NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व (Medieval World) Question Answer in Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व (Medieval World)

TextbookNIOS
class10th
SubjectSocial Science
Chapter2nd
Chapter Nameमध्यकालीन विश्व (Medieval World)
CategoryClass 10th NIOS Social Science (213)
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व (Medieval World) Question Answer in Hindi जिसमे हम मध्यकालीन इतिहास के जनक कौन है?, मध्यकालीन इतिहास के स्रोत कौन कौन से हैं?, मध्यकालीन इतिहास में नाम क्या था?, मध्यकाल में भारत क्यों प्रसिद्ध था?, मध्यकाल में भारत पर किसने शासन किया?, मध्यकाल की अवधि कितनी थी?, मध्य काल का दूसरा नाम क्या है?, मध्यकालीन भारत का पहला राजा कौन था?, भारत के प्रथम संस्थापक कौन है?, इंडिया का प्रथम नाम क्या था?, भारत में कितने साम्राज्य हैं?, भारत का नाम किसने रखा?, भारत के कितने टुकड़े हो चुके हैं?, भारत की फुल फॉर्म क्या है?, इंडिया का फुल फॉर्म क्या है? आदि के बारे में पढेंगे 

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व (Medieval World)

Chapter – 2

मध्यकालीन विश्व

प्रश्न – उत्तर

पाठांत प्रश्न

प्रश्न 1. चर्चा करें कि क्यों मध्यकाल एक उल्लेखनीय काल है। जिसका अध्ययन मानव समाज के क्रम-विकास को समझने के लिए जरूरी है।
उत्तर – मध्यकाल मानव समाज के क्रम-विकास का एक महत्त्वपूर्ण चरण है जिसका अध्ययन इसकी अपनी विशेषताओं के लिए किया जाना चाहिए। सिर्फ यही बात नहीं है, मध्यकाल की उपलब्धियाँ और गौरव आधुनिक काल की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम भी हैं। एक मायने में आधुनिकता की जड़ ‘मध्यकालीनता’ में है। मध्यकाल इस्लामी जगत् के लिए एक ऐसा काल था जब एक सभ्यता का जन्म हुआ और वह परवान चढ़ा और अपनी बुलंदियों पर पहुँचा। भारत में मध्यकाल मेलजोल और संश्लेषण का युग था। पुरानी और नई राजनीतिक, आर्थिक और व्यवस्थाएँ आपस में घुली-मिलीं। घुलने-मिलने और संश्लेषण की इस प्रक्रिया से सह-अस्तित्व और सहिष्णुता का एक अनूठा सांस्कृतिक रुझान उभरा जो मध्यकालीन भारत की पहचान बन गया। यूरोप में तस्वीर इतनी धुँधली नहीं थी जितनी की समझी जाती थी। बेशक, वहाँ मध्यकाल की शुरूआत में भौतिक और सांस्कृतिक उपलब्धियाँ थोड़ी कम थीं। लेकिन बाद में यूरोपवासी ने अपने जीवन-स्तर में बहुत सुधार किया। उन्होंने ज्ञान-विज्ञान की नई संस्थाएँ और चिंतन की नई प्रणालियाँ विकसित कीं और वे साहित्य एवं कला में बहुत उन्नत स्तर पर पहुँचे। दरअसल उस समय जो विचार उभर कर आए, उन्होंने सिर्फ यूरोप को रूपांतरित किया, अपितु बाद में शेष दुनिया को भी प्रभावित किया।

प्रश्न 2. रोमन साम्राज्य के पतन के बाद पश्चिमी यूरोप के राजनीतिक और आर्थिक जीवन में होने वाले परिवर्तनों प्रायद्वीप की चर्चा करें।
उत्तर – ऐसे समय में जब पश्चिमी यूरोप बहुत पिछड़ी हुई स्थिति में था, यूनानी भाषा के लोगों की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्थाएँ, जो बहुत महत्त्वपूर्ण थीं, समाप्त हो गईं। जर्मनी में ही थे जो जो नए शासक आए, उन्होंने पुरानी व्यवस्थाओं के स्थान पर नई व्यवस्थाएँ नहीं स्थापित की। रोमन और जर्मन समाज एक-दूसरे के संपर्क में आए और एक-दूसरे में घुल-1 इस समय नई राजनीतिक और आर्थिक स्थितियों के कारण एक नवीन समाज का जन्म हुआ। इस नवीन समाज की सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था सामंतवाद थी। सामंतवाद, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संगठन की एक पद्धति है, जो यूरोप के मध्यकाल की एक विशेषता बनी। रोमन भू-स्वामियों, कुलीनों और ताकतवर लोगों ने राज्य की सत्ता पर कब्जा कर लिया। नवीं शताब्दी में उन्हें राजनीतिक और न्यायिक अधिकार प्राप्त हो गए।

राजनीतिक प्रभुत्व का संगठन सामने आया। इसमें शीर्ष पर था राजा और फिर अर्ल और ड्यूक । छोटे सामंत जिन्हें बैरन कहते थे और उनके नीचे थे-नाइट । नाइट सामंत निम्नतम श्रेणी में आते थे। सिर्फ सामंत राजा से अपना अधिकार पाते थे, परंतु दिशा में इस व्यवस्था में राजनीतिक सत्ता विकेंद्रित थी। सामंत और मातहत के मध्य रिश्ता बनाने के लिए एक अनुष्ठान किया जाता लेखनीय था। जागीर जीवनभर सामंत को अपनी सेवा प्रदान करने का प्रण लेता था और वह सामंत का संरक्षण प्राप्त करता था।

प्रश्न 3. इस्लाम की प्रमुख शिक्षाओं की चर्चा करें।
उत्तर – इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद साहिब थे। उनका जन्म करीब 570 ई० में कुरैश कबीले में हुआ। 40 वर्ष की आयु में उन्हें नबुवत प्राप्त हुई। उन्होंने अरववासियों को बताया कि ईश्वर एक है और मोहम्मद ईश्वर के नबी हैं। मोहम्मद साहिब ने इस्लाम फैलाने में अथक परिश्रम किया। उन्हें उनके प्रयासों में सफलता मिली। कुरैश में बड़ी संख्या में लोग मुसलमान हो गए। इसके बाद काबा मुसलमानों का मुख्य धर्मस्थल बना। इस्लाम की शिक्षाएँ-इस्लाम की शिक्षाएँ बड़ी सीधी-साधी एवं सरल हैं। निम्नलिखित में इसका विवरण प्रस्तुत है-(i) इस्लाम का अर्थ है-धर्म की अधीनता और पालन अर्थात् ईश्वर के समक्ष संपूर्ण समर्पण करना।

(ii) इस्लाम के अनुसार ईश्वर एक है।
(iii) मोहम्मद साहेब आखिरी और महानतम पैगम्बर है।
(iv) पवित्र जीवन व्यतीत करना इस्लाम की शिक्षा का महत्त्वपूर्ण सार है।
(v) निश्चित समय पर नमाज और रोजा रखना चाहिए।
(vi) कुरान में बताए गई बातों पर अमल करना चाहिए।
(vii) कुरान के अतिरिक्त मोहम्मद साहेब के वचनों, आदशों और हदीस की शिक्षाओं पर अमल करना चाहिए।

प्रश्न 4. मध्यकालीन भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताओं की समीक्षा करें।
उत्तर – दिल्ली सल्तनत और साथ ही मुगल साम्राज्य किसानों के कृषिगत उत्पादन के अधिशेष था. जिसकी वसूली राजस्व के रूप में की जाती थी। मुगल साम्राज्य में खासकर अकबर के शासनकाल में राजस्व वसूली की पद्धति में दूरगामी परिवर्तन किए गए। अब राज्य और किसान या जागीरदार जैसे भू-स्वामी वर्ग के साथ कोई मनमाना संबंध नहीं रहा। जमीन की अब पैमाइश की गई और उसके रकबे के मुताबिकभू-राजस्व विघटित किया गया। जमीन की उर्वरता का भी हि साब रखा गया। उसके बाद बाज़ार की तत्कालीन कीमत के आधार पर राज्य के हिस्से का नकद मूल्य आँका गया। इसी के अनुरूप नकद के रूप में राजस्व तय किया गया। यह कृषि का वाणिज्यीकरण का दौर था और राज्य नकदी फसल को बढ़ावा देता था। राज्य ने इन इलाकों में भी खेती को बढ़ावा दिया जहाँ उस वक्त तक खेती नहीं होती थी या जंगल थे। उसने उद्यमी किसानों को प्रोत्साहन दिए। राज्य ने फसल नष्ट होने पर कर्ज दिए, और राजस्व वसूली में राहत दी।मुगलों ने जो राजनीतिक स्थिरता और अपेक्षाकृत शांति का वातावरण स्थापित किया था। उससे राज्य के किन्हीं दो शहरों के बीच का स्तर जाँचा था और उसमें ईमानदारी बरतें थी। सेठ, बोहरा और मोदी लंबी दूरी का व्यापार करते खासकर खाद्य पदार्थों का व्यापार करते थे।हुए थी जिसकी अदायगी बाद में एक तय जगह पर की ज थी। इसने देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक लाने ले जाने में मदद की, क्योंकि इसने दूर के इलाकों में का संचालन आसान बना दिया।
प्रश्न 5. व्याख्या करें- “मध्य कालीन भारतीय संस्कृति परंपराओं के एक सामंजस्यसपूर्ण संश्लेषण का प्रतिनिधि करती है। “
उत्तर – धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में मध्यकाल में परंपरायँ आपस में बहुत घुली-मिली थीं। धर्म के क्षेत्र में भक्ति और सूफ़ी आंदोलन इसकी मिसालें हैं। भक्ति आंदोलन ने भक्तिगत उपासना और भक्ति से भगवान् के साथ आत्मसात् होने पर जोर दिया यह आम लोगों की दैनिक जीवन से जुड़ा। इस कर्मकांडो और बलि के स्थान शुद्धता और भक्ति पर जोर दिया। इसने जाति व्यवस्था और ब्राह्मणों के एकाधिकार पर सवालिया निशान लगाए।रामानंद, कबीर, रविदास, मीराबाई, गुरुनानक, तुकाराम और चैतन्य जैसे भक्ति आंदोलन के संतों ने जनमानस पर गहरा प्रभाव  डाला जो आज भी जारी है। इनमें से कई ऐसे थे जिनके बड़ी संख्या में भक्त बने। उदाहरण के लिए, गुरुनानक का प्रभाव पंजाब के लोगों पर था। उनके भक्तों का एक अलग पंथ बन गया जो सिक्ख धर्म कहलाया और इस पंथ को जानते। वाले लोगों को सिक्ख कहा जाने लगा। इसी तरह सूफियों ने भी अकीदत और प्यार पर जोर दिया। उन्होंने सहिष्णुता और करुणा पर जोर दिया।सूफ़ी खासकर चिश्ती सिलसिले के सूफ़ी राज-पाट पार्थिव और भौतिक चीजों से अलग-थलग रहे। उन्हारे बेहद  सादी जिंदगी बिताई और आमजन के दुःखों और चिंताओं में भागीदारी निभाई। नतीजतन आम लोगों, हिंदू-मुसलमान दोनों पर उनका जबर्दस्त प्रभाव था। सूफ़ी और भक्ति आंदोलन के बीच बहुत संपर्क रहा। दोनों ने दार्शनिक विचारों का खूब आदान-प्रदान किया। वास्तव में दोनों परपराओं ने हिंदूओं और मुसलमा के बीच सेतु का काम किया।भाषा, साहित्य, वास्तुकला, संगीत और नृत्य पर भी विभिन्न परंपराओं के संश्लेषण की इस प्रक्रिया का प्रभाव पड़ा, जहाँ फारसी और संस्कृत फली-फूली। इस काल का उल्लेखनीय विकास क्षेत्रीय भाषा का आगे बढ़ना रहा

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मध्यकाल का अध्ययन क्यों किया जाना आवश्यक है ?
उत्तर – क्योंकि मध्यकाल मानव समाज के क्रम-विकास का एक महत्त्वपूर्ण चरण है। इसलिए इसका अध्ययन उसकी अपनी विशेषताओं को जानने के लिए किया जाना चाहिए।
प्रश्न 2. सामंतवाद किसे कहते हैं ?
उत्तर – मध्यकाल में राजनीतिक-पुथल से एक नई किस्म की राजनीतिक व्यवस्था का जन्म हुआ, जिसे सामंतवाद कहते हैं।
प्रश्न 3. मध्यकालीन भारतीय अर्थव्यवस्था की चार विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – मध्यकालीन भारतीय अर्थव्यवस्था की चार विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) उस काल में सड़कों का एक बड़ा जाल अस्तित्व में आया जिससे व्यापार में मदद मिली।
(ii) तटीय व्यापार खूब फला-फूला।
(iii) उस काल में व्यापार का स्तर ऊँचा था और उसमें ईमानदारी बरती जाती थी।
(iv) मुगलों ने राजनीतिक स्थिरता और शांति का वातावरण बनाए रखा।
प्रश्न 4. इस्लाम के उदय होने से पहले अधिकतर अरब वासी क्या थे ?
उत्तर – इस्लाम का उदय होने से पहले अधिकतर अरब वासी बदु थे। बदु का अर्थ है-ऊँट पर घूमने वाले चरवाहे।
प्रश्न 5. अरब के बदुओं की जीविका पार्जन का मुख्य साधन क्या था ?
उत्तर – अरब के बद्दुओं की जीविकोपार्जन का मुख्य साधन पशुओं का दूध और खजूर था।
प्रश्न 6. अरब के दो पड़ोसी साम्राज्य कौन थे ?
उत्तर – अरब के दो पड़ोसी साम्राज्य रोमन और ईरानी थे।
प्रश्न 7. मक्का शहर क्यों प्रसिद्ध था ?
उत्तर – क्योंकि वह आर्थिक स्थलों का केंद्र था और व्यापार के कुछ प्रमुख मार्ग भी थे।
प्रश्न 8. काबा पर किसका नियंत्रण था ?
उत्तर – काबा पर कुरैश कबीले का नियंत्रण था।
प्रश्न 9. मोहम्मद साहेब का जन्म किस कबीले में
उत्तर – मोहम्मद साहेब का जन्म कुरैश कबीले में हुआ था।
प्रश्न 11. ‘इस्लाम’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर – ‘इस्लाम’ शब्द का अर्थ है-धर्म की अधीनता और पालन अर्थात् ईश्वर के समक्ष पूर्ण आत्मसमर्पण करना।
प्रश्न 12. इस्लाम धर्म की मुख्य शिक्षा क्या है ?
उत्तर – इस्लाम धर्म की मुख्य शिक्षा है-
(i) अल्लाह एक है।
(ii) मोहम्मद अल्लाह के नबी हैं।
(iii) एक दिन कयामत आएगी और नेक तथा अच्छे लोगों
को जन्नत मिलेगी और बुरे काम करने वालों को जहन्नूम की आग में झुलसना होगा।
प्रश्न 13. अबुबक्र के बाद इस्लाम धर्म के खलीफा कौन बने ?
उत्तर – उस्मान अबुबक्र के बाद खलीफा बने।
प्रश्न 14. अरब बहुत कम समय में एक शक्तिशाली राज्य कैसे स्थापित कर सके ?
उत्तर – धर्म ने अरबों को एकता में बाँध रखा। युद्ध में लूटी गई दौलत पाने, मज़हबी जोश और इस्लाम के प्रसार ने अरबों
को एक शक्तिशाली राष्ट्र बना दिया। वैजंतिया और फारस राज्य
की कमजोरी भी अरबों के लिए सहायक सिद्ध हुई।
प्रश्न 15. इस्लाम धर्म का विभाजन क्यों हुआ ?
उत्तर – खलीफा उमर के बाद उस्मान खलीफा बने, उनकी हत्या कर दी। अब पैगम्बर के दामाद अली को खलीफा बनाया गया। अली की हत्या कर दी गई। लेकिन अली के अनुयायियों ने एक अलग पंथ बना लिया और वह शिया कहलाए।
प्रश्न 16. उलेमा कौन थे ?
उत्तर – उलेमा विद्वान लोग थे और धर्म और धार्मिक कानूनों के तमाम पहलुओं पर सलाह देते थे। वे परंपरा का पालन करते थे।
प्रश्न 17. सूफ़ी कौन थे ?
उत्तर – सू.फी धार्मिक सहस्यवादी थे जो ध्यान और हाल पर जोर देते थे। वे लोगों की जिंदगी को गहराई से छूने में सफल रहते थे।
प्रश्न 18. इस्लामी दर्शन का क्या आधार था ?
उत्तर – इस्लामी दर्शन पुराने यूनानी दर्शन के अध्ययन पर आधारित था। बुद्धिवाद और विवेकशीलता में यकीन रखने वालेमुस्लिम दार्शनिकों को एक तबके ने यूनानी दर्शक को आगे बढ़ाया।
प्रश्न 19. तपेदिक रोग की प्रकृति को किसने खोजा ?
उत्तर – अबीसीनिया के नाम से मशहूर  इब्नसीना ने तपेदिक की संक्रामक प्राकृतिक की खोज की उन्होंने स्नायु तंत्र की अनेक बीमारियों का जीक्र किया।
प्रश्न 20. खसरा और चेचक में अंतर बताने वाले चिकित्सक का नाम क्या था ?
उत्तर – अल-राजी ने खसरा और चेचक में फर्क खोजा।
प्रश्न 21. इस्लामी वैज्ञानिकों की विज्ञान के क्षेत्र में क्या उपलब्धियाँ थीं ?
उत्तर – इस्लामी भौतिक शास्त्रियों ने प्रकाश विज्ञान की नींव रखी। प्रकाश की गति, प्रेक्षण और प्रवर्तन के बारे में महत्त्वपूर्ण निर्णय निकाले।
प्रश्न 22. रसायन शास्त्र के क्षेत्र में इस्लामी वैज्ञानिकों की उपलब्धि बताइए ।
उत्तर – इस्लामी वैज्ञानिकों ने सोडा बाईकार्बोनेट, फिटकरी, शोरा, नमक का तेजाब, नाइट्रिक अम्ल और सिल्वर नाइट्रेटी
प्रश्न 23. भारत में राजनीतिक विकेंद्रीकरण का दौर कब आरंभ हुआ ?
उत्तर – विकेंद्रीकरण का दौर दसवीं शताब्दी के बीच आरंभ हुआ।
प्रश्न 24. ‘इक्ता’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – दिल्ली सल्तनत काल में सैनिक कमांडरों को ‘इक्ता’ दिया जाता था। इक्ता क्षेत्रीय इकाई है, लेकिन इक्ताधारकों को ज़मीन का मालिकाना हक नहीं सौंपा जाता था। अपने क्षेत्र के राजस्व पर उनका नियंत्रण था। यह राजस्व इक्तादार को अपनी आवश्यकताओं व सैनिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिया जाता था। हैं ?
प्रश्न 25. कुस्तुनतुनिया के विषय में आप क्या जानते
उत्तर – रोमन सम्राट काँस्टेटाइन ने 330 ई० में वैजंतिया को पुराने शहर में पूर्वी क्षेत्रों की राजधानी स्थापित की। नई राजधानी को कुस्तुनतुनिया के नाम से जाना गया।
प्रश्न 26. रोमन साम्राज्य का तख्तापलट कब हुआ ?
उत्तर – 476 ई० में विभिन्न जर्मनिक कबीलों ने रोमन साम्राज्य का तख्तापलट कर दिया।
प्रश्न 27. सामंतवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – सामंतवाद सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संगठन की वह पद्धति है जो यूरोप के मध्य काल की एक विशेषता बनी।
प्रश्न 28. भक्ति आंदोलन से संबंध रखने वाले पाँच संतों के नाम बताइए।
उत्तर – भक्ति आंदोलन से संबंध रखने वाले पाँच संत हैं-रामानंद, कबीर, रविदास, मीराबाई, गुरुनानक और तुकाराम
प्रश्न 29. मध्यकाल को ‘अंधकार युग’ क्यों नहीं कह सकते ?
उत्तर – मध्यकाल को एक अंधकारमय काल नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इस दौरान विश्व के अनेक हिस्सों में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण विकास हुआ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सामंती अर्थव्यवस्था में कृषि में क्या परिवर्तन में वृद्धि हुई। परंतु ग्राम सेवा में गिरावट आने से कृषि उत्पादन हुए ?
उत्तर – रोमन साम्राज्य के पतन के बाद यूरोप में कुछ वर्षों तक आर्थिक जीवन निम्न स्तर का था, लेकिन शहरों का अस्तित्व बना रहा। धीरे-धीरे वस्तु विनिमय प्रणाली का स्थान मुद्रा ने ले लिया। दसवीं शताब्दी तक यूरोप में निर्धनता व्याप्त थी। दसवीं शताब्दी में उत्पादन की नई पद्धति विकसित हुई। उत्पादन की मंती व्यवस्था में स्थिरता पाई गई। कृषि तकनीक में सुधार हुए जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई। पुराने हल जिसे अरेट्रम कहते थे, उसका स्थान एक नए हल ने जिसे चैरयू कहते हैं, ने ले लिया. यह पहियों से चलने वाला हल था जिसे बैलों द्वारा खींचा जाता था। जमीन के तिहाई हिस्से को खाली छोड़ दिय जाता था। नई कृषि प्रणाली और तकनीक में सुधार से कृषि उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि हुई।
प्रश्न 2. सामंती व्यवस्था में सैन्य सहायता किस प्रकार प्रदान की जाती थी ?
उत्तर – संरक्षण के बदले जागीरदार अपने सामंत को कई प्रकार की सेवाएँ देता था। सामंत को जब भी आवश्यकता पड़ती थी, उसे एक संख्या में सैनिकों की आपूर्ति करनी पड़ती थी। इसके बदले सामंत उसे अनुदान देता था जो प्रायः मातहत और उसके सैनिकों के भरण-पोषण के लिए जमीनें होती थीं। इस अनुदान को ‘फ्रीक’ या ‘फ्यूडम’ कहते थे। इसी से ‘फ्यूडलिज्म’ शब्द विकसित हुआ। सामंत अपने क्षेत्र में सेनाएँ बनाते रहते, थे जो आवश्यकता के समय अपने उच्च सामंत को सैन्य समर्थन, देते थे। इस सैन्य बल के कारण सामंत अपने इलाके के पूर्ण मालिक बन बैठे।
प्रश्न 3. मध्यकाल में यूरोप के आर्थिक क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख करें।
उत्तर – मध्यकाल में यूरोप के व्यापार में अत्यधिक प्रगति हुई। शराब और कपास जैसी वस्तुएँ दूर-दूर स्थानों में भेजी जाने लगीं। शहरों का तेजी से विकास होने लगा। शहरों में उद्योग धंधे लगाए जाने लगे। वस्त्र निर्माण शहरों का एक महत्त्वपूर्ण उद्योग बन गया। व्यापारियों और शिल्पकारों के संगठन मजबूत होने लगे। तेहरवीं शताब्दी तक सामंती व्यवस्था में उल्लेखनीय परितर्वन आ गए। सामंतों ने डीमेन के एक बड़े हिस्से को छोटी-छोटी जोतों में बाँट दिया और किसानों को भाड़े पर दे दिया। डीमेन समाप्त हो गए और किसानों से श्रम सेवा वसूलने को तरीका भी समाप्त हो गया। अब सामंत श्रम के स्थान पर मुद्रा था। वस्तु के रूप में लगान की माँग करने लगे। व्यापार में गिरावट आ गई।
प्रश्न 4. मुगल काल में राजस्व वसूली का क्या प्रावधान- था ? बताएँ।
उत्तर – मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में राजस्व वसूली की पद्धति में परिवर्तन किए गए। राज्य और किसान के बीच नया संबंध स्थापित हुआ। ज़मीन की मापतोल की गई और उसके क्षेत्रफल के अनुसार भू-राजस्व निर्धारित किया गया। ज़मीन उर्वरता का भी हिसाब रखा गया। बाज़ार की तत्कालीन कीमत के आधार पर उत्पादन में राज्य में हिस्से का नकद मूल्य आँका गया। इसी के अनुसार नकदी में ही राजस्व गया। राज्य नकदी फसलों को बढ़ावा दिया कर किया नष्ट होने पर कर्ज दिए जाते थे और राजस्व वसूली में राहत दी जाती थी।
प्रश्न 5. मुगलों के आगमन के पश्चात् भारत में होने पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। सूफी संतों के अकीदत और प्यार पर जोर दिया। सूफी संत सादे जीवन व्यतीत करने पर जोर देते.
उत्तर – मुगलों के आगमन न एक नए युग की शुरुआत थे। आम आदमी के दुःखों और चिंताओं को कम करने में उन्होंने की। राजनैतिक एकीकरण और एक लम्बे समय तक शांति और काम किया। हिंदू और मुसलमान दोनों पर ही उनका प्रभाव पड़ा। स्थिरता से आर्थिक प्रगति और खुशहाली आई। सामाजिक और दार्शनिक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। फारसी संस्कृति और सांस्कृतिक स्तर पर उदारता, सहनशीलता और एकता की भावना क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ। इनमें अनेक अमूल्य ग्रंथों की बढ़ती गई। कला की विभिन्न विधाओं में भारतीय और मुस्लिम रचना की गई। कला का सम्मिश्रण देखने को मिला। स्थापत्य, चित्रकारी, साहित्य कला और धार्मिक वातावरण समन्वय की भावना देखने को मिली। यद्यपि दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य जैसे एकीकृत साम्राज्य भी थे, पर साथ-ही-साथ कुछ स्वतंत्र राज्यों के भी अस्तित्व मौजूद था। बंगाल में इल्यासशाही और हुसैनशाही वंश, असम के अहोम, उड़ीसा गणपति वंश और राजस्थान में मेवाड़ और मारवाड़ वंश तथा जौनपुर के शासक स्वतंत्र थे।
प्रश्न 6. मध्यकाल के धार्मिक आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में मध्यकाल में विशेष परिवर्तन हुए। भक्ति आंदोलन की लहर ने जनमानस में ईश्वर भक्ति और आत्मशुद्धि का संदेश दिया। भक्ति आंदोलन उपासना और भक्ति द्वारा ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग सुझाया। इससे कर्मकांड और बलि के स्थान पर शुद्धता और भक्ति पर जोर दिया। जाति व्यवस्था और ब्राह्मण के अधिकार को अपना निशाना बनाया। रामानंद, कबीरदास, रविदास, मीराबाई, गुरुनानक आदि संतों और महात्माओं ने जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला। गुरुनानक ने घूम-घूमकर ईश्वर की सत्ता का आभास कराया। उनका पंथ सिख धर्म कहलाया। सूफ़ियों ने भी अकीदत पर जोर दिया। सूफ़ी राज-पाट और भौतिक संपदा से दूर ही रहे। उन्होंने सादा जीवन व्यतीत किया। हिंदू और मुसलमानों दोनों पर ही उनका व्यापक प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 7. “मध्यकालीन भारत में धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में परंपराओं का सुंदर समन्वय हुआ।” किन्हीं दो उदाहरणों के साथ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में मध्यकाल में भारत में विभिन्न परंपराओं का मिलन हुआ। भक्ति और सूफ़ी आंदोलन इसके उदाहरण हैं। भक्ति आंदोलन ने उपासना और भक्ति पर जोर दिया और ईश्वर भक्ति को मानव जीवन के साथ जोड़ दिया। गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए भी मनुष्य ईश्वर से आराधना कर सकते हैं। कर्मकांड और बलि प्रथा का विरोध किया गया। रामानंद, कबीर, मीराबाई, गुरुनानक आदि ने भक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाया। संतों ने लोगों के हृदय पर बहुत अधिक प्रभाव डाला। गुरु नानक के विचारों का पंजाब के लोगों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। सूफी संतों के अकीदत और प्यार पर जोर दिया। सूफी संत सादे जीवन व्यतीत करने पर जोर देते थे। आम आदमी के दुःखों और चिंताओं को कम करने में उन्होंने काम किया। हिंदू और मुसलमान दोनों पर ही उनका प्रभाव पड़ा। दार्शनिक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। फारसी संस्कृति और क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ। इनमें अनेक अमूल्य ग्रंथों की रचना की गई।
प्रश्न 8. साहित्य के क्षेत्र में फारसी और संस्कृत भाषा समन्वय का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के मिलन से कला, वास्तुकला, संगीत, नृत्य आदि पर जहाँ गहरा प्रभाव पड़ा, वहाँ साहित्य पर भी प्रभाव देखने को मिलता है। साहित्यिक कृतियों में एक-दूसरे पर पड़ने वाले प्रभाव दिखाई पड़ते हैं। न केवल हिंदी बल्कि राजस्थानी, बंगाली, उड़िया और गुजराती भाषाओं पर इस समन्वय का प्रभाव पड़ा। इस समय जो रचनाएँ प्रसिद्ध हुईं, उनमें जायसी का पद्मावत, बंगाली में अलाल की रचना, एकनाथ और तुकराम की रचनाएँ मराठी में लोकप्रिय हुईं।
प्रश्न 9. मध्यकाल में यूरोप की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – मध्यकाल में रोमन साम्राज्य पश्चिमी और पूर्वी दो क्षेत्रों में बँट गया था। पश्चिमी प्रांतों की राजधानी रोम थी, जबकि कुस्तुनतुनिया पूर्वी प्रांतों की राजधानी बना। रोमन सम्राट ने 330 ई० में वैजंतिया को राजधानी बनाकर उसका नाम कुस्तुनतुनिया दे डाला। लेकिन पश्चिमी हिस्से में साम्राज्य के पतन के बाद भी एक हजार वर्ष तक रोमन साम्राज्य टिका रहा। जिस समय पश्चिमी यूरोप बहुत पिछड़ी हुई स्थिति में था, यूनानी भाषी लोगों की पूर्वी सभ्यता आर्थिक और सांज्ञकृतिक जीवन में बहुत ऊँचाई तक पहुँच गई। बाद में जर्मनिक कबीलों के हमलों से रोमन साम्राज्य का तख्ता पलट हो गया और अलग-अलग कबिलाई राज्य स्थापित हो गए। रोमन और जर्मनिक समाज एक-दूसरे के संपर्क में आए जिससे वहाँ एक नए प्रकार का समाज अस्तित्व में आया। इस समाज की सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था थी- सामंतवाद ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मध्यकालीन यूरोप के किसानों की स्थिति पर दिया। गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए भी मनुष्य ईश्वर से आराधना कर सकते हैं। कर्मकांड और बलि प्रथा का विरोध प्रकाश डालते हुए यह बताएँ कि वे किस प्रकार भू-दास
उत्तर – मध्यकालीन यूरोप की अर्थव्यवस्था कृषि पर भी ये सब भू-दास ही चलाते थे। किसानों को इन उपकरणों, रोमन अभिजात वर्ग की जीवन शैली प्रभावित हुई। अब वे भोग-विलास और ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत नहीं कर सकते थे। राजनीतिक हलचल और अशांति के इस दौर में किसानों ने भी संरक्षण प्राप्त करना चाहा। किसानों के पांस संसाधनों की कमी थी। उनके पास अपने खेत और खेतीबाड़ी के औजार नहीं थे। वे बीज खरीदने की भी स्थिति में नहीं थे। अतः मुक्त किसानों ने सामंतों के पास अपनी आजादी को गिरवी रख दिया और वे ज़मीन से बँध गए। बाद में ऐसे कानून बने जिनसे वे सामंतों को छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते थे। जब मुक्त किसानों ने शक्तिशाली रोमन भू-स्वामियों या जर्मनिक किसानों ने शक्तिशाली रोमन भू-स्वामियों या जर्मनिक सरदारों से संरक्षण माँगा तो उन्हें अपनी अपनी आज़ादी खोनी पड़ी। बड़े सामंतों की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति में वृद्धि होती चली गई। परिणामस्वरूप किसान पूरी तरह पूरी तरह कुलीन भू-स्वामियों के अधीन हो गए। इन सामंतों के पास राजनीतिक और न्यायिक अधिकार भी थे। इसका प्रयोग किसानों को झुकाने और ऊपर आश्रित करने में करते थे। इस प्रकार आश्रित किसान भू-दास बन गए।
प्रश्न 2. ‘मध्यकालीन अर्थव्यवस्था सामंतों द्वारा भू-दासों के शोषण पर आधारित थी।’ इस कथन की पुष्टि करते हुए भू-दासों की आर्थिक स्थिति बताएँ।
उत्तर – मध्यकाल में यूरोप की सामंती व्यवस्था में मुक्त किसान आर्थिक संसाधनों में कमी के कारण भू-दास बनकर रह गए। इस काल की अर्थव्यवस्था सामंतों द्वारा भू-दासों के शोषण पर आधारित थी। इस काल में संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा शोषण के द्वारा एकत्र किया गया था। सामंतों की नियंत्रण वाली भूमि मेनर कहलाती थी। मेनर तीन हिस्सों में बँटा होता था जिनमें एक हिस्सा डीमेन कहलाता था। संपत्ति का यह हिस्सा सीधे डीमेन के प्रबंध में होता था। मेनर के दूसरे भांगों में भू-दासों की जोत थी। इन्हें मेनर का काश्तकार माना जाता था। काश्तकार होने के नाते उन्हें सामंत की यह लगान श्रम सेवा के रूप में अदा करते थे। सप्ताह के कुछ दिन उन्हें डीमेन पर काम करना पड़ता था। खेती के दिनों में भू-दासों को अधिक मेहनत करनी पड़ती थी। इस प्रकार की बिना वेतन की सेवाओं में भवन निर्माण और ईंधन के लिए लकड़ियाँ काटने जैसे कठिन काम भी उन्हें करने पड़ते थे। भू-दास उपज का एक भाग कर के रूप में सामंत को देते थे। यह शुल्क बढ़ाया भी जा सकता था। सामंत का आटा चक्की सेठी के तंदूर और अंगूर पेटने के लिए कोल्हू भी ये सब भू-दास ही चलाते थे। किसानों को इन उपकरणों और मशीनों के प्रयोग के लिए मजबूर किया जाता था।

प्रश्न 3. मध्यकालीन यूरोप की समाज और संस्कृति के विषय को विस्तार पूर्वक परिभाषित कीजिए।
उत्तर – यूरोप में दसवीं शताब्दी से पहले शिक्षा कुछ ही लोगों को प्राप्त थी। कुलीन परिवारों के अधिकतर सदस्य अशिक्षित ही होते थे। केवल पुरोहित वर्ग के लोगों को थोड़ी शिक्षा प्राप्त होती थी। सीखने की पूरी प्रक्रिया पर धर्म का आधिपत्य था। विधान का विकास होने की संभावना कम थी। पुरोहित वर्ग के शिक्षा प्राप्त लोगों ने रोमन साहित्य की नकल की और उसका संरक्षण किया। शिक्षा के निम्न स्तर के कारण साहित्य में कोई उल्लेखनीय काम नहीं हुआ। लेकिन पाण्डुलिपियों के चित्रण और अलंकरण की एक नई शैली विकसित हुई। यूरोप में सांस्कृतिक उपलब्धियाँ कम थीं।

दसवीं शताब्दी के बाद शांति और खुशहाली का दौर आरंभ हुआ। इससे सांस्कृतिक जीवन में परिवर्तन आया और शिक्षा का विस्तार हुआ। विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। इस्लामी सभ्यता के संपर्क से ज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में प्रगति हुई। चर्च ने शिक्षा पर अपना एकाधिकार खो दिया। महिलाओं में भी शिक्षा का प्रसार हुआ और वे शिक्षा ग्रहण करने लगी

प्रश्न 4. इस्लाम धर्म के संस्थापक मोहम्मद साहेब के बारे में आप क्या जानते हैं ? विस्तारपूर्वक चर्चा करें।
उत्तर – मोहम्मद साहेब इस्लाम धर्म के संस्थापक थे। उनका जन्म करीब 570 ई० में कुरैश कबीले में हुआ था। इनके माता-पिता का बचपन ही निधन हो गया। इनकी परवरिश इनके चाचा ने की। बड़े होकर ये सौदागर बने। इन्होंने एक धनी, विधवा खदीजा के लिए व्यापार किया। बाद में इन्होंने खदीजा से विवाह कर लिया। 610 ई० में मुहम्मद साहेब एक धार्मिक, अनुभूति से गुज़रे जिसमें उन्होंने एक आवाज़ सुनी- अल्लाह एक है और उसके सिवा कोई भगवान् नहीं है। उस समय अरब वासी अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। अल्लाह को देवी-देवताओं से ऊपर माना जाता था। मोहम्मद साहेब के इस अलौकिक अनुभव के कारण इस बहुइश्वरवाद या अनेक देवी-देवताओं पर आस्था का स्थान एकेश्वरवाद ने ले लिया। उसके बाद उन्हें और भी कई आकाशीय संदेश मिले जो नए धर्म के आधार बने। पास के अन्य नगर यसकिब के लोगों ने उन्हें अपने यहाँ आमंत्रित किया।

622 ई० में मोहम्मद अपने अनुयायियों से यसकिब अथवा मदीना चले गए। इस काल को हिजरत कहते हैं। हिजरत के साल को इस्लामी कैलेंडर का पहला साल कहा- जाता था। मोहम्मद साहेब ने इस शहर का नाम मदीना रखा और धीरे-धीरे ये यहाँ के शासक बन गए और उन्होंने इस्लाम धर्म करते थे। सारी शक्तियाँ राजा के हाथ में केंद्रित थीं। सामत और

प्रश्न 5. इस्लामी सभ्यता की सांस्कृतिक और बौद्धिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – मोहम्मद साहेब से लेकर लगभग 15वीं शताब्दी तक इस्लामी संस्कृति और समाज बहुत गतिशील रहा और उसका संपर्क विभिन्न सभ्यताओं के साथ स्थापित हुआ और इस्लामी संस्कृति ने अपने को समृद्ध किया। अब्बासी शासन काल में इस्लामी संस्कृति विधा की विभिन्न शाखाओं में उन्नति के शिखर पर पहुँच गई। इस्लामी दर्शन पूराने यूनानी दर्शन पर आधारित था। मुस्लिम दार्शनिकों ने यूनानी दर्शन को आगे बढ़ाया।

चिकित्सा और खगोल शास्त्र के क्षेत्र में उन्होंने अच्छा काम किया। चिकित्सा शास्त्र में इब्नसीना ने तपेदिक की संक्रामक प्रकृति की खोज की। स्नायुयंत्र की बीमारियों का ज्ञान प्राप्त किया। अलराजी नामक चिकित्सक ने खसरा और चेचक में अंतर खोजा। कुछ इस्लामी चिकित्सकों ने अमाशय के कैंसर का इलाज खोजा। ज़हर की काट ओर आँख की बीमारियों के इलाज खोजे गए। इस्लाम भौतिक शास्त्रियों ने प्रकाश विज्ञान की नींव रखी। प्रकाश की गति, प्रेक्षण और प्रवर्तन के बारे में निष्कर्ष निकाले। रसायन शास्त्र के क्षेत्र में फिटकरी, शोरा, नमक का तेजाब, नाइट्रिक अम्ल और सिल्वर नाइट्रेट की खोज अरब विद्वानों ने की। यूनानियों के रेखागणित और भारतीयों की अंक प्रणाली को मिलाकर उसे विश्वव्यापी बना दिया। अरबों ने अंक गणित, रेखागणित और त्रिकोणमिति के क्षेत्र में महान प्रगति की।

प्रश्न 6. सामंतवादी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर – रोमन और जर्मनिक समाजों के मिलन से एक नई संस्था सामंतवाद का उदय हुआ। यह एक सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक संगठन की वह पद्धति है जो यूरोप के मध्यकाल की विशेषता बनी। ताकतवर जर्मनिक सरदारों ने राज्य की सत्ता पर कब्जा कर लिया। राज्य ने उन्हें राजनीतिक और न्यायिक अधिकार सौंपे। राजनीतिक प्रभुत्व का एक श्रेणीबद्ध संगठन निर्मित हुआ। इस संगठन के शीर्ष पर राजा था। उसके नीचे थे बड़े सामंतों ड्यूक और अर्ल के नाम से जाने जाते थे। उनके नीचे थे छोटे सामंत, इन्हें बैरन कहते थे। उनके नीचे नाइट से ऊपर वाले के प्रति निष्ठा जताते थे और उनसे अधिकार प्राप्त करते थे। सारी शक्तियाँ राजा के हाथ में केंद्रित थीं। सामत और उसके मातहत के सामंत की सेवा करने के लिए वचनवद्ध था।

प्रश्न 7. मध्यकालीन भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन में विभिन्न परंपराएँ आपस में किस प्रकार घुली-मिली थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में मध्यकाल में परंपराएँ बहुत घुल-मिल गई। धर्म के क्षेत्र में भक्ति और सूफ़ी आंदोलन इसके उदाहरण हैं। दार्शनिक विचारों को भी खूब आदान-प्रदान हुआ।

भाषा साहित्य, कला, वास्तुकला, संगीत और नृत्य पर भी विभिन्न परंपराओं के संश्लेषण की प्रक्रिया का प्रभाव पड़ा। इस काल में जहाँ फारसी और संस्कृत भाषा का विकास हुआ, वहाँ क्षेत्रीय भाषाओं को विकास भी निरंतर होता रहा। अब हिंदी. बंगाली, राजस्थानी, उड़ीया और गुजराती जैसी भाषाओं में सुंदर साहित्य की रचना की गई। भाषाओं में निरंतर सुधार आता गया। साहित्यिक कृतियों में क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग किया गया। कुछ रचनाएँ आज भी श्रेष्ठ कही जा सकती हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी का ‘रामचरित मानस’, मलिक मोहम्मद जायसी का ‘पद्मावत’, बंगाली में अलाल की रचनाएँ, मराठी में एकनाथ और तुकराम इसी काल में लोकप्रिय हुए।

कला और वास्तुकला के क्षेत्र में मध्यकाल में बहुत प्रगति हुई। मुगल शासन काल में चित्रकारों को शाही खजाने से वेतन प्राप्त होता था। चित्रकारी की मुगल शैली में ईरानी और भारतीय शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। चित्रकला में राजपूत कला, गुजरात मालवा आदि की परंपराओं को स्थान प्राप्त हुआ।  पांडुलिपियों का अलंकरण करने की कला विकसित हुई।

मध्यकाल में भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के मिश्रण पर आधारित भवनों का निर्माण हुआ। भारतीय संसाधनों, विशेषज्ञता प्रतीकों, डिजाइनों को ईरानी शैली के साथ मिलाकर भवनों को निर्माण किया गया। मेहराब, गुंबद जैसी विशेषताओं को घण्टों, स्वास्तिक, कमल और कलश जैसी हिंदी प्रतीकों के साथ जोड़ा गया। कुतुब मीनार, अलाई दरवाजा, गयासुद्दीन  तुगलक का मकबरा, आदि दिल्ली सल्तनत काल की सुंदर इमारते हैं।

फतेहपुर सीकरी, आगरा और दिल्ली की मुगलकालीन निर्मित हुआ। इस संगठन के शीर्ष पर राजा था। उसके नीचे इमारतें हिंदू-मुस्लिम वास्तुकला में सम्मिश्रण को दर्शाती है। थे बड़े सामता ड्यूक और अर्ल के नाम से जाने जाते थे। उनके मध्यकालीन भारत की राजाओं ने संगीत को संरक्षण दिया। गायन व वाद्य संगीत की भारतीय प्रणाली का संपर्क अरब ईरानी और नीचे थे छोटे सामंत, इन्हें बैरन कहते थे। उनके नीचे नाइट से ऊपर वाले के प्रति निष्ठा जताते थे और उनसे अधिकार प्राप्त एशियाई परंपराओं के साथ हुआ।

NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi

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