NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 3 नियोजित विकास की राजनीति (Planning and Development) Notes in Hindi

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 3 नियोजित विकास की राजनीति (Planning and Development)

TextbookNCERT
Class12th
SubjectPolitical Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति)
Chapter3rd
Chapter Nameनियोजित विकास की राजनीति (Planning and Development)
CategoryClass 12th Political Science
MediumHindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 3 नियोजित विकास की राजनीति (Planning and Development) Notes in Hindi जिसमे हम पढ़ेंगे नियोजन, भारत के विकास का अर्थ, वामपंथी, दक्षिणपंथी, भारतीय विकास के मॉडल, उदारवादी / पूंजीवादी मॉडल, समाजवादी मॉडल, मिश्रित अर्थव्यवस्था, बॉम्बे प्लान, योजना आयोग, योजना आयोग की कार्यविधि, नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, प्रथम पंचवर्षीय योजना, द्वितीय पंचवर्षीय योजना?

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 3 नियोजित विकास की राजनीति (Planning and Development)

Chapter – 3

नियोजित विकास की राजनीति

Notes

नियोजन – नियोजन का आशय है उपलब्ध संसाधनों के श्रेष्ठतम प्रयोग के लिए भविष्य की योजना बनाना। नियोजन के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि और आर्थिक स्थिरता आदि लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है।
भारत के विकास का अर्थ – आजादी के बाद लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि भारत के विकास का अर्थ आर्थिक संवृद्धि और आर्थिक समाजिक न्याय दोनो ही है। इस बात पर भी सहमति थी कि आर्थिक विकास और सामाजिक – आर्थिक न्याय को केवल व्यवसायी, उद्योगपति व किसानों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। सरकार को प्रमुख भूमिका निभानी होगी। आजादी के वक्त ‘विकास‘ का पैमाना पश्चिमी देशों को माना जाता था। आधुनिक होने का अर्थ था पश्चिमी औद्योगिक देशों की तरह होना।
वामपंथी – ऐसे लोग जो गरीबों के भले की बात करते हैं। गरीबों को राहत पहुंचाने वाली नीतियों का समर्थन करते हैं।
दक्षिणपंथी – यह खुली प्रतिस्पर्धा और बाजार मुल्क अर्थव्यवस्था का समर्थन करते हैं। इनका कहना है सरकार को अर्थव्यवस्था में गैर जरूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

भारतीय विकास के मॉडल – विकास के दो मॉडल थे पहला – उदारवादी/पूँजीवादी मॉडल तथा दूसरा – समाजवादी मॉडल। भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल (जिसमें सार्वजनिक व निजी क्षेत्र दोनों के गुणों का समावेश था) को अपनाया।

(i) उदारवादी / पूंजीवादी मॉडल – यह मॉडल यूरोप के अधिकतर देशों और अमेरिका में यह मॉडल अपनाया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत हर सभी वस्तुओ का उत्पादन निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता है और सरकार का हस्तक्षेप न के बराबर होता है।

(ii) समाजवादी मॉडल – यह मॉडल सोवियत रूस में अपनाया था। इसके अंदर सभी चीज़ो का उत्पादन सरकार द्वारा किया जाता है। देश में निजी क्षेत्र नहीं होता और सभी कम्पनियाँ सरकार के आधीन होती है।

स्वतंत्रता के बाद भारत में अपनाए जाने वाले आर्थिक विकास के मॉडल से सम्बन्धित सहमति तथा असहमति के विभिन्न क्षेत्रों

सहमति के क्षेत्र 

  • भारत के विकास का अर्थ आर्थिक वृद्धि तथा सामाजिक न्याय होना चाहिए।
  • विकास के मुद्दे को केवल व्यापारियों, उद्योगपतियों व किसानो पर ही नहीं छोड़ा जा सकता है।
  • अपितु सरकार को एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिये। गरीबी उन्मूलन तथा सामाजिक व आर्थिक वितरण के काम को सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी माना गया।

असहमति के क्षेत्र 

  • सरकार द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर असहमति।
  • यदि आर्थिक वृद्धि से असमानता हो तो न्याय की जरूरत से जुड़े महत्व पर असहमति।
  • उद्योग बनाम् कृषि तथा निजी बनाम् सार्वजनिक क्षेत्र के जुड़े मुद्दे पर असहमति।
मिश्रित अर्थव्यवस्था – मिश्रित अर्थव्यवस्था में समाजवाद तथा पूंजीवाद दोनों की विशेषताओं को शामिल किया गया। देश में छोटे उद्योगों का विकास निजीं क्षेत्र में किया गया तथा बड़े उद्योगों के विकास की जिम्मेदारी सरकार ने अपने कंधो पर ली।
बॉम्बे प्लान (Bombay Plan) – 1944 में उद्योगपतियों के एक समूह ने देश में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का एक प्रस्ताव तैयार किया। इसे बॉम्बे प्लान कहा जाता है।
बॉम्बे प्लान का उद्देश्य – बॉम्बे प्लान की मंशा थी कि सरकार औद्योगिक तथा अन्य आर्थिक निवेश के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए।
योजना आयोग (Planning Commission) – भारत के आजाद होते ही योजना आयोग अस्तित्व में आया। योजना आयोग की स्थापना मार्च, 1950 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा की गई। प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष बने। भारत अपने विकास के लिए कौन – सा रास्ता और रणनीति अपनाएग यह फैसला करने में इस संस्था ने केन्द्रीय और सबसे प्रभावशाली भूमिका निभाई।
योजना आयोग की कार्यविधि – सोवियत संघ की तरह भारत के योजना आयोग ने भी पंचवर्षीय योजनाओं का विकल्प चुना। भारत – सरकार अपनी तरफ से एक दस्तवेज तैयार करेगी जिसमें अगले पांच सालों के लिए उसकी आमदनी और खर्च की योजना होगी। इस योजना के अनुसार केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के बजट को दो हिस्सों में बाँटा गया। एक हिस्सा गैरयोजना – व्यय का था। इसके अंतर्गत सालाना आधार पर दिन दैनिक मदों पर खर्च करना था। दूसरा हिस्सा योजना व्यय था।

योजना आयोग के मुख्य कार्य 

  • देश के संसाधनों व पूँजी का अनुमान लगाना।
  • विकास की योजना बनाना विकास की प्राथमिकता निश्चित करना।
  • विकास योजना के बाधक कारकों का पता लगाना।
  • प्रगति की योजना का मूल्यांकन करना।

प्रथम पंचवर्षीय योजना 

  • यह योजना 1951 से 1956 तक थी।
  • इसमें ज्यादा जोर कृषिक्षेत्र पर था।
  • इसी योजना के अन्तर्गत बाँध और सिचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया।
  • भाखड़ा – नांगल परियोजना इनमे से एक थी।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना 

  • यह योजना 1956 से 1961 तक थी।
  • इस योजना में उद्योगों के विकास पर जोर दिया गया।
  • सरकार ने देसी उद्योगों को संरक्षण देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाया।
  • इस योजना के योजनाकार पी. सी. महालनोबीस थे।
राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council)

  • इसकी की स्थापना 6 अगस्त, 1952 ई० में हुई थी।
  • योजना के निर्माण में राज्यों की भागीदारी हो। इस उद्देश्य से राष्ट्रीय विकास परिषद बनाया गया।
  • यह देश की पंचवर्षीय योजना का अनुमोदन करती है।
  • इसके अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री होते है। भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एवं योजना आयोग के सदस्य भी इसके सदस्य होते है।
नीति आयोग (Niti Aayog) – 01 जनवरी 2015 से योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग अस्तित्व में आया है। जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं एवं वर्तमान उपाध्यक्ष राजीव कुमार है। नीति शब्द का विस्तार है 

विकास का केरल मॉडल – केरल में विकास और नियोजन के लिए अपनाए गए इस मॉडल में शिक्षा, स्वास्थ्य, भूमि सुधार, कारगर खाद्य – वितरण और गरीबी उन्मूलन पर जोर दिया जाता रहा है। जे. सी. कुमारप्पा जैसे गाँधीवादी अर्थशास्त्रीयों ने विकास की वैकल्पिक योजना प्रस्तुत की, जिसमें ग्रामीण औद्योगीकरण पर ज्यादा जोर था। चौधरी चरण सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था के नियोजन में कृषि को केन्द्र में रखने की बात प्रभावशाली तरीके से उठायी।

भूमि सुधार के अन्तर्गत जमींदारी प्रथा की समाप्ति, जमीन के छोटे छोटे टुकड़ों को एक साथ करना (चकबंदी) और जो काश्तकार किसी दूसरे की जमीन बटाई पर जोत-बो रहे थे, उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करने व भूमि स्वामित्व सीमा कानून का निर्माण जैसे कदम उठाए गए। 1960 के दशक में सूखा व अकाल के कारण कृषि की दशा बद से बदतर हो गयी। खाद्य संकट के कारण गेहूँ का आयात करना पड़ा।

हरित क्रांति (Green Revolution) – सरकार ने खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई, जो कि हरित क्रान्ति के नाम से जानी जाती है। अब उन इलाकों पर ज्यादा संसाधन लगाने का निर्णय किया, जहाँ सिचाई सुविधा मौजूद थी, तथा किसान समृद्ध थे।

सरकार ने उच्च गुणवत्ता के बीज, उवर्रक, कीटनाशक और बेहतर सिंचाई सुविधा बड़े अनुदानित मूल्य पर मुहैया कराना शुरू किया। उपज को एक निर्धारित मूल्य पर खरीदने की गारन्टी दी। इन संयुक्त प्रयासों को ही हरित क्रान्ति कहा गया। भारत में हरित क्रान्ति के जनक एम. एस. स्वामीनाथन को कहा जाता है।

हरित क्रांति के सकारात्मक प्रभाव

  • इसके कारण खेती की पैदावार में बढ़ोतरी हुई।
  • इसके कारण गेहूं की पैदावार में बढ़ोतरी हुई।
  • पंजाब हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे इलाके समृद्ध हुए।
  • किसानों की स्थिति में सुधार आया।

हरित क्रांति के नकारात्मक प्रभाव

  • क्षेत्रीय व सामाजिक असमानता बढ़ी।
  • हरित क्रांति के कारण गरीब किसान व बड़े भूस्वामी के बीच अंतर बढ़ा जिससे वामपंथी संगठनों का उभार हुआ।
  • मध्यम श्रेणी के भू – स्वामित्व वाले किसानों का उभार हुआ।
श्वेत क्रांति (Operation Flood) – ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया‘ के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन ने गुजरात सहकारी दुग्ध एवं विपरण परिसंघ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ‘अमूल‘ की शुरूआत की। इसमें गुजरात के 25 लाख दूध उत्पादक जुड़े। इस मॉडल के विस्तार को ही श्वेत क्रान्ति कहा गया।

NCERT Solutions Class 12th Political Science All Chapter Notes in hindi

People also ask

  1. नियोजित विकास की राजनीति क्या है?
  2. नियोजित विकास से आप क्या समझते हैं?
  3. नियोजित विकास कक्षा 12 का अर्थ क्या है?
  4. भारत में नियोजित विकास का प्रमुख लक्ष्य क्या था?
  5. नियोजित विकास का उद्देश्य क्या है?
  6. राजनीति विज्ञान कक्षा 12 में नियोजन क्या है?
  7. राजनीति विज्ञान में नियोजन क्या है?
  8. नियोजित विकास की अनिवार्यता क्यों है?
  9. राजनीतिक नियोजन क्या है?
  10. नियोजन कितने प्रकार के होते हैं?
  11. नियोजन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
  12. नियोजन का महत्व क्या है?
  13. नियोजन की परिभाषा क्या है?
  14. नियोजन एवं विकास का कौन सा भाग है?
  15. नियोजन की प्रकृति क्या है?
  16. नियोजन के तत्व क्या हैं?
  17. नियोजन के चार स्वरूप क्या हैं
  18. नियोजन के क्या लक्षण होते हैं?
  19. नियोजन का क्षेत्र क्या है?
  20. नियोजन और विकास में क्या अंतर है?
  21. नियोजन की सीमाएं क्या है?
  22. नियोजन क्या है और नियोजन के लाभ?
  23. कक्षा 12 की योजना बनाने के क्या फायदे हैं?
  24. विकास नियोजन का औचित्य क्या है?
  25. आर्थिक नियोजन कितने प्रकार के होते हैं?
  26. भारत में नियोजन का स्वरूप क्या है?
  27. नियोजित आर्थिक विकास क्या है भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
  28. भारत में नियोजित विकास क्यों अपनाया गया?
  29. भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था के मुख्य उद्देश्य क्या है?
  30. भारत में नियोजन को क्यों चुना?
  31. भारतीय नियोजन की विशेषता क्या क्या है ?
  32. भारत में आर्थिक नियोजन के जनक कौन है ?
  33. आर्थिक नियोजन की कौन कौन सी समस्याएं हैं ?
  34. भारत में नियोजन की प्रक्रिया कब शुरू हुई ?
  35. भारत के पहले अर्थशास्त्री कौन थे ?
  36. आर्थिक नियोजन की विशेषताएं क्या है ?
  37. कक्षा 12 अर्थशास्त्र नियोजन के उद्देश्य क्या हैं ?
  38. वित्तीय नियोजन का क्या अर्थ है?
  39. मिश्रित अर्थव्यवस्था का क्या मतलब है ?
  40. अर्थशास्त्र क्या है ?
  41. नियोजित विकास कक्षा 12 का अर्थ क्या है ?
  42. नियोजित आर्थिक विकास क्या है ?
  43. विकास कक्षा 12 के विचार क्या हैं ?
  44. नियोजित विकास की राजनीति क्या है ?
  45. नियोजित विकास का उद्देश्य क्या है?
  46. विकास के दो मॉडल कौन से हैं?
  47. नियोजन का उद्देश्य क्या है?
  48. भारत में नियोजन कौन करता है
  49. नियोजन के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
  50. नियोजन की परिभाषा क्या है?
  51. राजनीतिक नियोजन क्या है?
  52. राजनीति शास्त्र का पिता कौन है?
  53. राजनीति विज्ञान का जनक कौन है?
  54. राजनीति विज्ञान कितने प्रकार के होते हैं?
  55. भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था का विचार कहाँ से ग्रहण किया गया था?
  56. नियोजन की आवश्यकता क्यों होती है?
  57. भारत ने शुरुआती दौर में विकास की जो नीति अपनाई उसमें निम्नलिखित में से कौन सा विचार था?
  58. नियोजित विकास की अनिवार्यता क्यों है?
  59. नियोजन का क्षेत्र क्या है?
  60. नियोजन विकास क्या है?
  61. नियोजन के तीन स्तर क्या हैं?
  62. विकास नियोजन के तीन प्रकार कौन से हैं?
  63. नियोजन एवं विकास का कौन सा भाग है?
  64. नियोजन की प्रकृति क्या है
  65. नियोजन क्या है और इसकी विशेषताएं?
  66. नियोजन और विकास में क्या अंतर है?
  67. आर्थिक नियोजन कितने प्रकार के होते हैं?
  68. भारत में नियोजन का स्वरूप क्या है?
  69. नियोजन के चार स्वरूप क्या हैं
  70. नियोजन के क्या लक्षण होते हैं?
  71. नियोजन और उसके तत्व क्या है?
  72. नियोजन प्रक्रिया का पहला चरण क्या है?
  73. नियोजन को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
  74. आर्थिक नियोजन की विशेषताएं क्या है?
  75. लोक नियोजन का मतलब क्या होता है?
  76. निर्देशन का अर्थ क्या होता है?
  77. परिवार नियोजन का क्या अर्थ है?
  78. नियोजित आर्थिक विकास क्या है?
  79. वित्तीय नियोजन कितने प्रकार के होते हैं?
  80. योजना क्या है योजना के प्रकार?
  81. भारत में आर्थिक नियोजन की शुरुआत कब हुई?
  82. आर्थिक नियोजन की कौन कौन सी समस्याएं हैं?
  83. नियोजन के उद्देश्य क्या है समझाइए?
  84. भारत में नियोजन के उद्देश्य क्या है?
  85. सामुदायिक नियोजन कितने प्रकार के होते हैं?
  86. भारत में नियोजन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
  87. नियोजित आर्थिक विकास क्या है भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
  88. नगर नियोजन के मूल तत्व क्या है?
  89. नियोजन क्या है और नियोजन के लाभ?
  90. कक्षा 12 की योजना बनाने के क्या फायदे हैं?
  91. विकास नियोजन का औचित्य क्या है?
  92. राजनीतिक नियोजन क्या है?
  93. निर्णय कितने प्रकार के होते हैं?
  94. जिला योजना से आप क्या समझते हैं?
  95. प्रबंध प्रक्रिया के कौन कौन से चरण होते हैं?
  96. नियोजन की आवश्यकता क्यों है?
  97. नियोजन की सीमाएं क्या है?
  98. परियोजना नियोजन का क्षेत्र क्या है?
  99. नियोजन विकास क्या है?
  100. भारत में नियोजन कौन करता है
  101. भारतीय नियोजन की क्या विशेषता है?