NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंधन (Crop Production and Management) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंधन (Crop Production and Management)

TextbookNCERT
Class8th
Subject Science
Chapter1st
Chapter Nameफसल उत्पादन एवं प्रबंधन (Crop Production and Management)
CategoryClass 8th Science
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंधन (Crop Production and Management) Notes in Hindi जिसमें हम उत्पादन फसल क्या होता है?, फसल प्रबंधन के तरीके क्या हैं?, 3 प्रकार की फसलें क्या हैं?, फसल उत्पादन प्रबंधन क्यों है?, कृषि के 4 प्रकार क्या हैं?, 7 प्रमुख खाद्य फसलें कौन सी हैं?, 2 प्रकार की फसलें कौन सी हैं?, भारत का राष्ट्रीय फसल कौन सा है?, कृषि पद्धतियाँ, फसलों के प्रकार, मिट्टी तैयार करना, खाद एवं उर्वरक मिलाना, खरपतवार से सुरक्षा के तरीके, जुताई, उर्वरक एवं खाद में अंतर, परम्परागत औज़ार, सिंचाई की आधुनिक विधियाँ, खरपतवारनाशी, भंडार ग़ृह आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे

NCERT Solutions Class 8th Science Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंधन (Crop Production and Management)

Chapter – 1

फसल उत्पादन एवं प्रबंधन

Notes

कृषिखेती करने के विज्ञान को कृषि कहते हैं। भोजन और अन्य उपयोगी चीजों के लिए पौधे उगाना और पशु पालना, कृषि के दायरे में आता है। भारत के अधिकतर लोगों के लिए आज भी कृषि जीविकोपार्जन (वह कार्य या व्यवसाय है, जो जीवन निर्वाह के उद्देश्य से किया जाता है।) का साधन है। इसलिए आज भी भारत के अधिकांश लोग गाँवों में रहते हैं।

कृषि पद्धतियाँफसल उगाने के लिए किसानों द्वारा किए गये विभिन्न कामों को सामूहिक रूप से फसल पद्धति कहते हैं। फसल में पद्धतियों में शामिल होने वाले काम हैं: मिट्टी तैयार करना, बुआई, खाद और उर्वरक डालना, सिंचाई, खरतपतवार से सुरक्षा, कटाई और भंडारण।

फसलजब एक ही किस्म के पौधे को किसी एक जगह पर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है तो उन्हें फसल कहते हैं। गेहूँ की फसल का मतलब है कि किसी दिए गए खेत में लगभग सभी पौधे गेहूँ के हैं। यदि बीच बीच में एकाध तीसी के पौधे हों तो भी उसे तीसी की फसल नहीं कह सकते हैं।

फसलों के प्रकारभारत जैसे विशाल देश में अलग-अलग भागों में फसल उगाने के तरीके अलग-अलग हैं।
लेकिन मोटे तौर पर फसलों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है

1. खरीफ
2. रबी

खरीफजिन फसलों को वर्षा ऋतु (मानसून) में उगाया जाता है उन्हें खरीफ की फसल कहते हैं। खरीफ की बुआई जून में और कटाई सितंबर में होती है। खरीफ की फसल को अधिक तापमान और प्रचुर वर्षा की जरूरत होती है। उदाहरण: धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, आदि। भारत में खरीफ की मुख्य फसल है धान।

रबीजिन फसलों को ठंड के मौसम में उगाया जाता है उन्हें रबी की फसल कहते हैं। रबी की बुआई अक्तूबर में और कटाई मार्च में होती है। रबी की फसल को मध्यम तापमान और मध्यम वर्षा की जरूरत होती है। उदाहरण: गेहूँ, चना, सरसों, मटर, अलसी (तीसी), आदि। भारत में रबी की मुख्य फसल है गेहूँ।

मिट्टी तैयार करना – खेती का सबसे पहला चरण है मिट्टी तैयार करना। इस काम में मिट्टी को पोला बनाया जाता है और अलट पलट किया जाता है। इसके लिए अक्सर हल का इस्तेमाल होता है। जमीन के छोटे टुकड़े के लिए कुदाल का इस्तेमाल हो सकता है। यदि मिट्टी बहुत सख्त हो तो किसान उसे जोतने से पहले पानी से गीली करता है।

पारंपरिक तरीके से जुताई के लिए हल को खींचने के लिए बैलों का इस्तेमाल होता है। आजकल अधिकतर किसान ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने लगे हैं। ट्रैक्टर से समय और श्रम की बचत होती है। जुताई के बाद कभी कभी मिट्टी के बड़े बड़े ढ़ेले रह जाते हैं। इन्हें एक पाटल की मदद से तोड़ा जाता है। कई बार जुताई से पहले खाद डाली जाती है ताकि वह मिट्टी के साथ अच्छी तरह मिल जाए।

बुआई – बीजों को हाथों से भूमि के ऊपर छिड़कने की प्रक्रिया को बुआई या (रोपण) कहते है, जैसे की आप सभी को पता होगा कि गांव में जब धान या गेहूं का सीजन आता है तब किसान लोग खेतों में धान या गेहूं का रोपण करते है। और बीजों को हाथों द्वारा या सीड-ड्रिल द्वारा खेतों में बोया जाता है।

खाद एवं उर्वरक मिलाना – वे पदार्थ जिन्हें मिट्टी में पोषक स्तर बनाए रखने के लिए मिलाया जाता है, उन्हें खाद एवं उर्वरक कहते हैं।

सिंचाईकृत्रिम विधियों द्वारा फसलों की वृद्धि एवं उपज बढ़ाने के लिए जल का जो प्रयोग किया जाता है, उसे सिंचाई कहते हैं। भूमि में नमी को उचित मात्रा में बनाये रखने के लिए, जिससे पौधों की उचित वृद्धि हो सके तथा फसल अथवा पौधों की भरपूर पैदावार हो सके सिंचाई कहलाता है।

खरपतवार से सुरक्षा के तरीके

• फसल उगाने से पहले जितने भी खरपतवार होता है उन सभी को ट्रैक्टर द्वारा खेतों में जोत कर जड़ सहित उखाड़ देते हैं।
• फसल उगाने के बाद हाथ या खुरपी आदि की मदद से उखाड़ दिया जाता है।

कटाईफसल की कटाई एक महत्वपूर्ण कार्य है। फसल पक जाने के बाद उसे काटना कटाई कहलाता है। कटाई के दौरान या तो पौधों को खींच कर उखाड़ लेते हैं अथवा उसे धरातल के पास से काट लेते हैं। एक अनाज फसल को पकने में लगभग 3 से 4 महीने का समय लगता है।

भंडारणभण्‍डारण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे अनाज को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जाता है भण्डारण की प्रक्रिया में अनाज को बाहर के जानवरो से भी बचाया जाता है।

जुताई का महत्व – मिट्टी को पोला (भुरभुरा) करने से जड़ों को गहराई तक जाने में सहूलियत होती है।इससे गहरी जड़ों को भी सांस लेने में सहूलियत होती है।ह्यूमस में मौजूद पोषक आसानी से मिट्टी में मिल जाते हैं।मिट्टी में मौजूद पोषक और खनिज ऊपर तक आ जाते हैं। इससे पौधे उनका बेहतर इस्तेमाल कर पाते हैं।

जुताई – मिट्टी को उलटने पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया जुताई कहलाती है। इसे हल चला कर करते हैं। हल लकड़ी अथवा लोहे के बने होते हैं।

हलहल में एक फाल और एक शाफ्ट लगा होता है। हल का फाल लोहे का बना होता है और त्रिभुज के आकार का होता है। हल का शाफ्ट या पाल लकड़ी का बना होता है और काफी लंबा होता है। पाल के अगले सिरे पर क्षैतिज रूप से जुए को रखा जाता है ताकि उसमें बैलों को जोता जा सके।

फाल – प्राचीन काल से ही हल का उपयोग जुताई, खाद/ उवर्रक मिलाने, खरपतवार निकालने एवं मिट्टी खुरचने के लिए किया जाता रहा है। यह औज़ार लकड़ी का बना होता है जिसे बैलों की जोड़ी अथवा अन्य पशुओं (घोड़े, ऊँट) की सहायता से खींचा जाता है। इसमें लोहे की मजबूत तिकोनी पत्ती होती है जिसे फाल कहते हैं।

हल-शैफ्ट – हल का मुख्य भाग लंबी लकड़ी का बना होता है जिसे हल – शैफ्ट कहते हैं। इसके एक सिरे पर हैंडल होता है तथा दूसरा सिरा जोत के डंडे से जुड़ा होता है जिसे बैलों की गरदन के ऊपर रखा जाता है।

कुदाली – यह एक सरल औजार है जिसका उपयोग खरपतवार निकालने एवं मिट्टी को पोला करने के लिए किया जाता है। इसमें लकड़ी अथवा लोहे की छड़ होती है जिसके एक सिरे पर लोहे की चौड़ी और मुड़ी प्लेट लगी होती है जो ब्लेड की तरह कार्य करती है।

कृषि औजार – अच्छी उपज के लिए बुआई से पहले मिट्टी को भुरभुरा करना आवश्यक है। यह कार्य अनेक औज़ारों से किया जाता है। हल, कुदाली एवं कल्टीवेटर इस कार्य में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख औज़ार हैं।

कल्टीवेटरइसमें लोहे की एक फ्रेम में लोहे के कई फाल या डिस्क लगे होते हैं। इसे ट्रैक्टर की सहायता से खींचा जाता है। कल्टिवेटर से विशाल खेत को भी कम समय में जोत लिया जाता है।

परम्परागत औज़ार – परंपरागत रूप से बीजों की बुआई में इस्तेमाल किया जाने वाला औज़ार कीप के आकार का होता है बीजों को कीप के अंदर डालने पर यह दो या तीन नुकीले सिरे वाले पाइपों से गुजरते हैं। ये सिरे मिट्टी को भेदकर बीज को स्थापित कर देते हैं।

सीड ड्रिल – आजकल बुआई के लिए ट्रैक्टर द्वारा संचालित सीड ड्रिल का उपयोग होता है। इसके द्वारा बीजों में समान दूरी एवं गहराई बनी रहती है। यह सुनिश्चित करता है कि बुआई के बाद बीज मिट्टी द्वारा ढक जाए। इससे बीजों को पक्षियों द्वारा खाए जाने से रोका जा सकता है। सीड ड्रिल द्वारा बुआई करने से समय एवं श्रम दोनों की ही बचत होती है।

उर्वरक एवं खाद में अंतर

उर्वरकखाद
उर्वरक एक मानव निर्मित लवण है।खाद एक प्राकृतिक पदार्थ है जो गोबर एवं पौधों के अवशेष के विघटन से प्राप्त होता है।
उर्वरक का उत्पादन फैक्ट्रियों में होता है।खाद खेतों में बनाई जा सकती है।
उर्वरक से मिट्टी को ह्यूमस प्राप्त नहीं होती।खाद से मिट्टी को ह्यूमस प्रचुर मात्रा में प्राप्त होती है।
उर्वरक में पादप पोषक, जैसे कि नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटैशियम प्रचुरता में होते हैं।खाद में पादप पोषक तुलनात्मक रूप से कम होते हैं।

खाद के लाभ – जैविक खाद उर्वरक की अपेक्षा अधिक अच्छी मानी जाती है। इसका मुख्य कारण है-

• इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है।
• इससे मिट्टी भुरभुरी एवं सरंध्र हो जाती है जिसके कारण गैस विनिमय सरलता से होता है।
• इससे मित्र जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
• इस जैविक खाद से मिट्टी का गठन सुधर जाता है।

सिंचाई के स्रोत – कुएँ, जलकूप, तालाब/झील, नदियाँ, बाँध एवं नहर इत्यादि जल के स्रोत हैं। कुओं, झीलों एवं नहरों में उपलब्ध जल को निकाल कर खेतों तक पहुँचाने के तरीके विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न- भिन्न हैं।

सिंचाई की आधुनिक विधियाँ

(i) छिड़काव तंत्र (Sprinkler System) – इस विधि का उपयोग असमतल भूमि के लिए किया जाता है जहाँ पर जल कम मात्रा में उपलब्ध है। ऊर्ध्व पाइपों (नलों) के ऊपरी सिरों पर घूमने वाले नोज़ल लगे होते हैं। यह पाइप निश्चित दूरी पर मुख्य पाइप से जुड़े होते हैं। जब पम्प की सहायता से जल मुख्य पाइप में भेजा जाता है तो वह घूमते हुए नोज़ल से बाहर निकलता है। इसका छिड़काव पौधों पर इस प्रकार होता है जैसे वर्षा हो रही हो। छिड़काव लॉन, कॉफी की खेती एवं कई अन्य फसलों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

(ii) ड्रिप तंत्र (Drip system) – इस विधि में जल बूँद-बूँद करके सीधे पौधों की जड़ों में गिरता है। अतः इसे ड्रिप-तंत्र कहते हैं। फलदार पौधों, बगीचों एवं वृक्षों को पानी देने का यह सर्वोत्तम तरीका है। इससे पौधे को बूँद-बूँद करके जल प्राप्त होता है। इस विधि में जल बिलकुल व्यर्थ नहीं होता । अतः यह जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए एक वरदान है।

खरपतवारखेत में कई अन्य अवांछित पौधे प्राकृतिक रूप से फसल के साथ उलझ जाते हैं इन अवांछित पौधों को खरपतवार कहते हैं।

निराई – खरपतवार हटाने को निराई कहते हैं। निराई आवश्यक है क्योंकि खरपतवार जल, पोषक, जगह और प्रकाश की स्पर्धा कर फसल की वृद्धि पर प्रभाव डालते हैं।

खरपतवारनाशी – कार्य खुरपी या हैरो की सहायता से किया जाता है रसायनों के उपयोग से भी खरपतवार नियंत्रण किया जाता है जिन्हें खरपतवारनाशी कहते हैं

हार्वेस्टर – हमारे देश में दरांति की सहायता से हाथ द्वारा कटाई की जाती है अथवा एक मशीन का उपयोग किया जाता है जिसे हार्वेस्टर कहते हैं

थ्रेशिंग – कटी गई फसल से बीजू को भूसे से अलग करना होता है इन्हें थ्रेसिंग कहते हैं

फटक – छोटे खेत वाले किसान अनाज के दानों को फटक कर (विनोइंग) अलग करते हैं।

साइलोसाइलो अनाज भंडारण करने की एक नवीन और अत्याधुनिक तकनीक है, जिसको अपना कर अनाज भंडार करने की पारंपरिक क्षमता से अधिक अनाज भंडारण किया जा सकता है।

पशुपालनपशुपालन विज्ञान की वह शाखा है जिसमें अपने फायदे के लिए मनुष्यों द्वारा पशुओं, कुत्तों, भेड़ों और घोड़ों जैसे कृषि पशुओं की प्रजनन, खेती और देखभाल का अभ्यास किया जाता है। पशुपालन से तात्पर्य पशु पालन और चयनात्मक प्रजनन से है। यह कृषि की एक शाखा है।

उर्वरकउर्वरक (Fertilizers) कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं।

खादवे विशेष पदार्थ, जो भूमि के पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति करते हैं, खाद कहलाते हैं। खाद के उपयोग  की पैदावार बढ़ जाता है

बीजबीज पौधे का वह भाग है जिसमें आगे नया पौधा बनता है। इसमें बच्चा पौधा होता है। इसमें नए पौधे के लिए भोजन भी होता है। जैसे-मक्का तथ मटर के बीज।

भंडार ग़ृहघर का वह स्थान जहाँ अन्न, धन एवं अन्य वस्तु को रखा जाता है भंडार गृह कहा जाता है ज्यादातर आज के समय  में अनाजों की कटाई के बाद उसे सुरक्षित रखने के लिए भंडार गृह का उपयोग किया जाता है।

खाद एवं उर्वरक – वे पदार्थ जिन्हें मिट्टी में पोषक स्तर बनाए रखने के लिए मिलाया जाता है उन्हें खाद एवं उर्वरक कहते हैं

पाटलइसे मिट्टी को समतल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह लोहे या लकड़ी का बना एक भारी बीम होता है। लोहे से बने पाटल में कभी कभी एक सिरे पर एक धारदार ब्लेड लगी रहती है। इसे बैलों या ट्रैक्टर की मदद से खींचा जाता है।

FAQ

प्रश्न 1. 3 प्रकार की फसलें कौन सी हैं?

रबी, खरीफ और ज़ायद।

प्रश्न 2. फसल उत्पादन कैसे किया जाता है?

बुवाई फसल उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. बुवाई से पहले, अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन किया जाता है।

प्रश्न 3. फसल उत्पादन प्रबंधन के तीन चरण क्या हैं?

फसल उत्पादन प्रबंधन में तीन चरण होते हैं।

1. पूर्व फसल चरण
2. अधिकृत फसल चरण
3. उन्नयन चरण

प्रश्न 4. 3 प्रकार की फसलें कौन सी हैं?

तीन प्रकार की फसलें निम्नलिखित हैं:

1. खाद्य फसलें
2. फल वृक्ष फसलें
3. वाणिज्यिक फसलें

प्रश्न 5. खरीफ की फसल’ किस ऋतु में बोई जाती है?

खरीफ की फसल वर्षा ऋतु में बोई जाती हैं।

प्रश्न 6. खरीफ की फसल’ कौन – सी होती है?

खरीफ की फसल धान, मक्का और कपास होती हैं।

प्रश्न 7. मिट्टी को उलटने – पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?

मिट्टी को उलटने – पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया को जुताई कहते हैं।

प्रश्न 8. फसल उगाने के लिए किसानों द्वारा किए गए क्रियाकलापों में प्रथम चरण कौन-सा होता है?

मिट्टी तैयार करना

प्रश्न 9. रबी की फसल’ किस ऋतु में बोई जाती है ?

रबी की फसल शीत ऋतु में बोई जाती हैं।

प्रश्न 10. मिट्टी में कौन – कौन से तत्व होते हैं?

मिट्टी में खनिज, जल और वायु तत्व होते हैं।

प्रश्न 11. हल में लगे लोहे की मजबूत त्रिकोणी पट्टी को क्या कहते हैं?

हल में लगे लोहे की मजबूत त्रिकोणी पट्टी को फाल कहते हैं।

प्रश्न 12. ट्रैक्टर से जुताई करने के लिए क्या उपयोग में लाया जाता है?

ट्रैक्टर से जुताई करने के लिए कल्टीवेटर को उपयोग में लाया जाता हैं।

प्रश्न 13. खरपतवार को हटाने का प्रक्रम क्या कहलाता है?

खरपतवार को हटाने का प्रक्रम को निराई कहते हैं।
NCERT Solution Class 8th  Science All Chapters Notes in Hindi
Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध
Chapter – 2 सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु
Chapter – 3 कोयला और पेट्रोलियम
Chapter – 4 दहन एवं ज्वाला
Chapter – 5 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण
Chapter – 6 जंतुओं में जनन
Chapter – 7 किशोरावस्था की ओर
Chapter – 8 बल तथा दाब
Chapter – 9 घर्षण
Chapter – 10 ध्वनि
Chapter – 11 विद्युत धारा के रासानिक प्रभाव
Chapter – 12 कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ
Chapter – 13 प्रकाश
NCERT Solution Class 8th  Science All Chapters Question Answer in Hindi
Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध
Chapter – 2 सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु
Chapter – 3 कोयला और पेट्रोलियम
Chapter – 4 दहन एवं ज्वाला
Chapter – 5 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण
Chapter – 6 जंतुओं में जनन
Chapter – 7 किशोरावस्था की ओर
Chapter – 8 बल तथा दाब
Chapter – 9 घर्षण
Chapter – 10 ध्वनि
Chapter – 11 विद्युत धारा के रासानिक प्रभाव
Chapter – 12 कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ
Chapter – 13 प्रकाश
NCERT Solution Class 8th  Science All Chapters MCQ in Hindi
Chapter – 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध
Chapter – 2 सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु
Chapter – 3 कोयला और पेट्रोलियम
Chapter – 4 दहन एवं ज्वाला
Chapter – 5 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण
Chapter – 6 जंतुओं में जनन
Chapter – 7 किशोरावस्था की ओर
Chapter – 8 बल तथा दाब
Chapter – 9 घर्षण
Chapter – 10 ध्वनि
Chapter – 11 विद्युत धारा के रासानिक प्रभाव
Chapter – 12 कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ
Chapter – 13 प्रकाश

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