NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 4 भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Policy) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 4 भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Policy)

TextbookNCERT
Class12th
SubjectPolitical Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति)
ChapterChapter – 4
Chapter Name भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Policy)
CategoryClass 12th Political Science
MediumHindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 4 भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Policy) Notes in Hindi इंडियन नेशनल आर्मी, विदेश नीति, भारत की विदेश निति, गुट निरपेक्षता की नीति, गुट निरपेक्ष आंदोलन, एफ्रो-एशियाई एकता, भारत-चीन संबंध, पंचशील, भारत – चीन के बीच विवाद, भारत चीन युद्ध, भारत और रूस सम्बन्ध

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 4 भारत के विदेश संबंध (India’s Foreign Policy)

Chapter – 4

भारत के विदेश संबंध

Notes

इंडियन नेशनल आर्मी – इसकी स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित की थी।
विदेश नीति – प्रत्येक देश अन्य देशों के साथ संबंधों की स्थापना में एक विशेष प्रकार की ही नीति का प्रयोग करता है जिसे विदेश नीति कहते हैं।
भारत की विदेश निति – भारत बहुत ही विकत और चुनौतीपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में आजाद हुआ था। उस समय लगभग संपूर्ण विश्व दो ध्रुवों मे बँट चुका था ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने बड़ी दूरदर्शिता के साथ भारत की विदेश नीति तय की। भारत की विदेश नीति पर देश के पहले प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री पं जवाहर लाल नेहरू की अमिट छाप है।
नेहरू जी की विदेश नीति के तीन मुख्य उद्देश्य थे

  1. संघर्ष से प्राप्त सम्प्रभुता को बचाए रखना।
  2. क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना।
  3. तेज गति से आर्थिक विकास करना।
भारत की विदेश नीति के मुख्य सिद्धान्त

  1. गुटनिरपेक्षता
  2. निःशस्त्रीकरण
  3. वसुधैव कुटुम्बकम
  4. अंतर्राष्ट्रीय मामलों में स्वतंत्रतापूर्वक एवं सक्रिय भागीदारी
  5. पंचशील
  6. साम्राज्यवाद का विरोध
  7. अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण हल
गुट निरपेक्षता की नीति – अथक प्रयासों से मिली स्वतन्त्रता के पश्चात भारत के समक्ष एक बड़ी चुनौती अपनी संप्रभुता को बचाए रखने की थी। इसके अतिरिक्त भारत को तीव्र आर्थिक व सामाजिक विकास के लक्ष्य को भी प्राप्त करना था। अतः इन दोनों उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए भारत ने गुट निरपेक्षता की नीति को अपनी विदेश नीति के एक प्रमुख तत्व के रूप में अंगीकार किया।

गुट निरपेक्षता की नीति का उद्देश्य – इस नीति के द्वारा भारत जहाँ शीत युद्ध के परस्पर विरोधी खेमों तथा उनके द्वारा संचालित सैन्य संगठनों जैसे- नाटो, वारसा पेक्ट आदि से अपने को दूर रख सका।

वहीं आवश्यकता पड़ने पर दोनों ही खेमों से आर्थिक व सामरिक सहायता भी प्राप्त कर सका। एशिया तथा अफ्रीका के नव स्वतन्त्र देशों के मध्य भविष्य में अपनी महत्वपूर्ण व विशिष्ट स्थिति की संभावना को भांपते हुए भारत ने वि-औपनिवेशिकरण की प्रक्रिया का प्रबल समर्थन किया।

गुट निरपेक्ष आंदोलन – इसी कड़ी में 1955 में इंडोनेशिया के शहर बांडुंग में एफ्रो-एशियाई सम्मेलन हुआ , जिसमें गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव पड़ी। सितंबर 1961 में बेलग्रेड में प्रथम गुट निरपेक्ष सम्मेलन के साथ इस आंदोलन का औपचारिक प्रारम्भ हुआ। वर्तमान समय में इस आंदोलन में तृतीय विश्व के 120 सदस्य देश हैं। सितंबर 2016 में गुट निरपेक्ष आंदोलन का 17वां सम्मेलन वेनेजुएला में सम्पन्न हुआ। 18वां सम्मेलन जून 2019 में अजरबैजान में प्रस्तावित है।

एफ्रो-एशियाई एकता – नेहरू के दौर में भारत ने एशिया और अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों के साथ संपर्क बनाए-

  • 1940 और 1950 के दशक में नेहरू ने बड़े मुखर स्वर में एशियाई एकता की पैरोकारी की।
  • नेहरू की अगुआई में भारत ने मार्च 1947 में एशियाई संबंध सम्मलेन का आयोजन कर डाला।
  • नेहरू की अगुआई में भारत ने इंडोनेशिया की आज़ादी के लिए भरपूर प्रयास किए।
  • 1949 में भारत ने इंडोनेशिया की आजादी के समर्थन में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन किया।
  • भारत ने अनोपनिवेशीकरण की प्रकिया का समर्थन किया।
  • भारत ने खासकर दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का विरोध किया।
  • इंडोनेशिया के शहर बांडुंग में एफ्रो-एशियाई सम्मेलन 1955 में आयोजन किया गया। जिसमें गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव पड़ी।
भारत-चीन संबंध –1949 में चीनी क्रांति के बाद चीन की कम्यूनिस्ट सरकार को मान्यता देने वाला भारत पहले देशों में एक था। नेहरू जी ने चीन से अच्छे संबंध बनाने की पहल की। उप-प्रधानमंत्री एवं तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने आशंका जताई कि चीन भारत पर आक्रमण कर सकता है। नेहरू जी का मत इसके विपरित यह था कि इसकी संभावना नहीं है।
पंचशील – 29 अप्रैल 1954 को भारत के प्रधानमंत्री पं नेहरू तथा चीन के प्रमुख चाऊ एन लाई के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ।
जिसके अग्रलिखित पांच सिद्धान्त है

i ) एक दूसरे के विरूद्ध आक्रमण न करना।
ii ) एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना।
iii ) एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का आदर करना।
iv ) समानता और परस्पर मित्रता की भावना।
V ) शांतिपूर्ण सह – अस्तित्व।

भारत – चीन के बीच विवाद के मुद्दे –

तिब्बत की समस्या – जब 1950 में चीन ने तिब्बत पर अपना नियंत्रण जमा लिया। तिब्बती जनता ने इसका विरोध किया। भारत ने इसका खुला विरोध नहीं किया। तिब्बती धार्मिक नेता दलाई लामा ने अपने अनुयायियों सहित भारत से राजनीतिक शरण मांगी और 1959 में भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दे दी। चीन ने भारत के इस कदम को अपने अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी माना।

सीमा – विवाद – चीन और भारत के मध्य विवाद का दूसरा बड़ा कारण सीमा-विवाद था। चीन, जम्मू-कश्मीर के लद्दाख वाले हिस्से के अक्साई-चीन और अरूणाचल प्रदेश के अधिकतर हिस्सों पर अपना अधिकार जताता है।

भारत चीन युद्ध – 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। भारतीय सेना ने इसका कड़ा प्रतिरोध किया। परन्तु चीनी बढ़त रोकने में नाकामयाब रहे। आखिरकार चीन ने एक तरफा युद्ध विराम घोषित कर दिया। चीन से हारकर भारत की खासकर नेहरू जी की छवि को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत नुकसान हुआ।

युद्ध के परिणाम

  • भारत हार गया।
  • भारतीय विदेश नीति की आलोचना की गई।
  • कई बड़े सैन्य कमांडरों ने इस्तीफा दे दिया।
  • रक्षा मंत्री वी के कृष्णमेनन ने मंत्रिमडल छोड़ दिया पहली बार सरकार के खिलाफ अविश्वस पत्र लाया गया।
  • भारत में मौजूद कम्युनिस्ट पार्टी का बटवारा हो गया नेहरू की छवि को नुकसान हुआ।
भारत – चीन सम्बन्धों में सुधार की पहल – 1962 के बाद भारत-चीन संबंधों को 1976 में राजनयिक संबंध बहाल कर शुरू किया गया। 1979 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी (विदेश मंत्री) तथा श्री राजीव गांधी ने 1962 के बाद पहले प्रधानमंत्री के तौर पर चीन की यात्रा की परन्तु चीन के साथ व्यापारिक संबंधों पर ही ज्यादा चर्चा हुई ।2003 में भी अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के तौर पर चीन की यात्रा की जिसमें प्राचीन सिल्करूट (नाथूला दरा) को व्यापार के लिए खोलने पर सहमति हुई जो 1962 से बंद था। इससे यह मान्यता भी मिली कि चीन सिक्किम को भारत का अंग मानता है। नोट- चीन द्वारा अरूणाचल प्रदेश में अपनी दावेदारी जताने, पाकिस्तान से चीन की मित्रता एवं भारत के खिलाफ चीनी मदद से भारत चीन संबंध खराब होते है।
भारत तथा चीन के विवादों को सुलझाने के लिए उठाए गए कदम – चीन और भारत सीमा विवाद सुलझाने के लिए प्रयत्नशील है। सन् 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत का दौरा किया। इसमें मुख्य समझौता कैलाश मानसरोवर यात्रा हेतू वैकल्पिक सुगम सड़क मार्ग खोलना था। मई 2016 में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी चीन यात्रा पर गए है यह यात्रा चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान के आतंकवादी अजहर मसूद के पक्ष में वीटो करने तथा परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) द्वारा यूरेनियम की भारत को आपूर्ति से पहले चीन द्वारा भारत को एनपीटी पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने जैसे जटिल मुद्दों की छाया में हो रही है। भारत व चीन के मध्य संबंधों को सकारात्मक रूप देने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं ।दोनों देश शांति व पारदर्शिता (भारत चीन सीमा पर) बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा P2P (People to People) संबंधों पर STRENGTH की संकल्पना के आधार पर जोर दिया जा रहा है।

STRENGTH –

S – Spirituality आध्यात्मिकता
T – Tradition, Trade, Technalogy (रीतियाँ, व्यापार, तकनीक)
R – Relationship (संबंध)
E – Entertainment (Art, movies) मनोरंजन (कला व सिनेमा)
N – Nature Conservation (प्रकृति का संरक्षण)
G – Games (खेल)
T – Tourism (पर्यटन)
H – Health & Healing (स्वास्थ्य व निदान)

भारत व चीन के मध्य डोकलाम क्षेत्र में सैनिक तनातनी 16 June 2017 को शुरू हुई थी दोनों देशों के आपसी कूटनीतिक प्रयासों से यह सैन्य तनातनी 28 August 2017 को समाप्त हो गई।

हाल ही में चीन द्वारा भारत की ओर से निरंतर की जाने वाली मांग को मानते हुए पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी गयी, जिसे भारत-चीन सम्बन्धों के मध्य सुधार के रूप में देखा जा सकता है।

भारत और रूस सम्बन्ध

  • भारत और रूस दोनो के बीच शुरू से ही अच्छे सम्बन्ध रहे है
  • रूस शुरू से ही भारत की मदद करता आया है चाहे वो भारत पाकिस्तान का युद्ध ही क्यों न हो।
  • दोनों देशों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है एवं दोनों देश लोकतंत्र में विश्वास रखते है।
  • 2001 में भारत और रूस के बीच 80 द्विपक्षीय समझौता हुए।
  • भारत रुसी हथियारों का खरीददार है।
  • भारत में रूस से तेल का आयात होता है।
  • वैज्ञानिक योजनाओ में भारत रूस की मदद करता है।
  • कश्मीर मुद्दे पर रूस भारत का समर्थन करता है।
भारत और अमेरिका सम्बन्ध – भारत की सोवियत संघ से नज़दीकी होने के कारण अमेरिका और भारत के सम्बन्ध शुरू से ही ख़राब रहे है। पर 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत और अमेरिका के सम्बन्धो के सुधार आया और वर्तमान में भारत और अमेरिका के संबंध काफी अच्छे है।
भारत और अमेरिका के सम्बन्धो की विशेषताएं

  • भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यात का 65 प्रतिशत अमेरिका को।
  • अमेरिकी कंपनी बोईंग के 35 प्रतिशत कर्मचारी भारतीय है।
  • 3 लाख से ज़्यादा भारतीय सिलिकॉन वाली में कार्यरत है।
  • अमरीकी कंपनियों में भारतीयों का अत्याधिक योगदान है।
भारत और इजरायल के सम्बन्ध – इजराइल क्षेत्रफल की दृष्टि से एक छोटा देश है। तथा इसका कुल क्षेत्रफल – 22145 वर्ग किलोमीटर है। इजरायल की भाषा हिब्रू है। यह दक्षिण पश्चिम एशिया में स्थित है इसकी जनसंख्या लगभग 85 लाख है। यह देश बेशक जनसंख्या में कम हो, क्षेत्रफल में छोटा हो परन्तु सैन्य क्षमता में यह बहुत आगे हैं। सम्पूर्ण विश्व में इजराइल एकमात्र यहूदी देश है। इजराइल फिलिस्तीन से अलग होकर एक स्वतंत्र देश बना था। भारत में लगभग 6200 यहूदी लोग रहते है।
इजरायल की सैन्य व्यवस्था

  • इजरायल की सेना में लगभग 35 लाख सैनिक है।
  • इजरायल की सेना में महिलाओं को भी शामिल किया जाता है।
  • स्कूली विद्यार्थियों को भी आर्मी ट्रेनिंग दी जाती है।
  • इनमें लड़कों को कम से कम 3 साल और लड़कियों को 2 साल सेना में काम करना अनिवार्य होता है।
  • सैन्य प्रौद्योगिकी में इजराइल बहुत आगे है।
  • इजराइल में आधुनिक हथियार बनाए जाते हैं।
  • इजरायल इन हथियारों का निर्यात भी करता है।
  • यह देश 21 वी शताब्दी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रक्षा, नवाचार तथा बुद्धि के मामले में दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण देश है।
भारत और इजरायल समझौते

  • 1992 में भारत और इजरायल के संबंधों की शुरुआत से हुई थी।
  • इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू ने 2017 में भारत का दौरा किया।
  • कई बार इजरायल ने भारत की मदद की है।
  • भारत के लिए रूस के बाद हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर इजरायल है।
  • भारत इजराइल का दसवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
  • पिछले 25 वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है।
  • कृषि के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग है।
  • एवं सिंचाई के तरीके एवं कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इजरायल ने भारत की मदद की है।
  • भारत में जल संरक्षण के लिए इजरायल ने अलग-अलग क्षेत्रों में जल स्वच्छता प्लांटों का निर्माण किया है ।
  • भारत में अब इजराइल की ड्रिप सिंचाई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है।
  • आर्थिक क्षेत्र में इजरायल भारत के कुछ मुख्य आयातकों में से है। 
  • दोनों ही देश के आर्थिक संबंध बहुत अच्छे हैं।
भारत – पाकिस्तान संबंध – भारत विभाजन (1947) द्वारा पाकिस्तान का जन्म हुआ। पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध शुरू से ही कड़वे रहे है। कश्मीर मुद्दे पर 1947 में ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच युद्ध छिड़ गया। इसी युद्ध में पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े भाग पर अनाधिकृत कब्जा जमा लिया। सरक्रीक रेखा, सियाचिन ग्लेशियर, सीमापार आतंकवाद और कश्मीर दोनों के मध्य विवाद के मुख्य कारण है।
सिंधु नदी जलसंधि – 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों के बीच सिंधु नदी जलसंधि की गई। इस पर पं नेहरू और जनरल अयूब खाँ ने हस्ताक्षर किए। विवादों के बावजूद इस संधि पर ठीक-ठाक अमल रहा है।
पाकिस्तान का भारत पर हमला – 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। ततकालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने ” जय जवान, जय किसान‘ का नारा दिया। इस समय भारत में अकाल की स्थिति भी थी। हमारी सेना लाहौर के नजदीक तक पहुंच गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) के हस्तक्षेप से युद्ध समाप्त हुआ।
ताशकंद समझौता – ताशकन्द समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 को हुआ एक शान्ति समझौता था। इस समझौते के अनुसार यह तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे और अपने झगड़ों को शान्तिपूर्ण ढंग से तय करेंगे। जिसमें भारत की ओर से श्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खाँ ने हस्ताक्षर किए।
20 वर्षीय मैत्री संधि – 1971 में पाकिस्तान को चीन तथा अमेरिका से मदद मिली । इस स्थिति में श्रीमति इंदिरा गांधी ने सोवियत संघ के साथ 20 वर्षीय मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए।
1971 युद्ध – 1971 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ पूर्णव्यापी युद्ध छेड़ दिया। भारत विजयी हुआ। पाकिस्तानी सेना ने 90000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। नये देश बांग्लादेश का उदय हुआ।
शिमला समझौता – 1972 में शिमला समझौता हुआ इस पर भारत की ओर से प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की ओर से जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए।

कारगिल संघर्ष – 1999 में भारत ने पाकिस्तान से संबंध सुधारने की पहल करते हुए दिल्ली – लाहौर बस सेवा शुरू की परन्तु पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कारगिल संघर्ष छेड़ दिया। कारगिल में अपने को मुजाहिद्दीन कहने वालों ने सामरिक महत्व के कई इलाकों जैसे द्रास, माश्कोह, वतालिक आदि पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना ने बहादुरी से अपने इलाके खाली करा लिए।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भारत यात्रा तथा भारतीय प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा दोनों देशो के बीच संबधों को सुधारने के लिए की गयी। लेकिन पाकिस्तान की और से सीजफायर का उल्लंघन व आतंकी घुसपैठ की कार्यवाही ने दोनों देशों के संबंधों में कटुता बनी रही।

2016 का आतंकी हमला – 2016 में उरी में सेना मुख्यालय पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए गए आतंकी हमले ने तथा जवाब में भारत की ओर से की गयी सैन्य कार्यवाही ने दोनों देशों के मध्य कटुता को और अधिक बढ़ा दिया
2018 आतंकी घुसपैठ – 2018 में पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में नव-निर्वाचित सरकार के साथ भारत सरकार द्वारा किए गए शांतिप्रयासों के बाद भी पाकिस्तान की ओर से निरंतर संघर्ष विराम के उल्लंघन तथा आतंकी घुसपैठ के कारण दोनों देशों के मध्य सम्बन्धों में सुधार की संभावनाएं निरंतर कम हुई हैं।
2019 आतंकी हमला – जनवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर में सी आर पी एफ के जवानों पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा आत्मघाती हमला किया गया जिसके जवाब में भारतीय वायुसेना द्वारा की गयी कार्यवाही ने दोनों देशों के मध्य युद्ध की स्थितियाँ उत्पन्न की। इसके अतिरिक्त भारत ने पाकिस्तान को सन् 1996 में दिया सर्वाधिक वरीय राष्ट्र ( MFN ) का दर्जा भी छीन लिया।

भारत और नेपाल सम्बंध

विवाद –

  • व्यपार को लेकर भारत और नेपाल के बीच मतभेद था।
  • चीन और नेपाल की दोस्ती को लेकर भी भारत चिंतित रहता है।
  • नेपाल में बढ़ रहे माओवदी समर्थको को भारत अपने लिए खतरा मानता है।
  • नेपाल के द्वारा भारत विरोधी तत्वों पर कार्यवाही न किये जाने से भी भारत ना खुश है।
  • नेपाल को लगता है की भारत उनके अंदरूनी मामलो में दखलंदाजी करता है।

सहयोग –

  • विज्ञान और व्यपार के क्षेत्र में भारत का सहयोग।
  • दोनों ही देशो के बीच मुक्त आवागमन का समझौता है जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना पासपोर्ट और वीसा के भारत से नेपाल और नेपाल से भारत आ जा सकता है।
  • भारत द्वारा कई योजनाओ में नेपाल की मदद की जा रही है।

भारत और भूटान सम्बंध

  • भारत और भूटान के संबंध बहुत अच्छे है।
  • भूटान ने भारत विरोधी उग्रवादियों को अपने यहाँ से भगा दिया जिससे भारत को मदद मिली।
  • भारत भूटान में पनबिजली जैसी परियोजनाओं में मदद कर कर रहा है।
  • भारत भूटान में विकास के लिए सबसे ज़्यादा अनुदान देता है।

भारत और बांग्लादेश सम्बंध

विवाद –

  • हज़ारो बांग्लादेशियो का भारत में अवैध रूप से घुसना।
  • गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी जल बटवारा।
  • बांग्लादेश द्वारा भारत को प्राकृतिक गैस का निर्यात न करना।
  • बांग्लादेश द्वारा भारत विरोधी मुस्लिम जमातों का समर्थन।
  • भारतीय सेना को पूर्व में जाने के लिए रास्ता न देना।

भारत और श्रीलंका सम्बंध

विवाद –

  • तमिलों की स्थिति
  • 1987 में भारत द्वारा भेजी गई शांति सेना को श्री लंका के लोगो ने अंदरूनी मामलो में हस्तक्षेप समझा।

सहयोग –

  • दोनों ही देशो के बीच मुक्त व्यापार का समझौता है।
  • श्री लंका में आई सुनामी के दौरान भारत द्वारा मदद किया जाना।
भारत और मालदीव के सम्बन्ध

  • 1988 में श्री लंका से आये कुछ सैनिको ने मालदीव पर हमला कर दिया। मालदीव ने भारत से मदद मांगी और भारत ने अपनी सेना भेज कर मालदीव की मदद की।
  • मालदीव के आर्थिक विकास में मदद।
  • मालदीव के पर्यटन और मतस्य उद्योग का भारत द्वारा समर्थन।
म्यांमार – म्यांमार जिसे पूर्व में बर्मा के नाम से जाना जाता था। 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई | भारत-म्यामांर संबंध सांझा ऐतिहासिक, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों में निहित है।
भारत और म्यामांर सहयोग के मुद्दे –

  • 1951 में भारत म्यांमार ने मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किए।
  • म्यांमार भारत की ‘ACT EAST’ नीति का भाग है।
  • भारत म्यांमार थाईलैण्ड राजमार्ग परियोजना की कम्बोडिया तक बनाने का निर्णय 2016 में लिया गया।
  • कालादान मल्टी मॉडल परियोजना के द्वारा कलकत्ता बन्दरगाह और बंगलादेश के सितवे बंदरगाह को जोड़ा गया।
  • 2017 में उदारवाद वीजा नीति भारत ने म्यांमार के साथ जारी की इसके अंतर्गत म्यांमार के लोग भारत आ सकते है परन्तु उन से कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा।
  • भारत और म्यांमार BIMSTEC के सदस्य भी है।
भारत का परमाणु कार्यक्रम – मई 1974 में पोखरण में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया फिर मई 1998 में पोखरण में ही भारत ने पाँच परमाणु परीक्षण कर स्वयं को परमाणु सम्पन्न घोषित कर दिया। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण कर स्वयं को परमाणु शक्ति घोषित कर दिया। इन परीक्षणों के कारण क्षेत्र में एक नए प्रकार का शक्ति संतुलन बन गया। दोनों देशों पर अमेरिका सहित कई देशो ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए।

भारत ने 1968 की परमाणु अप्रसार संधि एवं 1995 की ” व्यापक परीक्षण निषेध संधि ” CTBT ” पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि भारत इन्हें भेदभावपूर्ण मानता है।

भारत की परमाणु नीति – भारत शांतिपूर्ण कार्यों हेतू परमाणु शक्ति का प्रयोग करेगा। भारत अपनी सुरक्षा तथा आवश्यकतानुसार परमाणु हथियारों का निर्माण करेगा। भारत परमाणु हथियारों का प्रयोग पहले नहीं करेगा।

परमाणु हथियारो को प्रयोग करने की शक्तिसर्वोच्च राजनीतिक सत्ता के हाथ होगी। भारतीय विदेश नीति के बारे में राजनीतिक दल थोड़े बहुत मतभेदों के अलावा राष्ट्रीय अखण्डता, अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा की सुरक्षा तथा राष्ट्रीय हितों के मसलों पर व्यापक सहमति है।

1991 में शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद विदेश नीति का निर्माण अमेरिका द्वारा पोषित उदारीकरण व वैश्वीकरण को ध्यान में रखकर किया जाने लगा तथा क्षेत्रीय सहयोग को भी विशेष महत्व दिया गया।