निम्नलिखित को पारिभाषित करें-
उत्तर –
(i) तंतु – वस्त्र निर्माण की सबसे छोटी व मूल इकाई को तन्तु या रेशा कहते हैं।
(ii) जांतव तंतु – पशुओं से प्राप्त तन्तुओं को जांतव तन्तु कहते हैं, जैसे- रेशम, ऊन।
(iii) खनिज तंतु – प्रकृति में पाए जाने वाले कुछ खनिज तन्तु के रूप में भी प्रयोग में लाए जाते हैं। इन्हें खनिज तन्तु कहते हैं, जैसे- सोना, चांदी इत्यादि।
(iv) कृत्रिम तंतु – रासायनिक पदार्थों से निर्मित तन्तुओं को कृत्रिम तन्तु कहते हैं, जैसे पॉलिएस्टर।
(v) वानस्पतिक तंतु – प्रकृति में पेड़-पौधों से प्राप्त तन्तुओं को वानस्पतिक तन्तु कहते हैं, जैसे- सूत, जूट इत्यादि।
(vi) लचीलापन – लचीलेपन का अर्थ है तंतु का बिना टूटे पूरी तरह से मुड़ जाना। इसी क्षमता के कारण तंतुओं से कपड़ा तैयार हो सकता है तथा उठने, बैठने, चलने-फिरने आदि कार्यों में सहजता से मुड़ जाता है।
(vii) अवशोषकता – जल सोखने की शक्ति को अवशोषकता कहते हैं। तंतुओं में अवशोषकता का गुण उसकी रंगाई तथा छपाई में भी सहायक होता है। अधिक अवशोषकता वाला वस्त्र पसीना सोखने की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है।
(viii) पुनरुत्थान – तंतुओं पर तनाव तथा दबाव पड़ने से उनके आकार में बदलाव आता है। यह तनाव व दबाव हटाए जाने पर तंतुओं का अपनी पूर्वावस्था में स्वतः ही आ जाना पुनरुत्थान कहलाता है। इस गुण से वस्त्र में सिलवट प्रतिरोधक क्षमता (Crease Resistance) बनती है। ऊनी वस्त्रों में ऊत्तम पुनरूत्थान क्षमता पाई जाती है।
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