NCERT Solutions Class 8th (Social Science) Geography Chapter – 4 उद्योग (Industries)
Text Book | NCERT |
Class | 8th |
Subject | Social Science (भूगोल) |
Chapter | 4th |
Chapter Name | उद्योग (Industries) |
Category | Class 8th Social Science (Geography) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 8th (Social Science) Geography Chapter – 4 उद्योग (Industries) Notes in Hindi उद्योग की परिभाषा क्या है, उद्योग कितने प्रकार के होते हैं, उद्योग क्या है और उद्योग के प्रकार, उद्योग का उत्तर क्या है, उद्योग से क्या लाभ है, देश का सबसे बड़ा उद्योग कौन सा है, भारत में कितने उद्योग हैं, 5 उद्योग क्षेत्र कौन से हैं, तीन उद्योग क्या है । आदि इसके बारे में हम Notes विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 8th (Social Science) Geography Chapter – 4 उद्योग (Industries)
Chapter – 4
उद्योग
Notes
उद्योग – उद्योग का संबंध आर्थिक गतिविधि से है जो कि वस्तुओं के उत्पादन, खनिजों के निष्कर्षण अथवा सेवाओं की व्यवस्था से संबंधित है। इस प्रकार लोहा और इस्पात उद्योग वस्तुओं के उत्पादन से संबंधित है, कोयला खनन उद्योग कोयले को धरती से निकालने से संबंधित है तथा पर्यटन सेवा देने से संबंधित उद्योग है।
उद्योग का वर्गीकरण – उद्योगों का वर्गीकरण के आधारों पर किया जाता है, जैसे कच्चा माल, आकार, आदि। कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित उद्योगों की श्रेणी में बाँटा गया है।
कच्चा माल – कच्चे माल के उपयोग के आधार पर उद्योग कृषि आधारित, खनिज आधारित, समुद्र आधारित और वन आधारित हो सकते हैं।
कृषि आधारित उद्योग – जिस उद्योग में कच्चा माल पादपों या जंतुओं से आता है उसे कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। उदाहरण: सूती कपड़ा, कागज, खाद्य तेल, चमड़ा, आदि।
खनिज आधारित उद्योग – जिस उद्योग के लिए कच्चा माल खनिजों से आता है उसे खनिज आधारित उद्योग कहते हैं। खनिज आधारित उद्योगों का उत्पाद अन्य उद्योगों का पोषण करता है। उदाहरण: लौह-इस्पात, पेट्रोकेमिकल, आदि।
समुद्र आधारित उद्योग – जिस उद्योग के लिए समुद्र या सागर से कच्चा माल आता है उसे समुद्र आधारित उद्योग कहते हैं। उदाहरण: समुद्री खाद्य प्रसंस्करण, मत्स्य तेल, आदि।
वन आधारित उद्योग – जिस उद्योग के लिए कच्चा माल वन से मिलता है उसे वन आधारित उद्योग कहते हैं। उदाहरण: कागज, फर्नीचर, औषधि, माचिस, आदि। आकार के आधार पर, यानि पूँजी निवेश और उत्पादन के आकार के आधार पर उद्योगों के दो प्रकार होते हैं: लघु उद्योग और वृहत उद्योग।
आकार – उद्योग के आकार का तात्पर्य निवेश की गई पूँजी की राशि, नियोजित लोगों की संख्या और उत्पादन की मात्रा से है। आकार के आधार पर उद्योगों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
लघु आकार के उद्योग – कुटीर या घरेलू उद्योग छोटे पैमाने के उद्योग हैं जिसमें दस्तकारों के द्वारा उत्पादों का निर्माण हाथ से होता है। टोकरी बुनाई, मिट्टी के बर्तन और अन्य हस्तनिर्मित वस्तुएँ कुटीर उद्योगों के उदाहरण हैं। बड़े पैमाने के उद्योग जो बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, उनकी तुलना में छोटे पैमाने के उद्योग कम पूँजी व प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं।
वृहत आकार के उद्योग – बड़े पैमाने के उद्योगों में पूँजी का निवेश अधिक और प्रयुक्त प्रौद्योगिकी उच्चस्तरीय होती है। रेशम बुनाई और खाद्य प्रक्रमण उद्योग लघु पैमाने के उद्योग हैं। ऑटोमोबाइल और भारी मशीनों का उत्पादन बड़े पैमाने के उद्योग हैं।
स्वामित्व – स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को निजी क्षेत्र, राज्य स्वामित्व अथवा सार्वजनिक क्षेत्र, संयुक्त क्षेत्र और सहकारी क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है। जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड। संयुक्त क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन राज्यों और व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा होता है। मारुति उद्योग लिमिटेड संयुक्त क्षेत्र के उद्योगों का एक उदाहरण है।
सहकारी क्षेत्र के उद्योगों का स्वामित्व और संचालन कच्चे माल के उत्पादकों या पूर्तिकारों, कामगारों अथवा दोनों द्वारा होता है।
उद्योग की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक – वे कारक जो उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करते हैं, कच्चे माल की उपलब्धता, भूमि, जल, श्रम शक्ति, पूँजी, परिवहन और बाज़ार हैं। उद्योग उन्हीं स्थानों पर केंद्रित होते हैं जहाँ इनमें से कुछ या ये सभी कारक आसानी से उपलब्ध होते हैं। कभी-कभी सरकार कम दाम पर विद्युत उपलब्धता, कम परिवहन लागत तथा अन्य अवसंरचना जैसे प्रोत्साहन प्रदान करती है ताकि पिछड़े क्षेत्रों में भी उद्योग स्थापित किया जा सके। औद्योगीकरण से प्रायः नगरों और शहरों का विकास एवं वृद्धि होती है।
औद्योगिक तंत्र – औद्योगिक तंत्र में निवेश प्रक्रम और निर्गत शामिल हैं। निवेश में कच्चे माल, श्रम और भूमि की लागत, जल की उपलब्धता, परिवहन, विद्युत और अन्य अवसंरचना शामिल हैं। प्रक्रम में कई तरह के क्रियाकलाप शामिल हैं कच्चे माल को परिष्कृत माल में परिवर्तित करते हैं। निर्गत अंतिम उत्पाद और इससे अर्जित आय है। सूती वस्त्र उद्योग के संदर्भ में कपास, मानव श्रम, कारखाना और परिवहन लागत निवेश हो सकते हैं। प्रक्रमों में ओटाई, कटाई, बुनाई, रँगाई और छपाई शामिल है। कमीज़ जिसे आप पहनते हैं वह उत्पादन है।
औद्योगिक प्रदेश – औद्योगिक प्रदेश का विकास तब होता है जब कई तरह के उद्योग एक-दूसरे के निकट स्थित होते हैं और वे अपनी निकटता के लाभ आपस में बाँटते हैं। विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश पूर्वोत्तर अमेरिका, पश्चिमी और मध्य यूरोप पूर्वी यूरोप और पूर्वी एशिया हैं। मुख्य औद्योगिक प्रदेश अधिकांशतः शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों, समुद्री पत्तनों के समीप और विशेष तौर पर कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित होते हैं।
भारत में अनेक औद्योगिक प्रदेश हैं, जैसे मुंबई – पुणे समूह, बंगलौर, तमिलनाडु प्रदेश, हुगली प्रदेश, अहमदाबाद – वडोदरा प्रदेश, छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश, विशाखापट्नम – गुंटूर औद्योगिक प्रदेश, गुड़गाँव-दिल्ली मेरठ औद्योगिक प्रदेश और कोल्लम – तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश।
औद्योगिक विपदा – उद्योगों में दुर्घटना / विपदा मुख्य रूप से तकनीकी विफलता या संकट उत्पन्न करने वाले पदार्थों के बेतरतीब उपयोग के कारण घटित होती है। भोपाल में 3 दिसंबर 1984 को लगभग 00.30 बजे घटित, अब तक की सबसे त्रासदपूर्ण औद्योगिक दुर्घटना है।
यह एक प्रौद्योगिकीय दुर्घटना थी जिसमें यूनियन कार्बाइड के कीटनाशी कारखाने से हाइड्रोजन सायनाइट तथा प्रतिक्रियाशील उत्पादों के साथ-साथ अत्यंत विषैली मिथाइल आइसोसायनेट (एम.आई.सी.) गैस का रिसाव हुआ था। 1989 में सरकारी सूचना के अनुसार 35,598 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई थी। हजारों लोग जो बच गए वो आज भी एक या अधिक बीमारियों जैसे अंधापन, प्रतिरक्षा तंत्र विकृति, आंत्रशोथ विकृतियों आदि से पीड़ित हैं।
23 दिसंबर 2005 में चीन के गाओ कायो, चोंगगिंग में गैस कूप विस्फोट से 243 लोगों की मृत्यु तथा 9000 लोग दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे और इन स्थानों से 64,000 लोगों को विस्थापित किया गया था। कई लोग विस्फोट के बाद न भाग सकने के कारण मर गए। वे जो समय पर भाग पाए उनकी आँखें, त्वचा और फेफड़े गैस से क्षतिग्रस्त हो गए थे।
जोखिम कम करने के उपाय
1. घने बसे आवासीय क्षेत्रों को औद्योगिक क्षेत्रों से अलग बहुत दूर रखा जाना चाहिए।
2. उद्योगों के समीप बसने वाले लोगों को दुर्घटना होने की स्थिति में विषैले या खतरनाक पदार्थों के संग्रहण और उनके संभव प्रभावों का ज्ञान होना चाहिए।
3. आग की चेतावनी और अग्निशमन की व्यवस्था को उन्नत किया जाना चाहिए।
4. विषैले पदार्थों के भंडारण क्षमता की सीमा होनी चाहिए।
5. उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण के उपाय को उन्नत किया जाना चाहिए।
प्रमुख उद्योगों का वितरण – विश्व के प्रमुख उद्योग हैं लोहा इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग। सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग एक नया उद्योग है, जबकि बाकी दो पुराने उद्योग हैं। लोहा इस्पात उद्योग वाले प्रमुख देश हैं जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और रूस। कपड़ा उद्योग वाले प्रमुख देश हैं भारत, हॉंगकॉंग, दक्षिणी कोरिया, जापान और ताइवान। आईटी उद्योग के मुख्य केंद्र हैं अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सिलिकॉन वैली और भारत में स्थित बंगलोर।
लोहा-इस्पात उद्योग – अन्य उद्योगों की तरह लोहा – इस्पात उद्योग में भी बहुत से निवेश, प्रक्रम और निर्गत शामिल हैं। यह एक पोषक उद्योग है जिसके उत्पाद अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होते हैं। उद्योग के लिए निवेश में श्रम, पूँजी, स्थान और अन्य अवसंरचना के साथ-साथ लौह-अयस्क, कोयला और चूना पत्थर कच्चे माल के रूप में सम्मिलित हैं। लौह-अयस्क से इस्पात निर्माण की प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं।
जमशेदपुर – 1947 से पूर्व भारत में केवल एक इस्पात का कारखाना था टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को)। यह निजी स्वामित्व में था। स्वतंत्रता के पश्चात् सरकार ने यह कार्य अपने हाथ में लिया और बहुत से लोहा – इस्पात संयंत्र स्थापित किए। झारखंड में स्वर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम के समीप साकची में सन् 1907 में टिस्को की शुरुआत की गई थी। बाद में साकची का नाम बदल कर जमशेदपुर रखा गया। भौगोलिक रूप से जमशेदपुर, देश में लोहा – इस्पात केंद्र के रूप में सर्वाधिक सुविधाजनक स्थान पर है।
पिट्सबर्ग – यह संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्त्वपूर्ण इस्पात नगर है। पिट्सबर्ग के इस्पात उद्योग को स्थानीय सुविधाएँ उपलब्ध हैं। कच्चा माल जैसे कोयला पिट्सबर्ग में ही उपलब्ध है जबकि लौह-अयस्क मिनेसोटा की लोहे की खानों से प्राप्त होता है जो पिट्सबर्ग से लगभग 1500 किमी. दूर है। इन खानों और पिट्सबर्ग के बीच नौपरिवहन का सर्वोत्तम मार्ग, ग्रेट लेक्स जलमार्ग, आता है। यह अयस्क के नौपरिवहन हेतु सस्ता मार्ग है। ग्रेट लेक्स से पिट्सबर्ग क्षेत्र तक लौह-अयस्क रेलगाड़ियों से लाया जाता है। ओहियो, मोनोगहेला और एल्घनी नदियों से पर्याप्त जल प्राप्त होता है।
सूती वस्त्र उद्योग – धागे से कपड़े की बुनाई एक प्राचीन कला है। कपास, ऊन, सिल्क, जूट और पटसन का प्रयोग वस्त्र-निर्माण में होता है। उपयोग में लाए गए कच्चे माल के आधार पर वस्त्र उद्योग का वर्गीकरण किया जा सकता है। रेशे वस्त्र उद्योग के कच्चे माल हैं। रेशे प्राकृतिक या मानवनिर्मित हो सकते हैं। प्राकृतिक रेशे ऊन, सिल्क, कपास, लिनन और जूट से प्राप्त किए जाते हैं। मानवनिर्मित रेशों में नाइलॉन, पॉलिएस्टर, ऐक्रिलिक और रेयॉन शामिल हैं।
NCERT Solutions Class 8th Social Science (Geography) Notes in Hindi |
Chapter – 1 संसाधन |
Chapter – 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन |
Chapter – 3 कृषि |
Chapter – 4 उद्योग |
Chapter – 5 मानव संसाधन |
NCERT Solutions Class 8th Social Science (Geography) Question Answer in Hindi |
Chapter – 1 संसाधन |
Chapter – 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन |
Chapter – 3 कृषि |
Chapter – 4 उद्योग |
Chapter – 5 मानव संसाधन |
NCERT Solutions Class 8th Social Science (Geography) MCQ in Hindi |
Chapter – 1 संसाधन |
Chapter – 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन |
Chapter – 3 कृषि |
Chapter – 4 उद्योग |
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