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NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 12 भारत में कृषि (griculture in India) Notes In Hindi

March 16, 2023
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    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 12 भारत में कृषि (Agriculture In India)

    TextbookNIOS
    Class10th
    Subjectसामाजिक विज्ञान (Social Science)
    Chapter12th
    Chapter Nameभारत में कृषि
    CategoryClass 10th सामाजिक विज्ञान
    MediumHindi
    SourceLast Doubt

    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 12 भारत में कृषि (griculture in India) Notes In Hindi गेहूं में नंबर वन कौन सा राज्य है?, 5 सबसे आम अनाज क्या हैं?, अनाज का राजा कौन है?, सबसे पुराना अनाज क्या है?, गेहूं इंसानों के लिए खराब क्यों है?, दाल का राजा कौन है?, भोजन का राजा कौन सा भोजन है?, मसालों का राजा कौन है?, भारत में गेहूं कब आया?, गेहूं की खोज कब हुई थी?, गेहूं का जनक कौन सा देश है?, गेहूं का जीवनकाल कितना होता है?, सबसे अच्छे गेहूं कौन से?, गेहूं शरीर को क्या करता है?, भारत में सबसे महंगी दाल कौन सी है?, दुनिया की सबसे महंगी दाल कौन सी है?खाने का राजा कौन है?, सबसे शुद्ध भोजन कौन सा है?, क्या हिंदू राजा शाकाहारी थे?, पृथ्वी पर सबसे पुराना भोजन कौन सा है?, भारत में काली मिर्च कहां प्रसिद्ध है?, मसालों की रानी कौन है?, विश्व का सबसे प्रसिद्ध मसाला कौन सा है?, सबसे पहले खेती कहाँ हुई थी?, सबसे पहले चावल की खेती कहाँ हुई थी?

    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 12 भारत में कृषि (Agriculture In India)

    Chapter – 12

    भारत में कृषि

    Notes

    भारत में खेती के प्रकार

    आपको पता है कि भारत स्थलाकृति विविधताओं का देश है। आपने पहले से ही भारत के भूआकृति पाठ में इसके बारे में सीखा है। हिमालय पर्वत श्रृंखला भारत के पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से,उत्तर – पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक है। पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट के रूप में पहाड़ी श्रृंखला भी है। क्या आप जानते हैं कि भारत का सिंधु-गंगा मैदान दुनिया की सबसे बड़े मैदानी क्षेत्रों में से एक है ? भारत के मध्य भाग में पठार क्षेत्र का प्रभुत्व है। भूआकृति में विविधता के अतिरिक्त भारत में जलवायु और मृदा में भी विविधता है। भारत में भौतिक विविधता के साथ-साथ अन्य कारक जैसे सिंचाई की उपलब्धता, मशीनरी का उपयोग, आधुनिक कृषि निवेश तथा बीजों का उच्च उपज किस्में (HYV), कीटनाशक आदि का विविध खेती पद्धति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। खेती के कुछ प्रकारों की चर्चा निम्न है:

    1. निर्वाह और वाणिज्यिक खेती

    भारत के अधिकांश किसान निर्वाह खेती करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि खुद के उपभोग के लिए खेती । दूसरे शब्दों में, पूरे उत्पादन का बड़ा हिस्सा किसानों और उनके परिवार द्वारा उपभोग किया जाता है और बाजार में बेचने के अधिशेष नहीं होता है। इस प्रकार की खेती में, जमीन के जोत छोटे और खंडित हैं। खेती तकनीक आदिम और सरल किस्म के हैं। दूसरे शब्दों में आधुनिक उपकरण जैसे ट्रैक्टर एवं खेती निवेश तथा रासायनिक उर्वरकों का पूर्णत: अभाव है। इस प्रकार की खेती में किसान ज्यादातर अनाज के साथ तेलहन, दाल और सब्जियां उगती हैं। वाणिज्यिक खेती निर्वाह खेती के विपरीत है। इस मामले में, उत्पादन का अधिकतर भाग धन प्राप्ति के लिए बाजार में बेचा जाता है। इस प्रणाली में, किसान को सिंचाई, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और बीज की उच्च उपज वाली किस्मों का उपयोग करता है, भारत के विभिन्न भागों में उगाई जाने वाली फसलों में कपास, जूट, गन्ना, मूंगफली आदि हैं। हरियाणा में चावल की खेती मुख्य रूप से व्यावसायिक उद्देश्य के लिए है क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों का मुख्य भोजन गेहूं है। तथापि भारत के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में चावल की खेती निर्वाह प्रकार की है जो बड़े पैमाने पर की जाती है।

    2. गहन और विस्तृत खेती

    खेती के इन दो प्रकारों के बीच बुनियादी अंतर उत्पादन की राशि के प्रति इकाई भूमि है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, और पूर्व सोवियत संघ के समशीतोष्ण क्षेत्रों की साथ तुलना में, भारत विस्तृत खेती अभ्यास नहीं करता है। जब हम खेती के लिए देश के बड़े क्षेत्र का उपयोग करें तो हम इसे विस्तृत खेती कहते हैं। यहाँ बड़ा क्षेत्र होने के कारण कुल उत्पादन ज्यादा हो सकता है परन्तु प्रति इकाई भूमि उत्पादन कम होता है। व्यापक खेती भारत में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखी जा सकती है। गहन खेती में प्रति इकाई भूमि से उत्पादन ज्यादा अंकित किया जाता है। जापान में गहन खेती का सबसे अच्छा उदाहरण है, जहां खेती के लिए भूमि की उपलब्धता बहुत सीमित है। इसी प्रकार की स्थिति भारत के केरल राज्य में देखी जाती है।

    3. वृक्षारोपण खेती

    बागान खेती एक कृत्रिम और स्थापित प्रकार है। यह एक बागान है जहां एक ही नकदी फसल की बिक्री के लिए उगाया जाता है। इस प्रकार की कृषि में एक ही प्रकार के नगदी फसल का उगाना एवं प्रसंस्करण सन्निहित होता है जिसे बेचने के लिए किया जाता है। चाय, कॉफी, रबर, केला, और मसाले वृक्षारोपण फसलों के उदाहरण हैं। इन फसलों में से अधिकांश भारत में 19 वीं सदी में अंग्रेजों द्वारा शुरू किए गए थे।

    भारतीय कृषि की मुख्य विशेषताएं
    (क) निर्वाह कृषि – जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, भारत के अधिकांश भागों में निर्वाह कृषि की जाती है। भारत में इस प्रकार की कृषि कई सौ वर्षों से की जा रही है। यह भारत के बड़े भूभाग पर आज भी किया जाता है। तथापि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कृषि में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है।
    (ख) कृषि पर जनसंख्या का दबाव – शहरीकरण और औद्योगिकरण में वृद्धि के बावजूद, जनसंख्या का लगभग 70% अभी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।
    (ग) खेती का मशीनीकरण – भारत में हरित क्रांति साठ के दशक के अंत और सत्तर के दशक के शुरू में जगह ले ली। हरित क्रांति कृषि मशीनरी और उपकरणों के क्षेत्र में क्रांति के चालीस से भी अधिक वर्षों के बाद, पूर्ण मशीनीकरण अभी भी दूर का सपना है।
    (घ) मानसून पर निर्भरता – आजादी के बाद से यहाँ सिंचाई के बुनियादी ढांचे का तेजी से विस्तार किया गया है। बड़े पैमाने पर विस्तार के बावजूद आज कुल फसल क्षेत्र का केवल एक तिहाई भाग ही सिंचित है। परिणामस्वरूप फसली क्षेत्रों के दो तिहाई भाग अभी भी मानसून पर निर्भर है। जैसा कि आप जानते हैं, भारत में मानसून अनिश्चित और अविश्वसनीय है। यह जलवायु में परिवर्तन के कारण और भी अविश्वसनीय हो गया है।
    (ङ) फसलों के विभिन्न प्रकार – क्या आप अनुमान लगा सकते हैं, भारत में फसलों के विभिन्न प्रकार क्यों हैं? जैसा कि पाठ के शुरुआत में उल्लेख किया गया है, भारत में जलवायु, स्थलाकृति और मिट्टी में विविधता है। चूंकि भारत में दोनों उष्णकटिबंधीय और शीतोष्ण जलवायु के क्षेत्र हैं, यहाँ दोनों जलवायु की फसलें उगाई जाती हैं। दुनिया में बहुत कम देशों में ऐसी विविधता पाई जाती है जैसी विविधता भारत में मिलती है। इसका अनुभव आपको तब होगा जब हम विस्तार से फसलों के विभिन्न प्रकार पर चर्चा करेंगे। इसकी जानकारी के लिए तालिका संख्या 12.1 देखिये।
    (च) खाद्य फसलों की प्रधानता – चूंकि भारतीय कृषि के माध्यम से देश की बड़ी जनसंख्या को भोजन प्रदान करना होता है। लगभग सर्वत्र भारत में किसानों की प्राथमिकता खाद्यान उगाने की है हालाँकि, हाल के वर्षो ं में खाद्यान उगाये जाने वाले भूमि के हिस्सों में कमी आई है क्योंकि अन्य वाणिज्यिक खेती से ज्यादा लाभ उन भूमि से प्राप्त हो रहा है।
    (छ) मौसमी पैटर्न – भारत के तीन अलग-अलग कृषि / फसल मौसम है। आप खरीफ, रबी,और जायद के बारे में सुने होंगे। भारत में विशिष्ट इन तीन मौसमों में उगाई फसलों के उदाहरण के लिए चावल खरीफ फसल है, जबकि गेहूं रबी की फसल है।

    भारत के प्रमुख फसलें

    भारत में लगभग हर प्रकार की फसलें होती है। क्या आप सोच सकते हैं, क्यों? यदि हम कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात के पश्चिमी तट से अरुणाचल प्रदेश के चरम उत्तर- पूर्वी भागों को ध्यान में रखें तो यहाँ सैकड़ों प्रकार की फसलें मिलती है। इन सभी प्रकार की फसलों को हम चार वर्ग में रखते है। प्रत्येक वर्ग के अंतर्गत मुख्य फसलों की चर्चा की जाएगी:

    खाद्य फसल
    (i) चावल – चावल भारत की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। यह मुख्य रूप से खरीफ या गर्मी की फसल है। यह देश की कुल खेती क्षेत्र का लगभग एक तिहाई भाग पर होता है। भारत का यह भारत की आधी आबादी से ज्यादा लोगों को भोजन प्रदान करता है। कुल आबादी का ज्यादातर लोग चावल खाने वाले हैं। क्या आप जानते हैं, चावल उत्पादन के लिए किस-किस तरह की भौगोलिक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। यदि आप भारत में चावल उत्पादित क्षेत्रों को देखें तो आपको पता चलेगा कि चावल ही एक ऐसी फसल है जो विविध परिस्थितियों में उगाई जाती है।
    (ii) गेहूं – गेहूं दूसरा सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान है। यह भारत में चावल के बाद रबी या सर्दियों की फसल है। यह सर्दियों की शुरुआत में बोया जाता है और गर्मियों की शुरुआत में काटा जाता है। आम तौर पर उत्तर भारत में गेहूं की बुवाई अक्टूबर नवंबर के महीने में होती है और कटाई मार्च – अप्रैल के महीने में किया जाता है। यह विशेष रूप से भारत के उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में लोगों का मुख्य भोजन है। चावल के विपरीत, ज्यादातर रबी या सर्दियों की फसल के रूप में उगाया जाता है।
    (iii) बाजरा – बाजरा कम अवधि वाला गर्म मौसम का फसल है। ये मोटे अनाज की फसल हैं और इन्हें भोजन और चारा दोनों के लिए उपयोग किया जाता है। ये खरीफ की फसलें हैं। ये मई – अगस्त में बोया जाता है और अक्टूबर- नवम्बर में काटा जाता है। आज बाजरा आमतौर पर गरीब लोगों का मुख्य भोजन है। भारत में बाजरा बहुत उगाया जाता ह और विभिन्न भागों में अनेक स्थानीय नामों से जाना जाता है। उनमें से कुछ ज्वार, बाजरा, रागी,कोरा, कोदों कुटकी, राका, बाउटी, राजगिरा आदि है। भारत में ज्वार, बाजरा और रागी बड़े क्षेत्र पर उगाया जाता है पर दुर्भाग्य से इन फसलों के अंतर्गत क्षेत्रों की कमी बड़ी तेजी से हुई है।

    (iv) दलहन – दलहन में अनेक फसलों को रखा जाता है जो ज्यादातर फली हैं। ये भारत के शाकाहारी लोगों के लिए अमूल्य प्रोटीन प्रदान करते हैं। मांस और मछली खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों को प्रोटीन प्राप्ति के श्रोत कम है। ये पशुओं के लिए चारा और अनाज का प्रमुख श्रोत है। इसके अतिरिक्त ये फली फसलें वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में यौगिकृत करती है। सामान्यतया अन्य फसलों से आवर्तित करके मृदा की उर्वरता को बनाएं रखा जाता है। भारत में विभिन्न प्रकार के दलहन पाया जाता है। ये चना, तूर या अरहर, उड़द, मूंग, मसूर, कल्फी, मटर आदि है । परन्तु इन सबों में चना और तूर या अरहर ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।

    चना – चना सभी दालों में सबसे महत्वपूर्ण है। कुल दलहनों के उआदन का 37 प्रतिशत भाग चने से आता है जबकि चना दालों के कुल क्षेत्रफल का 30 प्रतिशत पर चना होता है। यह रवी की फसल है जो सितंबर से नवंबर के बीच में बोया जाता है और फरवरी से अप्रैल के बीच काटा जाता है। यह या तो एक एकल फसल के रूप में खेती की जाती है या गेहूं जौ, अलसी या सरसों के साथ मिलाकर खेती की जाती है।

    नकदी फसलें – यद्यपि पाठ की शुरुआत में उल्लेख किया, नकदी फसलें उन फसलों को कहा जाता है जिसे या तो शुद्ध या अर्द्ध प्रसंस्क ृत रूप में बेचने के लिए उगाया जाता है। इस भाग में कुछ चुने हुए नगदी फसलों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे गन्ना, कपास और जूट, दो पेय पदार्थ-चाय और कॉफी तेल के बीज तेलहन- मूंगफली, सरसों और रेपसीड । इस भाग में हम अधिक चयनित नकदी फसल यानी गन्ना, कपास और जूट के बारे में सीखेंगे।
    (i) गन्ना – क्या आप अपने दिनचर्या में बिना चीनी के जीवन की कल्पना कर सकते हैं? चीनी के बिना जीवन के बारे में सोचना असंभव है। क्या आप जानते हैं कि गन्ना बांस परिवार के अंतर्गत आता है और यह भारत के लिए स्वदेशी है? यह खरीफ फसल है। यह चीनी, गुड़, और खांडसारी का मुख्य स्रोत है। यह शराब तैयार करने के लिए कच्चे माल भी प्रदान करता है। खोई, कुचले गन्ने का अवशेष का भी कई उपयोग है। यह कागज बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पेट्रोलियम उत्पादों के लिए एक कारगर विकल्प है। इसके अतिरिक्त अन्य रसायनिक उत्पादों का भी विकल्प के रूप में है। इसे चारे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
    (ii) तिलहन – भारत में वाणिज्यिक फसलों के महत्वपूर्ण समूहों मे से तिलहन एक है। भारत तिलहन के क्षेत्र और उत्पादन में विश्व में अग्रणी है। वास्तव में, भारत की तिलहन से निकाले तेल न केवल हमारे आहार का एक महत्वपूर्ण भाग है बल्कि हाइड्रोजनीकृत तेलों, पेंट, वार्निश, साबुन, चिकनाई आदि के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। तिलहन से तेल निकालने के बाद बचा अवशेष महत्वपूर्ण पशु आहार और खाद के रूप में इस्तेमाल होता है।
    वृक्षारोपण फसल

    (i) चाय – भारत चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है। असम और पश्चिम बंगाल में दार्जिलि ंग के चाय बागानों के बारे में सुना होगा। यह कहा जाता है कि भारत में चाय बागान अंग्रेजों द्वारा 1923 में शुरू किया गया था। उस समय उन लोगों द्वारा असम के पहाड़ी और वन क्षेत्रों में जगंली चाय पौधों को खोजा गया । चाय पौधों के कोमल अंकुरित पत्तों को सुखाकर तैयार की जाती है। वर्तमान में, भारत दुनिया में अग्रणी चाय उत्पादक देश है। चीन और श्रीलंका क्रमश: दूसरे और तीसरे बड़े उत्पादक देश हैं।

    (ii) कॉफी – क्या आप जानते हैं, भारत में कॉफी कहाँ से लाया गया? यह इथियोपिया (अबिसनिया पठार) का मूल निवासी पौधा है। इथियोपिया से यह 11 वीं सदी में अरब लाया गया था। अरब से बीज बाबा बुदन द्वारा 17 वीं सदी में कर्नाटक के बाबा बुडान पहाड़ियों पर लगाया गया। लेकिन ब्रिटिश बागान मालिकों ने गहरी रुचि लिया और बड़े कॉफी बगान के रूप में उत्पादन पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर स्थापित किया।

    भारतीय कृषि के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

    यदि हम भारतीय कृषि की चुनौतियों को देखें तो हम उन्हें मोटे तौर पर दो वर्गो ं में बाँट सकते हैं। काफी समय से चलती आ रही बहुत-सी समस्याएँ प्रथम वर्ग में आती है। दूसरे वर्ग की समस्याएँ नई है इनका जन्म प्रचलित कृषि प्रथा, प्रणाली एवं बदलते जलवायु एवं अर्थतन्त्र से सम्बन्धित है। मुख्य चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा किया जाएगा।

    आपने क्या सीखा

    • भारत में खेती के विभिन्न प्रकार प्रचलित हैं। इन प्रकारों तरीकों में निर्वाह औरmवाणिज्यिक खेती, गहन और विस्तृत खेती, बागानी और मिश्रित खेती हैं।
    • भारतीय कृषि की प्रमुख विशेष निर्वाह कृषि है जो मानसून पर बहुत कुछ आधारित है। साथ ही यहाँ की खेती में विभिन्न प्रकार की फसलों के समावेश के साथ पालतू जानवरों का बड़ा योगदान है।
    • भारत में प्रमुख फसलों को मोटे तौर पर चार वर्गों खाद्य फसलें, नकदी फसलें, वृक्षारोपण फसलें और फलों में विभाजित किया जा सकता है।
    • भारतीय कृषि के लिए कुछ प्रमुख चुनौतियाँ उत्पादन में स्थिरता, कृषि निवेश की उच्च लागत मृदा उर्वरता का ह्यस, मीठे भूमिगत जल की कमी, जलवायु परिवर्तन, वैश्विकरण, अर्थव्यवस्था का उदारीकरण, खाद्य सुरक्षा और किसानों की आत्महत्या है।

    NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Notes in Hindi

    • Chapter – 1 प्राचीन विश्व
    • Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
    • Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
    • Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
    • Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
    • Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
    • Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
    • Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
    • Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
    • Chapter – 10 जलवायु
    • Chapter – 11 जैव विविधता
    • Chapter – 12 भारत में कृषि
    • Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
    • Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन

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