निम्नलिखित को संक्षेप में समझाइए-
(a) हमें खाद्य को संसाधित और परिरक्षित करने की आवश्यकता क्यों हैं?
(b) खाद्य पदार्थ किन कारणों से खराब होते हैं और मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बन जाते हैं?
(c) खाद्य पदार्थों के खराब होने का कारण सामान्यतः जीवाणु होते हैं। जीवाणुओं के विकास और वृद्धि के लिए कौन सी चार परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं?
(d) खाद्य संसाधन में खाद्य पदार्थों का शैल्फ काल बढ़ाने के लिए क्या किया जाता है?
(e) खाद्य विनिर्माता के रूप में यह एक कानूनी आवश्यकता है कि उत्पाद पर लेबल लगाया जाए। इन लेबलों पर उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सूचनाओं और सलाहों की सूची बनाइए।
(f) लेबल पर दी गई पोषक तत्वों के मान संबंधी सूचना किस प्रकार उपयोगी होती हैं?
(g) 10+2 परीक्षा पास करने के बाद खाद्य संसाधन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में व्यवसाय के क्या-क्या अवसर होते हैं?
उत्तर –
(a) अधिकांश परिवारों में पारिवारिक आय का मुख्य अंश आहार पर व्यय किया जाता है, क्योंकि आहार हमारी मूल आवश्यकता है। अतः ऐसी स्थिति में खाद्य पदार्थों का उचित चुनाव, क्रय, संसाधित और परिरक्षित करना बहुत आवश्यक होता है ताकि अनावश्यक धन, ऊर्जा व शक्ति के अपव्यय से बचा जा सके व परिवार की क्रय क्षमता के अनुसार सभी सदस्यों को सन्तुलित आहार भी उपलब्ध करवाया जा सके।
(b) खाद्य पदार्थों के खराब या नष्ट होने के लिए बहुत से कारक उत्तरदायी हैं, जैसे कि-
(i) भौतिक परिवर्तन (Physical Changes) – भोजन में भौतिक कारणों से आए परिवर्तनों से भोजन का रंग-रूप, स्वाद खराब हो जाता है जैसे कि- भार या दबाव के कारण फल अथवा सब्जियों का ढीला/पिलपिला पड़ जाना। कई बार फलों एवं सब्जियों के छिल्कों पर झुर्रियाँ एवं उनके सिकुड़ जाने के कारण स्वाद में कमी आ जाती है। भोजन का जलना भी एक भौतिक परिवर्तन ही है।
(ii) रासायनिक परिवर्तन (Chemical Changes) – कई बार गर्मियों में दूध बाहर पड़े रहने से फट जाता है। ऐसा एक रासायनिक परिवर्तन के कारण होता है जिसमें दूध की प्रोटीन (casein) जम जाती है। कुछ पदार्थों में प्रोटीन और कार्बोज की आपसी क्रिया के कारण भोजन थोड़ी देर पड़े रहने पर भूरा हो जाता है। जैसे कि- सेब को थोड़ी देर काटकर छोड़ देने पर वह भूरा पड़ जाता है।
(iii) जीवाणुओं द्वारा परिवर्तन (Changes Due to Microbes) – भोजन में उपस्थित कुछ जीवाणुओं द्वारा भी खाद्य पदार्थ बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं। खमीर, फफूंदी व बैक्टीरिया ऐसे कुछ जीवाणु हैं।
(iv) एन्जाइम द्वारा (Changes Due to Enzymes) – वानस्पतिक व पशुजन्य भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले एन्जाइम रासायनिक प्रक्रियाओं को गतिशील बनाते हैं और भोजन में जल्दी परिवर्तन ला देते हैं। इससे पदार्थ गलने लगता है और उसमें से दुर्गन्ध आने लगती है, जैसे- देर तक कटे रख हुऐ फलों व सब्जियों का रंग, स्वाद, सुगन्ध व सरंचना में अन्तर आ जाता है। मीट और मछली पड़े-पड़े सड़ने लगता है।
(v) कीड़े-मकोड़े, चूहों द्वारा (Changes Due to Insects and Rodents) – कीड़े खाद्य-पदार्थों को खाकर नष्ट कर देते हैं जिससे वह खाने लायक नहीं रहते जैसे- अनाज व दालें। कुछ कीड़े अपने अण्डे छोड़ देते हैं और भोजन को खाने लायक नहीं रहने देते, जैसे- गोल कृमि, फीता कृमि, बिना धुले फल, सब्जी व मीट में अपने अण्डे छोड़ते हैं। झींगुर की लार से अनाज के दाने चिपके हुए से दिखाई देते हैं। इससे अनाज में बदबू पैदा हो जाती है। चूहे के मल-मूत्र से भी खाद्य पदार्थों व अनाज में संक्रमण फैलता है। यह सब मनुष्य को रोगी बना सकता है।
(c) जीवाणुओं की वृद्धि के लिए निम्न परिस्थितियाँ अनिवार्य होती है-
• अनुकूल तापमान – विभिन्न जीवाणुओं की वृद्धि करने के लिए अलग-अलग तापमान की आवश्यकता होती है। जीवाणु 5 से 60°C ताप पर वृद्धि करते हैं। ताप की यह परिसर खतरे का क्षेत्र कहलाती है।
• हवा और नमी – सभी ताजे खाद्य पदार्थों में नमी होती है और यदि वे हवा के भी सम्पर्क में हैं तो यह नमी व हवा, जीवाणुओं की वृद्धि के लिए आदर्श वातावरण बना देते हैं। सूप पाउडर, सूखा दूध व सूखे अनाज अधिक देर तक खाने योग्य इसलिए रह पाते हैं क्योंकि उनमें सूक्ष्म जीव होने के बावजूद वे नमी के अभाव में वृद्धि नहीं कर पाते। अचार व जैम में भी नमक
व चीनी डालने के कारण सूक्ष्मजीवियों को नमी नहीं मिल पाती और वे वृद्धि नहीं कर पाते। इसी तरह बोतल बन्द व हवा बन्द डिब्बों में पैक्ड खाद्य पदार्थ अधिक समय तक सुरक्षित रहते हैं क्योंकि जीवाणुओं को वृद्धि के लिए हवा नहीं मिलती। pH अनुकूलता – pH किसी पदार्थ की अम्लता व क्षारता को प्रदर्शित करता है। pH-7 होने का अर्थ है कि खाद्य पदार्थ उदासीन है। अधिकतर वही खाद्य पदार्थ जीवाणुओं द्वारा संदूषित होते हैं, जिनका pH-7 के आसपास हो। खाद्य पदार्थों में मूलरूप से उपस्थित एंजाइमों की गतिविधि भी pH और ताप पर निर्भर करती है। ताजे फलों और सब्जियों में उपस्थित ऑक्सीकरणी एंजाइम ऊर्जा के लिए ग्लूकोस का उपपाचय करने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करना जारी रखते हैं और
फलों तथा सब्जियों का शैल्फ काल कम करते है।
(d) खाद्य संसाधन में खाद्य पदार्थों की शैल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए के लिए निम्न विधियाँ उपाय जाती है-
• ऊष्मा का प्रयोग,
• भंडारण के समय ताप कम करना,
• ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की उपलब्धता पर नियंत्रण करना।
• जल को हटाना,
• pH कम करना और
(e) किसी भी लेबल पर निम्न सूचनाओं तथा सलाहों का होना अनिवार्य है-
• उत्पाद का नाम
• निर्माता का नाम/पता/देश आदि
• ट्रेड-मार्क
• उसमें मिलाई गई सामग्री
• बैच नंबर, लाइसेंस नंबर
• प्रयोग और भंडारण संबंधी आवश्यक निर्देश
• मात्रा की जानकारी
• प्रयोग संबंधी चेतावनी।
• ब्रांड का नाम
• बार कोड
• मानकीकरण चिन्ह
• निर्माण और खराब होने की संभाव्य तिथि
• सामान का सही माप/सही वजन
• उत्पाद में डाले गए रंग और परिरक्षकों का विवरण
• अधिकतम फुटकर मूल्य (MRP)
(f) लेबल पर दी गई पोषण मान सम्बन्धी सूचना निम्न रूप से उपयोगी होती है-
• खाद्य पदार्थों में प्रयुक्त सामग्री का विवरण प्राप्त होता है।
• पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का विवरण प्राप्त होता है।
• खाद्य पदार्थ में प्रयोग किए गए शाकाहारी अथवा मांसाहारी खाद्य पदार्थों का विवरण प्राप्त होता है।
(g) भौतिकी, रसायन और गणित (पी.सी.एम.) अथवा भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान (पी.सी.बी.) विषयों के साथ 10+2 अथवा समकक्ष परीक्षा पास करने के बाद कोई भी व्यक्ति विभिन्न राज्यों के विभिन्न खाद्य शिल्प संस्थानों/अनुप्रयुक्त विज्ञानों के महाविद्यालयों से कम अवधि के सर्टीफिकेट पाठ्यक्रम, शिल्प और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम खाद्य परिरक्षण और संसाधन तथा खाद्य प्रबंध संस्थानों के लघु उद्योग विभागों में रोजगार प्राप्त करने के लिए बहुत उपयोगी है। खाद्य उद्योग, विशेषकर बड़े पैमाने की इकाइयों में नौकरियों के लिए और शोध कार्य तथा प्रशिक्षण तथा साथ ही स्वउद्यामिता (entrepreneurship) के लिए स्नातकोत्तर डिग्री और शोध योग्यता अनिवार्य होती है। भारत और विदेश के अनेक विश्वविद्यालय इस क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर (graduate and post graduate) डिग्री कार्यक्रम चलाते हैं। कुछ संस्थान खाद्य प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी के विशिष्ट पहलुओं से संबंधित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी उपलब्ध कराते हैं।
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