NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 4 सत्ता के नए केंद्र (New Centers of Power)
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) |
Chapter | 4th |
Chapter Name | सत्ता के नए केंद्र (New Centers of Power) |
Category | Class 12th Political Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 4 सत्ता के नए केंद्र (New Centers of Power) Question & Answer In Hindi यूरोपीय संघ के कुल कितने अंग है?, यूरोप में कुल कितने देश हैं?, ईयू की शुरुआत किसने की?, वैकल्पिक उदाहरण क्या है, वैकल्पिक दिवस का अर्थ क्या है?, आप एक वाक्य में वैकल्पिक का उपयोग कैसे करते हैं? |
NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 4 सत्ता के नए केंद्र (New Centers of Power)
Chapter – 4
सत्ता के नए केंद्र
प्रश्न – उत्तर
अभ्यास प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें –
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्राीय मंच की स्थापना
उत्तर –
(क) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ कि स्थापना
(घ) विश्व-व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
प्रश्न 2. आसियान वे या आसियान शैली क्या है?
(क) आसियान वेफ सदस्य देशों की जीवन शैली है
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षानीति है।
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर – (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।
प्रश्न 3. इनमें से किसने ‘खुले द्वार’ की नीति अपनाई?
(क) चीन
(ख) यूरोपीय संघ
(ग) जापान
(घ) अमरीका
उत्तर – (क) चीन
प्रश्न 4. खाली स्थान भरें –
(क) 1992 में भारत और चीन के बीच ……………… और ………………. को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्राीय मंच के कामों में …………………………………….. और ………………..करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में …………………… के साथ दोतरफा संबंध् शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) …………………… योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ड.) …………………… आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर –
(क) 1962 में भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थीं।
(ख) आसियान क्षेत्र के मंच के कामों में आर्थिक विकास को तेज करना और सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना शामिल हैं।
(ग) चीन ने 1972 में अमेरिका के साथ दोतरफा सम्बन्ध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) मार्शल योजना के प्रभाव से 1948 यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ड) आसियान सुरक्षा समुदाय आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों कि सुरक्षा के मामले देखता है।
प्रश्न 5. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर – क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के निम्नलिखित उद्देश्य है –
(1) क्षेत्रीय देशों के लोगो का कल्याण और जीवन में गुणात्मकता लाना।
(2) क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, समाजिक प्रगति एवं सांस्कृतिक विकास लाना।
(3) सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढावा देना।
(4) अन्य देशों के साथ सहयोग करना।
(5) आर्थिक, समाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रो में आपसी सहयोग को बढावा देना।
(6) एक-दूसरे की समस्याओं के लिए आपसी विश्वास, समझ-बूझ व सह्दयता विकसित करना।
(7) अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
प्रश्न 6. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?
उत्तर – (1) भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि विशेष क्षेत्र में आने वाले देशों में संगठन की भावना विकसित होती हैं। इस भावना के कारण परस्पर संघर्ष व युद्ध का स्थान शांति व सहयोग ले लेते हैं।
(2) भौगोलिक एकता के कारण विकास की संभावनाएँ ज्यादा होती हैं। राष्ट्र बड़ी आसानी से सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था करके, कम धन व्यय करके अपने लिए सैन्य बल गठित कर सकते हैं और बचे हुए धन को कृषि, उद्योग, विद्युत, यातायात, शिक्षा, सड़क, संचार, स्वास्थ्य आदि सुविधाओं को जुटाने और जीवन स्तर को ऊँचा उठाने में प्रयोग कर सकते हैं।
(3) एक क्षेत्र के विभिन्न राष्ट्र यदि क्षेत्रीय संगठन बना लें तो वे परस्पर सड़क मार्ग और रेलवे सेवाओं से बड़ी आसानी से जुड़ सकते हैं। इस प्रकार भौगोलिक निकटता के कारण क्षेत्र विशेष में आने वाले देशों में संगठन की भावना विकसित होती है।
(4) यदि क्षेत्रीय संगठनों में अच्छा सहयोग बन जाए तो वे अपना अधिक विकास कर सकते हैं। इसके कारण उनमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की क्षमता विकसित होगी जिसके परिणामस्वरुप वे अपने आर्थिक विकास के मार्ग की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
प्रश्न 7. ‘आसियान विजन 2020’ की मुख्य-मुख्य बातें क्या हैं?
उत्तर – आसियान विजन 2020 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –
(1) आसियान विजन 2020 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बर्हिमुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई है।
(2) हनोई कार्य योजना के तहत क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, व्यापारिक उदारीकरण वितीय सहयोग की वृद्धि के लिए विभिन्न उपाय निर्धारित किए गए हैं।
(3) आसियान विजन 2020 के तहत एक आसियान सुरक्षा समुदाय, एक आसियान आर्थिक समुदाय तथा एक आसियान सामाजिक एवं सांस्कृतिक समुदाय बनाने के संकल्पना की गई है।
प्रश्न 8. आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।
उत्तर – 2003 में आसियान ने आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय और आसियान सामाजिक- सांस्कृतिक-समुदाय नामक तीन स्तम्भों के आधार पर आसियान समुदाय बनाने की दिशा में कदम उठाए जो कुछ हद तक यूरोपीय संघ से मिलता-जुलता है।
(1) आसियान सुरक्षा समुदाय – आसियान सुरक्षा समुदाय क्षेत्रीय विवादों को सैनिक टकराव तक न ले जाने की सहमति पर आधारित है। आसियान मुख्यत सदस्य देशों में शांति, निष्पक्षता, सहयोग, अहस्तक्षेप को बढ़ावा देने और राष्ट्रों के आपसी अंतर तथा संप्रभुता के अधिकारों का सम्मान करने का उद्देश्य रखता हैं। आसियान के देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाने के लिए ही 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई।
(2) आसियान आर्थिक समुदाय – आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस इलाके के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है। इतना ही नहीं, इसका उद्देश्य इस क्षेत्र के देशों के आर्थिक विवादों को निपटाने के लिए बनी मौजूदा व्यवस्था में सुधार करना भी हैं।
(3) आसियान सामाजिक- सांस्कृतिक-समुदाय – इसका उद्देश्य हैं कि आसियान देशों के बीच टकराव की जगह बातचीत और सहयोग को बढ़ावा दिया जाए तथा इन देशों के बीच संवाद और परामर्श की व्यवस्था रहे। अत: ‘आसियान’ एशिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए राजनैतिक मंच उपलब्ध कराता है।
प्रश्न 9. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवव्था से किस तरह अलग है?
उत्तर – सन् 1970 के दशक और उसके बाद चीन ने कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिसके परिणामस्वरूप चीनी की अर्थव्यवस्था विश्व की एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित हुई। चीन के द्वारा किये गए आर्थिक एवं राजनैतिक प्रयासों को निम्नलिखत रूप से देखा जा सकता है-
(1) चीन ने 1970 में कुछ बड़े नीतिगत निर्णय लिए, और 1972 में चीन ने अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया जिसके परिणाम स्वरूप चीन के विदेशी व्यापर का रास्ता भी खुल गया। 1972 में चीन संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थाई सदस्य भी बन गया।
(2) सन् 1973 में चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई ने कृषि, उद्योग, सेना और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
(3) सन् 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और ‘खुलेद्वार की नीति’ की घोषणा की। अब नीति यह हो गयी कि विदेश पूंजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त किया जाए। बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने अपना तरीका आजमाया। चीन ने ‘शॉक थेरेपी ‘ पर अमल करने के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खोला।
(4) सन् 1982 में चीन ने खेती को निजीकरण कर दिया और उसके बाद 1998 में उद्योगों का निजीकरण कर दिया। व्यापार संबंधी अवरोधों को सिर्फ ‘विशेष आर्थिक क्षेत्रों’ के लिए ही हटाया गया है जहाँ विदेशी निवेशक अपने उद्यम लगा सकते हैं।
(5) व्यापार के नये कानून तथा विशेष आर्थिक क्षेत्रों (स्पेशल इकॉनामिक जोन-SEZ) के निर्माण से विदेश-व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। चीन पूरे विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश बनकर उभरा। चीन के पास विदेशी मुद्रा का अब विशाल भंडार है और इसके दम पर चीन दूसरे देशों में निवेश करता है।
(6) चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया। इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया। अब चीन की योजना विश्व आर्थिकी से अपने जुड़ाव को और गहरा करके भविष्य की विश्व व्यवस्था को एक मनचाहा रूप देने की थी।
प्रश्न 10. किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियाँ सुलझाईं? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
उत्तर – यूरोपीय संघ की स्थापना को दूसरे विश्व युद्ध का परिणाम कह सकते हैं। 1945 तक यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं की बर्बादी को झेली ही और साथ में उन मान्यताओं और व्यवस्थाओं को बर्बाद होते भी देख लिया जिन से यूरोप खड़ा हुआ था। तथा यूरोप के नेताओं ने निम्न तरीकों से अपनी परेशानियों को सुलझाया-
(1) नाटो और यूरोपीय आर्थिक संगठनों की स्थापना – 1945 के बाद यूरोप के देशों में मेल-मिलाप को शीतयुद्ध से भी मदद मिली। अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए जबरदस्त मदद की। इसे मार्शल योजना के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिका ने ‘नाटो’ के तहत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया। मार्शल योजना के तहत ही 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई जिसके द्वारा पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद मिली।
(2) यूरोपीय परिषद और आर्थिक समुदाय – 1949 में गठित यूरोपीय परषिद राजनैतिक सहयोग के मामले में एक अगला कदम साबित हुई। यूरोप के पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप 1957 में यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ।
(3) यूरोपीय पार्लियामेंट का गठन – यूरोपीयन पार्लियामेंट के गठन के बाद इस प्रक्रिया ने राजनीतिक स्वरूप प्राप्त कर लिया। सोवियत गुट के पतन के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आयी और 1992 में इस प्रक्रिया की परिणाम यूरोपीय संघ की स्थापना के रूप में हुई। यूरोपीय संघ के रूप में समान विदेश और सुरक्षा नीति, अतिरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मुद्दों पर सहयोग और एक समान मुद्रा के चलन के लिए रास्ता तैयार हो गया।
(4) यूरोपीय संघ का बनना – एक लम्बे समय में बना यूरोपीय संघ आर्थिक सहयोग वाली व्यवस्था से बदलकर ज्यादा से ज्यादा राजनैतिक रूप लेता गया है। अब यूरोपीय संघ स्वयं काफी हद तक एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह ही काम करने लगा है। हाँलाकि यूरोपीय संघ का एक संविधान बनाने की कोशिश तो असफल हो गई लेकिन इसका अपना झंडा, गान, स्थापना-दिवस और अपनी मुद्रा है।
प्रश्न 11. यूरोपीय संघ को क्या चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं।
उत्तर – यूरोपीय संघ को निम्नलिखित चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनती है-
(1) यूरोपीय संघ यूरोपीय देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
(2) यूरोपीय संघ का अपना झण्डा, गान, स्थापना दिवस तथा मुद्रा है जो इसे शक्तिशाली स्थिति प्रदान करते है।
(3) यूरोपीय संघ का विश्व राजनीती में आर्थिक, रजनीतिक, कुटनीतिक तथा सैनिक महत्व बहुत आधिक है।
(4) यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
(5) यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। एवं सभी तत्व यूरोपीय संघ को प्रभवि क्षेत्र को एक प्रभावशाली संगठन बनाने में मदद करते है।
प्रश्न 12. चीन और भारत की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौजूदा एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे सकने की क्षमता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने तर्कों से अपने विचारों को पुष्ट करें।
उत्तर – भारत तथा चीन विश्व की उभरती हुई दो अर्थिक व्यवस्थाएं हैं। वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय राजनीती को दोनों देश प्रभवित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए समय-समय पर यह कहा जाता है कि चीन एवं भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका को चुनौती देने की स्थिति में हैं। चीन संयुक्त राष्ट्र- संघ की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, इसके पास परमाणु शक्ति है। चीन के पास विश्व की सबसे बड़ी सेना है। इसके साथ चीन बड़ी तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व-स्तरीय बना रहा है। जहां तक भारत का सवाल है, तो कुछ समीक्षक भारत को आने वाले समय की महाशक्ति के रूप में देख रहें है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। भारत ने संचार, तकनीक, विज्ञान एवं सुचना के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में किसी भी देश से आधिक उन्नति की है। भारत के पास एक शक्तिशाली सेना है तथा भारत एक परमाणु सम्पन्न जिम्मेदार राष्ट्र है। अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को देखते हुए ही भारत के साथ असैनिक परमाणु समझौता किया है। अतः कहा जा सकता है कि आने वाले समय में चीन एवं भारत एकपक्षीय विश्व को चुनौती दे सकते हैं।
प्रश्न 13. मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर – लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व में शांति एवं व्यवस्था का होना आवश्यक है। इसके साथ-साथ प्रत्येक देश का आर्थिक विकाश होना भी आवश्यक है। इन दोनों शर्तों को क्षेत्रीय आर्थिक संगठन बनाकर पूरा किया जा सकता है। इसीलिए कहा जाता है, कि विश्व-शांति एवं समृद्धि के लिए क्षेत्रीय आर्थिक संगठन आवश्यक है। अतः अधिकांश महाद्वीपों में क्षेत्रीय आर्थिक संगठन बने हुए हैं, जैसे यूरोप में यूरोपीय संघ, एशिया में आशियाँ तथा सार्क। ए संगठन सम्बंधित देशों के आर्थिक विकास को अधिक बढ़ावा देने तथा इन्हें युद्द से दूर रखते हैं, ताकि क्षेत्र एवं विश्व में शांति बनी रही।
प्रश्न 14. भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएँ कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें वैफसे निपटाया जा सकता है। अपने सुझाव भी दीजिए।
उत्तर – भारत तथा चीन दो पड़ोसी देश है। दोनों देशों के मध्य ऐसे बहुत से मुद्दे है, जो दोनों देशो के संबंधो में तनाव भी पैदा करते है-
1. सीमा विवाद – भारत चीन के बीच सबसे तनावपूर्ण मुद्दा सीमा विवाद है। 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ, उस समय चीन ने बहुत से भारतीय क्षेत्र पर अधिकार कर लिया, जिसे आज भी चीन अपना क्षेत्र बताता है।
2. मैकमोहन रेखा – मैकमोहन रेखा वह रेखा है जो भारत तथा चीन के क्षेत्रो की सीमा निश्चित करती है यह रेखा 1914 में भारत-चीन तथा तिब्बत के प्रतिनिधियों के एक सम्मेलन द्वारा निश्चित की गयी थी। 1956 तक चीन ने मैकमोहन रेखा को स्वीकार करने से स्पष्ट इंकार कर दिया था, किन्तु 1956 के बाद चीन ने इस सीमा-रेखा सम्बन्धी अपनी आपत्ति को प्रकट करना आरंभ क्र दिया था।
3. चीन का पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करना – चीन ने सैदेव पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की है, जिनका प्रयोग पाकिस्तान भारत के विरुद करता है। इसके लिए भारत ने कई बार चीन से अपना विरुद जताया है।
4. भारत द्वारा दलाई लामा को समर्थन देना – चीन को सैदेव इस बात पर आपत्ति रही है कि भारत दलाई लामा का समर्थन करता है। भारत और चीन के सहयोग के लिए सर्वप्रथम अपने सीमा-विवाद को सुलझाना चाहिए। दोनों देशों को इस प्रकार का रास्ता निकालना चाहिए जो दोनों देशों को मंजूर हो। चीन को मैकमोहन रेखा के विषय में भारत से सहयोग करना चाहिए चीन द्वारा पाकिस्तान को की गयी हथियारों की आपूर्ति भारत-चीन संबंधो में तनाव पैदा करती है। अतः चीन को पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति के समय सतर्क रहने की आवश्यकता है। द्लैलामा के विषय पर भी दोनों देशो को बातचीत द्वारा सर्वसमान्य उपाय निकालना चाहिए इन सभी उपायों द्वारा ही इस क्षेत्रो का विकास हो सकता है।