NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 9 वैश्वीकरण (Globalization)
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) |
Chapter | 9th |
Chapter Name | वैश्वीकरण (Globalization) |
Category | Class 12th Political Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 9 वैश्वीकरण (Globalization) Notes In Hindi जिसमे हम वैश्वीकरण के कारण?, वैश्वीकरण की विशेषताएँ?, वैश्वीकरण के उदाहरण?, वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव?, वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव?, वैश्वीकरण के प्रकार?, वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव?, वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव?, वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव?, भारत और वैश्वीकरण?, वैश्वीकरण का विरोध आदि के बारे में पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 12th Political Science (समकालीन विश्व राजनीति) Chapter – 9 वैश्वीकरण (Globalization)
Chapter – 9
वैश्वीकरण
Notes
वैश्वीकरण (Globalization) – एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व ‘प्रवाह‘ है। प्रवाह कई प्रकार के होते हैं जैसे-वस्तुओं, पूँजी, श्रम और विचारों का विश्व के एक हिस्से से दूसरे अन्य हिस्से में मुक्त प्रवाह। वैश्वीकरण को भूमण्डलीयकरण भी कहते है और यह एक बहुआयामी अवधारणाा है। यह न तो केवल आर्थिक परिघटना है और न ही सिर्फ सांस्कृतिक या राजनीतिक परिघटना। |
वैश्वीकरण के कारण - उन्नत प्रौद्योगिकी एवं विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव जिस कारण आज विश्व एक वैश्विक ग्राम बन गया है ।
- टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इंटरनेट एवं अन्य सूचना तकनीकी साधनों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है।
- पर्यावरण की वैश्विक समस्याओं जैसे सुनामी, जलवायु परिवर्तन वैश्विक तापवृद्धि से निपटने हेतू अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग।
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वैश्वीकरण की विशेषताएँ- पूंजी, श्रम, वस्तु एवं विचारों का गतिशील एवं मुक्त प्रवाह।
- पूंजीवादी व्यवस्था, खुलेपन एवं विश्व व्यापार में वृद्धि।
- देशों के बीच आपसी जुड़ाव एवं अन्तः निर्भरता।
- विभिन्न आर्थिक घटनाएँ जैसे मंदी और तेजी तथा महामारियों जैसे एंथ्रेक्स, इबोला, HIV AIDS, स्वाइन फ्लू जैसे मामलों में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव।
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वैश्वीकरण के उदाहरण- विभिन्न विदेशी वस्तुओं की भारत में उपलब्धता।
- युवाओं को कैरियर के विभिन्न नए अवसरों का मिलना।
- किसी भारतीय का अमेरिकी कैलेंडर एवं समयानुसार सेवा प्रदान करना।
- फसल के खराब हो जाने से कुछ किसानों द्वारा आत्म-हत्या कर लेना।
- अनेक खुदरा (रिटेल) व्यापारियों को डर है कि रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) लागू होने से बड़ी रिटेल कम्पनियाँ आयेंगी और उनका रोजगार छिन जायेगा।
- लोगों के बीच आर्थिक असमानता में वृद्धि।
नोट – ये उदाहरण सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकृति के हो सकते है। |
वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव- वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह।
- रोजगार के अवसरों का उत्पन्न होना।
- तकनीक एवं शिक्षा का अदान-प्रदान।
- जीवन शैली में परिवर्तन।
- विश्व के लोगो से जुडाव।
- आर्थिक मजबूती प्रदान करना एवं आत्मनिर्भर बनाना।
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वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव- लघु-कुटीर उद्योग का पतन।
- आमिर अधिक अमीर और गरीब और गरीब हो जाता है।
- सांस्कृतिक पतन।
- आर्थिक गतिविधियों का विदेशी कंपनियों का वर्चश्व।
- पूंजीपतियों का वर्चश्व।
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वैश्वीकरण के प्रकार- राजनीतिक
- आर्थिक
- सांस्कृतिक
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वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव- वैश्वीकरण से राज्य की क्षमता में कमी आई है। राज्य अब कुछ मुख्य कार्यों जैसे कानून व्यवस्था बनाना तथा सुरक्षा तक ही सीमित है।
- अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक है।
- राज्य की प्रधानता बरकरार है तथा उसे वैश्वीकरण से कोई खास चुनौती नहीं मिल रही।
- इस पहलू के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है और कारगर ढंग से कार्य कर सकते है। अतः राज्य अधिक ताकतवर हुए है।
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वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव - अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्वबैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसे- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण। इन संस्थाओं में धनी, प्रभावशाली एवं विकसित देशों का प्रभुत्व।
- आयात प्रतिबंधो में अत्यधिक कमी।
- पूंजी के प्रवाह से पूंजीवादी देशों को लाभ परन्तु श्रम के निर्बाध प्रवाह न होने के कारण विकासशील देशों को कम नाम।
- विकसित देशों द्वारा वीजा नीति द्वारा लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध।
- वैश्वीकरण के कारण सरकारे अपने सामाजिक सरोकारों से मुंह मोड़ रही है उसके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की आवश्यकता है।
- वैश्वीकरण के आलोचक कहते है कि इससे समाजों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है।
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वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव- सांस्कृतिक समरूपता द्वारा विश्व में पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा
- खाने–पीने एवं पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि
- लोगों में सांस्कृतिक परिवर्तनों पर दुविधा
- संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर
- सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण जिसमें प्रत्येक संस्कृति कही ज्यादा अलग और विशिष्ट हो रही है
- महिलाओं की स्थिति में सुधार
- रॉक संगीत को पसंद करना
- रूढ़िवादिता का अंत
- सांस्कृतिक धरोहर का खत्म होना
- विदेशी फिल्मो का चलन
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भारत और वैश्वीकरण- आजादी के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाकर अपने घरेलू उत्पादों पर जोर दिया ताकि भारत आत्मनिर्भर रहे।
- 1991 में लागू नई आर्थिक नीति द्वारा भारत वैश्वीकरण के लिए तैयार हुआ और खुलेपन की नीति अपनाई।
- आज वैश्वीकरण के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही है। जो 1990 में 5.5 प्रतिशत वार्षिक थी। भारत के अनिवासी भारतीय विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है।
- भारत के लोग कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब रहे है।
- आज भारतीय लोग वैश्विक स्तर पर उच्च पदों पर आसीन होने में सफल हुए है।
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वैश्वीकरण का विरोध – वामपंथी विचारक इसके विभिन्न पक्षों की आलोचना करते है। राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है। आर्थिक क्षेत्र में वे कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता एवं संरक्षण वाद का दौर कायम करना चाहते है। सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर तरीकों से हाथ धो देंगे। वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच है इसके तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता आते है। 1999 में सिएट्ल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री-स्तरीय बैठक का विरोध हुआ जिसका कारण आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के विरोध में हुआ। |
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