NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 9 मृदा (Soil) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 9 मृदा (Soil)

TextbookNCERT
Class 7th
Subject Science
Chapter9th
Chapter Nameमृदा (Soil)
CategoryClass 7th Science
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 7th Science Chapter – 9 मृदा (Soil)

Chapter – 9

मृदा

Notes

मृदा किसे कहते है?

पृथ्वी की भू-पर्पटी की सबसे ऊपरी परत पर पाई जाने वाली भुरभुरी परत को मृदा या मिट्टी कहते हैं। मिट्टी में ही पादप पनपते हैं और बढ़ते हैं। मिट्टी में कई प्रकार के जीव जंतु निवास करते हैं। मिट्टी के बिना हम स्थलीय जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मिट्टी एक महत्वपूर्ण संसाधन है। मृदा की एक सेंटीमीटर परत को बनने में सैंकड़ों वर्ष लग जाते हैं।
मृदा परिच्छेदिका (प्रोफाइल) मृदा की विभिन्न परतों से गुजरती हुई ऊर्ध्वाधर काट को मृदा परिच्छेदिका कहते हैं। हर परत का अलग संगठन, रंग, गहराई और रासायनिक संरचना होती है। इन परतों को संस्तर-स्थितियाँ कहते हैं। मृदा की संस्तर-स्थितियों का वर्णन नीचे दिया गया है।


A. संस्तर स्थिति – सबसे ऊपरी परत को शीर्ष मृदा या A-संस्तर स्थिति कहते हैं। इस परत की मृदा भुरभुरी होती है। शीर्ष मृदा में ह्यूमस प्रचुर मात्रा में होती है। छोटे पादपों की जड़ें इसी परत में फैलती हैं। शीर्ष मृदा को आसानी से खोदा जा सकता है। शीर्ष मृदा में कई जीव जंतु भी रहते हैं।
B. संस्तर स्थिति – इस परत की मृदा कठोर और अधिक घनी होती है। इस परत में ह्यूमस नाममात्र या नहीं होता है। लेकिन इस परत में खनिज की मात्रा अधिक होती है।
C. संस्तर स्थिति इस परत में दरारयुक्त और विदर-युक्त शैलों के ढ़ेले होते हैं। यह काफी कठोर होती है।
आधार शैल (Bedrock) यह सबसे नीचे रहती है। इस परत में विशाल और कठोर शैल होते हैं। इस परत को फावड़े से खोदना भी कठिन होता है।
मृदा के प्रकार

 

कणों के आकार के आधार पर मृदा के तीन मुख्य प्रकार होते हैं: बलुई मिट्टी, मृण्मय या चिकनी मिट्टी और दुमटी मिट्टी।

बलुई मिट्टी  इस प्रकार की मृदा में रेत के कणों का अनुपात अधिक होता है। रेत के कण आपस में चिपकते नहीं हैं। इसलिए बलुई मिट्टी के कणों के बीच खाली जगह बहुत होती है और उस खाली जगह में हवा मौजूद होती है। बलुई मृदा हल्की, सुवातित और शुष्क होती है।

मृण्मय मिट्टी इस मृदा में क्ले (सूक्ष्म कणों) का अनुपात बहुत अधिक होता है। क्ले के कण आपस में चिपक कर रहते हैं। इसलिए चिकनी मिट्टी के कणों के बीच खाली जगह न के बराबर होती है। चिकनी मिट्टी भारी और नम होती है।

दुमटी मिट्टी इस मृदा में क्ले और रेत के कण बराबर अनुपात में होते हैं। इस प्रकार की मृदा में काम भर की हवा और पानी मौजूद होता है। यह मृदा भी नम होती है। दुमटी मिट्टी में ह्यूमस की अच्छी मात्रा होती है।

खेती और मृदा  किसी भी फसल के लिए दुमटी मिट्टी सबसे अच्छी होती है। गेहूँ और चने की खेती के लिए यह सर्वोत्तम मानी जाती है। चिकनी मिट्टी धान की खेती के लिए उपयुक्त होती है। बलुई मिट्टी खेती के लिए बिलकुल बेकार होती है, लेकिन इस मिट्टी में ज्वार और बाजरे की खेती हो सकती है।

मृदा में अल अंत:स्रवण दर

 

मिट्टी के किसी नमूने से इकाई समय में छनकर निकलने वाले जल की मात्रा को उस मिट्टी का अंत:स्रवण दर कहते हैं। इसे अक्सर मिलीलीटर प्रति मिनट में व्यक्त किया जाता है। बलुई मिट्टी की अंत:स्रवण दर सबसे अधिक होती है और चिकनी मिट्टी की सबसे कम।

मृदा द्वारा जल का अवशोषण

 

बलुई मिट्टी द्वारा जल का अवशोषण नाममात्र होता है, क्योंकि इस मिट्टी का अंत:स्रवण दर सबसे अधिक होता है। बलुई मिट्टी में पानी बिलकुल नहीं टिक पाता है। चिकनी मिट्टी का अंत:स्रवण दर सबसे कम होने के कारण इस मिट्टी द्वारा जल का अवशोषण सबसे अधिक होता है। यानि चिकनी मिट्टी में पानी अधिक देर तक टिक पाता है।

मृदा अपरदन जल, पवन या बर्फ द्वारा मृदा की ऊपरी परत के हटने को मृदा अपरदन कहते हैं। पादपों की जड़ें मृदा को बाँध कर रखती हैं। लेकिन जब पादप नहीं होते हैं तो शीर्ष मृदा का अपरदन होता है। यदि अपरदन को नहीं रोका जाता है तो उस स्थान की मिट्टी बंजर हो जाती है। समय बीतने के साथ वह स्थान मरुस्थल में बदल सकता है। वृक्ष लगाने से मृदा अपरदन की रोकथाम होती है। मृदा अपरदन को रोकने के लिए किसान कई उपाय करते हैं, जैसे पहाड़ों पर सीढ़ीदार खेत बनाना, खेतों के किनारों पर वृक्षारोपण, आदि।

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