NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना (Confronting Marginalisation) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना

Text BookNCERT
Class  8th
Subject  Social Science (नागरिक शास्त्र)
Chapter6th
Chapter Nameहाशियाकरण से निपटना (Confronting Marginalisation)
CategoryClass 8th Social Science
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना (Confronting Marginalisation) Notes in Hindi हाशिये का समाज क्या है?, हाशिए पर होना क्या है?, हाशिये की परिभाषा क्या है?, हाशिये का मतलब क्या होता है?, शिक्षा में हाशिए पर क्या है?, हाशियाकरण के कारण क्या है?, हाशियाकरण से क्या नुकसान होता है?, सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने का क्या मतलब है?, क्यों आदिवासियों तेजी से हाशिए पर बनने कर रहे हैं?, उपेक्षित बच्चे का क्या अर्थ है? आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 8th Social Science (Civics) Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना

Chapter – 6

हाशियाकरण से निपटना

Notes

हाशिये – आदिवासियों, दलितों, मुसलमानों, महिलाओं और हाशिये पर रहने वाले अन्य समूहों का मानना है कि एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक होने के नाते उन्हें भी समान अधिकार मिले हुए हैं। इनमें से कई अपनी चिंताओं के निवारण के लिए संविधान से उम्मीद लगाए रहते हैं। इन समूहों को शोषण से बचाने के लिए अधिकारों को कानून का रूप दिया जाता है। कई नीतियाँ बनती हैं ताकि हाशिये पर रहने वाले समूहों को भी विकास का लाभ मिल सके।

मौलिक अधिकारों को लागू करना – हमारे समाज और राजनीति को लोकतांत्रिक बनाने के लिए संविधान में कई सिद्धांत बने हैं। उन्हें मौलिक अधिकारों की लिस्ट में परिभाषित किया गया है। ये अधिकार भारत के हर नागरिक को समान रूप से मिले हुए हैं। जहाँ तक हाशिये पर रहने वाले लोगों का सवाल है, उन्होंने दो तरीकों से इन अधिकारों का उपयोग किया है। पहला तरीका यह है कि मौलिक अधिकारों पर जोर देकर उन्होंने सरकार को इस बात के लिए बाध्य किया है कि सरकार उनपर हो रहे अन्याय को माने। दूसरा तरीका यह है कि इन लोगों ने सरकार को मौलिक अधिकारों के अनुसार नियम बनाने के लिए प्रभावित किया है।

संविधान के अनुच्छेद 17 में कहा गया है कि अस्पृश्यता या छुआछूत समाप्त हो चुकी है। इसका मतलब है कि कोई भी किसी दलित को शिक्षित होने, मंदिर में जाने या जन सुविधाओं का इस्तेमाल करने से रोक नहीं सकता है। इसका यह भी मतलब है कि किसी भी रूप में छुआछूत की वकालत करना एक लोकतांत्रिक सरकार बर्दास्त नहीं करेगी। आज छुआछूत एक दंडनीय अपराध है।

हाशियाकरण के खिलाफ कानून सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाती है। हमारे देश में शोषित समूह के लिए विशेष कानून और नीतियाँ बनी हैं। कई बार किसी कमिटी के संशोधन पर या किसी सर्वे के आधार पर कानून और नीतियाँ बनती हैं। उसके बाद सरकार इन नीतियों को लागू करने का हर प्रयास करती है ताकि विशेष समूह के लोगों को बराबर अवसर मिल सकें।

सामाजिक न्याय – दलितों या आदिवासियों की बहुल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में केंद्र और राज्य की सरकारें विशेष योजनाएँ लागू करती हैं। उदाहरण के लिए, दलितों और आदिवासी छात्रों के लिए सस्ते दर पर या मुफ्त होस्टल बनाए जाते हैं ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर सकें। हो सकता है कि शिक्षा की उचित सुविधाएँ उनके घरों के आस पास न हों।

इसके अलावा समाज में समानता लाने के लिए सरकार कई कानून भी बनाती है। सरकारी शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण ऐसा ही एक कानून है। यह एक महत्वपूर्ण लेकिन विवादित कानून भी है। हमें यह समझने की जरूरत है कि जिन लोगों को सदियों से शिक्षा और कौशल हासिल करने से रोका गया उनके उत्थान के लिए यह कानून जरूरी है।

दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा हाशिये पर रहने वाले लोगों को भेदभाव और शोषण से बचाने के लिए कुछ विशेष कानून बनाए गए हैं।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989

दलितों और अन्य शोषित समूहों की मांग के बाद सरकार ने इस अधिनियम को 1989 में लागू किया। यह ध्यान रखना होगा कि दलितों और आदिवासियों को हर दिन बुरे व्यवहार और बेइज्जती का सामना करना पड़ता है। यह व्यवहार सदियों से चला आ रहा है लेकिन 1970 और 1980 के दशक में इसने हिंसक रूप ले लिया। इसी दौरान दक्षिण भारत के कई दलित समूहों ने अपने अधिकारों की वकालत शुरु कर दी थी, और उन्होंने हर उस काम को करने से मना कर दिया जो उस समूह के लोगों को करने के लिए बाध्य किया जाता था। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, मैला ढ़ोना, कूड़ा साफ करना, मरे हुए मवेशियों को ठिकाने लगाना, आदि काम दलितों के लिए उचित है। लेकिन आज समय बदल चुका है और हर किसी को अपने कौशल और अपनी इच्छा के अनुसार कोई पेशा चुनने का अधिकार होना चाहिए।

आदिवासियों के लिए इस अधिनियम का मतलब – आदिवासी कार्यकर्ता अपनी परंपरागत जमीन पर अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए इस अधिनियम का इस्तेमाल करते हैं। उनकी मांग है कि यदि कोई आदिवासी की जमीन पर कब्जा करता है तो उसे इसकी सजा मिलनी चाहिए। ऐसा कई बार हुआ है कि उद्योगपतियों के दवाब में आकर कई सरकारों ने आदिवासियों को उनके जमीन से बेदखल किया है। आज आदिवासी जागरूक हो चुके हैं और अपनी जमीन पर अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं।

आग्रही – जो व्यक्ति या समूह पुरजोर तरीके से अपनी बात रखता है उसे आग्रही कहा जाता है।

बहिष्कार – इसका मतलब किसी व्यक्ति या समूह को बाहर निकाल देने या प्रतिबंधित कर देने से होता है। यह शब्द व्यक्ति और उसके परिवार के सामाजिक बहिष्कार के विषय में आया है।

नैतिक रूप से निंदनीय – ये ऐसे कृत्य होते हैं जो सभ्यता और प्रतिष्ठा के सारे कायदे-कानूनों के खिलाफ़ होते हैं। इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ऐसे घृणित और अपमानजनक कृत्यों के लिए किया जाता है जो समाज द्वारा स्वीकृत मूल्यों के खिलाफ़ होते हैं।

नीति – एक घोषित कार्यदिशा जो भविष्य का रास्ता बताती है, लक्ष्य तय करती है या अपनाए जाने वाले सिद्धांतों व दिशानिर्देशों की व्याख्या करती है। इस अध्याय में हमने सरकारी नीतियों का उल्लेख किया है, लेकिन स्कूल, कंपनी आदि अन्य संस्थाओं की भी अपनी नीतियाँ होती हैं।

निष्कर्ष – किसी अधिकार या कानून या नीति को कागज़ पर लिख देने का यह मतलब नहीं होता कि वह अधिकार या कानून या नीति वास्तव में लागू हो चुका है। इन प्रावधानों को अमली जामा पहनाने के लिए लोगों को लगातार कोशिशें करनी पड़ती हैं। बराबरी, इज़्ज़त और सम्मान की चाह कोई नयी बात नहीं है। यह बात हमारे पूरे इतिहास में विभिन्न रूपों में दिखाई देती है। इसी प्रकार, लोकतांत्रिक समाज में भी संघर्ष, लेखन, सौदेबाज़ी और सांगठनिकता की प्रक्रियाएँ जारी रहनी चाहिए।

NCERT Solution Class 8th Social Science (Civics)Notes in Hindi
Chapter – 1 भारतीय संविधान
Chapter – 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ
Chapter – 3 संसद तथा कानूनों का निर्माण
Chapter – 4 न्यायपालिका
Chapter – 5 हाशियाकरण की समझ
Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना
Chapter – 7 जन सुविधाएँ
Chapter – 8 कानून और सामाजिक न्याय
NCERT Solution Class 8th Social Science (Civics) Question Answer in Hindi
Chapter – 1 भारतीय संविधान
Chapter – 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ
Chapter – 3 संसद तथा कानूनों का निर्माण
Chapter – 4 न्यायपालिका
Chapter – 5 हाशियाकरण की समझ
Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना
Chapter – 7 जन सुविधाएँ
Chapter – 8 कानून और सामाजिक न्याय
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Chapter – 1 भारतीय संविधान
Chapter – 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ
Chapter – 3 संसद तथा कानूनों का निर्माण
Chapter – 4 न्यायपालिका
Chapter – 5 हाशियाकरण की समझ
Chapter – 6 हाशियाकरण से निपटना
Chapter – 7 जन सुविधाएँ
Chapter – 8 कानून और सामाजिक न्याय

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