NCERT Solutions Class 8th Social Science Civics Chapter – 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली (Our Criminal Justice System) प्रश्न – उत्तर

NCERT Solutions Class 8th Social Science Civics Chapter – 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

Text BookNCERT
Class  8th
Subject  Social Science (नागरिक शास्र)
Chapter 6th
Chapter Name हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली(Our Criminal Justice System)
CategoryClass 8th Social Science Civics Question & Answer in Hindi 
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 8th Social Science Civics Chapter – 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली (Our Criminal Justice System) प्रश्न – उत्तर आपराधिक धाराएं कितनी होती हैं?, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम क्या है?, आपराधिक कानून के उद्देश्य क्या है?, अपराध के कितने तत्व होते हैं?, अपराध शास्त्र का पिता कौन है?, कानून कितने प्रकार के होते हैं?, भारत का कानून किसने लिखा था?, तीन 3 प्रकार के कानून क्या हैं?, भारत के कानून मंत्री कौन है?, भारत में कितने कानून हैं?, भारत में 2022 में कितने कानून हैं?, देश के शिक्षा मंत्री कौन हैं?

NCERT Solutions Class 8th Social Science Civics Chapter – 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

Chapter – 6

हमारी आपराधिक न्याय

प्रश्न – उत्तर

अभ्यास – प्रश्न 

प्रश्न 1. पीसलैंड नामक शहर में फिएस्ता फुटबॉल टीम के समर्थकों को पता चलता है कि पास के एक शहर में जो वहाँ से लगभग 40 किमी. है, जुबली फुटबाल टीम के समर्थकों ने खेल के मैदान को खोद दिया है। वहीं अगले दिन दोनों टीमों के बीच अंतिम मुकाबला होने वाला है। फिएस्ता के समर्थकों का एक झुंड घातक हथियारों से लैस होकर अपने शहर के जुबली समर्थकों पर धावा बोल देता है। इस हमले में दस लोग मारे जाते हैं, पाँच औरतें बुरी तरह जख्मी होती हैं, बहुत सारे घर नष्ट हो जाते हैं और पचास से ज्यादा लोग घायल होते हैं।
कल्पना कीजिए कि आप और आपके सहपाठी आपराधिक न्याय व्यवस्था के अंग हैं। अब अपनी कक्षा को इन चार समूहों में बाँट दीजिए

  1. पुलिस
  2. सरकारी वकील
  3. बचाव पक्ष का वकी
  4. न्यायाधीश

निम्न तालिका के दाएँ कॉलम में कुछ जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। इन जिम्मेदारियों को बाईं ओर दिए गए अधिकारियों की भूमिका के साथ मिलाएँ। प्रत्येक टोली को अपने लिए उन कामों का चुनाव करने दीजिए जो फिएस्ता समर्थकों की हिंसा से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक हैं। ये काम किस क्रम में किए जाएँगे?

भूमिकाएँ कार्य
पुलिस(i) फिएस्ता समर्थकों को गिरफ्तार करना
(ii) हमले की शिकार महिलाओं की डॉक्टरी जाँच करना
(iii) जले हुए घरों की तस्वीरें लेना
(iv) सबूत दर्ज करना
(v) गवाहों के बयान दर्ज करना
सरकारी वकील(i) अदालत में गवाहों की जाँच करना
(ii) पीड़ितों का पक्ष प्रस्तुत करना
बचाव पक्ष का वकील(i) आरोपी व्यक्तियों से मिलना
(ii) गवाहों से बहस करना
न्यायाधीश(i) गवाहों को सुनना
(ii) निष्पक्ष सुनवाई करना
(iii) यह तय करना कि आरोपी कितने साल जेल में रहेंगे
(iv) फैसला लिखना

उत्तर – पुलिस – फिएस्ता समर्थकों को गिरफ्तार करना 
जले हुए घरों की तस्वीरें लेना 

हमले की शिकार महिलाओं की डॉक्टरी जाँच करना

सरकारी वकील – अदालत में गवाहों की जाँच करना 

बचाव पक्ष का वकील – आरोपी व्यक्तियों से मिलना
गवाहों से बहस करना
पीड़ितों का पक्ष प्रस्तुत करना 

न्यायाधीश – निष्पक्ष मुकद्दमा चलाना 

गवाहों को सुनना 
गवाहों के बयान दर्ज करना 
सबूत दर्ज करना 
फैसला सुनाना 

यह तय करना कि आरोपी कितने साल जेल में रहेंगे
फैसला लिखना 

निष्पक्ष सुनवाई एवं न्याय के लिए यह आवश्यक है कि चारों प्रकार के कार्य अलग – अलग लोगों या संस्थाओं द्वारा किए जाने चाहिए। यदि सभी कार्य एक ही व्यक्ति द्वारा किए जाएंगे तो अभियोगी को न्याय नहीं मिल पाएगा।

प्रश्न 2. अब यही स्थिति लें और किसी ऐसे विद्यार्थी को उपरोक्त सारे काम करने के लिए कहें जो फिएस्ता क्लब का समर्थक है। यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो क्या आपको लगता है कि पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा? क्यों नहीं?
उत्तर – पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाएगा, क्योंकि

  1. एक व्यक्ति के हाथों में सारी शक्तियाँ होने पर भेदभाव की संभावना बढ़ जाती है।
  2. शक्ति के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है।
  3. एक ही व्यक्ति द्वारा सभी यानि पुलिस, सरकारी वकील, बचाव पक्ष का वकील, न्यायाधीश आदि के कार्यों को भलीभाँति करना संभव नहीं है।
प्रश्न 3. आप ऐसा क्यों मानते हैं कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलग-अलग भूमिका निभानी चाहिए? दो कारण बताएँ।
उत्तर – विभिन्न लोगों को अलग-अलग भूमिकाएँ, क्योंकि-

  1. इससे शक्ति किसी एक जगह केंद्रित नहीं होगी और इससे अन्याय की संभावना कम होगी।
  2. जब अलग-अलग भूमिकाओं में विभिन्न लोग काम करेंगे तो वे कार्यों को अच्छी तरह से कर सकेंगे। भेदभाव को पनपने का मौका नहीं मिल पाएगा।

पाठगत प्रश्न

प्रश्न 1. आपको ऐसा क्यों लगता है कि पुलिस हिरासत के दौरान अपनी गलती मानते हुए आरोपी द्वारा दिए। गए बयानों को उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता?
उत्तर – पुलिस हिरासत के दौरान अपनी गलती मानते हुए आरोपी द्वारा दिए गए बयानों को उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि पुलिस हिरासत के दौरान हो सकता है कि आरोपी ने पुलिस की मारपीट से डरकर या किसी दबाव में आकर बयान दिया हो।
प्रश्न 2. आइए अब शांति की कहानी पर वापस लौटते हैं और इन सवालों के जवाब खोजते हैं-
( क) जब चोरी के इल्जाम में शांति को गिरफ्तार किया गया, उसी दौरान सब-इंस्पेक्टर राव ने उसके भाई सुशील को भी दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखा। क्या उसको हिरासत में रखने की कार्रवाई कानूनन सही थी? क्या इससे डी.के. बसु दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ है?
(ख) क्या सब-इंस्पेक्टर राव ने शांति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा दायर करने
से पहले गवाहों से पर्याप्त सवाल पूछे और जरूरी सबूत इकट्ठा किए थे? पुलिस की जिम्मेदारियों के हिसाब से आपकी राय में सब-इंस्पेक्टर राव को जाँच के लिहाज से और क्या-क्या करना चाहिए था?
उत्तर –
(क) सब-इंस्पेक्टर राव द्वारा शांति के भाई सुशील को दो दिन तक पुलिस हिरासत में रखने की कार्रवाई कानूनन गलत थी। इससे डी. के. बसु के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।
(ख) सब-इंस्पेक्टर राव ने शांति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा दायर करने से पहले गवाहों से पर्याप्त सवाल नहीं पूछे और न ही पर्याप्त सबूत इकड़े किए। पुलिस की जिम्मेदारियों के हिसाब से सब-इंस्पेक्टर राव को जाँच के लिहाज से निम्नलिखित कार्य करने चाहिए थे।

  1. शांति की गिरफ्तारी के समय अरेस्ट मेमो के रूप में गिरफ्तारी संबंधी पूरी जानकारी के कागज तैयार करने चाहिए थे।
  2. अरेस्ट मेमो पर शांति के दस्तखत करवाने चाहिए थे
  3. शांति के किसी जानने वाले या रिश्तेदार को जानकारी दी जानी चाहिए थी।
प्रश्न 3. आइए अब थोड़ी अलग स्थिति में मामले को देखते हैं। मान लीजिए कि शांति और उसको भाई सुशील थाने में जाकर यह शिकायत करते हैं कि शिंदे के 20 वर्षीय बेटे ने उनकी बचत के 15,000 हजार रुपए चुरा लिए हैं। क्या आपको लगता है कि थाने का प्रभारी अधिकारी फौरन उनकी एफ.आई. आर. दर्ज कर लेगा? ऐसे कारक लिखिए जो आपकी राय में एफ.आई.आर. लिखने या न लिखने के पुलिस के फैसले को प्रभावित करते हैं।
उत्तर – थाने का प्रभारी अधिकारी शांति व उसके भाई सुशील की एफ.आई.आर. फौरन दर्ज नहीं करेगा। एफ.आई.आर. न लिखने के पुलिस के फैसले को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

  1. शांति गरीब घरेलू नौकरानी है और जिस पर चोरी का इल्जाम लगा है वह अमीर बाप का बेटा | है। इसलिए गरीब होने के कारण पुलिस शांति के सही होने पर भी उसकी बात को दबाने की कोशिश करेगी।
  2. पुलिस अफसर उल्टा शांति तथा उसके भाई सुशील से सवाल करेगा कि उनके पास 15,000 रुपये कहाँ से आए। और उन्हें डरा-धमकाकर वहाँ से भगा देगी।
प्रश्न 4. सारे गवाहों के बयान सुनने के बाद न्यायाधीश ने शांति के मुकदमे में क्या कहा?
उत्तर –

  1. शांति को चोरी के आरोप से बरी कर दिया।
  2. पुलिस ने शांति से जो 10,000 रुपये बरामद किए थे उन्हें लौटाने का आदेश दिया।
  3. न्यायाधीश ने लिखित फैसले में कहा कि सब-इंस्पेक्टर राव ने ठीक से जाँच नहीं की जिसके कारण शांति को जेल जाना पड़ा।
प्रश्न 5. पृष्ठ 74 पर मोटे अक्षरों में जो प्रक्रियाएँ लिखी गई हैं वे सभी निष्पक्ष सुनाई के लिए बहुत जरूरी हैं। शांति के मुकदमे के इस विवरण के आधार पर अपने शब्दों में लिखें कि निम्नलिखित प्रक्रियाओं का आप क्या मतलब समझते हैं 

  1. खुली अदालत
  2. सबूतों के आधार पर
  3. अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह

उत्तर –

  1. खुली अदालत-शांति का मुकदमा जनता के सामने खुली अदालत में चलाया गया।
  2. सबूतों के आधार पर-न्यायाधीश ने अदालत के सामने पेश किए गए सबूतों के आधार पर शांति को बरी कर दिया।
  3. अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह-शांति की अधिवक्ता सुश्री राय को अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सारे गवाहों से सवाल पूछने का मौका दिया गया।
प्रश्न 6. अपनी कक्षा में चर्चा करें कि अगर शांति के मुकदमे में निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन न किया जाता तो क्या हो सकता था?

  1. अगर उसे अपने बचाव के लिए वकील न मिलती
  2. अगर अदालत उसे निर्दोष नहीं मानते हुए मुकदमा चलाती

उत्तर –

  1. अगर शांति को अपने बचाव के लिए वकील न मिलता तो उसे उस अपराध की सजा मिल जाती जो उसने किया ही नहीं था और उसके जमा किए गए पैसे भी वापिस नहीं मिलते।
  2. अगर अदालत उसे निर्दोष नहीं मानती और मुकदमा चलाती तो मुकदमे की सारी प्रक्रिया गलत होती और उसे इंसाफ नहीं मिलता।

चित्र आधारित प्रश्न

प्रश्न 1. उपरोक्त चित्रकथा पट्ट के आधार पर बताइए कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में कितने अधिकारी मुख्य लोग होते हैं। 
उत्तर – पुलिस, सरकारी वकील, बचाव पक्ष का वकील और न्यायाधीश, ये चार अधिकारी आपराधिक न्यारा व्यवस्था में मुख्य लोग होते हैं।

NCERT Solution Class 8th राजनीतिक शास्त्र Question Answer in Hindi