NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी (History and Sport: the Story of Cricket)
Text Book | NCERT |
Class | 9th |
Subject | Social Science (History) |
Chapter | 7th |
Chapter Name | इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी (History and Sport: the Story of Cricket) |
Category | Class 9th Social Science History |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी (History and Sport: the Story of Cricket) Notes In Hindi हम इस अध्याय में क्रिकेट की कहानी, क्रिकेट का अनूठापन, सबसे लंबा खेल, क्रिकेट के साजो सामान, मैदान का आकार इत्यादि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी (History and Sport: the Story of Cricket)
Chapter – 7
इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी
Notes
क्रिकेट की कहानी- कोई 500 वर्ष पहले इंगलैंड में डंडे और गेंद से कई तरह के खेल खेले जाते थे। उन्हीं खेलों से क्रिकेट का विकास हुआ है। बैट अंग्रेजी का एक पुराना शब्द है जिसका अर्थ होता है डंडा। सत्रहवीं सदी के आस पास क्रिकेट को एक खेल की हैसियत मिलने लगी थी।
- अठारहवीं सदी के मध्य तक बैट की आकृति कुछ कुछ हॉकी स्टिक जैसी थी। उस जमाने में बॉल को लुढ़काकर (अंडरआर्म) फेंका जाता था। इसलिए बैट के मुड़े हुए सिरे से बॉल को मारने में सहूलियत होती थी।
- खेल हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। खेल के जरिए हम मनोरंजन करते हैं और प्रतिस्पर्धा भी करते हैं। खेल के जरिए हम अपनी सामाजिक तरफदारी की अभिव्यक्ति भी करते हैं। सामाजिक तरफदारी के दृष्टिकोण से (खासकर उपनिवेशवाद के परिप्रेक्ष्य में) क्रिकेट के इतिहास को समझना जरूरी हो जाता है।
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क्रिकेट का अनूठापन – अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के दौरान इंग्लैंड के सामाजिक और आर्थिक इतिहास ने क्रिकेट के अनूठेपन को विकसित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। |
सबसे लंबा खेल – - अन्य आधुनिक खेलों की तुलना में क्रिकेट के खेल को पूरा होने में बहुत अधिक समय लगता है। क्रिकेट का टेस्ट मैच पाँच दिनों तक चलने के बावजूद ड्रॉ हो जाता है यानि खेल का कोई नतीजा ही नहीं निकलता। एकदिवसीय मैच को पूरा एक दिन लग जाता है।
- क्रिकेट के सबसे छोटे संस्करण, यानि ट्वेंटी-ट्वेंटी को भी पूरा होने में चार घंटे लग जाते हैं। अधिकतर आधुनिक खेलों को पूरा होने में नब्बे मिनट लगते हैं।
- क्रिकेट के लंबा चलने का राज इस बात में है कि इसकी उत्पत्ति पूर्व-औद्योगीकरण के समय हुई जब अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित थी। जब खेती का मौसम नहीं होता था तो लोगों के पास क्रिकेट देखने के लिए समय ही समय था। इसलिए क्रिकेट का एक खेल कई दिनों तक चलता था।
- शुरु में क्रिकेट मैच पर समय की कोई पाबंदी नहीं होती थी। एक टेस्ट मैच तब तक चलता रहता था जब तक कि एक टीम दूसरी टीम को दो बार ऑल आउट न कर दे। लोगों के पास इतना समय था कि लंबे समय तक चलने वाले खेल का वे भरपूर आनंद लेते थे।
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क्रिकेट के साजो सामान – क्रिकेट के सामानों से भी इस खेल और इंग्लैंड के गाँव के जीवन के बीच के संबंध का पता चलता है। बैट को विलो नामक लकड़ी से बनाया जाता है जो इंग्लैंड में बहुतायत से उगता है। पहले बैट को लकड़ी के एक ही टुकड़े से बनाया जाता था। अब विलो से बैट बनता है और बैट के हैंडल को केन (बेंत) से बनाया जाता है। उपनिवेशों में केन बहुतायत से मिलता था इसलिए केन का इस्तेमाल होने लगा। स्टंप और बेल्स भी लकड़ी से बनते हैं। क्रिकेट की बॉल को कॉर्क और चमड़े से बनाया जाता है। अन्य आधुनिक खेलों के साजो सामान अक्सर कृत्रिम पदार्थों से बनते हैं। |
मैदान का आकार – क्रिकेट की पिच की लंबाई निर्धारित (22 गज) होती है, लेकिन मैदान का आकार और आकृति निर्धारित नहीं होती है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग आकार और आकृति के मैदान मिलते हैं। लेकिन नियम बनाने वाले खेलों में क्रिकेट अग्रणी रहा है। क्रिकेट के नियम समय के साथ विकसित हुए हैं। शुरु के दौर में क्रिकेट का खेल कॉमन्स (खुले खेतों) की जमीन पर खेला जाता था। इन जमीनों की कोई सीमारेखा नहीं होती थी। दोनों कप्तानों की सहमति से अंपायर सीमारेखा खींचता था। |
नियमों का विकास- क्रिकेट के सबसे पहले नियम 1744 में बनाए गए थे। हाजिर शरीफ (जेंटलमैन) दो अंपायर को चुनते थे। किसी भी विवाद को निबटाने के लिए अंपायर का फैसला अंतिम माना जाता था। इन नियमों में हर जरूरी नापजोख के बारे में लिखा गया था, जैसे कि स्टंप की ऊँचाई, बेल्स (गिल्ली) की लंबाई, बॉल का वजन और पिच की लम्बाई।
- सबसे पहला क्रिकेट क्लब हैम्बलडन में 1760 में बना था। मैरिलीबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की स्थापना 1787 में हुई थी। एमसीसी ने 1788 में पहली बार क्रिकेट नियमों का रीविजन छापा था और फिर क्रिकेट के नियमों का रखवाला बन गया।
- 1760 और 1770 के दशक में गेंद को हवा में लहराकर फेंकने का यानि ओवरआर्म बॉलिंग का प्रचलन शुरु हो गया। इससे गेंदबाजों को गेंद की लेंथ, हवा में चकमा देने और बॉल की पेस बढ़ाने का मौका मिला। इस तरह की बॉलिंग से स्पिन और स्विंग गेंदबाजी की संभावनाएँ जगने लगीं।
- अब सिरे पर मुड़े हुए बैट की जगह सीधे बैट इस्तेमाल होने लगे। सीधे बैट के कारण बैटमैन केवल दमदार हिटिंग पर निर्भर नहीं था बल्कि अब उसे अपनी बैटिंग तकनीक को सुधारने का मौका मिला।
- एक बार एक बल्लेबाज एक बैट लेकर आया जो विकेट जितनी चौड़ी थी। उसके बाद से बैट की चौड़ाई चार इंच तक ही रखने का नियम बना। बॉल का वजन 5.5 से 5.75 आउंस रखा गया। इसी दौरान तीसरा स्टंप भी इस्तेमाल होने लगा। 1780 तक अधिकतर प्रमुख मैच तीन दिनों तक चलते थे। 1780 में पहली बार छ: सीवन वाली गेंद का इस्तेमाल हुआ।
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उन्नीसवीं सदी में क्रिकेट में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।- वाइड गेंद के लिए नियम बना।
- बॉल के घेरे (परिधि) को निश्चित किया गया।
- पैड और हेल्मेट जैसे सुरक्षा उपकरण शामिल किए गए।
- बाउंड्री (चौका और छक्का) की शुरुआत हुई।
- ओवरआर्म बॉलिंग को कानूनी घोषित किया गया।
- क्रिकेट और विक्टोरियाई इंग्लैंड।
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जेंटलमैन और खिलाड़ी – शौकिया खिलाड़ियों को जेंटलमैन कहा जाता था जबकि पेशेवर को खिलाड़ी कहा जाता था। मैदान पर पहुँचने के लिए दोनों के लिए अलग अलग गेट होते थे। बैटिंग करने की जिम्मेदारी जेंटलमैन की होती थी। बॉलिंग और फील्डिंग जैसे काम खिलाड़ियों से करवाये जाते थे। आज भी क्रिकेट के अधिकतर नियम बल्लेबाजों के पक्ष में होते हैं। आउट की अपील की स्थिति में बैट्समैन ही होता है जिसे बेनिफिट ऑफ डाउट मिलता है। टीम का कप्तान भी बैट्समैन यानि जेंटलमैन होता था। 1930 के दशक में पहली बार कोई खिलाड़ी इंग्लिश टीम का कप्तान बना जब लेन हटन को कप्तान बनाया गया। |
उपनिवेशों का खेल- आज इंग्लैंड में जन्मे कुछ खेल (हॉकी और फुटबॉल) को पूरी दुनिया में खेला जाता है, लेकिन क्रिकेट अब तक एक उपनिवेशी खेल ही है। क्रिकेट उन्हीं देशों तक सीमित है जहाँ पहले अंग्रेजी साम्राज्य के उपनिवेश हुआ करते थे।
- अधिकतर उपनिवेशों में क्रिकेट वहाँ के गोरों के बीच लोकप्रिय था, जैसे दक्षिण अफ्रिका, जिंम्बाब्वे, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्ट इंडीज और केन्या में। लेकिन भारत में यह स्थानीय अभिजात वर्ग में भी लोकप्रिय हुआ क्योंकि वे लोग अपने उपनिवेशी आकाओं की नकल करना चाहते थे।
- उपनिवेश के स्थानीय लोगों के लिए क्रिकेट खेलना और उसमें महारत हासिल करने का मतलब था आत्मसम्मान और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति पाना।
- जब वेस्ट इंडीज ने इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट सीरीज 1950 में जीता था तो उसे एक राष्ट्रीय उपलब्धि के रूप में मनाया गया था।
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