NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे (Pastoralists In The Modern World) Question & Answer In Hindi

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 5 वन्य आधुनिक विश्व में चरवाहे (Pastoralists In The Modern World)

Text BookNCERT
Class  9th
Subject  Social Science (History)
Chapter 5th
Chapter Nameआधुनिक विश्व में चरवाहे (Pastoralists In The Modern World)
CategoryClass 9th Social Science History
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे (Pastoralists In The Modern World) Question & Answer In Hindi चरवाही टैक्स कब लागू किया गया, चरवाहे कितने प्रकार के होते हैं, धंगर कहाँ का एक चरवाहा समुदाय, चरवाहों ने इन बदलावों का सामना कैसे किया, चरवाहों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा, चरवाहों ने नए समय के अनुकूल कैसे किया, चरवाहे घुमंतू क्यों होते हैं, चरवाहा कबिला है, हिमाचल प्रदेश के चरवाहों को क्या कहा जाता था, उत्तराखंड में चरवाहों को क्या कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश का पुराना नाम क्या है आदी Chapter – 5 के Question Answer करेंगे।

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे (Pastoralists In The Modern World)

Chapter – 5

आधुनिक विश्व में चरवाहे

प्रश्न – उत्तर

प्रश्न 1. स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ हैं?
उत्तर –
घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह इसलिए जाना पड़ता था क्योकि जब वह चरगहो में वर्षा नहीं होती थी तो वह सुख जाते थे इसलिए उनको एक जगह से दूसरी जगह पर जाना पड़ता था

निरंतर आवागमन से पर्यावरण को निम्नलिखत प्रकार से लाभ है-

1. जिस चरगहे से वह जाते थे उस चरगहे पर नए-नए पेड़-पौधे, फल-फूल आदि उग जाते थे
2. जिस चरगहे पर खेती होती थी वह पर घुमंतू समुदायों मवेशी गोबर करके कीटो को और उपजाऊ कर देते थे

प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा?

परती भूमि नियमावाली
वन अधिनियम
अपराधी जनजाति अधिनियम
चराई कर


उत्तर – परती भूमि नियम – 
इस नियम के तहत सरकार गैर-खेतिहर ज़मीन को अपने कब्जे में लेकर कुछ खास लोगों को सौंपने लगी। इन लोगों को कई तरह की रियायतें दी गईं और इस जमीन को खेती लायक बनाने और खेती करने को बढ़ावा दिया गया। ज्यादातर जमीन चरगाहों की थी जिनका चरवाहे नियमित रुप से इस्तेमाल करते थे। खेती के फैलाव से चरागाह सिमटने लगे और चरवाहों के लिए समस्या पैदा हो गई।

वन अधिनियम – इस अधिनियम के द्वारा सरकार ने ऐसे जंगलों को ‘आरक्षित’ वन घोषित कर दिया जहाँ देवदार या साल जैसी कीमती लकड़ी पैदा होती थी। इन जंगलों में चरवाहों के घुसने पर पाबंदी लगा दी गई। कई जंगलों को ‘संरक्षित’ घोषित कर दिया गया। इन जंगलों में चरवाहों को चरवाही के कुछ परंपरागत अधिकार तो दिए गए लेकिन उनकी आवाजाही पर बंदिशें लगी रहीं।

अपराधी जनजाति अधिनियम – इस कानून के तहत दस्तकारों, व्यापारियों और चरवाहों के बहुत सारे समुदायों को अपराधी की सूची में रख दिया गया। उन पर बिना परमिट आवाजाही पर रोक लगा दी गई। ग्राम्य पुलिस उन पर सदा नजर रखने लगी।

चराई कर – उन्नीसवीं सदी के मध्य से ही देश के ज्यादातर चरवाही इलाकों में चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया था। हरेक चरवाहे को एक पास दिया गया। चरागाह में दाखिल होने के लिए चरवाहों को पास दिखाकर पहले टैक्स अदा करना होता था।

प्रश्न 3. मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएँ।
उत्तर –
मासाई अफ्रीका के चरवाही समुदाय थे। वे मुख्यरूप से केन्या तथा तंज़ानिया में रहते थे। उन्नीसवीं सदी के अंत में यूरोप की साम्राज्यवादी ताकतों ने अफ्रिका में कब्जे के लिए मारकाट शुरु कर दी। बहुत सारे इलाकों को छोटे-छोटे उपनिवेशों में तब्दील कर अपने कब्जे में ले लिया। 1885 में मासाईलैंड को ब्रिटिश कीनिया और जर्मन तांगान्यिका के बीच एक अंतरराष्ट्रीय सीमा खींचकर बराबर-बराबर हिस्सों में बाँट दिया गया। गोरों को बचाने के लिए बेहतरीन चरागाहों को अपने कब्जे में ले लिया। मासाइयों को दक्षिण कीनिया और उत्तरी तंज़ानिया के छोटे से इलाके में समेट दिया गया।

औपनिवेशिक शासन से पहले मासाइयों के पास जितनी ज़मीन थी उसका लगभग 60 फ़ीसदी हिस्सा उनसे छीन लिया गया। उन्हें ऐसे सूखे इलाकों में कैद कर दिया गया जहाँ न तो अच्छी बारिश होती थी और न ही हरे-भरे चरागाह थे। उन्नीसवीं सदी के अंतिम सालों में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार पूर्वी अफ़्रीका में भी स्थानीय किसानों को अपनी खेतो के क्षेत्रफल को ज़्यादा से ज़्यादा फैलाने के लिए प्रोत्साहित करने लगी। जैसे – जैसे खेती का प्रसार हुआ वैसे – 2 चरागाह खेतों में तब्दील होने लगे। बहुत सारे चरागाहों को शिकारगाह बना दिया गया। कीनिया में मासाई मारा व साम्बुरु नेशनल पार्क और तंज़ानिया में सेरेंगेटी पार्क जैसे शिकारगाह इसी तरह आस्तित्व में आए थे। इन आरक्षित जंगलों में चरवाहों का आना-मना था। इन इलाकों में न तो वे शिकार कर सकते थे और न अपने जानवरों को चरा सकते थे।

प्रश्न 4. आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मसाई गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
उत्तर –
क्योंकि भारत और पूर्वी अफ्रीका दोनों ही यूरोपीय साम्राज्यवादी ताकतों के अधीन थे, इसलिए उनके शोषण का तरीका भी एक जैसा ही था।

(क) भारत और पूर्वी अफ्रीका के चरवाहा समुदाय खानाबदोश थे और इसलिए उन पर शासन करने वाली औपनिवेशिक शक्तियाँ उन्हें अत्यधिक संदेह की दृष्टि से देखती थीं। यह उनके और अधिक पतन का कारण बना।

(ख) दोनों स्थानों के चरवाहा समुदाय अपनी-अपनी चरागाहें कृषि भूमि को तरजीह दिए जाने के कारण खो बैठे। भारत में चरागाहों को खेती की जमीन में तबदील करने के लिए उन्हें कुछ चुनिंदा लोगों को दिया गया। जो जमीन इस प्रकार छीनी गई थी वे अधिकतर चरवाहों की चरागाहें थीं। ऐसे बदलाव चरागाहों के पतन एवं चरवाहों के लिए बहुत सी समस्याओं का कारण बन गए। इसी प्रकार अफ्रीका में भी मासाई लोगों की चरागाहें श्वेत बस्ती बसाने वाले लोगों द्वारा उनसे छीन ली गई और उन्हें खेती की जमीन बढ़ाने के लिए स्थानीय किसान समुदायों को हस्तांतरित कर दिया गया।

(ग) भारत और अफ्रीका दोनों में ही जंगलों को यूरोपीय शासकों द्वारा आरक्षित कर दिए गए और चरवाहों का इन जंगलों में प्रवेश निषेध कर दिया गया। ये आरक्षित जंगल इन दोनों देशों में अधिकतर उन क्षेत्रों में थे जो पारंपरिक रूप से खानाबदोश चरवाहों की चरागाह थे।

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Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

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