NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar संवाद लेखन 2
Textbook | NCERT |
Class | Class 9th |
Subject | Hindi |
Chapter | हिन्दी व्याकरण (Grammar) |
Grammar Name | संवाद लेखन- 2 |
Category | Class 9th Hindi हिन्दी व्याकरण वा प्रश्न अभ्यास |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar संवाद लेखन- 2 हिंदी में संवाद कैसे लिखते हैं? संवाद का दूसरा नाम क्या है? संवाद क्या है उदाहरण सहित समझाइए? उदाहरण सहित संवाद क्या है? संवाद की सबसे अच्छी परिभाषा कौन सी है? संवाद के कितने प्रकार हैं? संवाद का मूल अर्थ क्या है? संवाद के पांच उद्देश्य क्या हैं? संवाद की चार विशेषताएं क्या हैं? संवाद के प्रमुख गुण क्या हैं? संवाद का महत्व क्या है? संवाद का क्या महत्व होता है? संवाद लेखन का मुख्य उद्देश्य क्या है? का उपयोग कब आदि के बारे में पढ़ेंगे और जानने के साथ हम NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar (व्याकरण) संवाद लेखन- 2 व्याकरण करेंगे। |
NCERT Solutions Class 9th Hindi Grammar संवाद लेखन 2
हिन्दी व्याकरण
संवाद लेखन
संवाद – संवाद शब्द ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से बना है। संवाद का अर्थ है वार्तालाप या बातचीत। अर्थात् दो व्यक्तियों के बीच किसी विषय पर हुई बातचीत को संवाद कहते हैं। उनके मध्य हुई बातचीत को लिपिबद्ध करना ही संवाद-लेखन कहलाता है। अच्छा संवाद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
संवाद सुनने वाले की उम्र, रुचि को ध्यान में रखना चाहिए।
वाक्यों का स्पष्ट, शुद्ध उच्चारण करना चाहिए। रोचकता और सहजता होनी चाहिए।
विषय पर पकड़ एवं संबद्धता होनी चाहिए।
मनोभावों को स्पष्ट करने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग आवश्यक है।
आइए संवाद लेखन के कुछ उदाहरण देखते हैं
प्रश्न 1. आजकल महँगाई बढ़ती ही जा रही है। इससे परेशान दो महिलाओं की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर-
रचना – अलका बहन नमस्ते! कैसी हो?
अलका – नमस्ते रचना, मैं ठीक हूँ पर महँगाई ने दुखी कर दिया है।
रचना – ठीक कहती हो बहन, अब तो हर वस्तु के दाम आसमान छूने लगे हैं।
अलका – मेरे घर में तो नौकरी की बँधी-बधाई तनख्वाह आती है। इससे सारा बजट खराब हो गया है।
रचना – नौकरी क्या रोज़गार क्या, सभी परेशान हैं।
अलका – हद हो गई है कोई भी दाल एक सौ बीस रुपये किलो से नीचे नहीं है।
रचना – अब तो दाल-रोटी भी खाने को नहीं मिलने वाली।
अलका – बहन कल अस्सी रुपये किलो तोरी और साठ रुपये किलो टमाटर खरीदकर लाई। आटा, चीनी, दाल, चावल मसाले दूध सभी में आग लगी है।
रचना – फल ही कौन से सस्ते हैं। सौ रुपये प्रति किलो से कम कोई भी फल नहीं हैं। अब तो लगता है कि डाक टर जब लिखेगा तभी फल खाने को मिलेगा।
अलका – सरकार भी कुछ नहीं करती महँगाई कम करने के लिए। वैसे जनता की भलाई के दावे करती है। जमाखोरों पर कार्यवाही भी नहीं करती है।
रचना – नेतागण व्यापारियों से चुनाव में मोटा चंदा लेते हैं फिर सरकार बनाने पर कार्यवाही कैसे करे।
अलका – गरीबों को तो ऐसे ही पिसना होगा। इनके बारे में कोई नहीं सोचता।
प्रश्न 2. यमुना की दुर्दशा पर दो मित्रों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर-
अजय – नमस्कार भाई साहब, शायद आप दिल्ली के बाहर से आए हैं।
प्रताप – नमस्कार भाई, ठीक पहचाना तुमने, मैं हरियाणा से आया हूँ।
अजय – मैं भी अलवर से आया हूँ। तुम यहाँ कैसे?
प्रताप – दिल्ली आया था। सोचा सवेरे-सवेरे यमुना में स्नान कर लेता हूँ पर
अजय – कल मेरा यहाँ साक्षात्कार था और आज कुछ और काम था। मैं भी यहाँ स्नान के लिए आया था।
प्रताप – इतनी गंदी नदी में कैसे नहाया जाए?
अजय – मैंने भी यमुना का बड़ा नाम सुना था, पर यहाँ ती उसका उल्टा निकला।
प्रताप – इसका पानी तो काला पड़ गया है।
अजय – फैक्ट्रियों और घरों का पानी लाने वाले कई नाले इसमें मिल जाते हैं न।
प्रताप – देखो, वे सज्जन फूल मालाएँ और राख फेंककर पुण्य कमा रहे हैं।
अजय – इनके जैसे लोग ही तो नदियों को गंदा करते हैं।
प्रताप – सरकार को नदियों की सफ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
अजय – केवल सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला। हमें खुद सुधरना होगा।
प्रताप – ठीक कहते हो। यदि सभी ऐसा सोचें तब न।
अजय – यहाँ की शीतल हवा से मन प्रसन्न हो गया। अब चलते हैं।
प्रताप – ठीक कहते हो। अब हमें चलना चाहिए।
प्रश्न 3. बढ़ती गरमी और कम होती वर्षा के बारे में दो मित्रों की बातचीत का संवाद-लेखन कीजिए।
उत्तर-
रवि – रमन, कैसे हो?
रमन – मत पूछ यार गरमी से बुरा हाल है।
रवि – गरमी इसलिए बढ़ गई है क्योंकि वर्षा भी तो नहीं हो रही है।
रमन – 24 जुलाई भी बीतने को है पर बादलों का नामोनिशान भी नहीं है।
रवि – मेरे दादा जी कह रहे थे, पहले इतनी गरमी नहीं पड़ती थी और तब वर्षा भी खूब हुआ करती थी।
रमन – ठीक कह रहे थे तुम्हारे दादा जी। तब धरती पर आबादी कम थी परंतु पेड़-पौधों की कमी न थी।
रवि – वर्षा और पेड़ पौधों का क्या संबंध?
रमन – पेड़-पौधे वर्षा लाने में बहुत सहायक हैं। जहाँ अधिक वन हैं वहाँ वर्षा भी खूब होती है। इससे गरमी अपने आप कम हो जाती है।
रवि – फिर तो हमें भी अपने आसपास खूब सारे पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
रमन – और हरे-भरे पेड़ों को कटने से बचाना भी चाहिए।
रवि – इस गरमी के बाद वर्षा ऋतु में खूब पौधे लगाएँगे।
रमन – यही ठीक रहेगा।
प्रश्न 4. कक्षा-IX में प्रवेश लेने आए छात्र और प्रधानाचार्य के मध्य बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर-
छात्र – नमस्ते सर। क्या मैं अंदर आ सकता हूँ।
प्रधानाचार्य – नमस्ते। आ जाओ। क्या बात है?
छात्र – जी, मुझे नौवीं कक्षा में प्रवेश चाहिए।
प्रधानाचार्य – आठवीं कक्षा तुमने कौन-से विद्यालय से उत्तीर्ण की है?
छात्र – जी, राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय ………………. से।
प्रधानाचार्य – क्या तुम अपना अंक-पत्र लाए हो?
छात्र – जी हाँ, यह रहा मेरा अंक-पत्र।
प्रधानाचार्य – तुम्हारे ग्रेड तो अच्छे हैं, पर तुम यहाँ प्रवेश क्यों लेना चाहते हो?
छात्र – मेरे पिता जी का स्थानांतरण अभी यहीं हुआ है। यह विद्यालय मेरे आवास से सबसे निकट है।
प्रधानाचार्य – कोई और कारण?
छात्र – जी मुझे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करनी है ताकि मैं ग्यारवीं में विज्ञान वर्ग में प्रवेश ले सकूँ।
प्रधानाचार्य – यह फार्म भरो और मिस्टर वर्मा से मिलो। वे तुम्हारा टेस्ट लेंगे।
छात्र – जी धन्यवाद।
प्रश्न 5. परीक्षा भवन में जाने से आधा घंटा पहले दो सहपाठियों में हुई बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर-
अमर – अरे विनय! सारी तैयारी कर लिया?
विनय – हाँ अमर मैंने तो सारा पाठ्यक्रम दोहरा लिया है।
अमर – मैंने तो रात में देर तक जगकर पढ़ाई की परंतु पाठ्यक्रम पूरा न हो सका।
विनय – तूने पाइथागोरस प्रमेय के सवाल किए हैं?
अमर – नहीं विनय, मेरा तो मन घबरा रहा है। कहीं प्रश्न पत्र पूरा हल न कर पाया तो।
विनय – इस तरह दिल छोटा नहीं करते। चल जल्दी से देख, यह रहा सूत्र और इस पर आधारित सवाल।
अमर – यार एक बार और समझा दे।
विनय – ठीक है। अच्छा कुछ और?
अमर – एक बार मुझे हीरोन के सूत्र के बारे में बता दे।
विनय – यह भी आसान है। यह रहा हीरोन का सूत्र।
अमर – इस पर आधारित कोई सवाल समझा दे न।
विनय – यह देख सवाल। ऐसे करते हैं।
अमर – धन्यवाद विनय। चल अब अंदर चलते हैं। घंटी बज रही है।
विनय – बेस्ट आफ लक।
प्रश्न 6. शोर के कारण पढ़ाई में उत्पन्न हो रही बाधा पर दो छात्रों के मध्य हुए संवाद का लेखन कीजिए।
उत्तर-
नमन – नमस्कार अजय! कैसे हो?
रमन – नमस्कार नमन ! मैं ठीक हूँ। परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है?
नमन – रमन तैयारी कर तो रहा हूँ, पर अच्छी तरह नहीं हो पा रही है।
रमन – क्या बात है, तबीयत तो ठीक है ना।
नमन – तबीयत तो एक दम ठीक है पर ……………….
रमन – पर क्या?
नमन – मेरी कॉलोनी में दो धार्मिक स्थल है जिससे वहाँ शोर होता रहता है।
रमन – क्या लोगों की ज़्यादा भीड़-भाड़ होती है वहाँ ?
नमन – लोगों की भीड़ तो कम पर वहाँ तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकर बजता रहता है।
रमन – इस बारे में सोसायटी के लोग मिलकर पुजारी से बात क्यों नहीं करते हैं।
नमन – कई बार बात की पर लगता है, दोनों पुजारियों में जैसे लाउडस्पीकर बजाने की प्रतियोगिता हो रही है।
रमन – उन्हें बताओ कि रात दस बजे के बाद लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध है।
नमन – अब तो लगता है कि उनके विरुद्ध थाने में शिकायत करनी पड़ेगी क्योंकि इसमें हमें नींद नहीं आती है और हमारे काम प्रभावित हो रहे हैं।
रमन – अवश्य, क्योंकि इसका संबंध सभी के स्वास्थ्य से है।
प्रश्न 7. अध्यापिका और गृहकार्य न करके आने वाले छात्र के बीच हुई बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर-
अध्यापिका – मोनू, अब तुम अपनी कॉपी निकालकर तैयार रहो।
मोनू,- जी मैम।
अध्यापिका – जल्दी ढूढों, तुम्हारा नंबर आ गया है।
मोनू – मैम! लगता है कॉपी तो घर रह गई।
अध्यापिका – तुमने काम किया ही न होगा।
मोनू – नहीं मैम, काम तो किया था।
अध्यापिका – पिछले सप्ताह भी तो तुमने यही बहाना किया था।
मोनू – ध्यान आ गया मैम, कल मैं घरवालों के साथ एक विवाह-पार्टी में चला गया और रात में देर से लौटा था।
अध्यापिका – तो काम पूरा करके पार्टी में जाना था।
मोनू – सोचा था, मैम कि आकर कर लूँगा पर समय ही नहीं मिला।
अध्यापिका – तुम झूठ बोलना भी सीखते जा रहे हो। यह अच्छी बात नहीं। कल अपने पिता या माँ को साथ लेकर आना।
मोनू – मैम एक आखिरी मौका दे दीजिए, प्लीज!
प्रश्न 8. वनों की अंधाधुंध कटाई पर चिंता प्रकट करते हुए दो मित्रों के मध्य हुए संवाद (बातचीत) को लिखिए।
उत्तर-
पुनीत – नमस्ते सुमित! कहाँ थे छुट्टियों में?
सुमित – नमस्ते पुनीत! इन छुट्टियों में मैं अपने नाना जी से मिलने चला गया था।
पुनीत – तुम्हारे नाना जी गाँव में रहते हैं क्या?
सुमित – हाँ पुनीत! वहाँ का हरा-भरा वातावरण छोड़कर आने को मन ही नहीं कर रहा था।
पुनीत – अच्छा रहा तुम हरे-भरे वातावरण का आनंद उठा आए।
सुमित – पुनीत, तुम दिल्ली में ही थे या कहीं गए थे।
पुनीत – मैं भी अपने चाचा के पास आगरा गया था।
सुमित – वहाँ ताजमहल देखकर बड़ा आनंद आया होगा न?
पुनीत – ताजमहल देखने के आनंद से अधिक दुख वहाँ कटते पेड़ों को देखकर हुआ। जहाँ कभी हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे अब घर बनते जा रहे हैं।
सुमित – यहाँ दिल्ली से तो जैसे हरियाली गायब ही हो गई है।
पुनीत – कुछ लोग वनों को काटकर अब वहाँ रेत, सीमेंट, कंकरीट और लोहे के मकानों के जंगल खड़े करते जा रहे
सुमित – जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गरमी, बाढ़ आना ये सब वनों के कटने के दुष्परिणाम हैं।
पुनीत – हमें लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होगा ताकि वनों की कटाई रुक सके।
सुमित – तुम्हारे इस अभियान में मैं और मेरे मित्र भी साथ देंगे।
प्रश्न 9. गरमी की ऋतु में पानी की कमी से उत्पन्न समस्या से परेशान दो महिलाओं की बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।
उत्तर-
गीता – अरे सीमा! क्या बात है कुछ परेशान-सी दिख रही हो।
सीमा – क्या बताऊँ, गीता, न कल दिन में पानी और न रात में।
गीता – गरमी आते ही बिजली की तरह ही पानी का संकट शुरू हो जाता है।
सीमा – बिजली न आने पर जैसे-तैसे झेल भी लेते हैं परंतु पानी के बिना बड़ी परेशानी होती है।
गीता – आखिर परेशानी क्यों न हो नहाना, धोना, खाना बनाना आदि काम पानी से ही तो होते हैं।
सीमा – अब तो गरमी भी अधिक पड़ने लगी है! इससे नदियाँ तक सूख जाने लगी हैं। आखिर इन्हीं नदियों का पानी शुद्ध करके शहरों में घर-घर भेजा जाता है।
गीता – पिछले सप्ताह मैंने देखा था कि मजदूरों की बस्ती में कई नल खुले थे, दो-तीन की टोटियाँ टूटी थी, जिनसे पानी बहता जा रहा था।
सीमा – पानी की यही बरबादी तो जल संकट को जन्म दे रही है। हमें पानी की बरबादी अविलंब बंद कर देना चाहिए।
प्रश्न 10. नोटबंदी से उत्पन्न समस्या से परेशान दो लोगों की बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर-
मोहन – नमस्ते गोपी! लगता है काफ़ी पहले लाइन में लगने आ गए थे।
गोपी – कल दस बजे के बाद आया था। दिन भर लाइन में लगा रहा और शाम को खाली हाथ जाना पड़ा।
मोहन – इस नोटबंदी ने हम जैसों की कमर तोड़ दी है। जानते हो सब्जियाँ खरीदने वाली सौ रुपये की सब्जी खरीदकर पाँच सौ का पुराना नोट तुड़ाना चाहती है।
गोपी – मेरी तो कल दिहाड़ी मारी गई थी। लाइन में लगने से काम पर न जा सका था और आज तो भगवान ही मालिक है।
मोहन – अब तो फेरी लगाने पर रोटी भर के लिए भी पैसे कमाना मुश्किल हा गया है।
गोपी – ठेकेदार तो नोटबंदी का बहाना करके न पिछली मज़दूरी दे रहा है और न नया काम करवा रही है।
मोहन – पर सरकार कहती है कि इसका फायदा बाद में मिलेगा।
गोपी – ऐसे तो भुखमरी की स्थिति आ जाएगी।
मोहन – हमारे कई जाननेवाले मजदूर यहाँ से गाँव जा चुके हैं।
गोपी – सरकार ने हम गरीबों का तनिक भी ध्यान नहीं रखा। वह तो अच्छे दिनों का वाब दिखा रही है।
मोहन – उम्मीद रखो, कुछ दिन में शायद हालात ठीक हो जाएँ।
गोपी – इसी उम्मीद पर तो जिंदा हूँ।
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