NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 7 गति (Motion) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 7 गति (Motion)

TextbookNCERT
Class9th
Subjectविज्ञान (Science)
Chapter7th
Chapter Nameगति (Motion)
CategoryClass 9th विज्ञान (Science)
MediumHindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 7 गति (Motion) Notes In Hindi जिसमे हम गति क्या होता है?, भौतिक अवस्था कितने प्रकार के होते है, गति का हिंदी क्या होगा?, गति के नियम का सूत्र क्या है?, गति किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?, गति क्या है गति के प्रकार?, गति की माप क्या है?, गति का 3 नियम कौन सा है?, गति के 4 मुख्य प्रकार क्या हैं?, गति का प्रथम नियम क्या है?, गति और उदाहरण क्या है?, गति के कितने नियम होते हैं? notes के बारे में विस्तार से पढेंगें।

NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 7 गति (Motion)

Chapter – 7

गति

Notes

भौतिक अवस्था

  • गतिज अवस्था
  • विरामावस्था
  • स्थिति में कोई बदलाव नहीं

स्थिति मे लगातार बदलाव

  • दोलन गति
  • एक समान गति – समान समय में समान दूरी तय करना
  • असमान गति – समान समय में असमान दूरी तय करना
  • रेखीय गति – रेखीय पथ पर
  • वृत्तीय गति – वृत्ताकार पथ पर

समान समय में असमान दूरी तय करना

  • त्वरण गति – समय के साथ गति बढ़ना
  • मंदन गति – समय के साथ गति घटना
  • दूरी – चला गया वास्तविक पथ
  • विस्थापन – प्रारंभिक और अंतिम स्थिति के बीच न्यूनतम दूरी

समय के साथ गति घटना

  • समान त्वरणीय गति
  • असमान त्वरणीय गति

चला गया वास्तविक पथ

  • चाल – ‘चली गई दूरी वेग/समय ( मात्रक m/s अदिश राशि (केवल मापन)
  • विस्थापन –  समय (मात्रक m/s सदिश राशि दिशा एवम् परिमाण)

गति के समीकरण

  • v = u + at
    प्रथम समीकरण
  • s = ut + 1/2 at
    दूसरा समीकरण
  • v = U2+2as
    तीसरा समीकरण
  • यहाँ
    v = अंतिम वेग
    u = आरम्भिक वेग
    a = त्वरण
    t = लिया गया समय
    s = तय की गयी दूरी

विरामावस्था – कोई वस्तु विरामावस्था में तब कहलाएगी जब उसकी स्थिति में किसी एक बिन्दु के सापेक्ष कोई बदलाव न हो रहा हो।

गतिक अवस्था – यदि किसी वस्तु की स्थिति में लगातार बदलाव हो ( किसी एक बिन्दु के सापेक्ष), तब यह वस्तु गतिजावस्था में कहलाई जाएगी।

गतिजावस्था के प्रारूप – विभिन्न तरह के पथ पर विभिन्न तरह की गतिजावस्थाएँ होती हैं। विभिन्न गतिजावस्थाओं के प्रारूप निम्नलिखित हो सकते हैं-

(i) वृतीय गति – गोलाकार पथ ।
(iii) रेखीय गति – रेखीय पथ ।
(iii) कंपन गति – दोलन पथ ।

मूल भौतिक राशियाँ – वह राशियाँ जिन्हें मापा जा सकता है वह भौतिक राशियाँ कहलाती है। मूल भौतिक राशियों की संख्या सात है। भौतिक राशि के दो भाग होते है पहला उसका परिमाण और दूसरा उसकी इकाई ।

SI इकाई / मात्रक

राशि का नामनामसंकेत
लम्वाई
द्रव्यमान
समय
विधुत धारा
ताप
ज्योति तीव्रता
पदार्थ की मात्रा
मीटर
किलोग्राम
सेकण्ड
एम्पियर
कैल्विन
कॅडिला
मोल
m
Kg
S
A
K
Cd
mol

भौतिक राशियों के दो वर्गों में रखा जाता है।
1) अदिश राशि
2) सदिश राशि

अदिश राशि – यदि किसी भौतिक इकाई का केवल परिमाण हो और दिशा न हो तब वह भौतिक इकाई अदिश राशि में गिनी जायेगी। उदाहरण- चाल, दूरी, द्रव्यमान, समय, ताप इत्यादि।

सदिश राशि – इन भौतिक इकाईयों का परिमाण और दिशा दोनों ही होती हैं। उदाहरण – वेग, विस्थापन, बल, सवेग, त्वरण, इत्यादि ।

दूरी तथा विस्थापन

  • वास्तविक पथ (जो कोई वस्तु अपनी प्रारम्भिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है) का माप उसकी दूरी कहलाती है।
  • दूरी एक अदिश राशि है जिसका केवल मापन (परिमाण) होता है, दिशा नहीं होती है।
    उदाहरण – रमेश 65 किमी. की दूरी चलता है।
  • विस्थापन – किसी वस्तु की प्रारम्भिक एवं अतिंम स्थिति के बीच न्यूनतम दूरी का मापन होता है।
  • विस्थापन एक सदिश राशि है जिसका मापन और दिशा दोनों होती हैं। उदाहरण – रमेश
    घंटाघर से 65 किमी. दक्षिण-पश्चिम दिशा में जाता है
  • विस्थापन का अंकीय मान शून्य हो सकता है (यदि किसी वस्तु का प्रारम्भिक और अंतिम
    स्थिति एक हो, जैसा कि गोलाकार पथ में होता है।)
  • दूरी और विस्थापन के से ‘S’ निरूपित किया जाता है।
  • दूरीविस्थापन
    1. वास्तविक पथ (जो कोई वस्तु अपनी प्रारम्भिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है) का माप उसकी दूरी कहलाती है।
    2. यह एक अदिश राशि है। केवल मापन होता है।
    3. यह हमेशा धनात्मक होती है और कभी भी ‘0’ नही होती।
    4. दूरी किसी रेखीय पथ में विस्थापन के बराबर हो सकती है या इसका मापन विस्थापन के मापन से अधिक होता है।
    1. विस्थापन वस्तु की प्रारम्भिक एवं अंतिम स्थिति के बीच न्यूनतम दूरी का मापन होता है।
    2. यह एक सदिश राशि है। मापन और दिशा दोनो होते है।
    3. यह इकाई धनात्मक, एव शून्य भी हो सकती है।
    4. इस इकाई का मापन या तो दूरी के मापन के
      बराबर होगा या फिर कम होगा।

    एक समान गति एवं असमान गति –

    एक समान गति – यदि कोई वस्तु समान समयांतरल में समान दूरी तय करे तो वह एक समान गति से विचरण कर रहा होता है। जैसे घडी की सुईयों की गति

    असमान गति – यदि कोई अलग-अलग दूरी अलग-अलग समय में पूरी करे तब वह असमान गति से विचरण कर रही होती है। जैसे व्यस्त सड़क पर कार की गति।

    असमान गति के दो प्रारूप हो सकते हैं –

    (i) असमान गति – यदि कोई अलग-अलग दूरी अलग-अलग समय में पूरी करे तब वह असमान गति से विचरण कर रही होती है। जैसे व्यस्त सड़क पर कार की गति।

    (ii) मंदन गति – यदि वस्तु की गति समय के साथ लगातार घटती रहे तब वह मंदन गति कहलाएगी।

    चाल – गति के दर का मापन चाल कहलाता है। वस्तु की चाल का उसके द्वारा चली गई दूरी को समय से भाग देकर प्राप्त किया जा सकता है। चाल को ‘9’ से निरूपित किया जाता है।

    चाल = तय की गई दूरी/लिया गया समय v = s/t

  • चाल एक अदिश राशि है जिसका केवल मापन होता है। यह दिशारहित होती है।
  • चाल का मात्रक मीटर प्रति सेकण्ड होता है। (ms’, cms’,kmh”‘)
  • यदि कोई वस्तु समान गति से विचरण कर रहा है तो वह समान चाल द्वारा अपनी दूरी तय
    करता है।
  • पर यदि असमान गति हो तो वस्तु की चाल एक समान न रहकर बदलती रहती है।
  • इस स्थिति में (असमान स्थिति) किसी वस्तु की उसके पथ पर औसत चाल निकाली जाती है
    अथवा औसत चाल असमान गति की स्थिति में किसी वस्तु द्वारा चली गई कुल चाल की एक निश्चित माप है।
  • औसत चाल = कुल दूरी/कुल समय V = s/t

    रूपांतरण कारक-

    (i) चाल (किमी./घंटा) = 5/18 चाल (मीटर / सेकण्ड )(ii) चाल (मीटर/सेकण्ड) = 18/5 चाल (किमी. घंटा)वेग : दिशा के साथ चाल के मापन को वेग कहा जाता है।
    वेग = विस्थापन / समय

  • वेग एक सदिश राशि है जिसका परिमाप उसकी मापन और दिशा में परिवर्तन के साथ परिवर्तित होता रहता है । वेग को v में निरूपित किया जाता है।
  • एक रेखीय गति में औसत वेग की गणना औसत चाल के अनुरूप होती है
    औसत चाल = कुल विस्थापन/कुल समय
  • समान गति से परिवर्तन होने वाले वेग की स्थिति में औसत वेग की गणना निम्नलिखित तरह से
    की जाती है-
    औसत वेग = कुल विस्थापन/कुल समयऔसत वेग = प्रारम्भिक वेग + अंतिम वेग/2u अंतिम = u+ v/2                     प्रारम्भिक वेग : u अंतिम वेग ÷ vमात्रक मीटर / सेकण्डवेग = विस्थापन समय/← सदिश राशि
    समयवेग श्रणात्मक, धनात्मक एवं शून्य भी हो सकता है।

    त्वरण – असमान गति की स्थिति में (यदि लगातार वेग बढ़ रहा हो ) त्वरण होता है। वेग में समय के साथ परिवर्तन की दर को त्वरण कहा जाता है।

    त्वरण = वेग में परिवर्तन/समय
    = अंतिम वेग – प्रारम्भिक वेग/समयत्वरण = v – u/tv = अंतिम वेग
    u = प्रारम्भिक वेग
    t = समयत्वरण की स्थिति में, v > u या ‘a’ = ( + ) ve. ( धनात्मक )
    मंदन – असमान गति की स्थिति में (यदि लगातार वेग घट रहा हो) मंदन, पैदा होता है। वेग की समय के साथ परिवर्तन की दर को मंदन कहा जाता है।मंदन = v – u/tv = अंतिम वेग
    u = प्रारम्भिक वेग
    t = समयमंदन की स्थिति में, v<uया ‘a’ ( – ) ve.(ऋणात्मक)
    त्वरण तथा मंदन सदिश राशियाँ हैं जिनका मान (+), (-) या शून्य हो सकता है। और इन्हें ‘a’ से
    निरूपित किया जाता है।
    S.I मात्रक त्वरण तथा मंदन दोनों के लिए (ms –2) मीटर / ( सेकण्ड )2 है ।

    गति का ग्राफीय प्रदर्शन-
    (i) दूरी – समय ग्राफ – ‘s/t’ ग्राफ
    (a) ‘s/t’ ग्राफ (एकसमान गति) के लिए
    (ii) 20 कि.मी / घंटा के वेग से चल रही को कार ब्रेक लगाने पर 0.5 घंटे में रूक जाती है तो इस कार के मंदन का परिमाण क्या होगा ?
    उत्तर – 9 = 0 किमी / घंटा
    t = 0.5 घंटा
    मदन a = 9-u/t
    = 0-20/0.5 = 200/5

    • एक दूरी समय ग्राफ की लाइन की ढलाव वस्तु की एक समान चाल को दर्शाता है।
    • इस लाइन का ढलान जितना अधिक होगा वस्तु की चाल उतनी ही अधिक होगी।

    (b) ‘s / t’ – ग्राफ – (असमान – गति) –


    (c) (विश्रामावस्था) के लिए s/t ग्राफ –

    (ii) गति के द्वितीय समीकरण – समीकरण
    (समय स्थिति संबंध)S = ut +½at2

    विस्थापन,
    ग्राफीय- व्युत्पत्ति – ( ऊपर दिए गए ग्राफ के अनुसार)
    कुल विस्थापन = आयत OADC का क्षेत्रफल + त्रिभुज ABD का क्षेत्रफल
    = OA×AD + ½ × (AD) × (BD)
    = u×t+½×t×(v – u )
    = u×t+½×t×at
    u×t+½at2
    (∴v=u+at) or v-u = at

    (iii) गति के तृतीय समीकरण (वेग स्थिति संबंध)
    V2 = u2+2as 

    ग्राफिय-व्युत्पत्ति – (ऊपर दिए गए ग्राफ के अनुसार)
    कुल विस्थापन = OABC समलम्ब का क्षेत्रफलs = (OA + BC) × BC × OC/2
    S = (u + v/2) × ( u -v/a)
    [∴ u – v/t = a]
    s = v2 – v2/2a

    v2 = u2 +2as

    एक समान वृत्तीय गति-
    यदि कोई वस्तु वृत्तीय पथ में एक समान गति से विचरण करती है तो ऐसी गति को एक समान वृत्तीय गति कहा जाता है।
    एक समान वृत्तीय गति में चाल में कोई बदलाव नहीं होता है, परन्तु वेग में लगातार बदलाव आता रहता है। (क्योंकि हर एक बिंदु पर वेग की दिशा में परिवर्तन आता रहता है), इसलिए एकसमान वृत्तीय गति में त्वरण पाया जाता है। वेग की दिशा किसी भी वृत्तीय गति में स्पर्श रेखा के समान होती है।

    v = 2πr/t

    गति (Motion) – यदि कोई वस्तु दूसरी वस्तुओं की अपेक्षा स्थान जल्दी परिवर्तन कराती है। तो उसे गति कहते है  सरल शब्दो में “वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है।”

    सरल रेखीय गति – उस गति को सरल रेखीय गति कहते है जो गति सरल रेख में हो।

    मूल बिंदु (Origin Point) – किसी वस्तु की स्थिति को बताने के लिए हमें एक निर्देश बिंदु की आवश्यकता होती है, जिसे मूल बिंदु कहा जाता है।

    विरामावस्था (Resting Place) – कोई वस्तु विरामावस्था में तब कहलाएगी जब उसकी स्थिति में किसी एक बिन्दु के सापेक्ष कोई बदलाव न हो रहा हो।

    गतिजावस्था (Kinetic) – यदि किसी वस्तु की स्थिति में लगातार बदलाव हो (किसी एक बिन्दु के सापेक्ष), तब यह वस्तु गतिजावस्था में कहलाई जाएगी।

    गतिजावस्था के प्रारूप – विभिन्न तरह के पथ पर विभिन्न तरह की गतिजावस्थाएँ होती हैं। विभिन्न गतिजावस्थाओं के प्रारूप निम्नलिखित हो सकते हैं 

  • वृतीय गति – गोलाकार पथ 
  • रेखीय गति – रेखीय पथ 
  • कंपन गति – दोलन पथ 
  • मूल भौतिक राशियाँ – वह राशियाँ जिन्हें मापा जा सकता है वह भौतिक राशियाँ कहलाती है मूल भौतिक राशियों की संख्या सात है। भौतिक राशि के दो भाग होते है। पहला उसका परिमाण और दूसरा उसकी इकाई।

    भौतिक राशियों का विभाजन – भौतिक राशियों के दो वर्गों में रखा जाता है।

  • आदिश राशि
  • सदिश राशि
  • अदिश राशि (Scalar Quantity) – यदि किसी भौतिक इकाई का केवल परिमाण हो और दिशा न हो तब वह भौतिक इकाई अदिश राशि में गिनी जायेगी। उदाहरण – चाल, दूरी, द्रव्यमान, समय, ताप इत्यादि।

    सदिश राशि (Vector Quantity) – इन भौतिक इकाईयों का परिमाण और दिशा दोनों ही होती हैं। उदाहरण वेग, विस्थापन, बल, सवेग, चरण इत्यादि।

    दूरी (Distance) – वास्तविक पथ (जो कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है) का माप उसकी दूरी कहलाती है। दूरी एक अदिश राशि है जिसका केवल मापन (परिमाण) होता है, दिशा नहीं होती है। उदाहरण  रमेश 65 किमी. की दूरी चलता है।

    विस्थापन (Displacement) – किसी वस्तु की प्रारंभिक एवं अंतिम स्थिति के बीच न्यूनतम दूरी का मापन होता है। विस्थापन एक सदिश राशि है जिसका मापन और दिशा दोनों होती हैं। उदाहरण  रमेश घंटाघर से 65 किमी. दक्षिण पश्चिम दिशा में जाता है। विस्थापन का अंकीय मान शून्य हो सकता है (यदि किसी वस्तु का प्रारम्भिक और अंतिम स्थिति एक हो, जैसा कि गोलाकार पथ में होता है)

    दूरी तथा विस्थापन में अंतर

    दूरीविस्थापन
    वास्तविक पथ (जो कोई वस्तु अपनी प्रारम्भिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है) का माप उसकी दूरी कहलाती है।विस्थापन वस्तु की प्रारम्भिक एवं अंतिम स्थिति के बीच न्यूनतम का मापन होता है।
    यह एक अदिश राशि है ।यह एक सदिश राशि है।
    यह हमेशा धनात्मक होती है और कभी भी शून्य नही होती।यह इकाई धनात्मक, एव शून्य भी हो सकती है।
    दूरी किसी रेखीय पथ में विस्थापन के बराबर हो सकती है या इसका मापन विस्थापन के मापन से अधिक होता है।इस इकाई का मापन या तो दूरी के मापन के बराबर होगा या फिर कम होगा।

    एक समान गति (Uniform Motion) – यदि कोई वस्तु समा समयांतरल में समान दूरी तय करे तो वह एक समान गति से विचरण कर रहा होता है । जैसे – घडी की सुईयों की गति।

    असमान गति (Non-Uniform Motion) – यदि कोई अलग – अलग दूरी अलग – अलग समय में पूरी करे तब वह असमान गति से विचरण कर रही होती है। जैसे – व्यस्त सड़क पर कार की गति। 

    असमान गति के दो प्रारूप हो सकते हैं

    • त्वरण गति
    • मंदन गति

    वेग और चाल में अंतर

    वेगचाल
    यह सदिश राशि हैं।यह अदिश राशि हैं।
    वेग ऋणात्मक, धनात्मक हो सकता है।यह हमेशा धनात्मक होता है।
    औसत वेग शून्य हो सकता है।चलती वस्तु की चाल कभी शून्य नहीं हो सकती।

    त्वरण – असमान गति की स्थिति में (यदि लगातार वेग बढ़ रहा हो) त्वरण होता है। वेग में समय के साथ परिवर्तन की दर को त्वरण कहा जाता है।

    मंदन – असमान गति की स्थिति में (यदि लगातार वेग घट रहा हो) मंदन, पैदा होता है। वेग की समय के साथ परिवर्तन की दर को मंदन कहा जाता है।

  • त्वरण तथा मंदन सदिश राशियाँ हैं जिनका मान (+), (–) या शून्य हो सकता है । और इन्हें ‘a‘ से निरूपित किया जाता है।
  • S.I मात्रक त्वरण तथा मंदन दोनों के लिए (ms⁻²) मीटर / (सेकण्ड)² है।
  • त्वरण के प्रकार 

  • एक समान त्वरण
  • असमान त्वरण
  • एक समान त्वरण – यदि वस्तु का समान समय में समान वेग परिवर्तित होता है तो वस्तु एकसमान त्वरण में हैं।

    असमान त्वरण – यदि वस्तु का समान समय में असमान हेग परिवर्तित होता है तो वस्तु असमान त्वरण में है।

    एक समान वृत्तीय गति – यदि कोई वस्तु वृत्तीय पथ में एक समान गति से विचरण करती है तो ऐसी गति को एक समान वृत्तीय गति कहा जाता है। एक समान वृत्तीय गति में चाल में कोई बदलाव नहीं होता है परन्तु वेग में लगातार बदलाव आता रहता है। क्योंकि हर एक बिंदु पर वेग की दिशा में परिवर्तन आता रहता है, इसलिए एकसमान वृत्तीय गति में त्वरण पाया जाता है। वेग की दिशा किसी भी वृत्तीय गति में स्पर्श रेखा के समान होती है।

    प्रश्न 1. गति (Motion) किसे कहते हैं?

    यदि कोई वस्तु दूसरी वस्तुओं की अपेक्षा स्थान जल्दी परिवर्तन कराती है। तो उसे गति कहते है  सरल शब्दो में “वस्तु की स्थिति में परिवर्तन गति कहलाती है।”

    प्रश्न 2. दूरी (Distance) किसे कहते हैं?

    वास्तविक पथ (जो कोई वस्तु अपनी प्रारंभिक स्थिति से अंतिम स्थिति के बीच चलती है) का माप उसकी दूरी कहलाती है। दूरी एक अदिश राशि है जिसका केवल मापन (परिमाण) होता है, दिशा नहीं होती है।

    प्रश्न 3. सरल रेखीय गति क्या होता हैं?

    सरल रेखीय गति उसे कहते हैं जो गति सरल रेखा में गति कर रही हो।

    प्रश्न 4. भौतिक राशियों के दो मुख्य भेद होता हैं?

    1. आदिश राशि
    2. सदिश राशि

    प्रश्न 5. त्वरण से आप क्या समझते हैं?

    असमान गति की स्थिति में (यदि लगातार वेग बढ़ रहा हो) त्वरण होता है। वेग में समय के साथ परिवर्तन की दर को त्वरण कहा जाता है।

    प्रश्न 6. त्वरण के प्रकार कितने हैं?

    त्वरण के दो प्रकार होते हैं
    1. एक समान त्वरण
    2. असमान त्वरण

    प्रश्न 7. एक समान त्वरण क्या होता हैं?

    यदि वस्तु का समान समय में समान वेग परिवर्तित होता है तो वस्तु एकसमान त्वरण में हैं।

    प्रश्न 8. असमान त्वरण किसे कहते हैं?

    यदि वस्तु का समान समय में असमान हेग परिवर्तित होता है तो वस्तु असमान त्वरण में है।

    NCERT Solution Class 9th विज्ञान Notes in Hindi

    Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
    Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
    Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
    Chapter – 4 परमाणु की संरचना
    Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
    Chapter – 6 ऊतक
    Chapter – 7 गति
    Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
    Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
    Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
    Chapter – 11 ध्वनि
    Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

    NCERT Solution Class 9th विज्ञान Question Answer in Hindi

    Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
    Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
    Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
    Chapter – 4 परमाणु की संरचना
    Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
    Chapter – 6 ऊतक
    Chapter – 7 गति
    Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
    Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
    Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
    Chapter – 11 ध्वनि
    Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

    NCERT Solution Class 9th विज्ञान MCQ in Hindi

    Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
    Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
    Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
    Chapter – 4 परमाणु की संरचना
    Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
    Chapter – 6 ऊतक
    Chapter – 7 गति
    Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
    Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
    Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
    Chapter – 11 ध्वनि
    Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

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