NCERT Solutions Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई

TextbookNCERT
Class6th
Subjectगृह विज्ञान (Home Science)
Chapter5th
Chapter Nameसिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
CategoryClass 6th Hindi गृह विज्ञान (Home Science)
MediumHindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई – जैसे की कढ़ाई बुनाई क्या होता है, कढ़ाई कितने प्रकार के होते हैं, सिलाई कढ़ाई क्या है, कढ़ाई के 5 प्रकार क्या हैं, कढ़ाई का काम क्या है, कढ़ाई का काम क्या होता है, कढ़ाई की सबसे अच्छी परिभाषा क्या है, सबसे प्रसिद्ध कढ़ाई क्या है, सबसे प्रसिद्ध कढ़ाई क्या है, कढ़ाई कहां से शुरू हुई, क्या कढ़ाई एक प्रकार की सिलाई है, कढ़ाई का सबसे पुराना रूप क्या है, भारत में कौन सी कढ़ाई प्रसिद्ध है, भारत की प्रसिद्ध कढ़ाई क्या है, कढ़ाई के लिए कितने धागे का उपयोग किया जाता है, कढ़ाई को अंग्रेजी में क्या कहते हैं आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई

Chapter – 5

सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई

Notes

1. सिलाई कला – किसी भी प्रकार के वस्त्रों को तैयार करने के लिए सिलाई की मशीन और हाथ दोनों की ही आवश्यकता पड़ती है। वस्त्र बनाते समय अन्दर की लम्बी बखिया मशीन से और बाहर की तुरपन, काज व बटन आदि क्रियाएं हाथ से की जाती है।

सिलाई के मूल टांके

(1) कच्चा टांका
(2) बखिया
(3) तुरपाई
(4) तीन कच्चे एक बखिया)
(5) बीडिंग

(1) कच्चा टांका – यह एक अस्थायी टांका है जिसे बाद में निकाल दिया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः वस्त्र के किसी भी भाग को स्थिर रखने के लिए किया जाता है। इस टांके को दोहरे धागे में गांठ लगाकर दाहिनी तरफ से बांई तरफ किया जाता है। कच्चा टांका कई प्रकार होता है-

(क) टांका तथा जगह बराबर – इसमें टांके की लम्बाई तथा दो टांकों के बीच की छोड़ी जगह बराबर होती है। एक साथ सुई परतीन-चार टांके लेने के पश्चात् धागा खींच लिया जाता है। यदि हम टांका और जगह दोनों छोटा लें तो यह छोटा कच्चा कहलाता है। इसे चुन्नट डालने तथा कढ़ाई में सजावट के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

(ख) टांका जगह से दुगुना – इसमें टांका जगह से दुगुना होता है। इसके विपरीत जगह टांके से दुगुनी भी की जा सकती है।

(ग) छोटा बड़ा कच्चा – इसमें एक टाका छोटा तथा एक टांका बड़ा लिया जाता है। इसका प्रयोग साड़ी पर बार्डर आदि लगाने में किया जाता है।

(2) बखिया – यह एक स्थाई टांका है। इसका प्रयोग वस्त्र के दो भागों को स्थाई रूप से जोड़ने के लिए किया जाता है। इस टांके को इकहरा धागा लेकर बिना गांठ लगाए शुरू किया जाता है। बखिया में सुई पर एक बार में एक ही टांका लिया जाता है। इसमें एक बार सुई नीचे की ओर, दूसरी बार ऊपर की ओर से ले जाकर टांका पक्का बनाया जाता है। एक टांके का जहां अन्त होता है, वहीं से दूसरा टांका शुरू होता है। बखिया मशीन द्वारा भी किया जा सकता है।

(3) तुरपाई – यह टांका वस्त्रों के उल्टी तरफ किनारों को मोड़ने के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे कपड़ा देखने में सुन्दर प्रतीत होता है। तुरपाई को शुरू करने के लिए सुई को कपड़े में से इस प्रकार निकालो कि थोड़ा-सा धागा पीछे बचा रहे। इसी धागे को मोड़ के अन्दर दबा कर दाईं ओर से बाईं ओर को तुरपाई करते हैं। मोड़े हुए हिस्से को सदा ऊपर की ओर रखते हैं। टांके कच्चे की तरह सीधे न होकर आगे व पीछे दोनों ओर तिरछे, छोटे व बराबर होने चाहिए। तुरपाई को बंद करते समय अंतिम टांके को दोहराते हैं। इस प्रकार यह टांका अंग्रेजी अक्षर ‘V’ के समान बन जाता है। तुरपाई इतनी बारीक करनी चाहिए कि वस्त्र की तार से मिल जाए और दिखाई न दे।

(4) तीन कच्चे एक बखिया – यह टांका अन्दर की सिलाई को मजबूत करने के लिए किया जाता है। इस टांके को बनाने के लिए तीन कच्चे टांकों के बाद बखिया की तरह पिछले सुराख में सुई डालकर, सुई वहीं से निकाली जाती है जहां पर पहला धागा’निकला हो। इसके पश्चात् पुनः तीन कच्चे टांके लिए जाते हैं।

(5) बीडिंग – इसमें पहले कपड़े से पांच-छः धागे निकाल लिए जाते हैं। फिर तुरपाई के टांके द्वारा उनको बांधा जाता है।

विभिन्न सीवनें – वस्त्र के दो हिस्सों को जोड़ने के लिए विभिन्न सीवनों का प्रयोग किया जाता है।

(1) सादी सीवन – कपड़े के दोनों जोड़ने वाले भागों को सीधी तरफ से एक-दूसरे के ऊपर रख कर, कच्चे टांके द्वारा अस्थाई रूप से जोड़ने के पश्चात् मशीन से बखिया किया जाता है।

(2) चपटी सीवन – इस सीवन का प्रयोग त्वचा के सम्पर्क में रहने वाले कपड़ों पर तथा पतले कपड़ों जैसे मलमल आदि को सीने के लिए किया जाता है। कपड़े के दोनों जोड़ने वाले भागों को सीधी तरफ से एक-दूसरे के ऊपर इस प्रकार रखो कि एक-दूसरे कपड़े से 1 सेमी ऊंचा रहे। नीचे वाले हिस्से के किनारे पर कच्चा कर देते हैं। फिर तीन कच्चे व एक बखिए का टांका बनाते हैं। अब ऊंचे निकले हिस्से को नीचे पर फैला कर मोड़ देते हैं। इस पर पहले कच्चा व फिर तुरपाई करते हैं। इससे सीवन दोनों ओर से चपटी आ जाती है।

(3) चोर सीवन – यह कपड़े के दो भागों को जोड़ने की मजबूत विधि है। इसमें कपड़े के दोनों जोड़ने वाले भागों को उल्टी तरफ से एक-दूसरे के ऊपर रख कर सीधी तरफ से बखिया करते हैं। फिर किनारे कैंची द्वारा काट कर साफ करते हैं और कपड़े को उल्टा करके दोनों भागों को समतल करके किनारे के लगभग 3/4 सेमी. नीचे कच्चा करके बखिया किया जाता है।

कढ़ाई कला – वस्त्रों को सुन्दर व आकर्षक बनाने के लिए कढ़ाई की जाती है। कढ़ाई से मेजपोश, परदे, कुशन,चादर, साड़ियां, बच्चों के वस्त्र आदि अधिक आकर्षक एवं सुशोभित लगने लगते हैं। कढ़ाई करते समय हमें निम्न नियमों का पालन करना चाहिए

(1) कढ़ाई का नमूना कपड़े के आकार व नाप पर निर्भर करता है। छोटे कपड़े के लिए छोटा नमूना व बड़े कपड़े के लिए बड़ा नमूना होना चाहिए।
(2) नमूना सदा सफाई से उतारना चाहिए जिससे काढ़ने में आसानी रहे और कढ़ाई भी सफाई से हो सके।
(3) कढ़ाई करते समय धागे के रंगों का कपड़े के रंग से मेल होना चाहिए तथा वह पक्के रंग के एवं मजबूत होने चाहिए।
(4) सुई में कम लम्बा धागा डालना चाहिए क्योंकि लम्बे धागों में बार-बार गांठ लग जाती है तथा कढ़ाई करने में सफाई भी नहीं आती।
(5) कढ़ाई के टांकों को बखिये से शुरू व समाप्त करना चाहिए और गांठ कभी भी नहीं लगानी चाहिए।
(6) कढ़ाई के टांकों को न अधिक खींचना चाहिए न ही अधिक ढीला छोड़ना चाहिए।
(7) कढ़ाई करने के पश्चात् धागों को सदा कैंची से काटना चाहिए।
(8) जब कढ़ाई पूरी हो जाए तो कपड़े पर उल्टी तरफ से इस्तरी करनी चाहिए।

कढ़ाई के लिए आवश्यक सामान कढ़ाई के लिए आवश्यक सामान

(1) फ्रेम,
(2) सुइयां,
(3) सूती व रेशमी धागे की लच्छियां,
(4) कैची

(1) फन्दे चढ़ाना – फन्दे दो प्रकार से चढ़ाए जा सकते हैं-

(क) एक सिलाई द्वारा फन्दे चढ़ाना – जितने फन्दे चढ़ाने हो उसके अनुसार ऊन छोड़ कर एक सरकने वाली गांठ लगाकर सिलाई पर चढ़ाओ। सिलाई और ऊन (गोले की ओर का) दाहिने हाथ में पकड़ो। ऊन का खाली छोड़ा सिरा बाएं हाथ से पकड़ो और अंगूठे पर लपेटकर फन्दा बना लो। इस फन्दे के नीचे से सिलाई की नोक अन्दर डालो और दाहिने हाथ से ऊन सिलाई के पीछे से सामने को ले जाओ। इस धागे को बाएं अंगूठे के अन्दर से बाहर निकालो और बाएं हाथ से धीरे से खींचकर धागा कस दो। यह एक फन्दा बन गया। इसी प्रकार आवश्यकतानुसार और फन्दे डाल लो।

(ख) दो सिलाई द्वारा फन्दे चढ़ाना – ऊन के सिरे के पास एक फन्दा बनाकर बाएं हाथ में पकड़ी सिलाई पर चढ़ाओ। फिर दाएं हाथ में दूसरी सिलाई व गोले की तरफ का ऊन लेकर सिलाई की नोंक उस फन्दे में से डालकर उस पर दाएं हाथ से ऊन का एक बल दो तथा उसे पहले फन्दे में से निकाल लो। इस तरह एक फन्दा दाएं हाथ वाली सिलाई पर बन जाएगा। इस फन्दे को बाएं हाथ वाली सिलाई पर उतार लो। इसी तरह आवश्यकतानुसार और फन्दे डालो।

(2) सीधा बुनना – फन्दे वाली सिलाई को बाएं हाथ में लो। दाहिनी सिलाई पहले फन्दे में नीचे की ओर से बाईं ओर से दाई ओर डालो। फिर उसकी नोक पर पीछे की ओर से ऊन का धागा चढ़ाकर, सिलाई उसमें से निकाल लो। इस फन्दे को दाहिनी सिलाई पर ही रहने दो और बाईं सिलाई के उस फन्दे को जिसमें से यह फन्दा निकाला था, सिलाई पर से नीचे गिरा दो। इसी तरह हर फन्दे को बुनते जाओ और जब बाईं सिलाई के सब फन्दे बुन कर दाहिनी सिलाई पर आ जाए, तब खाली सिलाई को दाएं हाथ में बदल लो।

(3) उल्टा बुनना – ऊन को सामने लाकर दाहिनी सिलाई को पहले फन्दे में ऊपर की ओर से दाहिनी ओर से बाईं ओर को डालो। उस पर से ऊन एक बार लपेटकर फन्दे में से निकाल लो। इस फन्दे को दाहिनी सिलाई पर ही रहने दो और बाईं सिलाई के उस फन्दे को जिसमें से यह फन्दा निकाला था, सलाई से नीचे गिरा दो। इसी तरह हर फन्दे को बुनते जाओ।

(4) सादी बुनाई – इसमें एक सिलाई सीधी और एक सिलाई उल्टी बुनी जाती है। सिलाई पर आवश्यकतानुसार फन्दे डालो। पहली पंक्ति में सब फन्दे सीधी बुनाई के बुनो। दूसरी पंक्ति में पहला फन्दा सीधा फिर सब उल्टे और आखिरी फन्दा फिर सीधी बुनो। इसी तरह जितना चौड़ा बुनना हो उतना इन्हीं दो तरह की पंक्तियों को बार-बार बुनकर बना लो।

(5) एक फन्दा सीधा एक फन्दा उल्टा बुनना – सिलाई पर आवश्यकतानुसार फन्दे डालकर, पहला फन्दा सीधा बुन लो। फिर ऊन का धागा घुमाकर सिलाई के आगे ले आओ और बाईं सिलाई का अगला फन्दा उल्टा बुन लो। ऊन के धागे को पुनः दाहिनी सिलाई के पीछे ले जाकर बाईं सिलाई के अगले फन्दे को सीधा बुन लो। इसी प्रकार सारी सिलाई बुन लो । दूसरी पंक्ति बुनते समय यह ध्यान रखो कि पहली पंक्ति में सीधा बुना गया फन्दा उल्टा और उल्टा बुना गया फन्दा सीधा बुना जाएगा।

(6) फन्द बन्द करना – पहले दो फन्दे सीधे बुनो, फिर बायीं सिलाई को इन दोनों में से पहले फन्दे में बायीं ओर से दाय ओर डालो और इसको दूसरे फन्दे के ऊपर से उठाते हुए सिलाई से बाहर निकाल लो। अब दाहिनी सिलाई पर केवल एक ही फन्दा रह गया है। एक और फन्दा बुन लो और पहले की भांति एक और फन्दा बंद करो। इसी प्रकार सभी फन्दे बंद करो। आखिर के बचे हुए फन्दे में से ऊन का सिरा निकाल कर कस लो और बुने हुए भाग में सफाई से छिपा

FAQ

प्रश्न 1. बुनाई कब शुरू हुई ?

कहा जाता है मानव और बाँस की बुनाई का रिश्ता तब से आरम्भ माना जाता है, जब से मनुष्य ने भोजन इकट्ठा करना शुरू किया

प्रश्न 2. भारत का राष्ट्रीय कपड़ा कौन सा है ?

जोधपुरी कोट-पेंट को अनधिकृत रूप से भारत के राष्ट्रीय पोशाक का दर्जा प्राप्त है।

प्रश्न 3. गर्म कपड़े कौन कौन से होते हैं ?

स्वेटर, जैकेट और ब्लेजर

प्रश्न 4. सबसे मजबूत कपड़ा कौन सा होता है ?

रेशम सबसे मजबूत कपड़ा है

प्रश्न 5. बिना सिला हुआ वस्त्र कौन सा है ?

धोती, साड़ी, पगड़ी है।

प्रश्न 6. पहली सिलाई मशीन कब थी ?

सिलाई मशीन सिलाई की प्रथम मशीन ए. वाईसेन्थाल ने 1755 ई. में बनाई थी।

प्रश्न 7. सिलाई मशीन की खोज कब हुई ?

इतिहास सिलाई मशीन सिलाई की प्रथम मशीन ए. वाईसेन्थाल ने 1755 ई. में बनाई थी

प्रश्न 8. सिलाई मशीन का मूल कार्य क्या है ?

किसी वस्त्र या अन्य चीज को परस्पर एक धागे या तार से सिलने के काम आती है।

प्रश्न 9. पहली सिलाई मशीन का क्या नाम है ?

भारत में 1935 में कोलकाता (कलकत्ता) के एक कारखाने में उषा नाम की पहली सिलाई मशीन बनाई गई

प्रश्न 10. सिलाई की शुरुआत कहां से हुई ?

सिलाई मशीन का वास्तविक आविष्कार एक निर्धन दर्जी सेंट एंटनी निवासी बार्थलेमी थिमानियर ने किया जिसका पेटेंट सन्‌ 1830 ई. में फ्रांस में हुआ।
NCERT Solution Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) All Chapters Notes in Hindi
Chapter – 1 गृह विज्ञान का अर्थ एवं महत्व
Chapter – 2 हमारे स्वस्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वछता
Chapter – 3 हमारा भोजन
Chapter – 4 हमारे वस्त्र
Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 6 प्राथमिक सहायता
Chapter – 7 उपभोक्ता ज्ञान
Chapter – 8 पारिवारिक सम्बन्ध
NCERT Solution Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) All Chapters Question & Answer in Hindi
Chapter – 1 गृह विज्ञान का अर्थ एवं महत्व
Chapter – 2 हमारे स्वस्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वछता
Chapter – 3 हमारा भोजन
Chapter – 4 हमारे वस्त्र
Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 6 प्राथमिक सहायता
Chapter – 7 उपभोक्ता ज्ञान
Chapter – 8 पारिवारिक सम्बन्ध
NCERT Solution Class 6th गृह विज्ञान (Home Science) All Chapters MCQ in Hindi
Chapter – 1 गृह विज्ञान का अर्थ एवं महत्व
Chapter – 2 हमारे स्वस्थ्य एवं व्यक्तिगत स्वछता
Chapter – 3 हमारा भोजन
Chapter – 4 हमारे वस्त्र
Chapter – 5 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 6 प्राथमिक सहायता
Chapter – 7 उपभोक्ता ज्ञान
Chapter – 8 पारिवारिक सम्बन्ध

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