NCERT Solutions Class 7th Social Science Geography Chapter – 7 रेगिस्तान में जीवन (Life in The Deserts)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Geography Social Science |
Chapter | 7th |
Chapter Name | रेगिस्तान में जीवन (Life in The Deserts) |
Category | Class 7th Social Science Geography |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th Social Science Geography Chapter – 7 रेगिस्तान में जीवन (Life in The Deserts) Notes in Hindi जिसमें हम रेगिस्तान में जीवन, रेगिस्तान कितने प्रकार के होते हैं?, दुनिया में कितने रेगिस्तान हैं?, विश्व के प्रमुख रेगिस्तान क्या है?, विश्व में कुल कितने रेगिस्तान है?, रेगिस्तान कहाँ स्थित है?, भारत का रेगिस्तान का नाम क्या है?, रेगिस्तान में कौन सी फसल होती है?, भारत में रेगिस्तान कहाँ है?, सबसे प्रसिद्ध रेगिस्तान कौन सा है?, विश्व का सबसे बड़ा रेगिस्तान कहाँ है?, भारत का पहला रेगिस्तान कौन सा है?, भारत का सबसे बड़ा रेगिस्तान कौन सा है?, दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान कौन है?, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th Social Science Geography Chapter – 7 रेगिस्तान में जीवन (Life in The Deserts)
Chapter – 7
रेगिस्तान में जीवन
Notes
रेगिस्तान किसे कहते है – जिस शुष्क प्रदेश में अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक सर्दी पड़ती है, बहुत कम वर्षा होती है और नाममात्र वनस्पति उगती है उसे रेगिस्तान कहते हैं। जिस जगह पर पानी की कमी हो, मवेशियों के चरने के लिए कोई चारा न हो, वहाँ जिंदा रहना कितना मुश्किल हो सकता है इसका अनुमान आप आसानी से लगा सकते हैं। तमाम मुश्किलों के बावजूद रेगिस्तान में भी लोग रहते हैं।
गर्म सहारा रेगिस्तानक्या है – सहारा रेगिस्तान उत्तरी अफ्रीका के एक बड़े भूभाग में फैला हुआ है। इस रेगिस्तान के महत्वपूर्ण लक्षण नीचे दिए गए हैं।
• यह दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल 85.4 लाख वर्ग किलोमीटर है। इसकी विशालता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत (32 लाख वर्ग किमी) का आकार सहारा के आकार से आधे से भी कम है।
• सहारा रेगिस्तान ग्यारह देशों में फैला है, और उनके नाम हैं अल्जीरिया, मोरक्को, चाद, मिस्र, लीबिया, माली, मॉरिटानिया, नाइजर, सूडान, टूनीसिया और पश्चिमी सहारा।
• रेत के विशाल भूभाग के अलावा, यहाँ पर बंजर मैदान और पठार पाए जाते हैं। कुछ स्थानों पर इन नंगे पठारों की ऊँचाई 2500 मीटर से भी अधिक होती है।
वनस्पतिजात और प्राणीजात – सहारा रेगिस्तान की वनस्पतियों में कैक्टस, खजूर के पेड़ एवं ऐकेशिया पाए जाते हैं। यहाँ कुछ स्थानों पर मरूद्यान – खजूर के पेड़ों से घिरे हरित द्वीप पाए जाते हैं। ऊँट, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, बिच्छू, साँपों की विभिन्न जातियाँ एवं छिपकलियाँ यहाँ के प्रमुख जीव-जंतु हैं।
जलवायु क्या है – सहारा रेगिस्तान की जलवायु अत्यधिक गर्म एवं शुष्क है। यहाँ की वर्षा ऋतु अल्पकाल के लिए होती है। यहाँ आकाश बादल रहित एवं निर्मल होता है। यहाँ नमी संचय होने की अपेक्षा तेजी से वाष्पित हो जाती है। दिन अविश्वसनीय रूप से गर्म होते हैं। दिन के समय तापमान 50° सेल्सियस से ऊपर पहुँच जाता है, जिससे रेत एवं नग्न चट्टानें अत्यधिक गर्म हो जाती हैं। इनके ताप का विकिरण होने से चारों तरफ़ सब कुछ गर्म हो जाता है । रातें अत्यधिक ठंडी होती हैं तथा तापमान गिरकर हिमांक बिंदु, लगभग 0° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
सहारा के लोग – सहारा रेगिस्तान में अधिकतर खानबदोश लोग रहते हैं, जैसे कि बेदुयिन और तुआरेग। ये लोग मवेशी पालते हैं, जैसे भेड़, बकरी, ऊँट और घोड़े। इन मवेशियों से इन्हें भोजन के लिए मांस और दूध मिल जाता है। इनकी खाल से ये बेल्ट, चप्पलें और पानी की बोतल (मशक) बनाते हैं। इन मवेशियों के बालों से दरी, चटाई, कपड़े और कम्बल बनाए जाते हैं। मिस्र में नील नदी और सहारा में नखलिस्तानों के कारण यहाँ पर कई स्थानों पर खेती करना संभव हो जाता है। खजूर के अलावा, यहाँ धान, गेहूँ, बार्ली और सेम की खेती होती है। मिस्र की कपास पूरी दुनिया में मशहूर है। सहारा के खानाबदोश लोग यहाँ की कठोर जलवायु से बचने के लिए भारी वस्त्र पहनते हैं।
मरुद्यान क्या है – जब रेत को हवा उड़ा ले जाती है तो जमीन पर गड्ढ़े बन जाते हैं। इन गड्ढ़ों मे भौमजल रिसकर जमा हो जाता है और मरुद्यान या नखलिस्तान बन जाता है। ऐसी जगह की जमीन उपजाऊ होती है।
रेगिस्तान में बदलाव – तेल के कुँओं की खोज के बाद सहारा रेगिस्तान की तस्वीर बदल रही है। अल्जीरिया, लीबिया और मिस्र में तेल के कुँए हैं। यहाँ पर लोहा, फॉस्फोरस, मैगनीज और यूरेनियम, आदि खनिजों के भी भंडार हैं।
व्यवसाय बढ़ने के साथ यहाँ बुनियादी ढ़ाँचे में भी विकास हुआ है। जिस जगह पर कभी मस्जिदों की मीनारें लैंडमार्क का काम करती थी, अब वहाँ पर गगनचुंबी इमारतें दिखने लगी हैं। परंपरागत ऊँटों के रास्तों की जगह अब सुपर हाइवे दिखने लगे हैं। नमक का व्यापार अब ऊँटों की जगह ट्रकों द्वारा होता है। खानबदोश जनजातियों के कई लोग अब तेल और गैस के कुँओं में नौकरी की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने लगे हैं।
मृगमरीचिका – जब तपती गर्मी में कोई थका हुआ बटोही अंतहीन रेगिस्तान की छोर पर देखता है तो उसे दूर कहीं चमचमाती हुई झील नजर आती है। वह अपनी आँखें मलते हुए फिर से देखता है कि कहीं ये सपना तो नहीं है। पूरा पक्का कर लेने के बाद जब वह दौड़कर उस जगह पर पहुँचता है तो पाता है कि पूरी की पूरी झील गायब हो चुकी है।
दरअसल वहाँ कोई झील होती ही नहीं है। यह भ्रम प्रकाश की किरणों से पैदा होने वाली परिघटना के कारण होता है। जब प्रकाश की किरणें अलग-अलग तापमान वाली हवा की परतों से होकर गुजरती हैं तो उन किरणों की दिशा बार बार बदलती रहती है। इसे भौतिकीशास्त्र की भाषा में प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं। इसी अपवर्तन के कारण बेचारे बटोही को भ्रम हो जाता है। अपवर्तन के बारे में आप साइंस के क्लास में पढ़ेंगे।
ठंडा रेगिस्तान-लद्दाख – जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व में बृहत् हिमालय में स्थित लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान है। ग्रीष्म ऋतु में दिन का तापमान 0° सेल्सियस से कुछ ही अधिक होता है एवं रात में तापमान शून्य से -30° सेल्सियस से नीचे चला जाता है। शीत ऋतु में यह बर्फ़ीला ठंडा हो जाता है, तापमान लगभग हर समय -40° सेल्सियस से नीचे ही रहता है।
चूँकि यह हिमालय के वृष्टि-छाया क्षेत्र में स्थित है, अतः यहाँ वर्षा बहुत ही कम होती है, मुश्किल से 10 सेंटीमीटर प्रति वर्ष।
वनस्पतिजात एवं प्राणिजात – यहाँ उच्च शुष्कता के कारण वनस्पति विरल है। यहाँ जानवरों के चरने के लिए कहीं-कहीं पर ही घास एवं छोटी झाड़ियाँ मिलती हैं। घाटी में शरपत (विलो) एवं पॉप्लर के उपवन देखे जा सकते हैं। ग्रीष्म ऋतु में सेब, खुबानी एवं अखरोट जैसे पेड़ पल्लवित होते हैं।
• लद्दाख में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ नजर आती हैं। इनमें रॉबिन, रेडस्टार्ट, तिब्बती स्नोकॉक, रैवेन एवं हूप यहाँ पाए जाने वाले सामान्य पक्षी हैं।
• लद्दाख के पशुओं में जंगली बकरी, जंगली भेड़, याक एवं विशेष प्रकार के कुत्ते आदि पाए जाते हैं। इन पशुओं को दूध, मांस एवं खाल प्राप्त करने के लिए पाला जाता है।
लोग – यहाँ के अधिकांश लोग या तो मुसलमान हैं या बौद्ध। वास्तव में लद्दाख क्षेत्र में अनेक बौद्ध मठ अपने परंपरागत ‘गोंपा’ के साथ स्थित हैं। कुछ प्रसिद्ध मठ हैं जैसे – हेमिस, थिकसे, शे एवं लामायुरू।
ग्रीष्म ऋतु में यहाँ के निवासी जौ, आलू, मटर, सेम एवं शलजम की खेती करते हैं। शीत ऋतु में जलवायु इतनी कष्टकारी होती है कि लोग धार्मिक अनुष्ठानों एवं उत्सवों में अपने आपको व्यस्त रखते हैं। यहाँ की महिलाएँ अत्यधिक परिश्रमी होती हैं। वे केवल घर एवं खेतों में ही काम नहीं करती बल्कि छोटे व्यवसाय एवं दुकानें भी संभालती हैं।
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