NCERT Solutions for Class 9th Sanskrit Shemushi Chapter – 7 प्रत्यभिज्ञानम्
Textbook | NCERT |
Class | 9th |
Subject | (संस्कृत) |
Chapter | 7th |
Chapter Name | प्रत्यभिज्ञानम् |
Category | Class 9th संस्कृत |
Medium | Sanskrit |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions for Class 9th Sanskrit Shemushi Chapter – 7 प्रत्यभिज्ञानम्
?Chapter – 7?
✍ प्रत्यभिज्ञानम् ✍
?प्रश्न उत्तर?
अभ्यासः
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 1 प्रश्न 1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषय लिखत – (क) भटः कस्य ग्रहणम् अकरोत्? (ख )अभिमन्युः कथं गृहीतः आसीत्? (ग) भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युःकिमर्थम् उत्तर न दााति? (घ) अभिमन्युः स्वग्रहणे किमर्थम् वञ्चितः इव अनुभवति? (ङ) कस्मात् कारणात् अभिमन्युः गोग्रहणं सुखांत मन्यते? |
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 2 प्रश्न 2. अधोलिखितवाक्येषु प्रकटितभावं चिनुत – (क) भोः को न खल्वेषः? येन भुजैकनियन्त्रितो बलाधिकेनापि न पीडितः अस्मि। (विस्मयः, भयम, जिज्ञासा) (ख) कथं कथं! अभिमन्यु माहम्। (आत्मप्रशंसा, स्वाभिमानः, दैन्यम) (ग) कथं मां पितृवदाक्रम्य स्त्रीगतां कथां पृच्छसे? (लज्जा, क्रोधः, शौर्यम्, उत्साहः) (घ) धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते मम तु भुजौ एव प्रहरणम्( अन्धविश्वासः, शौर्यम्, उत्साहः) (ङ) बाहुभ्यामहृत भीमः बाहुभ्यामेव नेष्यत। (आत्मविश्वासः, निराशा, वाक्यसंयमः) (च) दिष्ट्या गोग्रहणं स्वन्तं पितरो येन दर्शिताः। (क्षमा, हर्षः, धैर्यम्) |
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 3 प्रश्न 3. यथास्थानं रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत – (क) खलु + एषः = ……………… |
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 4 प्रश्न 4. अधोलिखितानि वचनानि कः के प्रति कथयति (क) कथमिदानों सावज्ञमिव मा हस्यते ……………. – ………………. |
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 5 प्रश्न 5. अधोलिखितानि स्थूलानि सर्वनामपदानि कस्मै प्रयुक्तानि (क) बचालयतु एनम् आर्यः। (ख) किमर्थ तेन पदातिना गृहीतः। (ग) कथं न माम् अभिवादयसि। (घ) मम तु भुजौ एव प्रहरणम्। (ङ) अपूर्व इव ते हर्षों ब्रूहि केन विसितमः? |
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 1 प्रश्न 6. श्लोकानाम् अपूर्णः अन्वयः अधोदत्तः। पाठमाधृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत – (क) पार्थ पितरम् मातुलं. ………….. च उदिश्य कृतास्त्रस्य तरुणस्य …………… युक्तः । |
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 7 प्रश्न 7. (क) अधोलिखितेभ्यः पवेभ्यः उपसर्गान् विचित्य लिखत –
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NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 7) Question. 8 प्रश्न 8. (ख) उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकदत्तपदेषु पञ्चमीविभक्तिं प्रयुज्य वाक्यानि पूरजत – 1. (क) अवतारतिः अव + तु + णिच + क्तः प्रथमा विभक्ति, एकवचन। उतार लिया गया है। शान्त पापम् – भगवान बचाए अर्थात् पाप कर्म से। एक प्रकार का अव्यय युगल। (ख) ब्रूहि – ‘बू’ धातु, लोट्लकार, मध्यम पुरुष एकवचन। (कहो)। अभिधीयताम् – अभि+धा धातु, लोट्लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन। (कहिए) |
2. प्रकृति प्रत्यय विभाग: – विस्मितः – वि + स्मि + क्तः भट: – जयतु महाराजः। राजा – पकड़ा गया (वह) अब कैसे कहां है? |
जिसके द्वारा एक भुजा से पकड़ा गया, अत्यधिक बल के होते भी, मैं पीड़ा (कष्ट) नहीं पा रहा। अर्थात् उन्होंने मुझे पकड़ तो रखा है, लेकिन बिना मुझे विशेष कष्ट दिए। बृहन्नला – इत इत; कुमारः। बृहन्नला – इधर से कुमार! इधर से….. अभिमन्यु: – अये! अयमपरः कः विभात्युमावेषमिवाश्रितो अभिमन्यु: – अहो! यह दूसरे कौन है। जो उमा के वेष को धारण किए शिव के समान सुशोभित है।। बृहन्नला – आर्य, अभिभाषणकौतूहल में महत्। वाचाल – यत्वेनमायः। बृहन्नला – पूज्य, मुझे इससे बात करने की बड़ी उत्कंठा हो रहा है, आप इस बुलवाइये तो। भीमसेनः – (अपवार्य) बाझम् (प्रकाशम्) अभिमन्यो! भीमसेनः – (हटाकर) ठीक है (प्रकट रूप में) हे अभिमन्यु! अभिमन्युः – अभिमन्युर्नाम?अभिमन्यु – (क्या)? (तुमने मुझे) ‘अभिमन्यु’ नाम से पुकारा? भीमसेनः – रुष्यत्येष मया त्वमेवैनमभिभाषय। भीमसेन – यह मुझसे कुपित है। तुम ही (अर्जुन) इसे बुलबाओ। बृहन्नला – अभिमन्यो! बृहन्नला – अरे! अभिमन्यु! अभिमन्यु: – कथं कथम्। अभिमन्यु माहम्। भो:! किमत्र विराटनगरे क्षत्रियवंशोद्भूताः नीचैः अपि नामभिः अभिभाष्यन्ते अथवा अहं शत्रुवशं गतः। अतएव तिरसिक्रयते। अभिमन्यु – कैसे, कैसा व्यवहार है इनका? (ये सभी मुझे ) मुझ अभिमन्यु को नाम से सम्बोधित कर रहे हैं। (आदर सम्मान से नहीं) अरे! क्या इस विराटनगर में क्षत्रियकुल (श्रेष्ठकुल) में जन्में वीरों को, नीच सैनिक आदि के द्वारा भी नाम लेकर बोला जाता है। अथवा (ठीक है) मैं अब शत्रु के अधीन हो गया हूँ इसीलिए ये मेरा तिरस्कार कर रह हैं। अभिमन्यु – कैसे? कैसा व्यवहार किया जा रहा है? माता के बारे में पूछा। क्या आप मेरे पिता है या चाचा है? फिर कैसे आप पिता की तरह प्रकट होकर मुझसे स्त्री (माता) के विषय में पूछताछ कर रहे हैं? अभिमन्यु: – कथ कथम्? तत्रभवन्तमपि नाम्ना। अथ किम् अथ किम्?(उभौ परपस्परवलोकयतः) |
पार्थ पितरमुदिश्य मातुलं च जनार्दनम्। तरुणस्य कृतास्वस्य युक्ता युद्धपराजयः॥सन्दर्भ – ‘शेमुषी प्रथमोभागः’ के ‘प्रत्यभिज्ञानम’ नाम पाठ से अवतरित प्रस्तुत श्लोक में छद्मवेषधारी अर्जुन, पकड़े गए अभिमन्यु के साथ हास – परिहास करते हुए उन्हें छेडते हैं। सरलार्थ – पार्थ! (अर्जुन) तुम्हारे पिता है, जनार्दन श्री कृष्ण तुम्हारे मा। तुम युवा हो और शस्त्रविद्या में निपुण भी। अतः युद्ध में तुम्हारी पराजय उचित ही है। भाव – अर्जुन और भीम दोनों छद्मवेष में है। अभिमन्यु उन्हें नहीं पहचानता। अर्जुन अपने पुत्र अभिमन्यु के साथ बात करने को उत्सुक है। जबकि अभिमन्यु युद्ध में मिली पराजय से खिन्न है, वह इसलिए भी खिन्न है कि विराट के यहां छोटे सैनिक भी उसे नाम लेकर पुकार रह थे। अत: वह स्वयं को अपमानित महसूस कर रहा है। जब वह बात नहीं करता तो अर्जुन उसे छेडने के लिए उपयुक्त कटुवचन (व्यायोक्ति) कहता है ताकि वह कुछ बोले और अर्जुन की अभिलाषा पूर्ण हो। अभिमन्युः – अलं स्वच्छन्दप्रलापेन! अस्माकं कुले आत्मस्तव कर्तुमनुचितम्। रणभूमौ हतेषु शरान् पश्य, मदते अन्यत् नाम न भविष्यति। अभिमन्यु: – अशस्त्रं मामभिगतः। पितरम् अर्जुन स्मरन् अहं कथं हन्याम्। अशस्त्रेषु मादृशाः न प्रहरन्ति। अतः अशस्त्रोऽय मां वञ्चयित्वा गृहीतवान। अभिमन्यु: – आः कस्य महाराज? अभिमन्यु – ओह! किसके महाराज? भीमसेन – ईश्वर भला कर (पाप करने से बचाए) धनुष तो दुर्वलों के द्वारा ही ग्रहण किया जाता है। मेरे लिए तो मेरी दोनों भुजाएं जी शस्त्र हैं। |
अभिमन्युः योक्वयित्वा जरासन्ध कण्ठश्लिष्टेन बाहुना। असा कर्म तत् कृत्वा नीति: कृष्णोऽतदर्हताम् ॥सदंर्भ – संस्कृत की पाठ्य – पुस्तक “शेमुषी प्रथमः भागः” के ‘प्रत्याभिज्ञानम्’ पाठ में सेकलित इस श्लोक में अभिमन्यु – “राजा के यह पछने पर कि भीम कौन है?” प्रत्युत्तर स्वरूप भीम द्वारा पहले किए गए जरासन्ध – वध के माध्यम से राजा को गर्वसहित भीम का परिचय देता है। सरलार्थ – कण्ठ पर लिपटी एक भुजा रूपी रज्जु से जरासन्ध को बांधकर जो वह (प्रसिद्ध) असा कार्य, उसक साथ किया था। (जरासन्ध की देह को दे भागों में, बीच से चीर डाला था) ऐसा करके उन्होंने (भीम ने) श्रीकृष्ण से भाव – जरासन्ध का श्री कृष्ण से वैर जगत्प्रसिद्ध ही है। अतः श्रीकृष्ण ने जरासन्ध को मारने की प्रतिज्ञा की हुई थी. परन्तु भीम ने जरासन्ध की देह को बीच से चीर कर उस मार दिया। अत: श्रीकृष्ण का कार्य करके उन्होंने कृष्ण से उनकी जरासन्ध को मानरे की पात्रता ले ली। ऐसे अदम्य वीर है पूज्य भीम। ऐसे उन भीम को कौन नहीं जानता। ये वचन कहकर अभिमन्यु परोक्ष रूप से राजा विराट को भी शेतावनी देना चाहता राजा – न ते क्षेपेण रुष्यामि, रुष्यता भवता रमे। सरलार्थ – मैं (राजा विटार) तुम्हारे व्यंग्य वचनों (तानों) से क्रोध नहीं कर रहा है अपितु आपके क्रोधित होने से मुझे प्रसन्नता हो रही है। ऐसे वैसे बोलकर मैं उनके (भीम के) प्रति अपराध नहीं कर सकता। आप खड़े क्यों हैं (चाहे तो) जा सकते हैं। सरलार्थ – उचित दण्ड स्वरूप पैरों में पड़कर शिष्टाचार निभाइये अन्यथा भुजाओं से पकड़कर लाया गया था। और अब तात भीम भुजाओं से पकड़कर ही ले जाएंगे (तभी उत्तर (राजकुमार उत्तर) प्रवेश करते हैं। उत्तर:तात् अभिवादये! ?♂️उत्तर: पिताजी! अभिवादल करते हैं। ?♂️उत्तर: (पिताजी)! पूजा (सम्मान) के अत्यन्त योग्य की पूजा की जाए। |
श्मशानाद्धनुरादाय तुणीराक्षयसायके। नृपा भीष्यादये भग्ना वंय च परिरक्षिताः। सरलार्थ – जिसने श्मशान भूमि में (पहले से छुपाए) ध नुष, तरकश तथा अक्षय बाणों को लगकर भीष्म आदि कुरु राजाओं को खदेड़ा तथा हमारी सबपकार से रक्षा की। (उस ध नञ्जय अर्जुन को पूजित किया जाए) राजा – एवमेतत्। राजा – अच्छा, तो इस प्रकार से है। ?♂️उत्तर: व्यपनयतु भवाञ्छङ्काम्। अयतेव अस्ति धनुर्धरः धनञ्जयः। ?♂️उत्तर: आपकी शङ्का दूर हो। यही है (श्रेष्ठ) धनुर्धरः धनञ्जयः। बृहन्नला – यांह अर्जुनः तर्हि अयं भीमसेनः अयं च राजा युधिष्ठिरः। बृहन्नला – यदि मैं अर्जुन हूं तो ये भीम है और ये राजा युधिष्ठिर। अभिमन्युः – इहात्रभवन्तोमें पितरः। तेन खलु…. न रुष्यन्ति मया क्षिप्ता इसन्तश्च क्षिपन्ति माम्। (इति क्रमेण सर्वान् प्रणमति, सर्वे च तम् आलिङ्गन्ति) |
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