NCERT Solutions for Class 9th Sanskrit Shemushi Chapter – 6 भ्रान्तो बालः प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions for Class 9th Sanskrit Shemushi Chapter – 6 भ्रान्तो बालः

TextbookNCERT
Class9th
Subject(संस्कृत) 
Chapter6th
Chapter Nameभ्रान्तो बालः
CategoryClass 9th संस्कृत
MediumSanskrit
SourceLast Doubt

NCERT Solutions for Class 9th Sanskrit Shemushi Chapter – 6 भ्रान्तो बालः

?Chapter – 6?

✍भ्रान्तो बालः✍

?प्रश्न उत्तर?

अभ्यासः

NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 1

प्रश्न 1. अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत –

(क) बालः कदा क्रीडितुं निर्जगाम?
?‍♂️उत्तर: बालः विद्यागमनकाले क्रीडितुं निर्जगाम।

(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थ त्वरमाणा बभूवुः?
?‍♂️उत्तर: बालस्य मित्रणि पाठं स्मृत्वा विद्यालयगमनाय त्वरमाणाः बभूवुः।

(ग) मधुकरः बालस्य आहान केन कारणेन न अमन्यत?
?‍♂️उत्तर: मधुकरः मधुसंचये सस्य आसीत् अनेन सः तस्य आह्वानं न अमन्यत्

(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत्?
?‍♂️उत्तर: बालकः तृणानाददानं चटक अपश्यत्।

(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थ कीदृशं लोभ दत्तवान्?
?‍♂️उत्तर: बालकः लोभं ददन् उवाच-त्यज शुष्क तृण अहं ते स्वाभोजनं दास्यामि।

(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम् अकथयत्?
?‍♂️उत्तर: खिन्न बालक : अकथयत् – रे मनुष्याणां कमत्र। कि पर्यटसि वृथा? आगच्छ अत्र शीतलछायायां क्रीडावः।।

(छ) विनितमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत्?
?‍♂️उत्तर: विनितमनोरथः बालः अचिन्तयत्-जगति सर्व निज कार्ये व्यस्ताः अहमिव न कोऽपि वृथा कालक्षेप नयति।

NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 2

प्रश्न 2. निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावर्थ हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत –

यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो
गृहे तस्य। रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि
?‍♂️उत्तर: इस संसार में सफल जीवन हेतु प्रत्येक प्राणी को स्वोचित कर्म को नियमित रूप से करना होता है। सम्पूर्पा प्रकृति जैसे सूर्य का प्रतिदिन समय पर उदित होना, वृक्षों का समय पर फलना-फूलना, बादलों को मय पर बरसना, यही संकेत करता है कि इसी प्रकार मनुष्य को भी अपना-अपना कर्म समय पर नियमित रूप से करना चाहिए। क्योंकि जीव-जन्तु भी ऐसा ही करते हैं। जैसे प्रस्तुत श्लोक में कुत्ते का अपने कर्म (स्वामिभक्ति) को बड़ी तत्परता से करते हुए दिखाया गया है। वह रक्षा कर्म में थोड़ी भी असावधानी नहीं करता।

NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 3
प्रश्न 3.
“भ्रान्तो बालः” इति कथायाः सारांशं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत।

?‍♂️उत्तर: प्रस्तुत कहानी में एक भ्रान्त (पथभ्रष्ट) बालक को अपने अध्ययनकर्म की अपेक्षा खेलकूद में व्यर्थ में समय बिताते हुए दिखाया गया है कि संसार में जब अन्य सभी प्राणी, जीवजन्तु भी अपने अपने कर्म को तल्लीन होकर करते हैं तो मनुष्य को भी अपना कर्म अवश्य करना चाहिए, उसे समय को व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। वह बालक कभी भ्रमर को अपने साथ खेलने के लिए आह्वान करता है, तो कभी चटक को, कभी कुत्ते को। परन्तु सभी स्वोचित कर्म में तल्लीन होन के कारण उसके साथ कोई भी खेलने को तैयार नहीं होता। थक कर उसे यह अहसास होता है कि उसे भी अपने कर्म के प्रति प्रमाद नहीं करना चाहिए अपितु विद्यालय जाकर विद्या ग्रहण करनी चाहिए। और कुछ समय पश्चात् उसी बालक ने विद्वत्ता में सफलता (प्रसिद्धि) प्राप्त की तथा खूब धन-सम्पत्ति को भी प्राप्त किया।
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 4

प्रश्न 4. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माण कुरुत –

(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यमि।
?‍♂️उत्तर: कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि?

(ख) चटक: स्वकर्मणि व्यग्रः आसीत्।
?‍♂️उत्तर: चटक: कस्मिन् व्यग्रः आसीत्।

(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति।
?‍♂️उत्तर: कुक्कुरः केषां मित्रं अस्ति।

(घ) स महती वैदुषीं तब्धवान।
?‍♂️उत्तर: स काम् लब्धवान?

(ङ) रक्षानियोगकरणात् मया न भ्रष्टव्यम् इति।
?‍♂️उत्तर: कस्मात् मया न भ्रष्टव्यम् इति?

NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 5
प्रश्न 5. ” एतेभ्य: नमः” इति उदाहरणनुसृत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोग कृत्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।

?‍♂️उत्तर: 1.नमः शिवाय।
2.गुरवे नमः।
3.शारदायै नमः।
4.पित्रे नतः।
5.परमात्मने नमः।
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 6

प्रश्न 6. ‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहः दत्तानि, तानि यथासमक्षं लिखत ‘क’ स्तम्भ

‘क’ स्तम्भ‘ख’ स्तम्भ
(क) दृष्टिपथम्(1) पुष्पाणाम् उद्यानम्
(ख) पुस्तकदासाः(2) विद्यायाः व्यसनी
(ग) विद्यात्र्यसनी(3) दृष्टेः तन्थाः
(घ) पुष्पोद्यानम्(4) पुष्पाणां उद्यानम्।

?‍♂️उत्तर:

‘क’ स्तम्भ‘ख’ स्तम्भ
(क) दृष्टिपथम्(1) दृष्टेः तन्थाः
(ख) पुस्तकदासाः(2) पुस्तकानां दासा
(ग) विद्यात्र्यसनी(3) विद्याया: व्यसनी
(घ) पुष्पोद्यानम्(4) पुष्पाणा उद्यानम् ।
NCERT Solutions Class 9th Sanskrit (Chapter – 6) Question. 7

प्रश्न 7. (क) अधोलिखितेषु पदयुग्मेषु पदयुग्मेषु एक विशेष्यपदम् अपरञ्च विशेषणपदाम्। विशेषणपदम् विशेष्यपदं च पृथक-पृथक चित्वा लिखत –

विशेषणम्  – विशेष्यम्

(क) खिन्नः बाल …………. – ……………
(ख) पलायमान श्वानम्। ………… – ………….
(ग) प्रीतः बालक: ………….. – …………..
(घ) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ……….. – ………….
(ङ) त्वरमाणाः वयस्याः ……….. – ……………
?‍♂️उत्तर:
(क) खिन्न : बाल विशेषणम् – विशेष्यम्
(ख) पलायमान श्वानम् खिन्नः – बालः
(ग) प्रीतः बालकः प्रीतः – बालकः
(घ) न स्वादूनि भक्ष्यकवलानि स्वादूनि – भक्ष्यकवलानि
(ङ) न त्वरमाणाः वयस्याः त्वरमाणाः – वयस्याः

(ख) कोष्ठाकगतेषु पदेषु सप्तमीविभक्तेः प्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत –
1.बाल:…………………………..क्रीडितु निर्जगाम। (पाठशालागमनवेला)
2.……………………..जगति प्रत्येक स्वकृत्ये निमग्नो भवति। (इदम्)
3.खगः …………………………..नीड करोति। (शाखा)
4.अस्मिन् ………………………….किमर्थ पर्यटसि? (निदाघदिवस)
5.………………..हिमालयः उच्चतमः (नग)
?‍♂️उत्तर:
1.बालः पाठशालागमनवेलायाम् क्रीडितुं निर्जगाम।
2.अस्मिन जगति प्रत्येक स्वकृत्ये निमग्नो भवति।
3.खगः शाखायाम् नीड करोति।
4.अस्मिन् निदाघदिवसे किमर्थ पर्यटसि?
5.नगेषु हिमालयः उच्चतमः परियोजनाकार्यम्परियोजनाकार्यम्

(क) एकस्य उद्यानस्य चित्र निर्माय संकलय्य वा पञ्चवाक्येषु तस्य वर्णन कुरुत।
?‍♂️उत्तर:
1.चित्रे एक अद्यानं अस्ति।।
2.उद्याने अनेके वृक्षाः शोभन्ते।
3.अत्र विविधवर्णानि पुष्पाणि शोभन्ते।
4.पुष्पेषु भ्रमराः अपि तिष्ठन्ति।
5.एतद् दृश्य अतिमनोहरी वर्तते।
(ख) “परिश्रमस्य महत्त्वम्” इति विषये हिन्दी भाषया आङ्ग्लभाषया वा पञ्च वाक्यानि लिखत।
?‍♂️उत्तर: 1.परिश्रम रूपी सीढी से ही सफलता रूपी शिखर पर पहुँचा जा सकता है।
2.इस संसार में सभी जीव-जन्तु यहां कि चींटी भी परिश्रम के द्वारा ही जीवन-यापन करती है।
3.अभी तक दुनिया में प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचे लोगों से यदि उनकी सफलता का राज पूछा जाए तो वे एक हो शब्द में उत्तर देंगे और वह शब्द है-‘परिश्रम’।
4.धन लक्ष्मी भी परिश्रमी व्यक्ति का ही वरण करती
5.अतः मनुष्य को परिश्रमशील होना चाहिए, क्योंकि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
व्याकरणात्मकः बोधः
1. पदपरिचयः – (क)1.वयस्येषु – वयस्य शब्द, सप्तमी विभक्ति, बहुवचन। सङ्गी-साथियों में।
2.अनेन – इदम् (पु.) शब्द, तृतीया विभक्ति, एकवचन। इसके द्वारा।
3.मित्रम् – मित्र शब्द (पु.) प्रथमा विभक्ति, एकवचन। मित्र अस्मिन्- इदम् (पु.) शब्द, सप्तमी वि.. एकवचन। इस में
4.मे – अस्मद् शब्द के षष्ठी के मम के स्थान पर प्रयुक्त (मेरी) यह “महाम्” के स्थान पर भी प्रयुक्त होता है।
5.यैः – यत् (पु.) शब्द, तृतीया वि. बहुवचन। जिनके द्वारा।
6.ते – ‘तुभ्यम्’ के स्थान पर प्रयुक्त। तेरे लिए।
7.केलिभिः – केलि शब्द, तृतीया, बहुवचन। खेलों के द्वारा।

पदपरिचयः – (ख)

1.निर्जगाम् – निर् + गम् धातु, लिट्लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन। निकल गया।
2.आसीत् – अस् धातु, लङ्लकार. प्रथम पुरुष एकवचन। था।
3.बभूवु – भू धातु. लिट्लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन। हुए।
4.प्रविवेश – प्र + विश् धातु. लिट्लकार, प्र.पु. एकवचन। प्रविष्ट हुआ।
5.आह्वयत् – आ + हे धातु, लङ्लकार, प्र.पु.. एकवचन। पुकारा
6.आश्रयस्व – आ + श्रि धातु, लोट्लकार, म.पु., एकवचन। आश्रय ग्रहण करो
7.लेभे – लभ् (आ.प), लिट्लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन। प्राप्त किया।
8.उवाच – वच् धातु, लिट्लकार, प्र.पु., ऐकतचन। बोला।

भ्रान्तः कश्चन ………………………………. प्रविवेश 

सरलार्थ – कोई भटका (पथभ्रष्ट) बालक विद्यालय जाने के समय पर खेलने के लिए बाहर निकल गया। लेकिन उसके साथ खेलकुद में समय बिताने के लिए, उस समय कोई भी साथी (मित्र) उसे नहीं मिल रहा था। क्योंकि वे सभी पहले दिन के (विद्यालय में पठित) पाठों को याद कर विद्यालय जाने की जल्दी में थे। आलसी वह बालक लज्जा (शर्म) के कारण उनकी निगाह बचाकर अकेला ही किसी उद्यान (बाग) में प्रविष्ट हो जाता है।

स चिन्तयामास …………………….. वयस्या इति ।

सरलार्थ – उसने सोच-“रहने दो इन बेचारे पुसतकदासों को अर्थात् ये किताबी कीडे मरे साथ खेलने नही चलते हैं तो रहने दो। मैं तो अपना मनोरञ्जन ही करूँगा। नहीं तो पुिर से उस कुपित शिक्षक का मुंह देखना पड़ेगा। (विद्यालय में गया ता) ठीक है, मैं इन कोटरवासियों (वृक्ष के कोटर रूपर घर में रहने वाले) पक्षियों को ही साथी बना लेता हूँ। (पक्षी ही मेरे साथ खेलने वाले साथी होंगे।)

अथ स पुषोद्यानं ……………. स्वकर्मव्यग्रो बभूव ।

सरलार्थ – उसने बाद उसने बगीचे में जाते भ्रमर को देखा तो उसे अपने साथ खेलने के लिए बुलाया। दो-तीन बार उसके बुलाने भी वह भ्रमर नहीं माना। तब उस बालक के बार-बार हठ (जिद करने पर वह गाने लगा, अर्थात् “हम तो मधू (फलों का मीठा रस, शहद) का संचय करने में व्यस्त है।” (हमारे पास खेलने को समय नहीं हैं) तब उस बालक ने “व्यर्थ में, गर्व (घमण्ड) से युक्त इस कौडे को रहने दो।” अतः दूसरी ओर निगाह करने पर, चोंच में घास (सूखी घास) के तिनके ले जाने हुए चटक (नर चिड़िया) को देखा और (वह) बोला-“अरे प्रिय चिड़े। (चिड़िया के बच्चे) तुम मनुष्य (मेरे) मित्र बनोगे, चलो खेलते हैं। छोड़ो इस सूखी घास को, मैं तुम्हें स्वादिष्ट तथा खाने की शाखा (टहनी) दंगा। परन्तु वह तो “वटवृक्ष की शाखा” ‘ठहनी) पर घोसला बनाना है, इसलिए मुझे तो कार्य (करना) है, मैं जा रहा हूँ।” यह कहकर अपना कार्य करने में व्यस्त हो गया।

तदा खिन्नो …………………….. प्रत्याह  –

सरलार्थ – तब खिन्न (उदास) हुए उस बालक ने पक्षी (मुझ जैसे) मनुष्यों के पास नहीं आते, इसलिए मनुष्य की रतह मनोरञ्जन करने वाले किसी अन्य (प्राणी) को देखता (खोजता) हूँ (ऐसा सोचकर) घूमकर उसने भागे जाते हुए एक कुत्ते को देखा। प्रसन्न हुए बालक ने उसे प्रकार से सम्बोधित किया-“अरे। मनुष्य के मित्र! क्यों तुम इस गर्मी के दिन में (व्यर्थ) भटक रहे हो? इस पेड़ के नीचे की सघन और शीतल (ठण्डी) छाया का आश्रय ले लो। मैं भी तुम्हारे जैसे किसी, साथ खेलने वाले (सहयोगी) की तलाश में था”। कुत्ते ने उत्तर दिया

यो मां पुत्रप्रत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य।
रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि।। इति ।।सरलार्थ – जो मुझे पुत्र की भाँति प्रसन्नता पूर्वक भोजन देता है (पोषण करता है) उस स्वामी के घर की रक्षाकर्म (रखवाली) को करने में मैं जरा भी असावधानी नहीं कर सकता।” (अत: मैं जा रहा हूँ।)
सवैरेवं निषिद्धः ……………….. च लेभे ।

सरलार्थ – सभी के द्वारा इस प्रकार से मना कर दिए जाने पर खण्डित काम (निराश) वह बालक किस प्रकार से इस संसार में प्रत्येक प्राणी अपने अपने कार्य में तल्लीन रहता है। मेरी तरह कोई भी व्यर्थ में समय व्यतीत नहीं करता। इन सभी (प्राणियों) को नमन है जिहोंने मुझसे आलस्य के प्रति वैरस्य अर्थात् घृणा उत्पन्न कर दी। अतः मैं भी अपने योग्य कान करता हूँ, यह सोचकर वह शीघ्र पाठशाला में चला गया।
तब से लेकर वह (भ्रान्त) बालक विद्याभ्यासी बनकर महान् विद्वज्जनयोग्य प्रसिद्धि को तथा सम्पदा (धन-धान्य) को प्राप्त हुआ।

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