NCERT Solutions Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 3 आरंभिक नगर (In The Earliest Cities)
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | इतिहास (Social Science) |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | आरंभिक नगर (In The Earliest Cities) |
Category | Class 6th Social Science (इतिहास) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 3 आरंभिक नगर (In The Earliest Cities) Notes in Hindi आरंभिक नगर कौन सा है?, आरंभिक नगरों की विशेषता क्या थी?, आरंभिक नगर कब फले फूले?, आरंभिक हड़प्पा सभ्यता क्या है?, आरंभिक नगरों से आप क्या समझते हैं?, मोहनजोदड़ो की खोज कब हुई थी?, भारत में प्रारंभिक नगरों का विकास कहां हुआ था?, प्रारंभिक नगर कब और कहां पाए गए?, प्रथम सभ्यता कौन थी?, विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति कौन है?, भारत में कितनी सभ्यता थी?, 1 भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता कौन थी?, मोहनजोदड़ो का असली नाम क्या है?, मोहनजोदड़ो के संस्थापक कौन है?, हड़प्पा की खोज किसने की थी?, हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम क्या है?, नगरों के प्रकार क्या है?, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है?, विशाल स्नानागार कहाँ स्थित है?, हड़प्पा कहां स्थित है? |
NCERT Solutions Class 6th Social Science इतिहास Chapter – 3 आरंभिक नगर (In The Earliest Cities)
Chapter – 3
आरंभिक नगर
Notes
हड़प्पा की कहानी – सिंधु घाटी सभ्यता आज से 4700 वर्ष पहले फली फूली थी। उस जमाने के नगर मुख्य रूप से सिंधु नदी के मैदानों में बने हुए थे। लेकिन सबसे पहला खोजे जाने वाले शहर का नाम हड़प्पा था। इसलिए इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं। उसी समय के आस पास दुनिया के अन्य भागों में भी नदी घाटी सभ्यताओं का विकास हुआ था जैसे – टिग्रीस और यूफ्रेटीस नदी के आस पास मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास हुआ था। नील नदी के आस पास मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। चीन की सभ्यता का उदय ह्वांगहो नदी के निचले हिस्से बेसिन में हुआ था।
1856 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के लोग यहाँ पर रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे, तो उन्हें खंडहर मिले थे। मजदूरों और कारीगरों को शुरू में लगा कि वह किसी साधारण से शहर का खंडहर होगा। इसलिए वहाँ से ईंटें निकालकर रेल निर्माण में इस्तेमाल की जाने लगीं। आज से लगभग 80 वर्ष पहले एक ब्रिटिश पुरातत्वविद को अहसास हुआ कि यह कोई मामूली शहर नहीं बल्कि बहुत ही प्राचीन शहर था।
सिंधु घाटी सभ्यता के अन्य महत्वपूर्ण पुरास्थल के नाम – मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल और धोलावीरा। अब तो इस सभ्यता के लगभग 150 पुरास्थलों का पता चल चुका है। इनमें से अधिकतर पुरास्थल आज के पाकिस्तान में स्थित हैं।
भारत में पड़ने वाले कुछ पुरास्थलों के नाम – कालीबंगा (उत्तरी राजस्थान), बनावली (हरयाणा), धोलावीरा (गुजरात), और लोथल (गुजरात)। विभिन्न पुरास्थलों पर खुदाई के बाद यह बात साफ हो गई है कि यह सभ्यता पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों तक फैली हुई थी।
इन शहरों की विशेषताएँ (योजनाबद्ध शहर) बतायें? – ऐसा लगता है कि इन शहरों का निर्माण बहुत ही सटीक योजना के आधार पर हुआ था। हड़प्पा का नगर दो भागों में बँटा हुआ था, पश्चिमी और पूर्वी भाग। नगर का पश्चिमी भाग छोटा था लेकिन ऊँचाई पर था।
ऊँचे भाग को नगरदुर्ग कहते थे। इस दुर्ग में कुछ खास इमारतें बनी थीं। नगर का पूर्वी भाग नीचे था लेकिन बड़ा था। इस भाग को निचला शहर कहते थे। नगरदुर्ग में एक बड़ा तालाब भी मिला है। पुरातत्वविदों ने इसे महान स्नानागार का नाम दिया है। इसका निर्माण पकी ईंटों से हुआ था। महान स्नानागार की दीवारों और फर्श पर चारकोल की परत चढ़ाई गई थी ताकि रिसाव न हो सके।
इसमें उतरने के लिए दो तरफ से सीढ़ियाँ बनी थीं और चारों तरफ कमरे बने थे। इतिहासकारों का अनुमान है कि यहाँ पर विशेष अवसरों पर विशिष्ट नागरिक स्नान किया करते थे। धनी लोग शहर के ऊपरी हिस्से में रहते थे, जबकि मजदूर लोग शहर के निचले हिस्से में रहते थे।
कालीबंगा और लोथल जैसे अन्य नगरों में अग्निकुण्ड मिले है जहाँ संभवतः यज्ञ किए जाते होंगे। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल जैसे कुछ नगरों में बड़े-बड़े भंडार-गृह मिले है।
पकी ईंटों का प्रयोग – घर और अन्य इमारतें पकी ईंटों से बनी थीं। ईंट एक ही आकार के थे। इससे यह पता चलता है कि हड़प्पा के कारीगर कुशल होते थे। ईंटों को ‘ईंटर लॉक’ पैटर्न में जोड़ा जाता था। इससे इमारत को अधिक मजबूती मिलती थी।
योजनाबद्ध मकान (Planned House) – घरों की दीवारें मोटी और मजबूत होती थीं। कुछ मकान तो दो मंजिले भी होते थे। इससे उस जमाने की परिष्कृत वास्तुकला का पता चलता है। एक घर में अक्सर एक रसोई, एक स्नानघर और एक बड़ा सा आंगन होता था। पानी की सुचारु व्यवस्था के लिए अधिकतर घरों में कुँआ भी होता था।
सड़कें और नालियां (Roads and Drains) में क्या अंतर है? – सड़क पर ईंटें बिछाई जाती थी। सड़कें आपस में समकोण पर काटती थीं। नालियों का जाल भी योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया था। हर घर से निकलने वाली नाली सड़क की नाली से मिलती थी। नालियों को पत्थर की सिल्लियों से ढ़का जाता था। थोड़े-थोड़े अंतराल पर इनमें मेनहोल जैसे बने होते थे ताकि साफ सफाई हो सके।
भंडार गृह (Store House) – सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों में बड़े भंडार गृह भी पाये गये हैं। ऐसे भंडार गृह से झुलसे हुए अनाज भी मिले हैं। इससे पता चलता है कि उस जमाने में अनाज का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता था। इतिहासकारों का यह भी अनुमान है टैक्स को अनाज के रूप में वसूला जाता था। बड़े भंडार गृह में टैक्स में वसूले गये अनाज रखे जाते थे।
नगरीय जीवन (city life) – हड़प्पा के नगरों में बड़ी हलचल रहा करती होगी। यहाँ पर ऐसे लोग रहते होंगे, जो नगर की खास इमारतें बनाने की योजना में जुटे रहते थे। ये संभवतः यहाँ के शासक थे। यह भी संभव है, कि ये शासक लोगों को भेज कर दूर-दूर से धातु, बहुमूल्य पत्थर और अन्य उपयोगी चीजें मँगवाते थे। शायद शासक लोग खूबसूरत मनकों तथा सोने-चाँदी से बने आभूषणों जैसी कीमती चीज़ों को अपने पास रखते होंगे।
इन नगरों में लिपिक भी होते थे, जो मुहरों पर तो लिखते ही थे, और शायद अन्य चीज़ों पर भी लिखते होंगे, जो बच नहीं पाई हैं। इसके अलावा नगरों में शिल्पकार स्त्री-पुरुष भी रहते थे जो अपने घरों या किसी उद्योग – स्थल पर तरह-तरह की चीजें बनाते होंगे। लोग लंबी यात्राएँ भी करते थे, और वहाँ से उपयोगी वस्तुएँ लाते थे, और साथ ही लाते थे सुदूर देशों की किस्से-कहानियाँ । मिट्टी से बने कई खिलौने भी मिले हैं, जिनसे बच्चे खेलते होंगे।
नगर और नए शिल्प अंतर – हड़प्पा के नगरों से प्राप्त हुई है पुरातत्वविदों को जो चीजें वहीँ मिली है, उनमें अधिकतर पत्थर, शंख, ताँबे, काँसे, सोना और चाँदी जैसी धातुओं से बनाई गई थी। सोने और चाँदी जैसी धातुओं से बनाई गई थी। सोने और चाँदी से गहने और बर्तन बनाए जाते थे। यह मिली सबसे आकर्षक वस्तुओं में मनके, बाट और फलक है।
संभवतः 7000 साल पहले मेहरगढ़ में कपास की खेती होती थी मोहनजोदड़ो से कपड़े के टुकडों के अवशेष चाँदी के एक फूलदान के ढक्कन तथा कुछ अन्य ताँबे की वस्तुओं से चिपके हुए मिले है पकी मिट्टी तथा फ़ेनयँन्ससे बनी तकलियाँ सूत कताई का संकेत देती है।
विशेषज्ञ (expert) – विशेषज्ञ उसे कहते है, जो खास चीज़ को बनाने के लिए खास प्रशिक्षण लेता है जैसे – पत्थर तराशना, मनके चमकाना या फिर मुहरों पर पच्चीकारी करना, आदि।
फ़ेयॅन्स (faience) कहाँ, कब, कैसे, क्यों ? – पत्थर और शंख प्राकृतिक तौर पर पाए जाते हैं, लेकिन फ़ेयॅन्स को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है। बालू या स्फ़टिक पत्थरों के चूर्ण को गोंद में मिलाकर उनसे वस्तुएँ बनाई जाती थीं। उसके बाद उन वस्तुओं पर एक चिकनी परत चढ़ाई जाती थी । इस चिकनी परत के रंग प्रायः नीले या हल्के समुद्री हरे होते थे। फ़ेयॅन्स से मनके, चूड़ियाँ, बाले और छोटे बर्तन बनाए जाते थे।
कच्चे माल की खोज में कोन-कोन से कठिनाई आई? – कच्चा माल उन पदार्थों को कहते हैं जो या तो प्राकृतिक रूप से मिलते हैं या फिर किसान या पशुपालक उनका उत्पादन करते हैं जैसे लकड़ी या धातुओं के अयस्क प्राकृतिक रूप से उपलब्ध कच्चे माल हैं। इनसे फिर कई तरह की चीज़ें बनाई जाती हैं। मिसाल के तौर पर किसानों द्वारा पैदा किए गए कपास को कच्चा माल कहते हैं, जिससे बाद में कताई – बुनाई करके कपड़ा तैयार किया जाता है। हड़प्पा में लोगों को कई चीजें वहीं मिलती थीं, लेकिन ताँबा, लोहा, सोना, चाँदी और बहुमूल्य पत्थरों जैसे पदार्थों का वे दूर-दूर से आयात करते थे।
ताम्बे का आयत – हड़प्पा ताम्बे का आयात आज के राजस्थान और पश्चिम एशियाई ओमान से करते थे।
टिन का आयत – हड़प्पा टिन का आयात आधुनिक ईरान और अफ़गानिस्तान से किया करते थे। जिससे वह काँसा बनते थे।
सोने का आयात – सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक और बहुमूल्य पत्थर का आयात गुजरात, ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता है।
नगरों में रहने वालों के लिए भोजन? – लोग नगरों के अलावा गाँवों में भी रहते थे। वे अनाज उगाते थे और जानवर पालते थे। किसान और चरवाहे शहरों में रहने वाले शासकों, लेखकों और दस्तकारों को खाने के सामान देते थे।
हड़प्पा के लोग किस तरह के फसल उगाते थे? – पौधों के अवशेषों से पता चलता है कि हड़प्पा के लोग गेहूँ, जौ, दालें, मटर, धान, तिल और सरसों जैसे फसल उगाते थे।
हड़प्पा ज़मीन की जुताई कैसे करते थे? – ज़मीन की जुताई के लिए हल का प्रयोग करते थे। हड़प्पा काल के हल तो नहीं बच पाए हैं, क्योंकि वे प्रायः लकड़ी से बनाए जाते थे, लेकिन हल के आकार के खिलौने मिले हैं। इस क्षेत्र में बारिश कम होती है, इसलिए सिंचाई के लिए लोगों ने कुछ तरीके अपनाए होंगे। संभवतः पानी का संचय किया जाता होगा और जरूरत पड़ने पर उससे फ़सलों की सिंचाई की जाती होगी।
हड़प्पा के लोगों के जानवर? – हड़प्पा के लोग गाय, भैंस, भेड़ और बकरियाँ पालते थे। बस्तियों के आस-पास तालाब और चारागाह होते थे। लेकिन सूखे महीनों में मवेशियों के झुंडों को चारा-पानी की तलाश में दूर-दूर तक ले जाया जाता था। वे बेर जैसे फलों को इकट्ठा करते थे, मछलियाँ पकड़ते थे, और हिरण जैसे जानवरों का शिकार भी करते थे।
गुजरात में हड़प्पाकालीन नगर का सूक्ष्म-निरीक्षण ? – कच्छ के इलाके में खदिर बेत के किनारे धौलावीरा नगर बसा था। वहाँ साफ़ पानी मिलता था और ज़मीन उपजाऊ थी। जहाँ हड़प्पा सभ्यता के कई नगर दो भागों में विभक्त थे वहीं धौलावीरा नगर को तीन भागों में बाँटा गया था।
इसके हर हिस्से के चारों ओर पत्थर की ऊँची-ऊँची दीवार बनाई गई थी। इसके अंदर जाने के लिए बड़े-बड़े प्रवेश द्वार थे। इस नगर में एक खुला मैदान भी था, जहाँ सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। यहाँ मिले कुछ अवशेषों में हड़प्पा लिपि के बड़े-बड़े अक्षरों को पत्थरों में खुदा पाया गया है। इन अभिलेखों को संभवतः लकड़ी में जोड़ा गया था। यह एक अनोखा अवशेष है, क्योंकि आमतौर पर हड़प्पा के लेख मुहर जैसी छोटी वस्तुओं पर पाए जाते हैं।
गुजरात की खम्भात की खाड़ी में मिलने वाली साबरमती की एक उपनदी के किनारे बसा लोथल नगर ऐसे स्थान पर बसा था, जहाँ कीमती पत्थर जैसा कच्चा माल आसानी से मिल जाता था। यह पत्थरों, शंखों और धातुओं से बनाई गई चीज़ों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इस नगर में एक भंडार गृह भी और मुद्रांकन या मुहरबंदी (गीली मिट्टी पर था। इस भंडार गृह से कई मुहरें था। थर दबाने से बनी उनकी छाप) मिले हैं।
मुद्रा (मुहर) और मुद्रांकन या मुहरबंदी? – मुहरों का प्रयोग सामान से भरे उन डिब्बों या थैलों को चिह्नित करने के लिए किया जाता होगा, जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। थैले को बंद करने के बाद उनके मुहानों पर गीली मिट्टी पोत कर उन पर मुहर लगाई। जाती थी। मुहर की छाप को मुहरबन्दी कहते हैं। अगर यह छाप टूटी हुई नहीं होती थी, तो यह साबित हो जाता था, कि सामान के साथ छेड़-छाड़ नहीं हुई है।
सभ्यता के अंत का रहस्य – लगभग 3900 साल पहले एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। अचानक लोगों ने इन नगरों को दिया। लेखन, मुहर और बाटों का प्रयोग बंद हो गया। दूर-दूर से कच्चे माल का आयात काफी कम हो गया। मोहनजोदड़ो में सड़कों पर कचरे के ढेर बनने लगे। जलनिकास प्रणाली नष्ट हो गई और सड़कों पर ही झुग्गीनुमा घर बनाए जाने लगे।
यह सब क्यों हुआ? कुछ पता नहीं। कुछ विद्वानों का कहना है, कि नदियाँ सूख गई थीं। अन्य का कहना है, कि जंगलों का विनाश हो गया था। इसका कारण ये हो सकता है, कि ईंटें पकाने के लिए ईंधन की ज़रूरत पड़ती थी। इसके अलावा मवेशियों के बड़े-बड़े झुंडों से चारागाह और घास वाले मैदान समाप्त हो गए होंगे। कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई। लेकिन इन कारणों से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि सभी नगरों का अंत कैसे हो गया। क्योंकि बाढ़ और नदियों के सूखने का असर कुछ ही इलाकों में हुआ होगा।
ऐसा लगता है, कि शासकों का नियंत्रण समाप्त हो गया। जो भी हुआ हो, परिवर्तन का असर बिल्कुल साफ़ दिखाई देता है। आधुनिक पाकिस्तान के सिंध और पंजाब की बस्तियाँ उजड़ गई थी कई लोग पूर्व और दक्षिण के इलाकों में नई और छोटी बस्तियों में जाकर बस गए। इसके लगभग 1400 साल बाद नए नगरों का विकास हुआ।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
• मेहरगढ़ में कपास की खेती (लगभग 7000 साल पहले)
• नगरों का आरंभ (लगभग 4700 साल पहले)
• हड़प्पा के नगरों के अंत की शुरुआत (लगभग 3900 साल पहले)
• अन्य नगरों का विकास (लगभग 2500 साल पहले)
प्रश्न 1. भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पहले किस आरंभिक नगर की खोज की गई?
प्रश्न 2. पुरातत्वविदों ने कब इस स्थल को ढूंढा?
प्रश्न 3. हड़प्पा का निर्माण कब हुआ था?
प्रश्न 4. ये नगर कहाँ स्थित है?
प्रश्न 5. खुदाई में अग्निकुंड कहाँ मिले हैं?
प्रश्न 6. खुदाई से प्राप्त स्नानागार कैसे हैं? इसका इस्तेमाल किस लिए किया जाता था?
प्रश्न 7. खुदाई में भंडार गृह कहाँ मिले हैं?
प्रश्न 8. घर, नाले और सड़कों का निर्माण योजनाबद्ध तरीके से एक साथ कहाँ किया गया था?
प्रश्न 9. हड़प्पा सभ्यता में किन किन धातुओं का उपयोग किया जाता था?
प्रश्न 10. हड़प्पा से किस तरह के बर्तनों के अवशेष मिले हैं?
प्रश्न 11. हड़प्पा सभ्यता के नगरों के पतन के संभावित क्या कारण हो सकते हैं?
ईंट को पकाने के लिए ईंधन की जरूरत पड़ती थी, जिससे जंगलों का विनाश हो गया होगा। मवेशियों के बड़े बड़े झुंडों से घास चारागाह और घास वाले मैदान समाप्त हो गए होंगे।कुछ इलाकों में बाढ आ गई होगी नदियों का पानी सूख गया होगा।
प्रश्न 12. नगर किसे कहते है?
प्रश्न 13. नगरदुर्ग क्या होता है?
प्रश्न 14. शासक किसे कहते है?
प्रश्न 15. लिपिका क्या होता है?
प्रश्न 16. मुहर किसे कहते है?
प्रश्न 17. शिल्पकार किसे कहते है?
प्रश्न 18. धातु किसे कहते है?
प्रश्न 19. कच्चा माल किसे कहते है?
प्रश्न 20. हल किसे कहते है?
प्रश्न 21. सिंचाई क्या होती है?
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