NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 6 उपभोक्ता संरक्षण
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 6th |
Chapter Name | उपभोक्ता संरक्षण |
Category | Class 7th Home Science( गृह विज्ञान) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 6 उपभोक्ता संरक्षण Notes जिसमे हम उपभोक्ता की मुख्य समस्या क्या है?, उपभोक्ता से क्या समझते हो?, उपभोक्ता कितने प्रकार के होते हैं?, उपभोक्ता के पांच अधिकार कौन से हैं?, उपभोक्ताओं के 5 उदाहरण क्या हैं?, मनुष्य कौन सा उपभोक्ता है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 6 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 6
उपभोक्ता संरक्षण
Notes
उपभोक्ता संरक्षण – हम जानते हैं कि परिवार की आय का एक मुख्य भाग आहार पर खर्च होता है। हमारे देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें आहार में पर्याप्त मात्रा में विभिन्न पोषक तत्त्व जैसे प्रोटीन, कार्बोज, वसा, विटामिन व खनिज लवण नहीं मिल पाते हैं।
इसके अतिरिक्त कई बार अधिक पैसा देकर भी जो खाद्य पदार्थ हम खरीदते हैं, उसमें ऐसे पदार्थों की मिलावट होती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं और हमारा पोषण भी ठीक प्रकार से नहीं कर पाते हैं।
मिलावट का अर्थ – मिलावट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा खाद्य पदार्थ के गुण, पोषकता अथवा प्रकृति में परिवर्तन आ जाता है।) यह परिवर्तन खाद्य पदार्थ में कोई अन्य मिलता-जुलता पदार्थ मिलाने अथवा खाद्य पदार्थ में से कोई तत्त्व निकालने के कारण आता है। उदाहरण के लिए दूध में पानी मिलाकर या दूध में से क्रीम निकाल कर उसे शुद्ध दूध के नाम से बेचना – दोनों ही मिलावट हैं।
अतः, मिलावटी पदार्थ वह होता है जिसके गुण या पोषक तत्त्वों में कमी या परिवर्तन कर दिया जाता है। मिलावट या तो जानबूझ कर अधिक लाभ के लिए की जाती है या फिर असावधानी और वातावरण की अस्वच्छता के कारण अनजाने ही हो जाती है।
मिलावट करने के दुष्परिणाम – बेईमान और लालची दुकानदार या व्यापारी अधिक धन कमाने के लिए मिलावट का सहारा लेते हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट करना एक असामाजिक एवं अनैतिक कार्य है जिससे उपभोक्ताओं को कई प्रकार से हानि पहुंचती है।
1. मिलावटी खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर जल्दी था देर से कई तरह प्रतिकल प्रभाव डालते हैं।
2. मिलावट करते समय चूँकि शुद्ध खाद्य पदार्थ में मिलते जलते व्यर्थ व सस्ते पदार्थ मिलाए जाते हैं अतः उपभोक्ता को खाद्य पदार्थ के क्रय के लिए अधिक मूल्य देना पड़ता है। जैसे अनाज व दालों में कंकड़, पत्थर आदि मिलाने से (अधिक मूल्य देना
3. मिलावटी खाद्य पदार्थ का पोषण मूल्य कम हो जाता है जिससे उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है जैसे दूध में पानी मिलाने से उसका पोषण मूल्य कम हो जाता है।
4. मिलावट किया जाने वाला पदार्थ यदि संदषित या छूत के रोगाणुओं से युक्त हो, तो उपभोक्ता को हैजा, टायफाइड, अतिसार जैसे छूत के रोग हो सकते हैं। जैसे दूध गन्दा या दूषित पानी मिलाने से वह दूध उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए गम्भीर खतरा बन सकता है।
5. मिलावट किए जाने वाला पदार्थ यदि विषाक्त हो तो खाद्य पदार्थ भी विषाक्त हो जाता है जैसे शराब में विषैली स्प्रिंट मिलाने से शराब भी विषैली हो जाती है और मृत्यु का कारण बन जाती है।
मिलावटी पदार्थ व उनका स्वास्थ्य पर कुप्रभाव – निम्न तालिका में प्रतिदिन प्रयोग में आने वाले सामान्य खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाले पदार्थों तथा उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव का विवरण किया गया है-
मिलावटी पदार्थ व उनका स्वास्थ्य पर कुप्रभाव – निम्न तालिका में प्रतिदिन प्रयोग में आने वाले सामान्य खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाले पदार्थों तथा उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव का विवरण किया गया है- |
खाद्य पदार्थ | मिलावट वाला पदार्थ | प्रभाव |
1. अनाज | भूसा, तिनके, कंकड़, मिट्टी, घुन लगा अनाज, होना। जंगली पौधों के बीज आदि। | (i) खाद्य पदार्थ की मात्रा का कम होना (ii) खाते समय कंकड़, पत्थर मुंह में आने पर दांत टूटने का भय। (iii) पाचन संस्थान पर कप्रभाव (iv) संदूषित मिलावटी पदार्थ द्वारा भोजन का संदूषित होना। |
2. आटा, मैदा आदि | कंकड़, रेत, चांक, पुराना आटा व मैदा । | (i) पाचन संस्थान पर कुप्रभाव (ii) अमाशय के कैंसर । |
3. दालें, बेसन | कंकड़, तिनके, जंगली पौधों के बीज, केसरी (खेसारी) दाल। | पाचन संस्थान पर कुप्रभाव । केसरी दाल के अधिक सेवन से पक्षाघात । |
4. दूध | पानी, मंड, अन्य पशुओं का दूध । | (i) पोषण मूल्य कम होना। (i) पानी संदूषित होने पर दूध संदूषित होना। |
5. मक्खन, घी | वनस्पति घी, जानवरों की चर्बी, छाछ, मंड। | (i) पोषण मूल्य कम होना। (ii) उपभोक्ता को अधिक आर्थिक हानि होना । |
(6) खोया, पनीर | मंड, सोखता कागज़ (ब्लाटिंग पेपर) | (i) पोषण मूल्य कम होना (ii) पाचन संस्थान पर कुप्रभाव । |
7. आइसक्रीम | चीनी के बदले सैकरीन सोखता कागज़ व हानिकारक अखाद्य रंग । | (i) पाचन संस्थान पर कुप्रभाव । (ii) जिगर की खराबी व कैंसर । |
8. तेल | खनिज तेल, आरगे-मोन का तेल (ऊट केटली का तेल) | (i) खनिज तेल से खनिज तेल से वमन, पाचन संबंधी विकार, जिगर में खराबी, कैंसरीय प्रभाव, विटामिन ए का अवशोषण ठीक प्रकार से न होना। (ii) कटैया के तेल से अमाशय और आंतों में खराबी, हाथ-पैरों में सूजन, सारे शरीर पर दाने निकलते हैं और अधिक प्रयोग से आंखों में विकार से रोशनी चली जाती है। |
9. हल्दी | मैटानिल पीला, लैड क्रोमेट । | (i) लगातार प्रयोग से हड्डियों, आंखों, त्वचा, फेफड़ों पर कु-प्रभाव पड़ता। (ii) रक्तहीनता। (iii) मानसिक दुर्बलता । (iv) अंधापन । |
10. पिसी हुई मिर्च व अन्य मसाले | लकड़ी का बुरादा, अखाद्य रंग, गोबर, लीद, पिसे हुए जंगली बीज । | (i) पाचन संबंधी विकार। (ii) हानिकारक रंगों से होने वाले कुप्रभाव |
11. साबुत मसाले (i) काली मिर्च (ii) जीरा व धनिया। (iii) सरसों | पपीते के सूखे बीज तिनके, कंकड़, जंगलीबीज । | (i) पाचन संबंधी विकार होना। |
12. चाय की पत्ती | कृत्रिम रंग, प्रयोग की हुई पत्ती, इमली के बीज का चूरा। | (i) पाचन संबंधी विकार होना। (ii) हानिकारक रंगों से होने वाले कुप्रभाव । |
13. चांदी के वर्क | एल्यूमीनियम के वर्क। | पाचन क्रिया पर कुप्रभाव पड़ना । |
14. मिठाईयाँ | मंड, हानिकारक अखाद्य रंग। | हानिकारक रंगों से होने वाले कुप्रभाव। |
15. सूजी | लोहे का चूरा। | (i) पेट में दर्द व अल्सर होना। (ii) आंतों में विकार होना। |
कुछ खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच – खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे हम सभी के स्वास्थ्य पर खतरा भी बढ़ता जा रहा है और यह जरूरी हो गया है कि हम खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के आसान तरीके सीखें। निम्न तालिका में मिलावट की जांच के घरेलू तरीके दिए गए हैं।
खाद्य पदार्थ व मिलावटी पदार्थ | मिलावट का पता लगाने के लिए साधारण परीक्षण |
1. अनाज व दालों में कंकड़, तिनके, मिट्टी, भूसा आदि। | 100 ग्राम खाद्य पदार्थ लेकर उसमें से इन व्यर्थ चीजों को चुन कर अलग कर लें और तोलें। यदि यह 4 ग्राम (4प्रतिशत) या इससे अधिक है तो खाद्य पदार्थ में जानबूझ कर मिलावट की गई है। |
2. अनाज व दालों में घुन लगे (कीड़ों द्वारा खाए हुए) दाने | 100 ग्राम खाद्य पदार्थ लेकर उसमें से घुन लगे दानें चुन कर तोलें। कुछ यदि यह 1 ग्राम (1 प्रतिशत) या इससे अधिक है तो खाद्य पदार्थ में जानबूझ कर मिलावट की गई है। |
3. दालों (अरहर, चने अथवा मसूर) में केसरी दाल | 100 ग्राम दाल लेकर उसमें से केसरी दाल चुन कर तोलें। यदि यह 1 ग्राम (1 प्रतिशत) या इससे अधिक है तो दाल में जानबूझ कर मिलावट की गई है। केसरी दाल के दाने कुछ तिकोने और गन्दे स्लेटी रंग के होते हैं जिन पर काले धब्बे होते हैं। |
4. दूध में पानी। | (i) दूध की एक बूंद पालिशदार तिरछी सतह पर डालें। दूध की बूंद या तो वहीं रूक जाती है अथवा धीरे से सफेद लकीर बनाते हुए बहती है तो दूध शुद्ध माना जा सकता है। पानी मिले दूध की बंद बिना निशान छोड़े बह जाती है। (ii) लेक्टोमीटर (दूध की शुद्धता मापने का यंत्र का माप साधारणतः 26 डिग्री से कम नहीं होना चाहिए। |
5. दूध में मंड। | परीक्षण के लिए थोड़ा दूध लेकर उसमें कुछ बूदें आयोडीन का घोल डालें। यदि दूध नीला हो जाए तो दूध में मंड की मिलावट की गई है। (नोट-आयोडीन के घोल के स्थान पर घर में उपलब्ध टिचर आयोडीन दवाई की कुछ बूदें प्रयोग की जा सकती है।) |
6. काली मिर्च में पपीते के बीज । | पानी में डालने पर पपीते के बीज । हल्के होने के कारण ऊपर तैरते हैं और काली मिर्च के दाने नीचे बैठ जाते हैं। |
7. पिसी लाल मिर्च में ईंट का चूरा, गेरू मिट्टी, नमक या टैल्कम पाउडर। | एक गिलास पानी में एक चम्मच लाल मिर्च छिड़कें। रंगदार पानी उसमें कृत्रिम रंग को दर्शाता है और ईंट का चरा या गेरू मिट्टी गिलास की तली में बैठती दिखाई देती है। |
8. पिसे गरम मसाले में मिट्टी। | थोड़ा सा पिसा गरम मसाला लेकर उसमें कार्बन टेटराक्लोराइड डालें। मसाला इसमें घुल जाता है और मिट्टी नहीं घुलती है। |
9. चाय की पत्ती में कृत्रिम रंग । | गीले सफेद कागज़ पर चाय की पत्तियों को रखे। यदि पीले या लाल रंग के धब्बे कागज़ पर पड़ जाएं तो चाय की पत्ती में कृत्रिम रंग की मिलावट है। |
10. चीनी/नमक में महीन रेत तथा अन्य वस्तुएँ। | एक गिलास में पानी लेकर उसमें कछ चीनी/नमक घोलें। यदि कुछ पदार्थ बिना घुले तली पर बचे रहे तो इनमें मिलावट है। |
बच्चों मिलावट के बारे में इतना सब कुछ जानने के पश्चात् अब तुम समझ गए होगें कि सस्ती व खराब खाने की चीजों की ओर आकर्षित नहीं होना चाहिए। यदि तुम खरीदारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखोगे तो मिलावट रोकने में अपना बहुत बडा सहयोग दे सकते हो क्योंकि यदि उपभोक्ता खराब मिलावटी पदार्थ नहीं खरीदेगें तो दुकानदार उन्हें अपनी दुकान में क्यों रखेगें।
जब बाजार में इनकी मांग नहीं होगी तो बनाने वाले भी सावधानी रखेंगे और खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं करेंगे। यदि तुम्हें मिलावटी खाद्य पदार्थ बनने या बिकने के बारे में कोई जानकारी हो तो निदेशक, खाद्य अप्रमिश्रण निवारण विभाग, अन्तर्राज्यीय बस अड्डा, पांचवीं मंजिल, दिल्ली-110006 (दूरभाष- 2512124) को सूचित अवश्य करें। शिकायत करने मे घबराना नहीं चाहिए क्योंकि शिकायत करने वाले का नाम गोपनीय रखा जाता है।
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