NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर (Era of One-Party Dominance) Question & Answer In Hindi

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्रत भारत में राजनीति) Chapter – 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर (Era of One-Party Dominance)

TextbookNCERT
Class12th
SubjectPolitical Science (स्वतंत्रत भारत में राजनीति) 
ChapterChapter – 2
Chapter Nameएक दल के प्रभुत्व का दौर (Era of One-Party Dominance)
CategoryClass 12th Political Science Question Answer in Hindi
MediumHindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्र भारत में राजनीति) Chapter – 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर (Era of One-Party Dominance) Question & Answer In Hindi भारत में कितने धर्म हैं?, इस पृथ्वी पर कितने धर्म है?, भारत में 2022 में कितने धर्म हैं?, मनुष्य का धर्म क्या है?, दुनिया में हिंदुओं के कितने देश हैं?, मनुष्य का जन्म कब होता है?, मनुष्य का पहला धर्म क्या है?, धर्म के 3 प्रकार कौन से हैं?, पृथ्वी का पहला देवता कौन है?, दुनिया का पहला हिंदू कौन था?, दुनिया का पहला आदमी कौन है?

NCERT Solutions Class 12th Political Science (स्वतंत्रत भारत में राजनीति) Chapter – 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर (Era of One-Party Dominance)

Chapter – 2

एक दल के प्रभुत्व का दौर

प्रश्न – उत्तर

अभ्यास प्रश्न – उत्तर

प्रश्न 1. सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरे-

(क) 1952 के पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ -साथ ……………… के लिए भी चुनाव कराए गए थे। (भारत के राष्ट्रपति पद /राज्य विधानसभा/राज्यसभा/प्रधनमंत्री)

(ख) ……………. लोकसभा के पहले आम चुनाव में 16 सीटें जीतकर दुसरे स्थान पर रही। (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी/भारतीय जनसंघ/ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी/ भारतीय जनता पार्टी)

(ग) …………….. स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिदार्त था। (कामगार तबके का हित/रियासतों का बचाव) राज्य के नियन्त्रण से मुक्त अर्थव्यस्था / संघ के भीतर राज्यों की स्वायत्तता)
उत्तर – 
(क) राज्य विधानसभा
(ख) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
(ग) राज्य के नियन्त्रण से मुक्त अर्थव्यस्था

प्रश्न 2. यहाँ दो सुचियाँ दी गई है। पहले में नेताओ के नम दर्ज है दिसरे में दलों के दोनों सूचियों में मेल बैठेए-

(क)एस. ए. डांगे(1)भारतीय जनसंघ
(ख)श्यामा प्रसाद मुखर्जी(2)स्वतंत्र पार्टी
(ग)मीनू मसानी(3)प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
(घ)अशोक मेहता(4)भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 

उत्तर – 

(क)एस. ए. डांगे(1)भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
(ख)श्यामा प्रसाद मुखर्जी(2)भारतीय जनसंघ 
(ग)मीनू मसानी(3)स्वतंत्र पार्टी
(घ)अशोक मेहता(4) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
प्रश्न 3. एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ चार बयान लिखे गए है। प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिन्ह लगाएँ-
(क) विकल्प के रूप में किसी मजबूत राजनीतिक दल का अभाव एकल पार्टी-प्रभुत्व का कारण था।
(ख) जनमत की कमजोरी के कारण एक पार्टी का प्रभुत्व कायम हुआ।
(ग) एकल की पार्टी -प्रभुत्व का संबंध राष्ट्र के औपनिवेशिक अतीत से है। 
(घ) एकल पार्टी-प्रभुत्व से देश में लोकतंत्रिक आदर्शो के अभाव की झलक मिलती है।
उत्तर – (क) सही (ख) गलत (ग) सही (घ) गलत।

प्रश्न 4. अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग नीति अपनाई होती ?इन दोनों दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के बीच तीन अन्तरो का उल्लेख करें।
उत्तर – यदि पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो उनकी सरकारें अपनी अलग नीतियाँ अपनातीं। ये नीतियाँ इस प्रकार होतीं

यदि भारतीय जनसंघ की सरकार बनी होती तो सरकार:

1. अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में अत्यधिक मान्यता प्रदान करती।
2. धार्मिक तथा सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को रियायतें देने का विरोध करती।
3. सन् 1964 के बाद से ही भारत को परमाणुशक्ति संपन्न देश बनानेका प्रयत्न करती।

यदि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो सरकार:

1. साम्यवादी विचारधारा का समर्थन करते हुए मज़दूरों तथा किसानों के हितों का समर्थन करती।
2. काम का अधिकार मौलिक अधिकारों में शामिल करती।
3. पार्टी संविधान की धारा 370 की पक्षधर है जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति प्राप्त है। जनसंघ इसे समाप्त करने की पक्षधर है।

प्रश्न 5. कांग्रेस किन अर्थो में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी ? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियो का उल्लेख करें।
उत्तर – कांग्रेस एक विचारधारात्मक गठबंधन थी, क्योंकि कांग्रेस में ऐसे बहुत व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह थे, जो अपनी पहचान को कांग्रेस के साथ मिला नहीं पाए, तथा अपने-अपने विचारो एवं मूल्यों को मानते हुए भी कांग्रेस में बने रहें। कांग्रेस में नरमपंथी, गरमपंथी, दक्षिणी पंथी, वामपंथी, क्रांतिकारी और शांतिवादी तथा कंजरवेटिव एवं रेडिकल जैसे विचारधारात्मक गठबंधन पाए जाते हैं।
प्रश्न 6. क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ ?
उत्तर – इस कथन में सच्चई है कि एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीती के लोकतान्त्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ। क्योंकि इस कारण कोई भी अन्य विचारधारात्मक गठबंधन या पार्टी उभर कर सामने नहीं आ पाई तथा मतदाताओ के पास भी कांग्रेस को समर्थन देने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं है।
प्रश्न 7. समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएँ। इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अन्तरो का उल्लेख करें।
उत्तर – समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अंतर बताएँ। इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अंतरों का उल्लेख करें।(क) समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

समाजवादी दलकम्युनिस्ट पार्टी
(i) समाजवादी दल लोकतांत्रिक विचारधारा में विश्वास करता है।(i) कम्युनिस्ट पार्टी सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवाद में करता है। विश्वास करती है।
(ii) समाजवादी दल पूँजीपतियों और पूँजी का विरोध नहीं करते।(ii) कमुनिस्ट पार्टी पूँजीपतियों और पूँजी का विरोध करते हैं।
(iii) समाजवादी दल अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राज्य रूपी संस्था को रखना चाहते हैं।(iii) कम्युनिस्ट पार्टी राज्य को समाप्त करने के पक्ष में है।

(ख) भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

स्वतंत्र पार्टीभारतीय जनसंघ
(i) स्वतंत्र पार्टी का मानना था कि समृद्धि केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता के जरिए आ सकती हैं।(i) भारतीय जनसंघ राज्य की सकारात्मक भूमिका का समर्थन करता हैं। स्वतंत्र पार्टी अर्थव्यवस्थामें राज्य के कम-से-कम हस्तक्षेप को समर्थन करती है।
(ii) स्वतंत्र पार्टी धर्म-निरपेक्षता का समर्थन करती है।(ii) भारतीय जनसंघ हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार का समर्थन करती है।
(iii) स्वतंत्र पार्टी गुट-निरपेक्षता की नीति और सोवियत संघ से दोस्ताना रिश्ते कायम रखने को भी गलत मानती थी।( iii) भारतीय जनसंघ गुट-निरपेक्षता की नीति का समर्थन करता हैं। उसने भारत और पाकिस्तान को एक करके
अखंड भारत बनाने की बात कही।
प्रश्न 8. भारत और मैक्सिको दोनों में एक खास समय तक एक पार्टी का प्रभुत्व रहा। बताएं कि मैक्सिको में स्थापित एक पार्टी का प्रभुत्व कैसे भारत के एक पार्टी के प्रभुत्व से अलग था ?
उत्तर – भारत और मैक्सिको में दोनों देशों में एक खास समय में एक ही दल का प्रभुत्व था। परन्तु दोनों देशों में एक दल के प्रभुत्व के स्वरूप में मौलिक अन्तर था। जहां भारत में लोकतान्त्रिक आधार पर एक दल का प्रभुत्व कायम था वहीं मैक्सिको में एक दल की तानाशाही पाई जाती है, तथा लोगों को अपने  रखने का अधिकार नहीं था।

प्रश्न 9. भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हो) और उसमे निम्नलिखित को चिहित कीजिए-
(क) ऐसे दो राज्य जहाँ 1952-67 के दौरान कांग्रेस सता में नही थी।
(ख) दो ऐसे राज्य जहाँ इस पूरी अवधि में काग्रेस सता में रही।
उत्तर – 
(क) (i) जम्यू-कश्मीर, (ii) केरल;
(ख) (i) उत्तर-प्रदेश, (ii) पंजाब।

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प्रश्न 10. निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उतर दीजिए-
कांग्रेस के संगठनकर्ता पटेल कांग्रेस को दुसरे राजनीतिक समूह से निसंग रखकर उसे एक सर्वाग्स्म तथा अनुश्सित राजनीतिक पार्टी बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुश्षित काडर से युक्त एक सगुफित पार्टी के रूप में उभरे। यथार्थवादी होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुश्सन को ज्यादा तरजीह देते थे अगर ”आन्दोलन को चलाते चले जाने के बारे में गांधी के ख्याल हद से ज्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चलने वाले अनुशासित तथा धुरंधर राजनीतिक पार्टी के रूप में बदले की पटेल की धारणा भी तरह कांग्रेस की उस समन्वयवादी भूमिका को पकड़ पाने में चुक गई जिसे कांग्रेस को आने वाले दशको में निभाना था।
(क) लेखक क्यों सोच रहा है कि कांग्रेस को सर्वागसम तथा अनुशासित पार्टी नही होना चहिए ?
(ख) शुरुआती सैलून में कांग्रेस द्वारा निभाई गई समन्वयवादी भूमिका के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर – (क) लेखक का यह विचार है, कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नही होनी चाहिए, क्योंकि एक एक अनुशासित पार्टी में किसी विवादित विषय पर स्वस्थ विचार-विमर्श सम्भव नहीं हो पाता, जोकि देश एवं लोकतंत्र के लिए अच्छा होता है। लेखक का यह विचार है कि कांग्रेश पार्टी में सभी धर्मो, जातियों, एवं विचारधाराओ के नेता शामिल हैं। उन्हें अपनी बात कहना का पूरा हक़ है, तभी देश का वास्तविक लोकतंत्र उभर कर सामने आएगा। इसलिए लेखक कहता है कि कांग्रेस पार्टी को सर्वांगसम एवं अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए।
(ख) कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1885 में हुई। अपने शुरुआती वर्षों में इस पार्टी ने कई विषयों में महतवपूर्ण समन्वयकारी भूमिका निभाई। इस पार्टी ने देश के नागरिकों एवं ब्रिटिश सरकार के मध्य एक कड़ी का कार्य किया।

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