- नक्सलवादी आंदोलन देश की ज्वलंत समस्या है। आज नक्सलवादी आंदोलन बारह राज्यों 125 जिलों में फैल गया है। नक्सलवादी अक्सर सार्वजनिक संपत्ति, सरकारी अधिकारियों, पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों तथा ऐसे लोगों पर जिन्हें वे अपना दुश्मन समझते हैं, हमला करते है। साधारणतः वे युवक जो इस आंदोलन की हिंसक गतिविधियों में संलग्न है, उनका संबंध समाज के उन वर्गों से है, जो युगों
से सामाजिक भेदभाव और आर्थिक अभाव का खामियाजा भुगत रहे हैं। सरकार आतंकवाद, विद्रोह और नक्सलवादी आंदोलन से निपटने के लिए रणनीतियाँ और तरीके अपना रही है। यह आतंकवाद से लड़ने के लिए सभी राष्ट्रों के प्रयासों का समर्थन करती है। कुटनीतिक दृष्टि से भारत पाकिस्तान तथा अन्य पड़ोसी देशों पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाती है कि वे ऐसे आतंकवादी
गुटों को अपना सक्रिय समर्थन दें। नक्सलवादी आंदोलन के सदर्भ में राज्य सरकार विकास की गति बढ़ाने तथा युवकों को मुख्य धारा में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रश्न 5. शांति और सुरक्षा के संदर्भ में भारत की विदेश नीति को परीक्षण कीजिए।
उत्तर- भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को लेकर सदैव चितित रहा है। यह इसकी प्रगति के लिए आवश्यक है। अन्य राष्ट्रों की भाँति, भारत की विदेश नीति भी राष्ट्रीय हित पर आधारित है। भारत ने ऐसी विदेश नीति का अनुसरण किया है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेष रूप से हमारे पड़ोस में तथा हमारे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा मुख्य चिंता का विषय है। भारत की विदेश नीति के अंतर्गत गुटनिरपेक्षता की नीति सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है।
प्रश्न 6. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की बदलती प्रकृति के संदर्भ में गुटनिरपेक्षता की नीति कैसे प्रासंगिक है ?
उत्तर- गुटनिरपेक्षता भारत की विदेश नीति की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता मानी जाती है। चूँकि गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जन्म द्वितीय विश्वयुद्ध तथा शीतयुद्ध के परिणाम स्वरूप हुआ था। किंतु जब सोवियत संघ का विघटन हो गया तो गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता पर प्रश्न लग गया। जबकि वास्तविकता यह है कि वर्तमान परिदृश्य में भी गुटनिरपेक्ष आंदोलन महत्त्वपूर्ण भूमिका का निभा रहा है। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् विश्व के सामने एक क्लिक बना हुआ है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन अमेरिकी प्रमुख पर का काम कर सकता है। द्वितीय विकसित और के साथ एक अर्थपूर्ण वार्तालाप के लिए विकासशील देश को एक महत्त्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त गुट निरपेक्ष आंदोलन दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए शक्ती गठन सिद्ध हो सकता है। विकासशील देशों को विकसित को विकसित देशों के समक्ष अपनी स्थिति मजबूत करने के लि | गुटनिरपेक्ष आंदोलन आवश्यक है। अतः देशों संयुक्त राष्ट्र में सुधार तथा 21वीं शताब्दी की आवश्यकताओं के अनुकूल उसे डालने के लिए विकासशील देशों को गुटनिरपेक्ष आंदोलन के झंडे तले एकजुट होकर संघर्ष करना पड़ेगा।
प्रश्न 7. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ को किस तरह समर्थन देता रहा है ? भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य क्यों बनाया जाए ?
उत्तर- भारत ने सदैव संयुक्त राष्ट्र को विश्व राजनीति में शांति और सुरक्षा तथा शांतिपूर्ण परिवर्तन के वाहक के रूप में देखा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के 51 में से एक संस्थापक सदस्यT के रूप में भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा निःशस्त्रीकरण के उसके प्रयासों का खुलकर समर्थन करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र का एक महत्त्वपूर्ण अंग सुरक्षा परिषद् अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रख-रखाव में एक अहम् भूमिका निभाती है। इसलिए इसके स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाए जाने की संभावना है। जिसमें एक प्रमुख दावेदार भारत है और क्यों न हो, भारत दूस सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। इसका सभी अंतर्राष्ट्रीय विवादों में शांति बहाली तथा विकासशील देशों के हितों को प्रोत्साहन देने का रिकार्ड रहा है. इसलिए भारत का सुरक्षा परिषद् का स्थाई सदस्य बनने का मजबूत दावा है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. “शांति और सुरक्षा” से आप क्या समझते है ?
उत्तर- शांति और सुरक्षा अविभाज्य है। शांति और सुरक्षा वह स्थिति है, जहाँ व्यक्ति, संस्थाएँ, क्षेत्र, राष्ट्र व विश्व विना किसी खतरे के एक साथ आगे बढ़ते हैं।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान में शांति और सुरक्षा से संबंधित क्या प्रावधान किए गए अवधि: हैं ?
उत्तर- भारतीय संविधान में शांति और सुरक्षा से संबंधित निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं- संविधान के अनुच्छेद 51 के अनुसार राज्य प्रयास करेगा-
(क) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का
(ख) राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखने का।
(ग) संगठित लोगों के एक-दूसरे से व्यवहारों में अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का और अंतर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थ द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का था ?
प्रश्न 3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन कब आरंभ किया गया
उत्तर- गुटनिरपेक्ष आंदोलन 1960 में आरंभ किया गया था।
प्रश्न 4. गुटनिरपेक्ष आंदोलन किनके नेतृत्व में शुरू हुआ ?
उत्तर- गुटनिरपेक्ष आंदोलन भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू युगोस्लाविया के मार्शल टीटो तथा मिस्र के कर्नल नासिर के नेतृत्व में आरंभ हुआ था।
प्रश्न 5. गुटनिरपेक्षता की नीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर- गुटनिरपेक्षता से तात्पर्य अंतर्राष्ट्रीय विषयों से संबंधित सभी मामलों पर स्वतंत्र निर्णय लेना। इसमें सैनिक मुकाबलों की प्रोत्साहन देने की अपेक्षा सभी शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाया गया।
प्रश्न 6. गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने किसे प्रभावित किया है ?
उत्तर- नए स्वतंत्र होने वाले राष्ट्रों ने शीतयुद्ध के गुटों का सदस्य बनने की अपेक्षा गुटनिरपेक्ष नीति के अपनाने को प्राथमिकता दी।
प्रश्न 7. भारत ने विश्व शांति के लिए किन मार्गों को अपनाया ?
उत्तर- भारत की विदेश नीति का मूल आधार गुटनिरपेक्षता है उसने संसार को पंचशील, निःशस्त्रीकरण और गुटनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत दिए हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. गुटनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि विश्व में इसका क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर- गुटनिरपेक्षता से अभिप्राय है-अंतर्राष्ट्रीय विषयों से संबंधित सभी मामलों पर स्वतंत्रता पूर्वक निर्णय लेना। किसी दबाव अथवा पक्ष में निर्णय न लेना। महाशक्तियों को ध्यान में रखते हुए विशेषकर अपने हित तथा विश्व शांति के हित में बिना किसी के बहुत निकट आए. मजबूत राजनीतिक और आर्थिक संबंधों की स्थापना करना, गुटनिरपेक्षता है। गुटनिरपेक्षता की नीति में सैनिक मुकाबलों को प्रोत्साहन देने की अपेक्षा सभी शांतिपूर्ण तरीकों को अपनाया गया है। गुटनिरपेक्षता की नीति का यह लाभ मिला कि नवस्वतंत्र होने वाले एशिया और अफ्रीका के देशों ने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया तथा वे किसी शक्ति गुट में सम्मिलित नहीं हुए।
प्रश्न 2. भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति प्रयासों को किस प्रकार सहायता दी है ?
उत्तर- भारत ने हमेशा से ही संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति प्रयासों में अपना योगदान दिया है। जब भी दो राष्ट्र के बीच शत्रुता पनपी भारत ने तुरंत झगड़े को समाप्त करने का प्राथमिकता दी और उन्हें बातचीत के रास्ते लाया। भारत ने पश्चिम एशिया कांगो तथा कोरिया आदि में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रयासों के सक्रिय भूमिका निभाई है।
प्रश्न 3. भारतीय विदेश नीति की मुख्य बातें क्या है ?
उत्तर- भारतीय विदेश नीति रंगभेद को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है तथा आर्थिक और सामाजिक असमानता को समाप्त करने के लिए वचनबद्ध है। भारत के लिए शांति का अर्थ केवल युद्ध की अनुपस्थिति ही नहीं अपितु संसार में समानता, न्याय, प्रगति और सुरक्षा की स्थापना है। भारत करोड़ों वचित लोगों की सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों के लिए कार्य करके शांति की जड़ों को मजबूत करने पर बल देता है। इस सोच के साथ भारत संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद् तथा संयुक्त राष्ट्र के विकासात्मक कार्यक्रमों, जैसे-विभिन्न आर्थिक और वित्तीय संस्थाओं के साथ कार्य करता है। भारत स्पष्ट और समान विश्व आर्थिक व्यवस्था की माँग का समर्थन करता है। भारत अनेक गरीब देशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. विश्व शांति को प्रोत्साहन देने के लिए भारत ने क्या प्रयास किए हैं ?
उत्तर- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) के एक सदस्य के रूप में भारत ने दक्षिण एशियाई देशों के साथ मिलकर एक व्यापक आर्थिक सहयोग का कार्यक्रम प्रारंभ किया है। भारत ने सदैव संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों में अपनी आस्था प्रकट की है। जब कभी भी संयुक्त राष्ट्र ने शांति स्थापना के लिए अपनी सेना गठित की, भारत ने अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराई। भारतीय सैनिकों ने कुछ कठिनतम सैनिक कार्यवाहियों में भाग लिया। कोरिया, मिस्र तथा कांगो में शांति स्थापित करने के लिए भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने सहायता की है। वास्तव में भारत ने चार महाद्वीपों में शांति की स्थापना के कार्यों में सहयोग दिया है, जिनमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान अफ्रीका तथा एशिया में था कोरिया, मिस्र तथा कांगो के अतिरिक्त 1969 में भारतीय सेना ने अपना एक पर्यवेक्षक दल यमन में भेजा। साईप्रस की कार्यवाही में भी भाग लिया। संयुक्त राष्ट्र ने ईरान तथा इराक की सीमा पर उत्पन्न स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए एक सैनिक पर्यवेक्षक दल बनाया। भारत ने 1988-90 के बीच सैनिक पर्यवेक्षक उपलब्ध कराए। नामीबिया में होने वाली संयुक्त राष्ट्र संघ की सैनिक कार्यवाही का सेना प्रमुख एक भारतीय सेना अधिकारी ही था। अनेक शांति अभियानों में शांति स्थापना के लिए किए गए प्रयासों में भारत ने अपने सैनिकों के जीवन को संकट में डालने का जोखिम लिया और सैनिकों ने भी हर कार्यवाही में अपने रणकौशल तथा श्रेष्ठता को सिद्ध किया।
प्रश्न 2. आप कैसे कह सकते हैं कि भारत का शांति का दृष्टिकोण व्यापक है ?
उत्तर- भारतीय लोगों का मूल विषय शांति रहा है। भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत का पालन करता रहा है। भारत सारे संसार को एक परिवार के रूप में देखता है। भारतीय सभ्यता का संपर्क संसार को जिस भी सभ्यता से हुआ है, विचारों का आदान-प्रदान बराबर होता रहा है। भारत की सभ्यता कभी भी संपर्क से दूर नहीं रही। ग्रीक, फारस, चीन और अन्य समा संपर्क में आने से भारत को बहुत लाभ पहुँचा है। प्राचीन भारत
में जन्म लेने वाले धमों ने विश्व एकता के विचार को प्रोत्साहित किया। इन धर्मों के प्रस्तावकों में जन्म लेने वाले धर्मो ने विश्व एकता के विचार को प्रोत्साहित किया। इन धर्मों के प्रस्तावकों ने सहनशीलता के शाश्वत मूल्यों, अहिंसा तथा लोगों के बीच भाई-चारे के नियमों को प्रोत्साहित किया। इन शिक्षाओं की स्वीकृति तथा इनके प्रति रुचि इस बात से सिद्ध होती है कि बौद्ध धर्म का प्रसार सुदूर भूमि तथा संसार के विभिन्न क्षेत्रों में हुआ।
वास्तव में इन परंपराओं के प्रभाव ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश के बाह्य दुनिया को देखने के नजरिए को तय किया।
प्रश्न 3. आतंकवाद की समस्याओं पर चर्चा कीजिए और इनसे लड़ने का उत्तम तरीका सुझाइए।
उत्तर- आज आतंकवाद की समस्या न केवल भारत अपितु संपूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती बना हुआ है। आज आतंकवादी नित्य नई घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। सन् 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर किए गए आतंकवादी हमले से यह राष्ट्र भी आतंकवादी हमले से सुरक्षित नहीं है। भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला और 26 नवम्बर 2010 की मुंबई आतंकवादी हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता। उनके अंदर मानवता नाम की कोई चीज नहीं होती। आतंकवाद से लड़ने का उचित तरीका यह है कि आतंकवाद का मुकाबला पूरी ताकत से करना चाहिए। जिन लोगों को आतंकवादी गतिविधि में लिप्त पाया जाए। उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
प्रश्न 4. उन दो तरीकों का वर्णन कीजिए, जिनसे भारत संसार में शांतिपूर्ण वातावरण पैदा कर सकता है।
उत्तर- भारत संसार में शांतिपूर्ण वातावरण के निर्माण में प्रयत्नशील है। सदैव पंचशील के सिद्धांतों में विश्वास रखता आया है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन अथवा संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से संसार में शांतिपूर्ण वातावरण बनाने का प्रयास करता रहा है। हम अपने पड़ोसी देशों को मित्रता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में सहयोग करने का प्रस्ताव रख सकते हैं। विश्व शांति के लिए हम महाशक्तियों को ध्यान में रखते हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन को मजबूत बनाने में सहयोग दे सकते हैं। गुटनिरपेक्षता शांति स्थापना के प्रयासों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
प्रश्न 5. भारत की विदेश नीति के चार प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत लिखिए।
उत्तर- भारत की विदेश नीति के मुख्य उद्देश्य और सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
(i) संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों में आस्था जब कभी भी संयुक्त राष्ट्र ने शांति स्थापना के लिए अपनी सेना संगठित की भारत ने अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराई है।
(ii) गुटनिरपेक्षता की नीति-भारत की विदेश नीति का मूल आधार गुटनिरपेक्षता है। उसने संसार को पंचशील, निःशस्त्रीकरण और गुटनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत दिए हैं।
(iii) शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति अपने पड़ोसी राष्ट्रों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से समस्याओं को हल करने की नीति पर विशेष बल दिया है।
(iv) रंगभेद नीति का विरोध भारतीय विदेश नीति रंगभेद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है तथा आर्थिक और सामाजिक समानता को समाप्त करने के लिए वचनबद्ध है जिससे संसार में समानता, न्याय प्रगति और सुरक्षा की स्थापना हो सके।
प्रश्न 6. भारतीय विदेश नीति पर स्वतंत्रता के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारत में लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों का शासन रहा। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए इस बीच निरंतर संघर्ष चलता रहा। स्वतंत्रता के पश्चात् अनेक अंग्रेज भारत में रह गए। इस विदेशी शासन का प्रभाव यह पड़ा कि भारत में अनेक लोग अंग्रेजी सौख गए। महात्मा गाँधी के नेतृत्व में लदे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में देखा जा सकता है। विदेशी साम्राज्य के विरुद्ध गया सफल संग्राम शांति और अहिंसा का प्रतीक बन गया। इस रणनीति ने सभी जगह स्वतंत्रताप्रिय लोगों, विशेषकर एशिया और अफ्रीका को प्रेरणा दी। संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग और दक्षिणी अफ्रीका के नेल्सन मंडेला ने अश्वेत लोगों के प्रति न्याय और समान व्यवहार के लिए लड़ने की प्रेरणा गाँधी के विचारों से ग्रहण की स्वतंत्र भारत में हमारे नेताओं को भार की नीति और विदेश मामलों को दिशा देने में गाँधी के विचारों से प्रेरणा मिली। इनमें प्रमुख प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। इन्होंने भारत को विश्व शांति का दूत बनाने के लिए हमारी विदेश नीति के लक्ष्यों और सिद्धांतों को साकार रूप दिया।

NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi

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