NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 10 ध्वनि (Sound)
Textbook | NCERT |
Class | 8th |
Subject | Science |
Chapter | 10th |
Chapter Name | ध्वनि |
Category | Class 8th Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 10 ध्वनि (Sound) Notes in Hindi जिसमे हम ध्वनि, दोलन, आदमी की आवाज, ध्वनि संचरण के लिए माध्यम जरूरी होता है, मानव के कान, बाह्य कर्ण, मध्य कर्ण, आंतर कर्ण, निर्वात, कंपन, कर्ण पटह, आवर्ति, दोलन गति, शोर, सुस्वर ध्वन आदि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 10 ध्वनि (Sound)
Chapter – 10
ध्वनि
Notes
ध्वनि – ध्वनि एक प्रकार की तरंग होती है जिसके कारण हम किसी भी प्रकार के आवाज को सुन पाते हैं। जब किसी वस्तु में कम्पन होता है तो उस वस्तु से ध्वनि निकलती है। जब एक घंटे पर हथौड़े से चोट की जाती है तो घंटे में कम्पन होता है, जिसके कारण घंटे से आवाज निकलती है।
दोलन – जब कोई वस्तु आगे पीछे या ऊपर नीचे की ओर चलती है तो इस प्रकार के गति को दोलन या कम्पन कहते हैं। संगीत के पारंपरिक वाद्ययंत्रों में कम्पन के कारण ही ध्वनि उत्पन्न होती है। नीचे दिए गए टेबल में कुछ संगीत वाद्ययंत्रों और उनके कम्पन करने वाले भाग के बारे में बताया गया है।
वाद्ययंत्र | कम्पन करने वाला भाग |
---|---|
वीणा | तना हुआ तार |
तबला | तनी हुई झिल्ली |
बांसुरी | एयर कॉलम |
गिटार, वायलिन, सितार | तना हुआ तार |
हार्मोनियम | धातु की रीड |
इंसान की आवाज – इंसानों में स्वरयंत्र या लैरिंक्स (Larynx) से ध्वनि उत्पन्न होती है। यह मानव या जंतु के श्वास नली के ऊपरी भाग में स्थित होता है। लैरिंक्स के आर पार दो वोकल कॉर्ड (Vocal Cord) तने हुए रहते हैं और उन दोनों के बीच एक पतली सी झिर्री होती है। जब उस झिर्री से हवा तेजी से निकलती है तो वोकल कॉर्ड में कम्पन उत्पन होता है और ध्वनि उत्पन्न होती है। वोकल कॉर्ड से जुड़ी हुई पेशियों की मदद से हम अपने वोकल कॉर्ड को ढ़ीला या तना हुआ कर पाते हैं। वोकल कॉर्ड के ढ़ीले या तने हुए होने के कारण मानव की आवाज बदलती रहती है। पुरुषों के वोकल कॉर्ड (20 मिमी) लम्बे होते हैं, लेकिन महिलाओं और बच्चों में यह बहुत छोटे होते हैं। इसलिए महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की आवाज में अंतर पाया जाता है।
ध्वनि संचरण के लिए माध्यम जरूरी होता है – ध्वनि को संचरण अर्थात चलने के लिए माध्य्म की जरूरत होती है। ध्वनि का संचरण निर्वात या वैक्युम से होकर नहीं होता है क्योंकि वैक्युम में कोई माध्यम मौजूद नहीं होता है। ध्वनि का संचरण ठोस, द्रव और गैस तीनों से होता है। किसी भी माध्यम में ध्वनि का संचरण चारों दिशाओं में होता है।
मानव के कान – कानों से हमें सुनने की शक्ति प्राप्त होती है। कान की संरचना बड़ी जटिल होती है। कान के तीन मुख्य भाग होते हैं, बाह्य कर्ण, (External Ear) मध्य कर्ण और आंतर कर्ण।
बाह्य कर्ण – बाहरी कान को पिन्ना भी कहते हैं। यह एक कीप जैसी रचना है। बाहरी कान का काम होता है ध्वनि की तरंगर मध्य कर्ण की ओर भेजना।
मध्य कर्ण – मध्य कर्ण में एक तनित झिल्ली और तीन छोटी छोटी हड्डियाँ होती हैं। तनित झिल्ली को कर्ण पटह या इयर ड्रम भी कहते हैं। तीन छोटी हड्डियों को बोनी ऑसिकल्स कहते हैं। बाहर से अंदर की ओर क्रमश: इनके नाम हैं मैलियस, इनकस और स्टेपीस (हैमर, एनविल और स्टिअरअप)। जब ध्वनि तरंगें इअर ड्रम से टकराती हैं तो इसके कारण इअर ड्रम में कम्पन शुरु हो जाता है। उसके बाद ध्वनि तरंगों का स्थानांतरण तीन हड्डियों में हो जाता है।
आंतर कर्ण – आंतर कर्ण में दो भाग होते हैं, कॉक्लिया और सेमीसर्कुलर कैनाल। कॉक्लिया बाहर से किसी घोंघे की तरह दिखता है। मध्य कर्ण से कम्पन कॉक्लिया तक पहुँचता है। कॉक्लिया से इन कम्पनों के सिग्नल मस्तिष्क तक पहुँचते हैं और हमें आवाज सुनाई देती है। सेमीसर्कुलर कैनाल की सुनने के काम में कोई भूमिका नहीं होती है। इस संरचना का काम है शरीर का संतुलन बनाए रखना। जब हम चलते हैं तो बिना डगमगाए चलते हैं। यह संतुलन सेमीसर्कुलर कैनाल के कारण संभव हो पाता है।
निर्वात – जब आकाश के किसी आयतन में कोई पदार्थ नहीं होता तो कहा जाता है कि वह आयतन ‘निर्वात है। निर्वात की स्थिति में गैसीय दाब, वायुमण्डलीय दाब की तुलना में बहुत कम होता है। किन्तु स्पेस का कोई भी आयतन पूर्णतः निर्वात हो ही नहीं सकता। इसका कारण यह है कि ध्वनि को संचरण (एक जगह से दूसरी जगह जाने) के लिए कोई माध्यम चाहिए। जब किसी बर्तन में से वायु पूरी तरह निकाल दी जाती है तो कहा जाता ह कि बर्तन में निर्वात है ? ध्वनि निर्वात में संचरित नहीं हो सकती।
कंपन – किसी वस्तु की अपनी मध्य स्थिति के इधर – उधर या आगे पीछे होने वाली गति को कंपन कहते है।
कर्ण पटह – कान के बाहरी भाग की आकृति कीप (फनल) जैसी होती है। जब ध्वनि इसमें प्रवेश करती है तो यह एक नलिका से गुजरती है जिसके सिरे पर एक पतली तानित झिल्ली होती है। इसे कर्ण पटह (eardrum) कहते हैं।
आवर्ति – प्रति सेकंड होने वाले दोलनों की संख्या को दोलन की आवृत्ति कहते हैं।
दोलन गति – हम जानते हैं कि किसी वस्तु का बार-बार इधर-उधर गति करना कंपन कहलाता है। इस गति को दोलन गति भी कहते हैं।
शोर – क्या आपको बसों तथा ट्रकों के हॉर्न (Horns) की ध्वनियाँ अच्छी लगती हैं? इस प्रकार की अप्रिय ध्वनियों को शोर कहते हैं।
सुस्वर ध्वनि – दूसरी और आप वाद्ययंत्रों की ध्वनियों का आनन्द लेते हैं। सुस्वर ध्वनि वह है जो कानों को सुखद लगती है। हारमोनियम द्वारा उत्पन्न ध्वनि सुस्वर ध्वनि कहलाती है।
आयाम – कोई आवर्ती फलन अपने पूर्ण आवर्तकाल में जितना अधिकतम परिवर्तित होता है, प्रायः उसे ही इसका आयाम कहा जाता है।
प्रबलता – प्रबलता ध्वनि का वह लक्षण है जिससे ध्वनि कान को मन्द (धीमी) अथवा तीव्र (प्रबल) प्रतीत होती है। सांस लेने से उत्पन्न ध्वनि अत्यधिक मन्द, किताब का कागज पलटने पर उत्पन्न ध्वनि मन्द, आपस में बातचीत की ध्वनि मन्द, कार के हॉर्न की ध्वनि प्रबल तथा बादलों की गड़गड़ाहट अति प्रबल प्रतीत होती है।
तारत्व – किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है, उसे तारत्व कहते है।
आवर्तकाल – कंपित वस्तु द्वारा एक दोलन पूरा करने में, लिए गए समय को आवर्तकाल कहते हैं।
वाक्-यंत्र – शरीर का यह भाग वाक्-यंत्र कहलाता है। यह श्वासनली के ऊपनी सिरे पर होता है। वाक्-यंत्र या कंठ के आर-पार दो वाक्-तंतु इस प्रकार तानित होते हैं कि उनके बीच में वायु के निकलने के लिए एक संकीर्ण झिरी बनी होती है। जब फेफड़े वायु को बलपूर्वक झिरी से बाहर निकालते हैं तो वाक्-तंतु कपित होते हैं जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
श्वास नली – श्वास नली वह नली होती है जो गले में स्थित स्वरयंत्र (लैरिंक्स) को फेफड़ों से जोड़ती है और मुंह से फेफड़ों तक हवा पहुँचाने के रास्ते का एक महत्वपूर्ण भाग है।
FAQ
प्रश्न 1. ध्वनि क्या है ?
प्रश्न 2. ध्वनि कैसे उत्पन्न होती है ?
प्रश्न 3. क्या ध्वनि निर्वात में संचरित होगी ?
प्रश्न 4. क्या ध्वनि गैसों में संचरित होती है ?
प्रश्न 5. क्या ध्वनि द्रवों में संचरित होती है ?
प्रश्न 6. क्या ध्वनि ठोसों में संचरित होती है ?
प्रश्न 7. ध्वनि की तीव्रता किन कारकों पर निर्भर करती है ?
प्रश्न 8. यदि एक वस्तु एक सेकंड में 10 दोलन करती है तो उसकी आवृत्ति क्या है ?
प्रश्न 9. ध्वनि लकड़ी या जल किस में तेज़ चलती है ?
प्रश्न 10. ध्वनि उत्पन्न होती है, जब वस्तुएँ …….. करती हैं।
प्रश्न 11. एक सेकंड में दोलनों की संख्या …….. कहलाती है।
प्रश्न 12. हमारे कर्ण ध्वनि की उस आवृत्ति को ग्रहण करते हैं जो ………. से अधिक और ……… से कम होती है।
प्रश्न 13. मनुष्य शरीर के उस भाग का नाम बताओ, जिसमें ध्वनि उत्पन्न होती है ?
प्रश्न 14. ध्वनि का कौन-सा गुण विभिन्न ध्वनियों को पहचानने में सहायक हैं?
प्रश्न 15. मानव कानों के लिए श्रव्य की आवृत्ति का परास क्या है ?
प्रश्न 16. तारत्व को परिभाषित करें।
प्रश्न 17. किसकी आवृत्ति अधिक होगी ? भिनभिनाते मच्छर की अथवा गरजते शेर की।
प्रश्न 18. निम्न आवृत्तियों को बढ़ते क्रम में लिखिए। (I) बच्चे की ध्वनि (Ii) मानव नर की ध्वनि (Iii) औरत की ध्वनि।
प्रश्न 19. हम आवाज़ कैसे सुन पाते हैं ?
प्रश्न 20. पुरुषों में वाक् तंतुओं की लंबाई कितनी होती है ?
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