NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 2 हमारा भोजन
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 2nd |
Chapter Name | हमारा भोजन |
Category | Class 7th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 2 हमारा भोजन Notes इस अध्याय में हम आहार-आयोजन, आहार आयोजन का महत्त्व, आहार – आयोजन करते समय ध्यान देने योग्य बातें, भोजन परिवार के विभिन्न सदस्यों की आवश्यकतानुसार हो, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 2 हमारा भोजन
Chapter – 2
हमारा भोजन
Notes
आहार-आयोजन –
हम प्रायः दिन में चार-बार भोजन करते हैं। समय के अनुसार जो हम एक बार में पेट भर कर खाते हैं उसे आहार कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति मन पसन्द और स्वादिष्ट भोजन खाना चाहता है और इसका उत्तरदायित्व गृहिणी पर होता है। इस उत्तरदायित्व को निभाने के लिए यह आवश्यक है कि वह आहार-आयोजन कर ले।
आहार – आयोजन करने का अभिप्राय यह है कि ग्रहिणी को आने वाले ‘कुछ दिनों के प्रत्येक समय के भोजन का पूर्ण ज्ञान हो। आहार-आयोजन इस तरह करना चाहिए कि सारे दिन अथवा सप्ताह के भोजन में, जहाँ तक हो सके, भोज्य पदार्थ भिन्न-भिन्न हों।
एक समय पर एक सप्ताह से अधिक समय के लिए आहार – आयोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि समय-समय पर वस्तुओं की कीमत बदलती रहती हैं और प्रत्येक मौसम में एक जैसी वस्तुएं नहीं मिलती।
आहार आयोजन का महत्त्व –
(1) आहार-आयोजन इसलिए किया जाता है कि गृहिणी घर के सब सदस्यों को संतुष्ट कर सके और उनकी आवश्यकतानुसार उन्हें उपयुक्त भोजन, प्रदान कर सके।
(2) आहार-आयोजन से समय की बचत होती है क्योंकि हम शीघ्र नष्ट न होने वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, चावल, दालें, मसालें आदि अपनी आवश्यकतानुसार इकट्ठे खरीद लेते हैं।
(3) आहार-आयोजन से धन की बचत होती है क्योंकि अधिक मात्रा में वस्तुएं खरीदने से सस्ती मिलती है और उन्हें लाने के लिए एक ही बार किराया खर्च होता है।
(4) आहार-आयोजन करने का एक कारण यह भी है कि हमें बार-बार वस्तुएं खरीदने के लिए बाजार जाने में शक्ति व्यर्थ नष्ट नहीं करनी पड़ती है। इससे गृहिणी को खाना बनाने और परोसने के लिए काफी समय मिल सकता है, जिससे समस्त कार्य शान्ति – पूर्वक सम्पन्न हो जाते हैं।
आहार – आयोजन करते समय ध्यान देने योग्य बातें
आहार- योजना बनाते समय निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिये –
(1) भोजन परिवार के विभिन्न सदस्यों की आवश्यकतानुसार हो
(2) भोजन पौष्टिक और कम दामों में हो
(3) भोजन में विभिन्नता हो
(4) भोजन को मौसम अनुकूल बनाना
(5) भोजन का रूचिपूर्ण होना
(1) भोजन परिवार के विभिन्न सदस्यों की आवश्यकतानुसार हो – यदि परिवार में छोटे बच्चे हैं, या कोई बूढ़ा व्यक्ति है अथवा घर में कोई व्यक्ति बीमार है तो उनकी आवश्यकतानुसार ही भोजन बनाना चाहिए। इसका यह अर्थ नहीं कि सब सदस्य वही भोजन करें जो कि बीमार, बूढ़े व बच्चे के लिये उपयोगी हो बल्कि भोजन-योजना इस प्रकार की हो कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकतानुसार तैयार किये गये भोजन में से कुछ न कुछ खाने के लिए मिल सके।
(2) भोजन पौष्टिक और कम दामों में हो – भोजन में इस प्रकार की वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए जो कि न केवल सस्ती हो बल्कि शरीर की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकें। अतः, आहार- तालिका बनाते समय केवल एक समय के भोजन को ही ध्यान में न रखकर सारे दिन के भोजन को इकाई के रूप में समझना चाहिए। इसके लिए यह अनिवार्य है कि गृहिणी को भोजन के विभिन्न तत्त्वों व भोज्य गुटों का ज्ञान हो।
एक समय के भोजन की योजना बनाते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक भोज्य गुट में से एक-2 भोज्य पदार्थ अवश्य लें जिससे भोजन सन्तुलित हो जाए। गृहिणी को बाजार के भाव भी अच्छी प्रकार से मालूम होने चाहिए। यह आवश्यक नहीं कि महंगी वस्तुएँ अधिक पौष्टिक होती है। कई सस्ती वस्तुएँ महंगी वस्तुओं से भी अधिक पौष्टिक होती हैं अतः ऐसी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए जो पौष्टिक और सस्ती हों।
(3) भोजन में विभिन्नता हो – भोजन में विभिन्नता लाने के लिये भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ प्रयोग में लानी चाहिए। अलग-अलग समय के लिये भिन्न-भिन्न भोज्य पदार्थों का होना भी आवश्यक है। एक समय के भोजन में ऐसी वस्तुएं प्रयोग करनी चाहिए जिसमें रंग आपस में मेल खाते हों। जैसे हरी पत्तेदार सब्जी के साथ पीली दाल।
कुछ खाद्य-पदार्थ मुलायम होते हैं जैसे खीर और कुछ कुर-मुरे जैसे पापड़ । एक समय के भोजन में दोनों प्रकार के खाद्य-पदार्थों को प्रयोग करना चाहिए जिससे एक ही प्रकार के पदार्थ खाने से मन ऊब न जाए।
(4) भोजन को मौसम अनुकूल बनाना – आहार-योजना बनाते समय यह बात ध्यान में रखनी आवश्यक है कि हम केवल उन भोज्य पदार्थों को अपनी भोजन तालिका में रखें जो बाजार में उस मौसम में आसानी से मिल सकें। इसके अतिरिक्त गर्मियों के दिनों में ठंडा या सर्दियों में गर्म भोजन खाने में आनन्द आता है।
गर्मियों में अधिक पेय-पदार्थ व ठंडक पहुँचाने वाली सब्जियाँ अधिक मात्रा में भोजन में सम्मिलित की जानी चाहिए। इसके विपरीत गर्मियों में सर्दियों की अपेक्षा वसा-युक्त एवं कार्बोज-युक्त पदार्थ कम खाने चाहिए।
(5) भोजन का रूचिपूर्ण होना – जहाँ तक हो सके भोजन परिवार के सदस्यों की रूचि के अनुकूल होना चाहिए। अनिच्छा से खाया हुआ भोजन संतुलित होते हुए भी स्वास्थ्यप्रद नहीं होता। भोजन ऐसा हो जिसे देखते ही मुंह में पानी आने लगे।
आकर्षक ढंग से परोसा हुआ भोजन व्यक्ति की भूख को बढ़ाता है। अतः, परोसने का ढंग भी सुन्दर तथा क्रमबद्ध होना चाहिए। भोजन को इस प्रकार पकाना चाहिए कि स्वाद न लगने वाले भोजन भी रूचिपूर्ण लगने लगें।
विभिन्न समय के भोजन का आयोजन – आहार-आयोजन करते समय भोज्य पदार्थों का चयन सोच विचार कर करना चाहिए। भोज्य पदार्थों के चुनाव के साथ-साथ हमें भोजन के लिये समय-विभाग भी बनाना चाहिए।
खाद्य सामग्री कब और कहाँ से खरीदें – आहार योजना बनाने के पश्चात् भोजन पकाने के लिए खाद्य सामग्री की आवश्यकता होती है। परिवार की आय का मुख्य भाग भोजन पर व्यय होता है। अतः, खाद्य सामग्री खरीदते समय सावधानी रखना बहुत आवश्यक है।
खाद्य सामग्री खरीदते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
(i) बाजार का चुनाव
(ii) खाद्य पदार्थ की आवश्यकता
(iii) क्रय सूची
(i) बाजार का चुनाव – परिवार की आवश्यकता, सुविधा, पसन्द और खाद्य पदार्थ की किस्म के अनुसार बाजार का चुनाव करना चाहिए। बाजार का चुनाव करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उसनें-
(क) आवश्यकता के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हों।
(ख) चुनाव करने की गुंजाइश हो।
(ग) उपलब्ध वस्तुएं साफ और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हों।
(घ) उपभोक्ता को क्रय करने की स्वतन्त्रता हो और उस पर किसी प्रकार का दबाव न डाला जाए।
(ङ) उपभोक्ता को खाद्य सामग्री उचित मूल्यों पर प्राप्त हो सकें।
(छ) विक्रेता नम्र हो और उपभोक्ता को खरीदारी में पूर्ण सहयोग दे।
(ii) खाद्य पदार्थ की आवश्यकता – खाद्य पदार्थ केवल आवश्यकता होने पर ही खरीदने चाहिए। खाद्य पदार्थों को उन के नष्ट होने के समय के आधार पर हम दो वर्गों में बाँटते हैं-
(क) शीघ्र नष्ट न होने वाले खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, दालें, मसाले आदि इन्हें हम अपनी मासिक आवश्यकतानुसार इकट्ठा खरीद सकते हैं।
(ख) शीघ्र नष्ट होने वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दूध से बने पदार्थ, सब्जियाँ व फल आदि । इन खाद्य पदार्थों को अधिक मात्रा में नहीं खरीदना चाहिए। हमें मौसम की सब्जियाँ व फल खरीदने चाहिए क्योंकि मौसम में यह सस्ते होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होते हैं।
(iii) क्रय सूची – खाद्य पदार्थों की खरीदारी से पहले आहार योजना के आधार पर क्रय सूची बनानी आवश्यक है क्योंकि क्रय सूची न बनाने पर कभी-कभी कम आवश्यकता के खाद्य पदार्थ खरीद लिए जाते हैं तथा आवश्यकता के खाद्य पदार्थ रह जाते हैं।
खाद्य पदार्थ कभी भी उतावली में नहीं खरीदने चाहिए क्योंकि ऐसा करने से वे न केवल महंगे मिलते हैं अपितु घटिया किस्म के भी होते हैं। क्रय सूची बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक खाद्य पदार्थ न मिलने पर कौन सा दूसरा खाद्य पदार्थ खरीदा जाएगा।
जड़ वाली सब्जियाँ – जैसे आलू, प्याज, गाजर, मूली आदि ठोस, कड़ी व भारी होनी चाहिए। पिलपिली, झुर्रीदार व हल्की जड़ वाली सब्जियाँ नहीं खरीदनी चाहिए। हरे आलू व शक्करकन्दी तथा अंकुर निकले आलू व प्याज विषैले और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियाँ – जैसे पालक, सरसो, मेथी, धनिया, पत्ता गोभी आदि के पत्ते चमकीले, गहरे हरे रंग के चिकने, साफ, कड़े व ताजे होने चाहिए। मुरझाए हुए, कीड़ों द्वारा खाए हुए, पीले, धब्बों वाले तथा मिट्टी लगे पत्ते रोगाणुयुक्त होने के साथ-साथ पौष्टिकता में भी कम होते हैं।
फल – कड़े, ठोस व भारी होने चाहिए। अधिक पके हुए पिलपिले, चिपचिपे, सड़े हुए व फफूंदी लगे हुए फल नहीं खरीदने चाहिए।
रसोईघर में सुरक्षा के नियम – बच्चों तुमने देखा होगा कि तुम्हारी माता जी का अधिकांश समय रसोईघर में बीतता है और उनके साथ परिवार के अन्य सदस्यों का भी रसोईघर में आना जाना लगा रहता है। कई बार जरा सी असावधानी के कारण रसोईघर में काम करते समय दुर्घटनाएँ घट जाती हैं जो जान लेवा भी हो सकती हैं। अतः, रसोईघर में काम करते समय सुरक्षा सम्बन्धी निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है।
रसोईघर का फर्श – रसोईघर में काम करते समय फल व सब्जियों के छिलके, घी व तेल फर्श पर नहीं फेंकने चाहिए। यदि फर्श पर कुछ गिर जाए तो उसी समय सफाई कर देनी चाहिए अन्यथा फिसलन होने के कारण गिरने का भय रहता है। फर्श को हमेशा सुखा कर साफ रखना चाहिए।
गैस का प्रयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ रखना आवश्यक है-
1. गैस सिलेण्डर को हमेशा सीधा खड़ा रखना चाहिए।
2. सिलेण्डर को चूल्हे, अंगीठी व स्टोव आदि जलने के स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
3. गैस चूल्हा हमेशा सिलेण्डर से अधिक ऊँचाई पर रखना चाहिए।
4. सिलेण्डर कभी बंद अलमारी में नहीं रखना चाहिए।
5. काम समाप्त होने के बाद रबर टयूब की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए व उसमें चटक दिखाई देने पर बदल देना चाहिए।
6. गैस का प्रयोग करते समय ही नाँब को खोलना चाहिए।
7. चूल्हे के नियंत्रक को माचिस जलाने के बाद ही खोलना चाहिए।
8. भोजन पकाते समय नियंत्रक द्वारा आग की लौ ऐसी रखनी चाहिए कि वह बर्तन के चारों तरफ न निकले अन्यथा आग लगने का भय रहता है।
9. काम करने के बाद रेगुलेटर नाँब अवश्य बंद करना चाहिए।
गैस दुर्गंध महसूस होने पर निम्नलिखित सावधानियाँ रखना आवश्यक है–
1. रेगुलेटर नाँब को बंद कर देना चाहिए।
2. सभी खिड़की दरवाजे खोल देने चाहिए।
3. बिजली-स्विच को हाथ नहीं लगाना चाहिए।
4. सभी जलती हुई चीजें बुझा देनी चाहिए।
भोजन पकाना तथा परोसना – हम पहले पढ़ चुके हैं कि सुबह का नाश्ता, दोपहर अथवा रात्रि का भोजन तथा शाम के नाश्ते में हम भिन्न-भिन्न भोजन बनाते हैं। उनमें से प्रत्येक समय के भोजन के लिए कुछ सामान्य भोजन बनाने की विधियाँ निम्नलिखित हैं-
सुबह का नाश्ता – सुबह के नाश्ते में दूध व चाय के साथ सेकी हुई डबलरोटी ली जा सकती है। इनको मक्खन तथा जैम के साथ परोसा जा सकता है। मक्खन तथा जैम अलग-अलग प्लेटों में ही परोसना चाहिए जिससे व्यक्ति अपनी इच्छानुसार जितना चाहे लगा ले। डबलरोटी को हल्की आग पर या टोस्टर में सेकना चाहिए तथा गर्म-गर्म ही परोसना चाहिए। सुबह के नाश्ते में टमाटर, खीरा, पोदीने की चटनी, पनीर, सॉस आदि के सैंडविच भी लिए जा सकते हैं।
दलिया
सामग्री
दालिया ……… 2 बड़े चम्मच
पानी ……….. लगभग 3 प्याले
घी ……….. 1/2 चाय का चम्मच
नमक या चीनी …… स्वादानुसार
दूध ………. 1 प्याला
विधि
(1) एक पतीले में दलिया व घी डाल कर उसको हल्की आंच पर भूनें जब तक वह हल्के भूरे रंग का न हो जाए।
(2) फिर उसमें पानी डाल दें और कुछ समय के लिये हल्की आग पर पकाए। बीच-बीच में इसको हिलाते रहें जिससे वह नीचे न लगने पाए।
(3) जब दलिया नरम तथा कुछ गाढ़ा हो जाये तो उसमें इच्छानुसार चीनी या नमक डाल दें और कुछ समय तक पकाए। यह ध्यान रखें कि वह पतीले के साथ चिपके नहीं।
(4) गर्म-गर्म दलिये को गहरी प्लेट में डाल कर परोसें।
नोट-
1. यदि दलिये में चीनी डाली है तो साथ में दूध डाल सकते हैं।
2. दलिये को बनाते हुए दलिये में पानी के स्थान पर सारा दूध अथवा आधा दूध तथा आधा पानी का प्रयोग किया जा सकता है।
3. नमकीन दलिया बनाते समय उसमें दाल और सब्जियाँ भी डाली जा सकती हैं।
4. यदि दलिया किसी रोगी के लिए बनाना हो तो घी के बिना भी बनाया जा सकता है।
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