NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution)

Text BookNCERT
Class  9th
Subject Social Science (History)
Chapter1st
Chapter Nameफ्रांसीसी क्रांति (French Revolution)
CategoryClass 9th Social Science History 
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution) Notes In Hindi हम इस अध्याय में फ्रांसीसी क्रांति, फ्रांसीसी क्रांति के कारण, प्रथम एस्टेट, द्वितीय एस्टेट, तृतीय एस्टेट, लुई XVI, टाइद, टाइल, टूटी हुई जंजीर, छड़ो का गट्ठर, गिलोटिन, आतंक राज, क्रांति और रोजाना की जिंदगी, नेपोलियन, मध्यवर्ग, डिरेक्टरी शासित फ्रांस, राजदंड, क्रांति और रोजाना की जिंदगी, फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक कारण, फ्रांसीसी क्रांति के कारण, निर्वाह संकट क्या था, क्रांति की शुरुआत, फ्रांस संवैधानिक राजतंत्र, नेशनल असेंबली का उद्देश्य, नए संविधान के अनुसार इत्यादि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 9th Social Science History Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति (French Revolution)

Chapter – 1

फ्रांसीसी क्रांति

Notes

फ्रांसीसी क्रांति – क्रांति की शुरुआत 14 जुलाई, 1789 को बास्तील के किले से हुई थी। मध्यम वर्ग द्वारा शुरू की गई इन घटनाओं ने उच्च वर्गों को झकझोर कर रख दिया।  आम लोगों ने राजशाही के क्रूर शासन के खिलाफ विद्रोह किया इस क्रांति ने स्वतंत्रता, बंधुत्व और समानता के विचारों को सामने रखा। बास्तील के किले से सभी नागरिक नफरत करते थे, क्योंकि बास्तील का किला सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था।

फ्रांसीसी क्रांति के सामाजिक कारण – अठारहवीं शताब्दी के दौरान फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में विभाजित था-

प्रथम एस्टेट (पादरी वर्ग) – जिसमें चर्च के पादरी आते थे।
द्वितीय एस्टेट (कुलीन वर्ग) – जिसमें फ्रांसीसी समाज का कुलीन वर्ग आता था।
तृतीय एस्टेट – जिसमें बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन मजदूर आदि आते थे।

टाइद (TITHE) – तृतीय एस्टेट से चर्च द्वारा वसूला जाने वाला कर टाइद (TITHE) कहलाता था।

टाइल (TAILLE) – तृतीय एस्टेट से सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स था। प्रथम दो एस्टेट्स पादरी वर्ग और कुलीन वर्ग के लोगों को जन्म से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे जैसे – राज्य को दिये जाने वाले कर (Tax) से छूट राज्य के सभी टैक्स केवल तृतीय एस्टेट द्वारा वहन (वसूल) किए जाते थे।

मतदान – मतदान का अधिकार केवल सक्रिय नागरिकों को मिला जो-

• पुरूष थे।
• जिनकी उम्र 25 वर्ष से अधिक थी।
• जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे।

फ्रांसीसी क्रांति के कारण

सामाजिक कारण-
• समाज का वर्गों में बटा होना
• सामाजिक विभेद
• माध्यम वर्ग का उदय

राजनीतिक कारण-
• आयोग्य शासन
• विशेषाधिकार

तात्कालिक कारण – लुई XVI का नया कर लगाने का प्रस्ताव

निर्वाह संकट क्या था – अधिकांश लोगों के मुख्य खाद्य पावरोटी (Bread) की कीमत में तेज़ी से वृद्धि हुई। अधिकतर कामगार (मजदूर) कारखानों में मज़दूरी करते थे और उनकी मज़दूरी मालिक तय करते थे लेकिन मज़दूरी महँगाई की दर से नहीं बढ़ रही थी  फलस्वरूप, अमीर – गरीब की खाई और ज्यादा बढ़ती गई।

मध्यवर्ग – 18वीं सदी में एक नए सामाजिक समूह का उदय हुआ जिसे मध्यवर्ग कहा गया। उभरते मध्यवर्ग ने विशेषाधिकारों के अंत की कल्पना की शुरुआत किया। मध्यवर्ग के लोगो ने ऊनी तथा रेशमी वस्त्रों के उत्पादन के बल पर संपत्ति अर्जित की थी।

लुई XVI – 1774 में लुई XVI फ्रांस की राजगद्दी पर बैठे थे। वह फ्रांस के बूर्बो राजवंश का राजा था उसका विवाह ऑस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी एन्तोएनेत से हुआ था राज्यारोहण के समय उसका राजकोष खाली था।

क्रांति की शुरुआत – क्रांति की शुरुआत 14 जुलाई, 1789 को बास्तील के किले से हुई थी। मध्यम वर्ग द्वारा शुरू की गई इन घटनाओं ने उच्च वर्गों को झकझोर कर रख दिया। आम लोगों ने राजशाही के क्रूर शासन के खिलाफ विद्रोह किया इस क्रांति ने स्वतंत्रता, बंधुत्व और समानता के विचारों को सामने रखा। बास्तील के किले से सभी नागरिक नफरत करते थे, क्योंकि बास्तील का किला सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था। गुस्से में आये लोगो ने बास्तील के किले को तोड़ दिया और राजनितिक कैदियों को रिहा करवा लिया।

फ्रांस संवैधानिक राजतंत्र

• 20 जून 1789 को वे लोग वर्साय के एक टेनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया। 

• अपनी विद्रोही प्रजा की शक्तियों का अनुमान करके लुई XVI ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी।

• 4 अगस्त 1789 की रात को असेंबली ने करों, कर्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित कर दिया। 

• 1791 में फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की नीव पड़ी।

नेशनल असेंबली का उद्देश्य – नेशनल असेंबली का प्राथमिक लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए प्रतिनिधित्व और समानता सुनिश्चित करना था। सभा के सदस्यों ने एक ऐसी सरकार स्थापित करने की मांग की जो केवल विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के बजाय पूरे देश के हितों और जरूरतों को प्रतिबिंबित करेगी। सन् 1791 के संविधान ने कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को सौंप दिया।

नए संविधान के अनुसार

• मतदान का अधिकार केवल सक्रिय नागरिकों को मिला जो – पुरुष थे, जिनकी उम्र 25 वर्ष से अधिक थी, जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे।
• महिलाओं एवं अन्य पुरूषों को निष्क्रिय नागरिक कहा जाता था। 
• राजा की शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित एवं हस्तांतरिक कर दिया गया।

राजनीतिक प्रतीकों के मायने – 18वीं सदी में ज्यादातर स्त्री पुरुष पढ़े – लिखे नहीं थे इसलिए महत्वपूर्ण विचारों का प्रसार करने के लिए छपे हुए शब्दों के बजाय अक्सर आकृतियों, प्रतीकों का प्रयोग किया जाता था।

टूटी हुई जंजीर – दासो को बांधने के लिए जंजीरों का प्रयोग किया जाता था टूटी हुई हथकड़ी उनकी आजादी का प्रतीक है।

छड़ों का गट्ठर – अकेली छड़ों को आसानी से तोड़ा जा सकता है पर पूरे गट्ठर को नहीं एकता में ही बल है का प्रतीक है।

त्रिभुज के अंदर रोशनी बिखेरती आँख –  सर्वदर्शी आंख ज्ञान का प्रतीक है सूरज की किरणे अज्ञान रूपी अंधेरे को मिटा देती है।

राजदंड – शाही सत्ता का प्रतीक है।

अपनी पूंछ मुंह में लिए साँप – समानता का प्रतीक अंगूठी का कोई और छोर नहीं होता।

आतंक राज – सन 1793 से 1794 तक के काल को आतंक का युग कहा जाता है। इस समय रोबिस्प्येर ने नियंत्रण एवं दंड की सख्त नीति अपनाई आतंक का शासनकाल फ्रांसीसी क्रांति में लगभग एक वर्ष की अवधि थी, जिसके दौरान कथित तौर पर क्रांति का विरोध करने के लिए लगभग 30,000 लोगों को मार डाला गया था। रोबिस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी सख्ती से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि – त्राहि करने लगे। अंततः जुलाई 1794 में न्यायालय द्वारा उसे दोषी ठहराया गया और गिरफ्तार करके अगले ही दिन उसे गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।

गिलोटिन – गिलोटिन दो खंभों के बीच लटकते आरे वाली मशीन था जिस पर रखकर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था इस मशीन का नाम इसके आविष्कारक डॉ. गिलोटिन के नाम पर पड़ा।

डिरेक्टरी शासित फ्रांस

• रोबिस्प्येर के पतन के बाद फ्रांस का शासन माध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के पास आ गया। 
• उन्होंने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका डिरेक्टरी को नियुक्त किया जो फ्रांस का शासन देखती थी लेकिन अक्सर विधान परिषद से उनके हितों का टकराव होता रहता था। इस राजनैतिक अस्थिरता का फायदा नेपोलियन बोनापार्ट ने उठाया और उसने 1799 में डिरेक्टरी को खत्म कर दिया और 1804 में फ्रांस का सम्राट बन गया।

नेपोलियन – 1804 में नेपोलियन ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित किया। उन्होंने पड़ोसी यूरोपीय देशों को जीतने के लिए, राजवंशों को दूर करने और उन राज्यों का निर्माण करने के लिए निर्धारित किया जहां उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को रखा।

क्या महिलाओं के लिए भी क्रांति हुई – महिलाएं शुरू से ही फ्रांसीसी समाज में अहम परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों में शामिल हुआ करती थी ज्यादातर महिलाएं जीविका निर्वाह के लिए काम करती थी। वे सिलाई – बुनाई, कपड़ों की धुलाई करती थी बाजारों में फल – फूल – सब्जियां बेचती थी। ज्यादातर महिलाओं के पास पढ़ाई लिखाई के मौके नहीं थ यह मौके केवल कुलीनो की लड़कियों अथवा धनी परिवारों की लड़कियों के पास था उनकी एक प्रमुख मांग यह थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए।

महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए उठाए गए कदम – महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए भारत में कई पहलें की गई हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण कदमों का उल्लेख है।

• सामाजिक संबंधों की मजबूती
• नारी वंदन
• कानूनी सुधार
• सरकारी योजनाएं

दास प्रथा का उन्मूलन – दास प्रथा का उन्मूलन एक ऐतिहासिक प्रक्रिया थी जिसमें दासता को अवैध और अनैतिक माना गया और इसे धीरे-धीरे समाप्त किया गया। विश्व भर में इस प्रथा के खिलाफ कई आंदोलन हुए और कई कानून बनाए गए।

फ्रांसीसी क्रांति के समय समाज की स्थिति

• फिजूल खर्ची की वजह से खाली राजकोष।
• जन्म के आधार पर विशेषाधिकार।
• जीविका संकट।
• ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध में अमेरिका को सहायता से बढ्ता कर्ज का बोझ।

कुछ महत्वपूर्ण तिथि

  • 1774 में लुई (XVI) फ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ।
  • बढ़ते कर्ज के दबाव में लुई गाने 5 मई 1789 को एस्टेट जेनराल की बैठक बुलाई ताकि नए करों की मंजूरी ली जा सके।
  • 20 जून 1789 को वे लोग वर्साय के एक टेनिस कोर्ट में एकत्रित हुए और अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर दिया।
  • 14 जुलाई 1789 को क्रुद्ध भीड ने बास्तील के किले को तोड़ दिया और राजनितिक कैदियों को रिहा करवा लिया।
  • 4 अगस्त 1789 की रात को असेंबली ने करों, कर्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित कर दिया।
  • 1791 में फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की नीव पड़ी।
  • 10 अगस्त 1792 को जैकोबिन क्लब के सदस्यों ने रोबिस्प्येर के नेतृत्व में नयी शासन व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
  • 21 सितंबर 1792 को फ्रांस को गणतन्त्र घोषित कर दिया गया और नवनिर्वाचित असेंबली को ‘कन्वेन्शन’ नाम दिया गया।
  • 21 जनवरी 1793 को लुई ग्ट को फ्रांस के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में फाँसी दे दी गयी।
  • 1793 से 1794 के दौरान रोबिस्प्येर ने क्रूरतापूर्वक राज्य किया इसलिए इस काल को ‘आतंक का काल’ भी कहते हैं।
  • जून 1794 में रोबिस्प्येर को गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।
  • रोबिस्प्येर के पतन के बाद फ्रांस का शासन मध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के पास आ गया।
  • उन्होंने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका – डिरेक्टरी को नियुक्त किया जो फ्रांस का शासन देखती थी लेकिन अक्सर विधान परिषद से उनके हितों का टकराव होता रहता था
  • इस राजनैतिक अस्थिरता का फायदा नेपोलियन बोनापार्ट ने उठाया और उसने
  • 1799 में डिरेक्टरी को खत्म कर दिया और1804 में फ्रांस का सम्राट बन गया।
  • 1815 में वाटरलू में उसकी पराजय हुई और उसे बंदी बना लिया गया।
  • फ्रांसीसी क्रांति के मूल तत्व – स्वतन्त्रता, समानता और बंधुत्व ने पूरे विश्व पर प्रभाव डाला।
  • 1848 में फ्रांस के सभी उपनिवेशों से दास प्रथा का उन्मूलन कर दिया गया।
  • महिलाओं को मतदान का अधिकार 1946 में जाकर मिला।

अठारहवीं शताब्दी के दौरान फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों में विभाजित था-

प्रथम एस्टेट – जिसमें चर्च के पादरी आते थे।

द्वितीय एस्टेट – जिसमें फ्रांसीसी समाज का कुलीन वर्ग आता था।

तृतीय एस्टेट – जिसमें बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन मजदूर आदि आते थे।

    • लगभग 60% जमीन पर कुलीनों, चर्च और तीसरे एस्टेट के अमीरों का अधि कार था।
    • तृतीय एस्टेट से चर्च द्वारा वसूला जाने वाला कर था – टाइद (TITHE)
    • तृतीय एस्टेट से सरकार द्वारा वसूला जाने वाला टैक्स था – टाइल (TAILLE)
    • प्रथम दो एस्टेट्स पादरी वर्ग और कुलीन वर्ग के लोगों को जन्म से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे जैसे राज्य को दिये जाने वाले कर (टैक्स) से छूट।
    • राज्य के सभी टैक्स केवल तृतीय एस्टेट द्वारा वहन किए जाते थे।

    • 1774 में लुई (XVI) फ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ।
    1. वह फ्रांस के बूर्वी राजवंश का राजा था।
    2. उसका विवाह आस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी एन्तोएनेत से हुआ था।
    3. राज्यारोहण के समय उसका राजकोष खाली था जिसके निम्नलिखित कारण थे-

    • लंबे युद्धों के कारण वित्तीय संसाधनों का नष्ट होना।
    • पूर्ववर्ती राजाओं की शानो शौकत पर फिजूलखर्ची।
    • अमरीकी स्वतंत्रता संघर्ष में ब्रिटेन के खिलाफ अमेरिका की सहायता करना।
    • जनसंख्या का बढ़ना और जीविका संकट।
    • राजा की शक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में विभाजित एवं हस्तांतरित कर दिया गया।
    • मध्यम वर्ग जिसमें वकील, शिक्षक, लेखक, विचारक आदि आते थे, ने जन्म।
    • आधारित विशेषाधिकार पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिये।

    • एस्टेट जेनराल में मतदान ‘एस्टेट के आधार पर होता था न कि व्यक्ति के आधार पर।
    • लेकिन इस बार तीसरे एस्टेट के लोग व्यक्ति आधारित मतदान की माँग करने लगे।
    • लुई ग्ट ने उनकी माँग खारिज कर दी जिसके विरोध में तीसरे एस्टेट के लोगों ने बैठक कर सभा से बाहर चले गए।
    • इधर पूरे फ्रांस में महंगाई और अफवाहों का बाजार गर्म था और जगह- जगह हिंसक प्रदर्शन होने लगे।
    • बास्तील का किला सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक था।
    • अपनी विद्रोही प्रजा की शक्तियों का अनुमान करके लुई XVI ने नेशनल असेंबली को मान्यता दे दी और अपनी सत्ता पर संविधान का अंकुश स्वीकार।
    • संविधान पुरूष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र के साथ शुरू हुआ था।
    • महिलाओं एवं अन्य पुरूषों को निष्क्रिय नागरिक कहा जाता था

    NCERT Solution Class 9th इतिहास Notes in Hindi
    Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति
    Chapter – 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
    Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय
    Chapter – 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद
    Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे
    NCERT Solution Class 9th इतिहास Question Answer in Hindi
    Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति
    Chapter – 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
    Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय
    Chapter – 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद
    Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे
    NCERT Solution Class 9th इतिहास MCQ With Answers in Hindi
    Chapter – 1 फ्रांसीसी क्रांति
    Chapter – 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
    Chapter – 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय
    Chapter – 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद
    Chapter – 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

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