NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 26 पर्यावरण क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन (Environmental Degradation and Disaster Management) Question Answer in Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 26 पर्यावरण क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन (Environmental Degradation and Disaster Management)

TextbookNIOS
Class10th
Subjectसामाजिक विज्ञान (Social Science)
Chapter26
Chapter Nameपर्यावरण क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन
CategoryClass 10th सामाजिक विज्ञान
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 26 पर्यावरण क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन (Environmental Degradation and Disaster Management) Question & Answer In Hindi उपयुक्त रणनीति अपनाकर प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना ही आपदा प्रबन्धन कहा जाता है। आपदा प्रबन्धन प्रणाली के चार चरण है- कम करना, तैयारी, अनुक्रिया तथा पुनरुत्थान। हैं जो खतरों को आपदा बनने से रोकते हैं तथा जब आपदा आ जाती है तो उसके प्रभाव को कम करने से है।

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 26 पर्यावरण क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन (Environmental Degradation and Disaster Management)

Chapter – 26

पर्यावरण क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन

प्रश्न – उत्तर

पाठांत प्रश्न

प्रान 1. पर्यावरण से क्या तात्पर्य है ? एक उदा की मदद से इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण’ शब्द का अर्थ है-वे सभी तत्त्व प्रक्रियाएँ पाएँ जो अपने अंतसंबंधों के साथ हमारे चारों ओर है। यह सभी दशाओं और प्रभावाओं का कुल योग है. किसी भी जीव विकास को प्रभावित करता है। पेड़-पौधे, परिवेश इत्यादि पर्यावरण के उदाहरण है।
प्रश्न 2. विनाश के आधार पर पर्यावरण को वर्गीकृत उन्हें अपने परिवेश से उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर- पर्यावरण को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया
1. प्राकृतिक पर्यावरण. 2. मानव निर्मित पर्यावरण।
1. प्राकृतिक पर्यावरण- प्राकृतिक पर्यावरण में वे सभी और अजैविक वस्तुएँ हैं, जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से जाती है। इसमें रहने की जगह प्रकृति शामिल है। यह रहने जगह भूमि या समुद्र हो सकती है अथवा यह मिट्टी या हो सकता है। प्राकृतिक पर्यावरण में दोनों जैविक और घटकों को शामिल किया जाता है, क्योंकि ये सभी अकृतिक रूप से विरिक्त हुए है।
2. मानव-निर्मित पर्यावरण मानव निर्मित पर्यावरण में सभी वस्तुएँ सम्मिलित हैं जिनका निर्माण मनुष्य ने अपने लिए किया है। मनुष्य उन सभी आस-पास की चीजों | करता है जो मानवीय अनुक्रियाओं के लिए आवश्यक उदाहरणार्थ मकान, सड़कें, स्कूल, अस्पताल, रेलवे लाइन, और पार्क आदि सभी मानव निर्मित पर्यावरण के घटक है।
प्रश्न 3. पर्यावरण प्रकृति में गतिशील है और बदलता रहता है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण कभी स्थिर नहीं रहता। इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषताओं में से एक इसकी गतिशीलता है। यह लगातार बदल रहा है। पर्यावरण एक स्थान से दूसरे स्थान तथा ऐतिहासिक रूप से एक समय से दूसरे समय में भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, हिमालय का पर्यावरण वृहत् भारतीय मरुस्थल से भिन्न है और वह भी वर्षों और दशकों के साथ बदल रहा है। मानव आवास में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए है। गगनचुंबी इमारतों का दौर-सा चल पड़ा है। ये इमारतें 20 साल पहले नहीं थीं। बहुत से गाँव कस्बों, शहरों और महानगरों में बदल गए। परिवहन और संचार के साधनों में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। सभी परिवर्तन और विकास पर्यावरण की गतिशील प्रकृत को दर्शाते हैं।
प्रश्न 4. पर्यावरण के महत्व की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण हमारे कल्याण और अस्तित्व के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह रे जीवन का आधार है। वास्तव में यह मानव सहित सभी जीवों की वृद्धि, विकास और उनके जीवन को प्रभावित करता है। हमारी सभी प्रकार की आवश्यकताएँ पर्यावरण से पूरी होती हैं। यह जीवन के लिए बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करता है और असंख्य जीवों का भरण-पोषण करता है। संसार की सारी छोटी-बड़ी चीजें पर्यावरण पर निर्भर हैं। इतना ही नहीं पर्यावरण वायुमंडलीय संरचना को बनाए रखता है और सौर विकिरण के हानिकारक प्रभावों से पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों की रक्षा करता है।
प्रश्न 5. पर्यावरण क्षरण को परिभाषित कीजिए। पर्यावरण क्षरण के कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण क्षरण वह प्रक्रिया है जो हमारे पर्यावरण अर्थात् वायु, जल और भूमि का उत्तरोत्तर प्रदूषण और अतिदोहन द्वारा नष्ट होना है। जब पर्यावरण की उपयोगिता घट जाती है या क्षतिग्रस्त हो जाती है, तब उसे पर्यावरणीय क्षरण कहा जाता है। पर्यावरणीय क्षरण के कारक निम्नलिखित हैं- सामाजिक कारक-
1. बढ़ती जनसंख्या बढ़ती जनसंख्या किसी देश का सबसे बड़ा संसाधन है और उसके विकास में हत्त्वपूर्ण योगदान देने वाला है लेकिन इसके बावजूद भी यह पर्यावरणीय क्षरण का सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि इसकी तीव्र
वृद्धि से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। विशाल जनसंख्या विशाल कचरे का उत्पादन करती है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होती है।
2. गरीबी-गरीबी पर्यावरण क्षरण का कारण भी है और परिणाम भी गरीब लोग अमीर लोगों की अपेक्षा प्राकृतिक | संसाधनों का अधिक उपयोग करते हैं। वे इससे अपनी झोपड़ियों तथा खाना इत्यादि बनाने में इसका प्रयोग करते हैं। संसाधनों का | अधिक उपयोग पर्यावरण का अधिक क्षरण करता है।
3. नगरीकरण नगरीकरण भी पर्यावरण क्षरण का प्रमुख उत्तरदायी कारणों में से एक है। शहरीकरण की तेज गति, जंगलों के घटने और अन्य संसाधनों के विवेकहीन इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार है।
आर्थिक कारण-1. औद्योगीकरण- पर्यावरणीय क्षरण का प्रमुख कारण तीव्र औद्योगीकरण भी है। औद्योगीकरण की वर्तमान गति से प्राकृतिक संसाधन, जैसे- जीवाश्म ईंधन खनिज और लकड़ी घट रही है और जल, वायु और भूमि प्रदूषित हो रही है। ये सभी परिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुँचा रहे हैं।
2. आर्थिक विकास आर्थिक विकास का प्रतिरूप भी पर्यावरणीय समस्याओं को पैदा कर रहा है। आर्थिक विकास की गति संसाधनों पर भारी दबाव डाल रही है। संसाधनों का विवेकहीन उपयोग और उनका अपव्यय पर्यावरण की अवनति के लिए उत्तरदायी है।
प्रश्न 6. पर्यावरण को क्षरण से बचाने के लिए कोई तीन उपाय बताइए।
उत्तर- पर्यावरण को क्षरण से बचाने के उपाय-
(i) परिहितैषीय एवम् जैव निम्नीकरणीय वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।
(ii) प्लास्टिक पैकिंग एवम् उसके उपयोग को रोक लगा देनी चाहिए और इसके स्थान पर कागज और कपड़े की तरह अधिक परंपरागत पैकिंग का उपयोग करना चाहिए।
(iii) परिहितैषीय रेफ्रीजेरटर और एयर कंडीशनिंग के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
प्रश्न 7. मनुष्य के किन्हीं दस कार्य-कलापों की सूची बनाइए जिनसे वह पर्यावरण का क्षरण कर रहा है।
उत्तर- (1) आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए संसाधनों का अत्यधिक उपयोगी।
(i) तीव्र गति से बढ़ता औद्योगीकरण पर्यावरण क्षरण का प्रमुख घटक है।
(iii) फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ और कचरों से जल तथा वायु दोनों प्रदूषित हो रहे हैं।
(iv) बहुत सारी कृषि पद्धतियाँ विशेषकर कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने वाले रसायनों से पर्यावरण का क्षरण हो रहा है।
(V) उर्वरकों और कीटनाशकों का व्यापक उपयोग जल निकायों के प्रदूषण और भूमि क्षरण का कारण बन रहा है।
(VI) घरों में उपयोग होने वाले रेफ्रिजेरेस्टर, एयर कंडीशन से निकलने वाली गैसें सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं।
(vii) आधुनिक उपकरणों के अधिक उपयोग से कार्बन मोनोआक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों का रिसाव होता है जो वायुमंडल में मिलकर वैश्विक तापन का कारण बनता है।
(Viii) गरीबों द्वारा झोपड़ियों और खाना इत्यादि बनाने में प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण का क्षरण हो रहा है।
(ix) बढ़ती जनसंख्या ने पर्यावरण को अत्यधिक प्रदूषित किया है।
(x) विशाल जनसंख्या विशाल कचरे का उत्पादन करती है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है।
प्रश्न 8. उत्पत्ति के आधार पर आपदाओं का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर- आपदाएँ दो प्रकार की होती हैं-मानव निर्मित आपदा, तथा प्राकृतिक आपदा प्राकृतिक आपदा तब होती है। जब प्राकृतिक जोखिम मानव जीवन को प्रभावित करता है। मानवीय क्रियाओं, जैसे- लापरवाही, त्रुटि या एक प्रणाली की विफलता के द्वारा उत्पन्न आपदा को मानव निर्मित आपदा कहा जाता है। भोपाल गैस त्रासदी, हमारे देश में होने वाले भूस्खलन के कारण आई बाढ़, ऐसी आपदाओं के उदाहरण हैं।
प्रश्न 9. आपदा प्रबंधन का क्या अर्थ है ? हम आपदाओं के प्रतिकूल प्रभाव को कैसे कम कर सकते हैं ?
उत्तर- मानव निर्मित आपदाओं के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की दिशा में अपनाए गए उपायों को आपदा प्रबंधन कहा जाता है। आपदा में प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन प्रणाली ने चार चरण बनाए हैं-कम करना, तैयारी, अनुक्रिया तथा पुनरुत्थान।
(i) कम करना-मिटीगेशन का अर्थ होता है-ऐसा प्रयत्न जो खतरों को आपदा बनने से रोकता है तथा जब आपदा आ जाती है तो उसके प्रभाव को कम करने से हैं।
(ii) तैयारी-इसके अंतर्गत आसानी से समझ में आने वाली शब्दावली और विधियों के साथ संखर की योजना, उचित रख रखाव और आपात्कालीन सेवाओं का प्रशिक्षण, आपात्कालीन आश्रयों और निकासी की योजना का विकास, आपदा के लिए
(iii) अनुक्रिया जब आपदा आ जाती है। अनुक्रिया आप के तहत कारवाई की जाती है। इसके अंतर्गत आवश्यक आपात्कालीन सेवाओं और लोगों को संगठित करता है जो आपदा क्षेत्र में कार्य करने के लिए तैयार होते हैं।
(iv) पुनरुत्थान–पुनरुत्थान चरण का उद्देश्य प्रभावित को उसकी पहली जैसी दशा में लौटाना है।

अति लघु प्रश्न

प्रश्न 1. पर्यावरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण’ शब्द से तात्पर्य हमारे ईद-गिर्द मौजूद पर्यावरण को हमारे चारों ओ पाई जाने वाली तथा एक-दूसरे को प्रभावित करने वाली सभी सप्राण और निष्प्राण वस्तुओं के कृष् योग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
प्रश्न 2. प्राकृतिक संसाधनों के तेजी से घटने के क्या कारण हैं ?
उत्तर- हाल के वर्षों में जनसंख्या में विस्फोट के कारण प्राकृतिक संसाधनों के हमारे उपभोग की दर में वृद्धि हुई है तथा यह प्रकृति द्वारा सृजन या पुनर्जनन दर से अधिक हो गई है। यही कारण है कि प्राकृतिक संसाधनों के भंडार बड़ी तेजी से घट रहे हैं।
प्रश्न 3. पर्यावरण की गुणवत्ता लोगों को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर- कारखानों की चिमनियों से निकलने वाली धुएँ और मोटर वाहनों की निकास नालियों से निकलने वाले धुएँ से वायु की गुणवत्ता घट जाती है। यानि अगर वायु प्रदूषित हो जाती है। तब हमें साँस लेने में परेशानी होने लगती है। यदि वायु की- गुणवत्ता में हास बहुत अधिक है, तो विभिन्न बीमारियाँ फैलने लगती हैं।
प्रश्न 4. पारिस्थितिकी तंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- पारिस्थितिकी तंत्र वह तंत्र है जिसमें निरंतर अंतर्क्रिया करने वाले ताकि एक-दूसरे पर आश्रित घटक किसी एकीकृत समष्टि का निर्माण करते हैं। इसके घटकों की अंतक्रिया में ऊर्जा का प्रवाह और पदार्थों का चक्रण होता है। पारिस्थितिकी तंत्र में जीवन के लिए आवश्यक सभी पदार्थ विद्यमान रहते हैं।
प्रश्न 5. पर्यावरण प्रदूषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण के किसी घटक के प्राकृतिक संघटन परिवर्तन जिसके परिणामस्वरूप जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।
प्रश्न 6. वायु का प्रदूषण किन कारणों से होता है ?
उत्तर- जब वायुमंडल में धूल और कार्बन के कण रेडियो धर्मी पदार्थ सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसें जो प्रदूषक हैं, शामिल हो जाती हैं। इस प्रकार के प्रदूषक पदार्थ वायुमंडल को दूषित बना देते हैं जो प्राणियों को हानि पहुँचाते हैं।
प्रश्न 7. ध्वनि प्रदूषण क्यों हानिकारक है?
उत्तर- ध्वनि प्रदूषण पर्यावरण के लिए बहुत अधिक हानिकारक है। औद्योगिक विकास इंजनों के साथ-साथ शोर का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। वाष्प इंजनों, पेट्रोल इंजनों, कारखानों में मशीनों को चलाने, मोटर वाहनों के यातायात, रेडियो और टेलीविजन का शोर स्वास्थ्य और संचार संबंधी परेशानियाँ उत्पन्न करता है।
प्रश्न 8. प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न होने वाली हानियों को लिखें।
उत्तर- प्राकृतिक संसाधन के अविवेकपूर्ण और अंधाधुंध उपयोग का परिणाम ये है कि इनका तेजी से क्षय होता जा रहा है जो भावी पीढ़ी के लिए भोजन, जीवन पर इसका प्रबल प्रभाव पड़ेगा। मानव और अन्य प्राणियों का अस्तित्त्व खतरे में आ जाएगा।
प्रश्न 9. प्रदूषक किसे कहते हैं ?
उत्तर- पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले हानिकारक पदार्थ जो ठोस, तरल और गैसीय रूप में पाएँ जाते हैं. प्रदूषक कहलाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. हम किस प्रकार पर्यावरण को स्वच्छ रख सकते हैं ? दो उपायों को लिखें।
उत्तर- पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उपाय निम्नलिखित
(i) सबसे अधिक आवश्यकता जनसंख्या वृद्धि पर तत्काल रोक लगाने की है जो अनियंत्रित गति से बढ़ता जा रहा है।
(i) हमें अपनी जीवन शैली में अत्यधिक सुधार की आवश्यकता है. क्योंकि उच्च जीवनशैली से प्रदूषण का खतरा बढ़ता है।
प्रश्न 2. पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों को लिखें।
उत्तर- पर्यावरण प्रदूषक के प्रकार निम्नलिखित हैं-
(i) वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण वायु की गुणवत्ता में आई वह गिरावट है जो संपूर्ण पृथ्वी पर अपने दुष्प्रभाव डाल रही है।
(ii) जल प्रदूषण जल में अवाछित पदार्थों का इस हद तक बढ़ जाना कि जल हानिकारक हो जाए, जल प्रदूषण कहलाता है:
(iii) ध्वनि प्रदूषण वातावरण में ध्वनि के शोर इतना बढ़ जाना कि संचार व स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो जाए. ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।
प्रश्न 3. प्रदूषित जल से होने वाले दुष्परिणामों को लिखें।
उत्तर- आज जल प्रदूषण एक गंभीर खतरा बनाता जा रहा है। बदलती जीवनशैली और तीव्र औद्योगिकरण से इसे अत्यधिक प्रभावित किया। कारखानों से निकलने वाले कचरे, नदियों में अपशिष्ट पदार्थों के फेंकने के कारण समुद्र जल और नदियाँ प्रदूषित होते जा रहे हैं। जो कई गंभीर समस्याओं को जन्म रहे हैं। परंतु जल स्तर में आई गिरावट के कारण आज मनुष्य प्रदूषित जल पीने को मजबूर हो रहा है। प्रदूषित जल से अनेक बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है, जैसे-पेचिश, हैजा, हेपेटाइटिस, पीलीया इत्यादि। इसके अतिरिक्त जलीय प्रदूषण से जलीय जीव नष्ट हो जाएँगे। जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाएगा जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. प्राकृतिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर- प्राकृतिक पर्यावरण- प्राकृतिक पर्यावरण में वे सभी जीवित और अजैविक वस्तुएँ सम्मिलित हैं जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में पाई जाती है। इसमें रहने की जगह का प्रकृति शामिल है। यह रहने की जगह भूमि या समुद्र हो सकती है। अथवा यह मिट्टी या पानी हो सकता है। इसमें रासायनिक घटक और रहने की जगह के भौतिक गुणों, जलवायु और जीवों को किस्म भी शामिल है। प्राकृतिक पर्यावरण में दोनों जैविक और अजैविक घटकों को सम्मिलित किया जाता है, क्योंकि ये सभी प्राकृतिक रूप से विकसित हुए हैं।
मानव निर्मित पर्यावरण- दूसरी ओर मानव-निर्मित पर्यावरण में वे सभी वस्तुएँ सम्मिलित हैं जिनका निर्माण मनुष्य ने उपयोग के लिए किया है। मनुष्य उन सभी आस-पास की चीजों का निर्माण करता है जो मानवीय अनुक्रियाओं के लिए आवश्यक है। यह वस्तुएँ बड़े स्तर पर नगरपालिका की सीमाओं से लेकर व्यक्तिगत मकान हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मकान, सड़कें. स्कूल, अस्पताल, रेलवे लाइन, पुल और पार्क आदि सभी मानव-निर्मित पर्यावरण के घटक हैं।
प्रश्न 2. जीवन की गुणवत्ता किसे कहते हैं ? जीवन स्तर से इसकी भिन्नता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लोगों के जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा हो जाने के साथ-साथ यदि शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात एवं संचार तथा अन्य जन-सुविधाएँ भी मिलने लगें तो इसे जीवन की गुणवत्ता कहते हैं। जीवन की गुणवत्ता का अच्छा होना पर्यावरण की गुणवत्ता श्री निर्भर करता है, क्योंकि पर्यावरण की गुणवत्ता के अच्छे होने से हो जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है। यदि रण की गुणवत्ता खराब है तो जीवन की आवश्यकताओं में कमी आ जाती है तथा जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आ जाती भोड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता खराब होती है। इस प्रकार जीवन की गुणवत्ता तथा रहन-सहन के स्तर में अंतर होता है। रहन-सहन के स्तर को आय तथा उपभोग स्तर के आधार पर आंका जाता है। लेकिन जीवन की गुणवत्ता को ऐसा आंका नहीं जा सकता। यह संभव है कि कम आय तथा निम्न उपभोग स्तर वाले व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता अधिक आय तथा ऊँचे उपभोग स्तर वाले व्यक्ति से अच्छी हो।

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