NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई (The fundamental unit of life) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई (The fundamental unit of life)

TextbookNCERT
Class9th
SubjectScience
Chapter5th
Chapter Nameजीवन की मौलिक इकाई (The fundamental unit of life)
CategoryClass 9th Science 
Medium Hindi
Source Last Doubt
NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई Notes In Hindi जिसमे हम जीवन की मौलिक इकाई क्या थी?, जीवन कक्षा 9 की मौलिक इकाई क्या है?, मौलिक इकाई कितनी होती है?, कोशिका को जीवन की मौलिक इकाई क्यों कहा जाता है?, मानव शरीर में कितने प्रकार की कोशिका पाई जाती है?, क्या न्यूटन मौलिक इकाई है?, कोशिका झिल्ली किसका बना होता है?, कोशिका का कार्य क्या है? आदि के बारे में बारे में पढ़ेंगे। साथ-साथ हम NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई Notes In Hindi करेंगे 

NCERT Solutions Class 9th Science Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई (The fundamental unit of life)

Chapter – 5

 जीवन की मौलिक इकाई

Notes

कोशिका – सभी जीव सूक्ष्म इकाईयों के बने होते हैं। जिन्हें कोशिका कहते हैं। सभी जीवों की संरचनात्मक व कार्यात्मक इकाई कोशिका (Cell) है। कोशिका के आकार, आकृति व संगठन का अध्ययन साइटोलॉजी (Cytology) कहलाता है।

कोशिका की खोज – कोशिका का सबसे पहले पता रॉबर्ट हुक ने 1665 में लगाया था। उसने कोशिका को कार्क की पतली काट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा। एन्टोनी ल्यूवेनहाक (1674) ने सबसे पहले उन्नत सूक्ष्मदर्शी से तालाब के जल में स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिकाओं का पता लगाया।

कोशिका का निर्माण – प्रोटोप्लाज्म के विभिन्न संगठन में जल, आयन, नमक इसके अतिरिक्त दूसरे कार्बनिक पदार्थ जैसे – प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, न्यूक्लिक अम्ल, व विटामिन आदि होते हैं जो कोशिका का निर्माण करते है।

कोशिका सिद्धांत – कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन जीव वैज्ञानिक स्लीडन व स्वान ने किया जिसके अनुसार-

• सभी पौधे व जीव कोशिका के बने होते हैं। 
• कोशिका जीवन की मूल इकाई है। 
• सभी कोशिकाएँ पूर्व निर्मित कोशिकाओं से पैदा होती हैं।

जीव के प्रकार – कोशिकीय आधार पर जीव दो प्रकार के होते हैं।

एककोशिकीय जीव – वे जीव जो एक ही कोशिका के बने होते हैं एवं स्वयं में ही एक सम्पूर्ण जीव होते है एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं।  जैसे अमीबा, पैरामिशियम, क्लैमिडोमोनास और बैक्टीरिया (जीवाणु) आदि। 

बहुकोशिकीय जीव – वे जीव जिनमें अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्य को सम्पन्न करने हेतु विभिन्न अंगो का निर्माण करते है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते है। जैसे फंजाई (कवक) पादप, मनुष्य एवं अन्य जन्तु आदि

कोशिका के प्रकार – प्रोकैरियोटिक कोशिका और यूकैरियोटिक कोशिका

प्रोकैरियोटिक कोशिकाएँ

• आकार में बहुत छोटी (1 से 10⁻⁶ m) होती है।
• कोशिका का केन्द्रकीय भाग (Nucleoid) न्यूक्लिअर झिल्ली से नहीं ढका होता है।
• केन्द्रक अनुपस्थित 
• झिल्ली द्वारा घिरे अगंक अनुपस्थित 
• कोशिका विभाजन विखंडन या कोशिका विभाजन (budding) द्वारा

यूकैरियोटिक कोशिकाएँ – एक प्रकार की कोशिका है जो जानवरों, पौधों, कवक और मनुष्यों का निर्माण करती है। उन सभी कोशिकाओं को यूकैरियोटिक कोशिका कहा जाता है।

• आकार में बड़ी (5-100 μm) 
• केन्द्रकीय भाग न्यूक्लिर झिल्ली द्वारा घिरा होता है। 
• केन्द्रक उपस्थित 
• झिल्ली द्वारा घिरे अंगक उपस्थित 
• कोशिका विभाजन माइटोसिस (Mitosis) या मियोसिस ( Meiosis ) द्वारा एक एवम् बहुकोशिकीय जीव।

कोशिका आकार – कोशिकाओं का विभिन्न आकार व आकृति होती है। सामान्यतः कोशिकाएँ अंडाकार (spherical) होती हैं, वे लम्बाकार, स्तम्भाकार या डिस्क के आकार की भी होती है। कोशिका का आकार उसके कार्य पर निर्भर होता है। विभिन्न जीवों (पादप और जन्तु) की कोशिकाएँ विभिन्न आकार एवम् प्रकार की होती है। कुछ कोशिकाएँ सूक्ष्मदर्शीय होती हैं जबकि कुछ कोशिकाएँ नंगी आँखों से देखी जा सकती हैं।

• इनका आकार 0.2 μm से 18 से.मी. तक होता है। 
• एक बहुकोशीय जीव की किसी कोशिका का आकार सामान्यतः 2-120um होता है।

सबसे बड़ी कोशिका – शुतरमुर्ग का अण्डा (15 सेमी. लम्बा व 13 सेमी चौड़ा) 

सबसे छोटी कोशिका – माइकोप्लाज्मा (0.1A°) 

सबसे लंबी कोशिका – तंत्रिका कोशिका (1 मीटर तक)

सान्द्रता के अनुसार विलयन के प्रकार

• समपरासरी विलयन
• अति परासरण दाबी
• अल्प परासरण दाबी विलयन

समपरासरी विलयन – जब कोशिका के अन्दर व बाहर की सान्द्रता समान है तो यह समपरासरी विलयन है।

अति परासरण दाबी – यदि कोशिका के अन्दर की सान्द्रता बाह्य द्रव की सान्द्रता से अधिक है तो कोशिका के अन्दर से जल बाहर निकल जाता है, जिससे कोशिका सिकुड़ जाती है।

अल्प परासरण दाबी विलयन – जब कोशिका के बाहर की सान्द्रता कम होती है तो कोशिका के अन्दर अन्तः परासरण के कारण कोशिका फूल जाएगी व फट जाएगी।

जीवद्रव्यकुंचन – पादप कोशिका में परासरण द्वारा पानी की कमी होने पर प्लैज्मा झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं जिसे जीवद्रव्य कुंचन कहते हैं।

कोशिका के भाग – सामान्यतः कोशिकाओं के विभिन्न भाग कोशिका अंगक कहलाते हैं जो कि विशेष कार्य सम्पन्न करती है। सामान्यतः कोशिकाओं के तीन मुख्य भाग होते हैं –

(i) प्लाज्मा झिल्ली (Cell membrane) 
(ii) केन्द्रक (Nucleus) 
(iii) कोशिका द्रव्य (Cytoplasm)

कोशिका झिल्ली लिपिड, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से बना एक आवरण होता है। यह यूकेरियोटिक कोशिकाओं और प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं, दोनों में पाया जाता है। यह एक बहुत ही गतिशील संरचना है और यह हमेशा गति में रहती है। यह एक ऐसी परत होती है, जो पदार्थों को बाहर से अंदर और अंदर से बाहर की ओर जाने की अनुमति देती है।

• कोशिका झिल्ली को प्लाज्मा झिल्ली या प्लाज्मालेमा (Plasma lema) कहते हैं। 

• कोशिका झिल्ली वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली होती है। जो कोशिका के अन्दर या बाहर से केवल कुछ पदार्थों को अन्दर या बाहर आने जाने देती है। 

• यह प्रत्येक कोशिका को दूसरी कोशिका के कोशिका द्रव्य से अलग करती है। 

• यह जन्तु कोशिका व पादप कोशिका दोनों में पाई जाती है। 

• यह प्रोटीन (Protein) व लिपिड (Lipid) की बनी होती है।

• Singer और Nicholson के Fluid mosaic model के अनुसार यह लिपिड और प्रोटीन से बनी परत है जिसमें प्रोटीन , लिपिड की दो परतों के बीच सैंडविच की तरह धँसी होती है। 

• 75A° मोटी होती है। 

• यह लचीली होती है जो कि मोड़ी, तोड़ी व दुबारा जुड़ सकती है।

प्लाज्मा झिल्ली – यह कोशिका के अन्दर व बाहर अणुओं को आने जाने देती है यह कोशिका के निश्चित आकार को बनाए रखती है प्लाज्मा झिल्ली के अन्दर व बाहर अणुओं का आदान प्रदान दो प्रकार से होता है।

(1) विसरण 
(2) परासरण

विसरण 

• उच्च सान्द्रता से निम्न सान्द्रता की ओर स्वत गमन।

• यह दोनों पदार्थों की सान्द्रता को सामान कर देता है। 

• ठोस, द्रव, गैस तीनों में सम्भव।

• अपनी सान्द्रता में अन्तर के आधार पर विभिन्न पदार्थ गति करने के लिए स्वतन्त्र है।

परासरण

• वर्णात्मक झिल्ली द्वारा जल (विलायक) अणुओं के उच्च सांद्रता से निम्न सान्द्रता की ओर गमन।

• यह दोनों पदार्थ की सान्द्रता को समान कर देता है। 

• केवल द्रवीय माध्यम में सम्भव। 

• केवल विलायक गति करने के लिए स्वतन्त्र विलयन नहीं।

कोशिका भित्ति 

• कोशिका भित्ति  और पादप कोशिका की सबसे बाहरी झिल्ली है, यह जन्तु कोशिका में अनुपस्थित होती है। 

• यह सख्त, मजबूत, मोटी, संरन्ध्र अजीवित संरचना है, यह सेलुलोज की बनी होती है, कोशिकाएँ मध्य भित्ति द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी होती है। 

• पादप कोशिकाएँ एक दूसरे से Plasmodesmat से संम्पर्क मे रहती है।

• कवकों मे पाई जाने वाली कोशिकों भित्ति काइटिन नामक रसायन की बनी होती है।

कोशिका भित्ति के कार्य 

• कोशिका को संरचना प्रदान करना। 
• कोशिका को मजबूती प्रदान करना।  
• यह संरध्र होती है और विभिन्न अणुओं को आर – पार जाने देती है। 
• इसमें मरम्मत करने व पुनर्जनन की क्षमता होती है।

केन्द्रक – को कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो कि कोशिका की सभी क्रियाओं का नियन्त्रण करता है। 

• यह कोशिका का केन्द्र (Head Quarter of cell) कहलाता है। 

• इसकी खोज 1831 राबर्ट ब्राउन ने की। 

• यूकैरियोटिक कोशिकाओं में स्पष्ट केन्द्रक होता है जबकि प्रौकेरियोटिक कोशिकाओं में प्राथमिक केन्द्रक होता है। 

• इसके ऊपर की द्विस्तरीय झिल्ली को केन्द्रक झिल्ली कहते हैं। 

• केन्द्रक द्रव्य में केन्द्रकाय व क्रोमेटिन धागे होते हैं। 

• क्रोमोसोम या क्रोमेटिन धागे डी. एन. ए. के बने होते हैं जो कि आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जनन के द्वारा भेजते हैं। 

 जीन – DNA के बुनियादी और कार्यक्षम घटक को जीन (GENES) कहते हैं। 

केन्द्रक के कार्य 

• यह कोशिका की सभी उपापचय क्रियाओं का नियन्त्रण करता है। 
• यह आनुवंशिकी सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक भेजने का कार्य करता है। 

कोशिका द्रव्य – कोशिका का वह द्रव्य जिसमें सभी कोशिका अंगक पाए जाते हैं कोशिका द्रव्य कहलाता है। यहाँ जिसमें जैविक व कैटाबोलिक क्रियाएँ सम्पन्न होती है । इसके दो भाग होते हैं

सिस्टोल – जलीय द्रव जिसमें विभिन्न प्रोटीन होती है। इसमे 90% जल, 7% प्रोटिन , 2% कार्वोहाईड्रेट और 1% अन्य अव्यव होते है। 

कोशिका अंगक – विभिन्न प्रकार के अंगक जो प्लाज्मा झिल्ली द्वारा घिरी होती है। कुछ कोशिका अंगक एक झिल्ली, दो झिल्ली या बिना झिल्ली के होते है जैसे :-

• एक प्लाज्मा झिल्ली वोल अंगक
• दोहरी झिल्ली वाले अंगक
• बिना झिल्ली वाले अंगक

एक प्लाज्मा झिल्ली वोल अंगक – अंतर्द्रव्यी जालिका, लाइसोसोम गाल्जीकाय और रिक्तिका

दोहरी झिल्ली वाले अंगक – माइटोकॉण्ड्रिया और लवक इनके पास अपना खुद का DNA भी होता है।

बिना झिल्ली वाले अंगक – राइबोसोम, सेन्ट्रोसोम माइक्रोटयूबुल्स

गॉल्जी उपकरण – या पतली झिल्ली युक्त चपटी पुटिकाओं का समूह है जो एक दूसरे के ऊपर समान्तर सजी रहती है इनका आविष्कार (खोज) (Camilo Golgi) ने किया। ये प्रौकेरियोट, स्तनधारी, (RBC) व Sieve cells में यह अनुपस्थित होती है।

गॉल्जीकाय के कार्य

• यह लिपिड बनाने में सहायता करता है। 
• यह मध्य लेमिला बनाने का कार्य करता है। 
• यह स्वभाव से स्रावी होता है, यह मेलेनिन संश्लेषण में सहायता करता है। 
• अर्न्तद्रव्यी जालिका में संश्लेषित लिपिड का संग्रहण गाल्जीकाय में किया जाता है और उन्हें कोशिका के बाहर तथा अंदर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया जाता है। 
• पुटिका में पदार्थों का संचयन, रूपांतरण और बंद करना। 
• गाल्जीकाय के द्वारा लाइसोसोम को भी बनाया जाता है। 
• यह कोशिका भिति और कोशिका झिल्ली बनाने में मदद करता है।

माइटोकॉन्ड्रिया

• ये प्रोकेरियोटिक में अनुपस्थित होती है। 
• इसको कोशिका का पावर हाउस (ऊर्जाघर) भी कहते हैं। 
• यह दोहरी झिल्ली वाले होते हैं और सभी यूकैरियोटिकस में उपस्थित होते है।
• बाह्य परत चिकनी एवं छिद्रित होती है। अतः परत बहुत वलित होती है और क्रिस्टी का निर्माण करते हैं। 
• माइटोकॉन्ड्रिया को सर्वप्रथम 1880 में Kolliker ने देखा था 
• इसमें अपना खुद का DNA और राइबोसोम होता है।

माइटोकॉन्ड्रिया कार्य 

• इसका मुख्य कार्य ऊर्जा निमार्ण कर ATP के रूप में संचित करना है।
• यह क्रेब्स चक्र या कोशिकीय श्वसन का मुख्य स्थान है। जिसमे ATP का निर्माण होता है।

राइबोसोम – ये अत्यन्त छोटे गोल कण हैं जो जीव द्रव्य में स्वतन्त्र रूप से तैरते या अर्न्तद्रव्यी जालिका की बाहरी सतह पर चिपके पाए जाते हैं । ये RNA व प्रोटीन के बने होते हैं।

राइबोसोम के कार्य – राइबोसोम अमीनों एसिड से प्रोटीन संश्लेषण का मुख्य स्थान है। सभी संरचनात्मक व क्रियात्मक प्रोटीन (एन्जाइम) का संश्लेषण राइबोसोम द्वारा किया जाता है। संश्लेषित प्रोटीन कोशिका के विभिन्न भागों में अर्न्तद्रव्यी जालिका द्वारा कोशिका के विभिन्न भागों तक भेज दिया जाता है।

अंतर्द्रव्यी जालिका 

• यह झिल्ली युक्त नलिकाओं तथा शीट का विशाल तन्त्र होता है। इसकी खोज Porter, Claude एवं Fullam ने की। 

• झिल्ली जीवात् जननः ER द्वारा निर्मित प्रोटीन और वसा का कोशिका झिल्ली बनाने में सहायक। 

• यह प्रोकैरियोटिक कोशिका व स्तनधारी इरेथ्रोसाइट के अलावा सभी में पाया जाता है।

अंतर्द्रव्यी जालिका के प्रकार – अंतर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है :- 

• खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका 
• चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका 

खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका 

• ये सिस्टर्नी व नलिकाओं का बना होता है। 
• प्रोटीन संश्लेषण में सहायक (क्योंकि इनके ऊपर राइबोसोम लगे होते है) 
• राइबोसोम उपस्थित होते है

चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका 

• ये झिल्ली व नलिकाओं से बना होता है।
• यह वसा या लिपिड बनाने में मदद करता है। 
• राइबोसोम अनुपस्थित कोशिका द्रव्य के भागों तथा केन्द्रक के मध्य प्रोटीन के परिवहन के लिए नलिका सुविधा प्रदान करना।
• यकृत की कोशिकाओं में विष तथा दवा का निराविषीकरण करता है।

अन्तर्द्रव्यी जालिका के कार्य 

• यह केवल ऐसा अंगक है जो कोशिका के अन्दर और केन्द्रक के बीच पदार्थों के परिवहन के लिए नलिका सुविधा प्रदान करता है। 
• यह अंगकों के बीच Bio – chemical क्रियाओं के लिए स्थान उपलब्ध कराता है। 
• यह वसा, व प्रोटीन के संश्लेषण में मदद करता है । 
• SER यकृत की कोशिकाओं में विष तथा दवा को निराविषीकरण (Detoxification) करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लवक – ये केवल पादप एवं Algae (काई) कोशिकाओं में पाए जाने वाले अंगक हैं जिनके आन्तरिक संगठन में झिल्ली की दो परतें होती हैं। जो एक पदार्थ के अन्दर धँसी होती हैं। इस पदार्थ को स्ट्रोमा कहते हैं। ये विभिन्न आकार व आकृति जैसे कपनुमा, फीताकार, मेखलाकार आदि तरह के होते हैं । लवक में अपना DNA (डी.एन.ए.) और राइबोसोम होते हैं।

लवक के प्रकार – ये तीन प्रकार के होते 

• अवर्णी लवक – ल्यूकोप्लास्ट (सफेद) (तने, जड़ों में)
• वर्णी लवक – क्रोमोप्लास्ट (लाल, भूरे, अन्य) (जड़ें, तना, पत्ती)
• हरित लवक – क्लोरोप्लास्ट (हरा) (पत्तियों में)

क्लोरोप्लास्ट – क्लोरोप्लास्ट केवल पादप कोशिका में पाए जाते हैं। ये सूर्य की ऊर्जा में प्रकाश संश्लेषण क्रिया में सहायक होते हैं। क्लोरोप्लास्ट प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन बनाते हैं इसलिए उन्हें कोशिका की रसोईघर भी कहते हैं।

ल्यूकोप्लास्ट (अवर्णीलवक) – ये रंगहीन लवक होते है। यह पौधों की जड़, भूमिगत तनों में भोजय पदार्थों का संग्रह करते है। 

क्रोमोप्लास्ट (वर्णीलवक) – यें रंगीन लवक होते है । हरे रंग को छोड़ कर सभी प्रकार के रंग पाया जाता है। यह पौधे के रंगीन भाग जैसे पुष्प, फलभित्ति, बीज आदि मे पाये जाते हैं।

बाहरी झिल्ली व अन्त झिल्ली – हरितलवक लवक दोहरी झिल्ली युक्त कोशिका है इन झिल्ल्यिों को क्रमशः बाह्माझिल्ली व अन्त झिल्ली कहते है। 

पीठिका – अंतः झिल्ली से घिरे हुए भीतर के स्थान को पीठिका या स्ट्रोमा कहते है। 

थाइलेकोइड – स्ट्रोमा में जटिल झिल्ली तंत्र होता है, जिसे थाइलेकोइड कहते है। 

ग्रेनम-तश्तरी – तश्तरी नुमा थाइलेकोइड सिक्कों के की पट्टी रूप में व्यवस्थित रहते हैं जिन्हें ग्रेना कहते हैं। इसमें क्लोरोफिल होता है इसमे प्रकाश संश्लेषण क्रिया होती है।

रिक्तिका – इन कोशिका द्रव्य में झिल्ली द्वारा निश्चित थैली के आकार की संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें रिक्तिका या रसघानि कहते है।

• जन्तु कोशिका में रिक्तिकाएँ छोटी लेकिन पादप कोशिका में बड़ी होती है। 
• बड़ी रिक्तिकाएँ पादक कोशिका का 90 % तक भाग घेरे रखती है। 
• रिक्तिका की झिल्ली का टोनो प्लास्ट कहते है।

रिक्तिका के कार्य – ये कोशिका के अन्दर परासरण दाब का नियन्त्रण व पादप कोशिका में अपशिष्ट उपापचीय पदार्थ को इक्ट्ठा करने का कार्य करती है।

लाइसोसोम 

• गॉल्जी उपकरण की कुछ पुटिकाओं में एंजाइम इकट्ठा हो जाते हैं। 
• ये एकल झिल्ली युक्त पुटिका लाइसोसोम कहलाती है। 
• इनका कोई निश्चित आकृति या आकार नहीं होता ये मुख्यतः जन्तु कोशिका में व कुछ पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
• इनका मुख्य कार्य कोशिका को साफ रखना है।

आत्मघाती थैली – उपापचय प्रक्रियाओं में जब कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है तो लाइसोसोम की पुटिकाएँ फट जाती हैं और एन्जाइम स्रावित हो जाते हैं और अपनी कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की आत्मघाती थैली भी कहा जाता है।

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर –

पादप कोशिका (Plant Cell) जन्तु कोशिका (Animal Cell) 
क्लोरोप्लास्ट होता है। क्लोरोप्लास्ट नहीं होता।
रिक्तिका होती है।रिक्तिका नहीं होती।
द्रव पदार्थ का अवशोषण कर सकती है। अधिक मात्रा में द्रव पदार्थ का अवशोषण नहीं हो सकता। 
प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण।प्रकाश संश्लेषण नहीं होता।
कोशिका भित्ति सेलुलोज की बनी है।कोशिका भित्ति नहीं होती है। और लाइसोसोम पाए जाते हैं।

प्रश्न 1. लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?

जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ भी कहते हैं।

प्रश्न 2. कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता हैं?

प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम में होता है।

प्रश्न 3. जीवन की सबसे छोटी मौलिक इकाई कौन सी है?

कोशिका

प्रश्न 4. कोशिका की खोज किसने की?

कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने की

प्रश्न 5. कोशिका किसे कहते है?

सभी जीव सूक्ष्म इकाईयों के बने होते हैं। जिन्हें कोशिका कहते हैं।

प्रश्न 6. कोशिका का सिद्धांत किसने दिया?

रॉबर्ट हूक

प्रश्न 7. एककोशिकीय जीव किसे कहते है?

वे जीव जो एक ही कोशिका के बने होते हैं एवं स्वयं में ही एक सम्पूर्ण जीव होते है एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं।

प्रश्न 8. बहुकोशिकीय जीव किसे कहते है?

वे जीव जिनमें अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्य को सम्पन्न करने हेतु विभिन्न अंगो का निर्माण करते है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते है।

प्रश्न 9. जीन किसे कहते है?

DNA के बुनियादी और कार्यक्षम घटक को जीन (GENES) कहते हैं।

प्रश्न 10. पीठिका किसे कहते है?

अंतः झिल्ली से घिरे हुए भीतर के स्थान को पीठिका या स्ट्रोमा कहते है।

NCERT Solution Class 9th विज्ञान Notes in Hindi

Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
Chapter – 4 परमाणु की संरचना
Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
Chapter – 6 ऊतक
Chapter – 7 गति
Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
Chapter – 11 ध्वनि
Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

NCERT Solution Class 9th विज्ञान Question Answer in Hindi

Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
Chapter – 4 परमाणु की संरचना
Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
Chapter – 6 ऊतक
Chapter – 7 गति
Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
Chapter – 11 ध्वनि
Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

NCERT Solution Class 9th विज्ञान MCQ in Hindi

Chapter – 1 हमारे आस-पास के पदार्थ
Chapter – 2 क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध हैं
Chapter – 3 परमाणु एवं अणु
Chapter – 4 परमाणु की संरचना
Chapter – 5 जीवन की मौलिक इकाई
Chapter – 6 ऊतक
Chapter – 7 गति
Chapter – 8 बल तथा गति के नियम
Chapter – 9 गुरुत्वाकर्षण
Chapter – 10 कार्य तथा ऊर्जा
Chapter – 11 ध्वनि
Chapter – 12 खाद्य संसाधनों में सुधार

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