NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 1 दो बैलों की कथा
Textbook | NCERT |
Class | 9th |
Subject | Hindi |
Chapter | 1st |
Chapter Name | दो बैलों की कथा |
Category | Class 9th Hindi (क्षितिज) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 1 दो बैलों की कथा प्रश्न – उत्तर जिसमे हम दो बैलों की कथा पाठ क्या संदेश देता है?, दो बैलों की कथा पाठ का मूल भाव क्या है?, दो बैलों की कथा कहानी के मुख्य पात्र कौन कौन थे?, दो बैलों की कथा का सार क्या है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 9th Hindi क्षितिज Chapter – 1 दो बैलों की कथा
Chapter – 1
दो बैलों की कथा
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1. कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर – कांजीहौस एक प्रकार से पशुओं की जेल थी। उसमें ऐसे आवारा पशु कैद होते थे जो दूसरों के खेतों में घुसकर फसलें नष्ट करते थे। अत: कांजीहौस के मालिक का यह दायित्व होता था कि वह उन्हें जेल में सुरक्षित रखे तथा भागने न दे। इस कारण हर रोज उनकी हाजिरी लेनी पड़ती होगी।
प्रश्न 2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
उत्तर – छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। इधर बैलों की भी यही स्थिति थी। गया उन्हें दिनभर खेत में जोतता, मारता-पीटता और शाम को सूखा भूसा डाल देता। छोटी बच्ची महसूस कर रही थी कि उसकी स्थिति और बैलों की स्थिति एक जैसी है। उनके साथ अन्याय होता देखा उसे बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया।
प्रश्न 3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?
उत्तर – इस कहानी के माध्यम से निम्नलिखित नीतिविषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं
- सरल-सीधा और अत्यधिक सहनशील होना पाप है। बहुत सीधे इनसान को मूर्ख या ‘गधा’ कहा जाता है।
- इसलिए मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए।
- आज़ादी बहुत बड़ा मूल्य है। इसे पाने के लिए मनुष्य को बड़े-से-बड़ा कष्ट उठाने को तैयार रहना चाहिए।
- समाज के सुखी-संपन्न लोगों को भी आजादी की लड़ाई में योगदान देना चाहिए।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्छ प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर – गधा सबसे बुद्धिहीन प्राणी माना जाता है। यदि किसी को मूर्ख कहना चाहते हैं तो हम उसे गधा कह देते हैं। गधा ‘मूर्ख’ के अर्थ में रुढ़ हो गया है परंतु लेखक ने इसे सही नहीं माना क्योंकि गधा अपने सीधेपन और सहनशीलता से किसी को हानि नहीं पहुँचाता है।
गाय, कुत्ता और बैल जैसे जानवर कभी-कभी क्रोध कर देते हैं पर गधा ऐसा नहीं करता है। गुणों के विषय में वह ऋषियों-मुनियों से कम नहीं है।
प्रश्न 5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
उत्तर – इस कहानी में अनेक घटनाएँ ऐसी हैं जिनसे पता चलता है कि मोती और हीरा में गहरी दोस्ती थी।
- पहली घटना – दोनों एक-साथ गाड़ी में जोते जाते थे तो यह कोशिश करते थे कि गाड़ी का अधिक भार दूसरे साथी के कंधे पर न आकर उसके अपने कंधे पर आए।
- दूसरी घटना – गया ने हीरा के नाक पर डंडा मारा तो मोती से सहा न गया। वह हल, रस्सी, जुआ, जोत सब लेकर भाग पड़ा। उससे हीरा का कष्ट देखा न गया।
- तीसरी घटना – जब मटर के खेत में मटर खाकर दोनों मस्त हो रहे तो वे सींग मिलाकर एक-दूसरे को ठेलने लगे। अचानक मोती को लगा कि हीरा क्रोध में आ गया है तो वह पीछे हट गया। उसने दोस्ती को दुश्मनी में बदलने से रोक लिया।
- चौथी घटना – जब उनके सामने विशालकाय साँड आ खड़ा हुआ तो उन्होंने योजनापूर्वक एक-दूसरे का साथ देते हुए उसका मुकाबला किया। साँड एक पर चोट करता तो दूसरा उसकी देह में अपने नुकीले सींग चुभा देता। आखिरकार साँड बेदम होकर गिर पड़ा।
- पाँचवीं घटना – मोती मटर के खेत में मटर खाते-खाते पकड़ा गया। हीरा उसे अकेला विपत्ति में देखकर वापस आ गया। वह भी मोती के साथ पकड़ा गया।
- छठी घटना – काँजीहौस में हीरा ने दीवार तोड़ डाली। उसे रस्सियों से बाँध दिया गया। इस पर मोती ने उसका साथ दिया। पहले तो उसने बाड़े की दीवार तोड़कर हीरा का अधूरा काम पूरा किया, फिर उसका साथ देने के लिए उसी के साथ बँध गया।
प्रश्न 6. लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है। हीरा के इस कथन के माध्यम से पता चलता है कि प्रेमचंद नारी जाति का अत्यधिक सम्मान करते थे। नारी विभिन्न रिश्ते बनाकर समाज में अपनी भूमिका का निर्वहन करती है।
वह त्याग, दया, ममता, सहनशीलता का जीता जागता उदाहरण है। विपरीत परिस्थितियों में यदि नारी में क्रोध जैसे भाव आ भी जाते हैं तो इससे उसकी गरिमा कम नहीं हो जाती है और न उसके सम्मान में कमी आ जाती है। लेखक महिलाओं के प्रति अत्यधिक सम्मान रखता है। उसने यह भी कहना चाहा है कि जब पशु भी नारी जाति का सम्मान करते हैं तो मनुष्य को नारी जाति का सम्मान हर स्थिति में करना चाहिए।
प्रश्न 7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर – किसान जीवन में पशुओं और मनुष्यों के आपसी संबंध बहुत गहरे तथा आत्मीय रहे हैं। किसान पशुओं को घर के सदस्य की भाँति प्रेम करते रहे हैं और पशु अपने स्वामी के लिए जी-जान देने को तैयार रहे हैं। झूरी हीरा और मोती को बच्चों की तरह स्नेह करता था।
तभी तो उसने उनके सुंदर-सुंदर नाम रखे-हीरा-मोती। वह उन्हें अपनी आँखों से दूर नहीं करना चाहता था। जब हीरा-मोती उसकी ससुराल से लौटकर वापस उसके थाने पर आ खड़े हुए तो उसका हृदय आनंद से भर गया। गाँव-भर के बच्चों ने भी बैलों की स्वामिभक्ति देखकर उनका अभिनंदन किया। इससे पता चलता है कि किसान अपने पशुओं से मानवीय व्यवहार करते हैं।
प्रश्न 8. इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगें’-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे। मोती के इस कथन से पता चलता है कि वह परोपकारी स्वभाव वाला प्राणी है। परोपकार की ऐसी भावना वह मन में ही नहीं रखता है बल्कि इसे व्यावहारिक रूप में दर्शाता भी है।
वह बाड़े की कच्ची दीवार को तोड़कर नौ-दस प्राणियों को भगाता है ताकि उनकी जान बच जाए। मोती सच्चा मित्र भी है। वह कांजीहौस में हीरा को अकेला छोड़कर नहीं जाता है। वह आशावादी भी है। उसे विश्वास है कि ईश्वर उनकी जान अवश्य बचाएँगे।
प्रश्न 9. आशय स्पष्ट कीजिए
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
य को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर – हीरा और मोती बिना कोई वचन कहे एक-दूसरे के मन की बात समझ जाते थे। प्रायः वे एक-दूसरे से स्नेह की बातें सोचते थे। यद्यपि मनुष्य स्वयं को सब प्राणियों से श्रेष्ठ मानता है किंतु उसमें भी यह शक्ति नहीं होती।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृद?
उत्तर – हीरा और मोती गया के घर बँधे हुए थे। गया ने उनके साथ अपमानपूर्ण व्यवहार किया था। इसलिए वे क्षुब्ध थे। परंतु तभी एक नन्हीं लड़की ने आकर उन्हें एक रोटी ला दी। उस रोटी से उनका पेट तो नहीं भर सकता था। परंतु उसे खाकर उनका हृदय जरूर तृप्त हो गया। उन्होंने बालिका के प्रेम का अनुभव कर लिया और प्रसन्न हो उठे।
प्रश्न 10. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि-
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
(सही उत्तर के आगे (✓) का निराश लगाइए।)
उत्तर – (ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से दुखी था।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 11. हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर – हीरा और मोती शोषण के विरुद्ध हैं। वे हर शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाते रहे हैं। उन्होंने झूरी के साले गयी का विरोध किया तो सूखी रोटियाँ खाई तथा डंडे खाए। फिर कॉजीहौस में अन्याय का विरोध किया तो बंधन में पड़े। उन्हें भूखे रहना पड़ा। प्रतिक्रिया-मेरा विचार है कि हीरा और मोती का यह कदम बिल्कुल ठीक था।
यदि वे कोई प्रतिक्रिया न करते तो उनका खूब शोषण होता। उन्हें गिड़गिड़ाकर, मन मारकर अपने मालिक की गुलामी करनी पड़ती। वे अपने दर्द को व्यक्त भी न कर पाते। परंतु अपना विद्रोह प्रकट करके उन्होंने मालिक को सावधान कर दिया कि उनका अधिक शोषण नहीं किया जा सकता। मार खाने के बदले उन्होंने मालिक के मन में भय तो उत्पन्न कर ही दिया।
प्रश्न 12. क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
उत्तर – हाँ, हीरा-मोती ने अपनी परतंत्रता से मुक्ति पाने के लिए जिस तरह से नाना प्रकार की कठिनाइयाँ सहीं और मृत्यु के करीब जाकर भी बच निकले। वे अंततः अपने घर वापस आ गए, इससे यही संकेत मिलता है। हीरा-मोती गया के घर से पहली बार रस्सी तुड़ाकर आ जाते हैं।
वे दुबारा गया के घर जाते हैं, तो उन्हें अपमानित और प्रताड़ित होना पड़ता है। और भूखा भी रहना पड़ता है। वहाँ से भागने पर उन्हें साँड रूपी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। अंत में कांजीहौस में बंद होना तथा कसाई के हाथों बिकना तथा इसके उपरांत भी बचकर झुरी के पास आ जाना आदि आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 13. बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर – ही
- दोनों साथ उठते, साथ नाँद में मुँह डालते और रथ ही बैठते थे।
- एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
- ज्यादा-से-ज्यादा मेरी ही गरदन पर रहे।
- यही उनका आधार था।
- कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है।
भी
- कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है।
- उसके चेहरे पर असंतोष की छाया भी न दिखाई देती।
- गधे का एक छोटा भाई और भी है।
- एक मुँह हटाता तो दूसरा भी हटा लेता था।
- कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है।
प्रश्न 14. रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए-
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
उत्तर – वाक्य भेद – मिश्र वाक्य।
उपवाक्य – अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
उत्तर – वाक्य भेद – मिश्रवाक्य।
उपवाक्य – जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर।
भेद – विशेषण उपवाक्य।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
उत्तर – वाक्य भेद – मिश्रवाक्य।
उपवाक्य – गया के घर से नाहक भागे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे।
उत्तर – वाक्यभेद – मिश्रवाक्य।
उपवाक्य – तो बिकेंगे।
भेद – क्रियाविशेषण उपवाक्य।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर – वाक्य भेद – मिश्रवाक्य।
उपवाक्य – तो बे मारे ने छोड़ता।
भेद – क्रियाविशेषण उपवाक्य।
प्रश्न 15. कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर –
• जी तोड़ काम करनावाक्य – भारतीय श्रमिक जी-तोड़कर काम करते हैं।
• गम खा जानावाक्य – भारत के मज़दूर इतने स्वाभिमानी हैं कि वे गम खा जाते हैं, हाय-तौबा नहीं मचाते।
• ईंट का जवाब पत्थर से देनावाक्य – यह दुनिया उसी को सम्मान देती है जो ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता है।
• दाँतों पसीना आनावाक्य – क्रिकेट के मैदान से कुत्ते को बाहर खदेड़ने में माली को दाँतों पसीना आ गया।
- वाक्य – मालिक के कहने पर हम हर काम कर देते हैं। किसी प्रकार की कोई कसर नहीं उठा रखते।
पाठेतर सक्रिया
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लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. गधा किस अर्थ में रुढ़ हो गया है ? और क्यों?
उत्तर – गधा ‘मूर्ख’ या बेवकूफ के अर्थ में रुढ़ हो गया है। किसी आदमी को जब बेवकूफ़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहते हैं। ऐसा उसके सीधेपन और सब कुछ सहन करने के कारण कहा जाता है।
प्रश्न 2. सहनशीलता के मामले में गाय और कुत्ता गधे से किस तरह भिन्न हैं?
उत्तर – गाय और कुत्ता गधे जितना सहनशील नहीं है। गाय नाराज होने पर या अपने बच्चे को छेड़े जाते हुए देखकर हिंसक रूप धारण कर लेती है। इसी तरह कुत्ता भी काट लेता है जबकि गधा सब कुछ चुपचाप सहन कर लेता है।
प्रश्न 3. अफ्रीका और अमरीका में भारतीयों की दुर्दशा का क्या कारण है?
उत्तर – अफ्रीका और अमरीका में भारतीयों की दुर्दशा का कारण उनका सीधापन और उनकी सहनशीलता है। वे अपनी सहनशीलता के कारण शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते है और गम खाकर रह जाते हैं।
प्रश्न 4. बैल को गधे का छोटा भाई क्यों कहा गया है?
उत्तर – बैल को गधे का छोटा भाई इसलिए कहा गया है क्योंकि बैल भी सीधा-सादा जानवर है। वह भी सहनशील है पर गधे जितना नहीं। बैल सींग चलाकर, अड़ियल रुख अपनाकर तथा कई अन्य तरीके से अपना विरोध एवं असंतोष प्रकट कर देता है।
प्रश्न 5. पशुओं की किस गुप्त शक्ति से मनुष्य वंचित है?
उत्तर – पशु अपने मन के भाव-विचार मूक भाषा में व्यक्त करते हैं जिससे अन्य पशु समझ जाते हैं। इस तरह वे दूसरे के मन की बातें बिना कहे जान-समझ लेते हैं। पशुओं की यह ऐसी गुप्त शक्ति है जिससे मनुष्य वंचित है।
प्रश्न 6. हीरा-मोती एक-दूसरे के प्रति प्रेम और मित्रता कैसे प्रकट करते थे?
उत्तर – हीरा और मोती एक-दूसरे को चाट-चूटकर और सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। वे अपनी दोस्ती प्रकट करने के लिए कभी-कभी सींग भी मिला लेते थे। उनके ऐसा करने में विग्रह का भाव नहीं बल्कि मनोविनोद और आत्मीयता का भाव रहता था।
प्रश्न 7. किन बातों से प्रकट होता है कि हीरा-मोती में भाई चारा था।
उत्तर – हीरा-मोती जब हल में जोते जाते थे तब उनकी यही चेष्टा रहती थी कि वे एक-दूसरे का भार अपने कंधे पर ले ले। वे दिन भर के काम के बाद दोपहर या संध्या में चाट-चूटकर अपनी थकान उतारते। वे एक साथ नाँदों में मुँह डालते और हटाते थे। इन बातों से हीरा-मोती का भाई चारा प्रकट होता है।
प्रश्न 8. बैलों को अपने साथ ले जाते हुए गया को क्या परेशानी हो रही थी?
उत्तर – दोनों बैलों को अपने साथ ले जाते हुए गया को यह परेशानी हो रही थी कि बैल उसके साथ नहीं जाना चाहते थे। यदि वह बैलों को पीछे से हाँकता था तो दोनों बैल दाँए-बाएँ भागते थे और वह पगहे पकड़कर आगे को खींचता तो दोनों पीछे को ज़ोर लगाते।
प्रश्न 9. हीरा-मोती को वाणी की कमी क्यों अखर रही थी?
उत्तर – हीरा-मोती गया के साथ अनिच्छा से जा रहे थे। वे सोच रहे थे कि गया के हाथों उन्हें बेच दिया गया है। वे अपने मालिक झूरी से अपने बेचे जाने का कारण जानना चाहते थे। हीरा-मोती बैल ये जो मूक भाषा में बातें कर सकते थे पर झूरी समझता कैसे। अपनी बात कहने के लिए हीरा-मोती को वाणी की कमी अखर रही थी।
प्रश्न 10. हीरा-मोती की आँखों में विद्रोहमय स्नेह कब झलकता हुआ प्रतीत हुआ और क्यों?
उत्तर – झूरी ने हीरा-मोती को गया के घर काम करने भेजा था पर इन दोनों को वहाँ गाँव, घर तथा मनुष्य सब बेगाने जैसे लग रहे थे। उन्हें गया से भी स्नेह नहीं मिल रहा था। वे दोनों वहाँ से रात में ही भाग आए थे। उन्हें अपने बेचे जाने का भ्रम होने के कारण उनकी आँखों में विद्रोहमय स्नेह झलक रहा था।
प्रश्न 11. हीरा और मोती ने गया के घर स्वयं को अपमानित क्यों महसूस किया?
उत्तर – हीरा और मोती ने गया के घर स्वयं को इसलिए अपमानित महसूस किया क्योंकि गया ने अपने बैलों के चारे में चूनी-चोकर, खली आदि मिलाया परंतु हीरा मोती के सामने सूखा भूसा डाल दिया। इन बैलों के साथ झूरी ने ऐसा कभी नहीं किया था।
प्रश्न 12. गया और उसके घरवाले हीरा-मोती को नियंत्रण में करने के लिए क्या योजना बना रहे थे?
उत्तर – गया और उसके घरवालों का व्यवहार बैलों के प्रति अच्छा न था। वह बैलों को मारता-पीटता था तब भी बैलों पर उसका पूरा नियंत्रण नहीं था। इन्हें नियंत्रित करने के लिए वे बैलों की नाक में नाथ डालने की योजना बना रहे थे।
प्रश्न 13. बालिका ने बैलों को भागने में किस तरह मदद की?
उत्तर – बालिका प्रतिदिन की तरह दो रोटियाँ लेकर हीरा-मोती के पास आई और घरवालों की योजना बताते हुए उनके गले की रस्सी खोल दी। वह चिल्लाने लगी कि फूफा वाले दोनों बैल भागे जा रहे हैं ताकि कोई भी उसपर संदेह न करे। इस तरह उसने बैलों को भागने में मदद की।
प्रश्न 14. हीरा ने कब और कैसे सच्चे मित्र का फर्ज निभाया?
उत्तर – हीरा और मोती भूखे थे। सामने के खेत में हरी मटर नजर आई। अभी उन्होंने दो-चार ग्रास ही खाए थे कि रखवाले लाठी लिए आए। हीरा तो भाग सकता था पर सींचे खेत में खुर धंसने से मोती फँस गया। रखवालों ने उसे पकड़ लिया तो हीरा भागा नहीं। इस तरह उसने सच्चे मित्र का फर्ज निभाया।
प्रश्न 15. कांजीहौस में किन्हें बंद किया जाता है और उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है?
उत्तर – कांजीहौस में आवारा और लावारिस पशुओं को बंद किया जाता है। वहाँ उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। उनकी हालत अत्यंत दयनीय हो जाती है। अधिकांश मरने की कगार पर पहुँच जाते हैं।
प्रश्न 16. दढ़ियल ने जब बैलों के कूल्हों में उंगली से गोदा तो उन्होंने अपने अंतर्ज्ञान से क्या जान लिया?
उत्तर – नीलामी के लिए खड़े हीरा-मोती के कूल्हों में जब दढ़ियल ने अँगुली से गोदा तो दोनों ने अपने अंतर्ज्ञान से यह जान लिया कि दढ़ियल कसाई है। वह नीलामी में उन्हें खरीदकर उन पर छुरी चलाएगा।
प्रश्न 17. मोती के उस कार्य का वर्णन कीजिए जिसके बदले वह आशीर्वाद पाने की अपेक्षा कर रहा था?
उत्तर – कांजीहौस में बंदी हीरा-मोती ने देखा कि वहाँ गधे, घोड़े बकरियाँ, भैंसें आदि नौ-दस जानवर मुरदों-से ज़मीन पर पड़े हैं। मोती ने रात में बाड़े की दीवार गिरा दी जिससे ये जानवर भाग गए और उनकी जान बच गई। अपने इसी कार्य के बदले वह आशीर्वाद पाने की अपेक्षा कर रहा था।
प्रश्न 18. हीरा-मोती जब दढ़ियल के साथ जा रहे थे तो हार में चरते अन्य जानवरों को देखकर उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर – दढ़ियल के साथ जाते हीरा-मोती ने जब खेत में प्रसन्नतापूर्वक चर रहे अन्य जानवरों को देखा तो उन्हें वे जानवर स्वार्थी लगे क्योंकि कसाई के हाथों में उन्हें देखकर भी वे चिंता नहीं कर रहे थे। वे अपनी उछल-कूद और खुशी में डूबे थे।
प्रश्न 19. झूरी के पास वापस आए बैलों को देखकर बच्चों ने अपनी खुशी किस तरह व्यक्त की?
उत्तर – झूरी के पास लौटे हीरा-मोती को देखकर बच्चों ने ताली बजाकर उनका स्वागत अभिनंदन किया। वे इन्हें वीरता का प्रशस्ति पत्र देना चाहते थे। बच्चे खुशी-खुशी में भागकर अपने घरों से चूनी, गुड़, चोकर आदि लोकर खिलाने लगे। वे बहुत खुश दिख रहे थे।
प्रश्न 20. दूसरी बार घर आए हीरा-मोती को देखकर मालकिन की प्रतिक्रिया पहली बार से किस तरह भिन्न थी ?
उत्तर – हीरा-मोती जब पहली बार गया के घर से लौटकर आए थे तो मालकिन ने उन्हें नमकहराम कहा और उनकी खली-चूनी भूसी आदि बंद करवा दिया, पर दूसरी बार हीरा-मोती के घर आने पर मालकिन हर्षित हुई और बैलों के माथे चूम लिए थे।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. हीरा और मोती अपने मालिक झूरी के साथ किस तरह का भाव रखते थे?
उत्तर – हीरा और मोती अपने मालिक झूरी के साथ अत्यंत गहरा प्रेम एवं आत्मीय व्यवहार रखते थे। वे अपने मालिक से प्रेम करते हुए उसकी हर बात मानते थे। वे झूरी से अलग नहीं रहना चाहते थे। उनकी इच्छा थी उनका मालिक चाहे जितना काम करा ले पर वह उन्हें अपने से अलग न करे।
झूरी ने जब गया के साथ उन्हें भेजा तो वे रस्सी पगहे तुड़ाकर गया के घर से भागकर आ गए। इस समय उनकी आँखों में विद्रोहमयी स्नेह झलक रहा था। हीरा-मोती को भागने का अवसर मिलने पर भी वे अंत में भागकर झूरी के पास आ जाते थे जो उनके असीम लगाव का प्रमाण था।
प्रश्न 2. “दो बैलों की कथा’ पाठ में लेखक ने ‘सीधेपन’ के संबंध में क्या कहा है? इसके लिए उसने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं ?
उत्तर –‘दो बैलों की कथा’ पाठ में लेखक प्रेमचंद ने ‘सीधेपन’ को इस संसार के लिए उचित नहीं बताया है। इसके लिए उसने गधे और बैलों के सीधेपन का उदाहरण देते हुए दर्शाया है कि अपने सीधेपन के लिए गधा मूर्ख के अर्थ में रूढ़ बन गया है तथा बैल को ‘बछिया का ताऊ’ कहा जाने लगा है।
इस पाठ में भी हीरा-मोती के सीधेपन के कारण उन पर अत्याचार किया जाता है परंतु उनके सींग चलाते या अत्याचार का विरोध करते ही उन पर किया जाने वाला अत्याचार कम हो जाता है। इसी तरह अपनी सहनशीलता के कारण भारतीय अफ्रीका और अमेरिका में सम्मान नहीं पाते जबकि जापान ने युद्ध में विजय पाते ही दुनियाभर में सम्मान प्राप्त किया।
प्रश्न 3. हीरा-मोती दो बार झूरी के घर से वापस आए। दोनों बार झूरी की पत्नी की प्रतिक्रिया अलग-अलग क्यों थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – झूरी ने अपने बैलों हीरा और मोती को गया के घर काम के लिए भेजा। हीरा-मोती झूरी से बहुत लगाव रखते थे। वे झूरी को छोड़ कर गया के घर नहीं जाना चाहते थे। गया के साथ वे जैसे-तैसे चले गए पर बेगानापन महसूस होने के कारण वे रात में ही रस्सी पगहे तुड़ाकर चले आए।
यह देख झूरी की पत्नी ने उन्हें नमक हराम कहा और उन्हें खली, चूनी-चोकर आदि देना बंद करके सूखा भूसा सामने डाल दिया। दूसरी बार हीरा-मोती कांजीहौस से नीलाम होकर किसी तरह घर पहुँचते हैं तो उनकी दशा देखकर झूरी की पत्नी के मन में उनके प्रति बदलाव आ जाता है। वह बैलों द्वारा सहे कष्ट का अनुमान लगा लिया और उनके माथे चूम लिया। ऐसी प्रतिक्रिया बैलों के द्वारा अपनी स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्ष के कारण थी।
प्रश्न 4. मोती ने बैलगाड़ी को खाई में गिरा देना चाहा पर हीरा ने सँभाल लिया। इस कथन के आलोक में हीरा की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – हीरा-मोती गया के साथ नहीं जाना चाहते थे, इसलिए गया उन दोनों को बैलगाड़ी में जोतकर ले जा रहा था। अपना विरोध जताने के लिए मोती बैलगाड़ी को खाई में गिरा देना चाहता था, पर हीरा ने रोक लिया। इससे उसकी इन विशेषताओं का पता चलता है-
- धैर्यवान-हीरा-मोती की तुलना में अधिक धैर्यवान है। वह किसी समस्या का धैर्यपूर्वक सामना करता है।
- सहनशील-गया ने जब हीरा की नाक पर डंडे बरसाए तो हीरा सहन कर गया। इसी घटना के लिए मोती ने जब गयों को मार गिराना चाहा तो हीरा ने कहा कि यह हमारी जाति का धर्म नहीं है।
- अहिंसक विद्रोही-कांजीहौस में मार खाकर भी हीरा शांत नहीं होता। यद्यपि उसे मोटी रस्सियों में बाँध दिया जाता है फिर भी वह कहता है ‘ज़ोर तो मारता ही जाऊँगा चाहे कितने ही बंधन पड़ते जाएँ।’
- सच्चा मित्र-हीरा मोती के साथ सच्ची मित्रता निभाता है। वह रखवालों के हाथ पड़े मोती को अकेला नहीं छोड़ता है।
प्रश्न 5. ‘मोती के स्वभाव में उग्रता है’ उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मोती का स्वभाव उग्र है। वह अत्याचार एवं शोषण का विरोध करता है। वह अपने ऊपर ही नहीं हीरा पर भी अत्याचार देखकर क्रोधित हो उठता है और अत्याचार का सामना करने के लिए आक्रमण कर देता है।
इसके एक नहीं अनेक उदाहरण हैं। गया जब हीरा की नाक पर डंडे बजाता है तो क्रोधित मोती हल जोत, जुआ लेकर भागता है। गया और उसके साथी जब उसे पकड़ने आते हैं तो वह कहता है-”मुझे मारेगा तो मैं भी एक दो गिरा दूंगा।” इसी तरह वह गया का अत्याचार देखकर एकाध को सींगों पर उठाकर फेंक देने की बात कहता है। वह गिरे हुए शत्रु पर भी दया दिखाने का पक्षधर नहीं है। वह वेदम साँड को मार डालना चाहता है।
उसका विचार है कि वैरी को ऐसा मारना चाहिए कि फिर न उठे। यह मोती के स्वभाव की उग्रता है कि दढ़ियल को सींग दिखाकर गाँव के बाहर इस तरह खदेड़ देता है कि वह लौटकर आने का साहस नहीं जुटा पाता है।
प्रश्न 6. ‘संगठन में शक्ति है’-हीरा-मोती ने इसका नमूना किस तरह प्रस्तुत किया ?
उत्तर – यह सर्वविदित है कि संगठन में शक्ति होती है। इसका एक नमूना हीरा-मोती ने अपने से बलशाली साँड को पराजित करके प्रस्तुत किया। गया के घर से भागे हीरा-मोती के सामने रास्ते में विशालकाय, मदमस्त साँड आ गया।
हीरा-मोती ने सोच-विचार के बाद अपने से बलशाली शत्रु का मुकाबला करने की योजना बनाई मल्ल युद्ध में माहिर साँड को संगठित शत्रुओं से लड़ने का अनुभव न था। हीरा-मोती ने संगठित होकर साँड से युद्ध किया। एक ने आगे से वार किया तो दूसरे ने पीछे से।
साँड जब हीरा को मारने दौड़ता तो मोती उस पर सींग से वार कर देता। वह जब मोती पर वार करता तो हीरा उसके बगल में सींग घुसा देता। इससे साँड जख्मी होकर बेदम हो गया और गिर गया।
प्रश्न 7. हीरा-मोती स्वभाव से विद्रोही तो हैं पर उनके मन में दयाभाव भी है। इसका प्रमाण हमें कब और कहाँ मिलता है? ‘दो बैलों की कथा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हीरा और मोती स्वभाव से विद्रोही हैं। इसी विद्रोह के कारण वे दूसरी बार भी गया के घर से भागते हैं और खेत के रखवालों द्वारा पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिए जाते हैं। कांजीहौस में हीरा-मोती ने देखा कि यहाँ भैसे, घोड़ियाँ, गधे बकरियाँ आदि पहले से बंद हैं।
वे चारा न मिलने के कारण मुरदों जैसे जमीन पर पड़े हैं। इन्हें देखकर हीरा-मोती दयार्द्र हो जाते हैं। पहले हीरा ने बाड़े की दीवार गिराना शुरू किया परंतु चौकीदार ने देख लिया और उसे बंधन में डाल दिया। अब मोती ने उग्र रुख अपनाया और दो घंटे के परिश्रम के बाद बाड़ की आधी दीवार गिरा दी।
अब उसने सींग मार-मारकर जानवरों को वहाँ से भगा दिया और उनकी जान बचाई। इस प्रकार हीरा-मोती एक ओर जहाँ विद्रोही हैं वहीं दूसरी ओर उनके मन में दयाभाव भी है।
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