NCERT Solutions Class 12th Physical Education Chapter – 1 खेल कार्यक्रमों का प्रबंधन (Management of Sporting Events)
Textbook | NCERT |
class | 12th |
Subject | Physical Education |
Chapter | 1st |
Chapter Name | खेल कार्यक्रमों का प्रबंधन (Management of Sporting Events) |
Category | Class 12th Physical Education |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Physical Education Chapter – 1 खेल कार्यक्रमों का प्रबंधन (Management of Sporting Events)
Chapter – 1
खेल कार्यक्रमों का प्रबंधन
Notes
खेल कार्यक्रम प्रबंधन के कार्य (Functions of Sports Events Management)
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1. योजना / नियोजना (Planning) – योजना एक पूर्व निर्धारित प्रक्रिया है जो किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बनाई या अपनाई जाती है। सरल शब्दों में कहें तो किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सोच-समझकर जो कार्य युक्तियाँ व कार्यक्रम बनाए जाते हैं, वे समग्र रूप से योजना कहलाते हैं। योजना के अंतर्गत यह निश्चित किया जाता है कि क्या करना है? (What to do?), कैसे करना है? (How to do?), कब करना है? (When to do?) तथा किस व्यक्ति द्वारा किया जाना है? (Who is to do?) यदि कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व इन सभी बातों पर गहन सोच-विचार न किया जाए तो योजना के उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। |
खेल संबंधी कार्यक्रम की योजना बनाने के दौरान किए जाने वाले कार्य
योजना किसी प्रक्रिया का प्रथम चरण तथा संपूर्ण क्रिया का मूल आधार भी है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि किसी उद्देश्य की सफलता या असफलता केवल उचित योजना के निर्माण व उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर ही निर्भर करती है। |
खेल कार्यक्रम प्रबंधन में योजना के उद्देश्य (Objectives of Planning in Sports Events Management) – विभिन्न खेल कार्यक्रमों तथा गतिविधियों के लिए योजना बनाने के उद्देश्य निम्नलिखित है- (i) योजना बनाने से खेल कार्यक्रम के उद्देश्य और लक्ष्य स्पष्ट हो जाते हैं। किसी खेल कार्यक्रम के लिए निर्धारित योजना उस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए जरूरी विभिन्न कार्यों से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं। (ii) योजना बनाने से कार्यक्रम के क्रियान्वयन के दौरान कार्यक्रम संबंधित सभी गतिविधियों पर पूरी तरह से नियंत्रण रहता हैं। (iii) खेल कार्यक्रम की सफलता काफी हद तक उससे जुड़ी विभिन्न समितियों एवं उनके अधिकारियों के बीच सही तालमेल पर निर्भर करता है। पूर्व योजना बनाने से सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो जाती है और सभी विभागों एवं कर्मचारियों को एक-दूसरे के साथ तालमेल बैठाने का पर्याप्त समय मिल जाता है। (iv) खेल कार्यक्रम संबंधित पूर्व योजना बनाने से टूर्नामेंट का संचालन अधिक दक्षता तथा आसानी से बिना किसी अतिरिक्त मानसिक दबाव के किया जा सकता है। (v) प्रतियोगिता के पूर्व योजना बनाने से प्रतियोगिता के दौरान आयोजकों से होने वाली गलतियों तथा अनदेखी की संभावना बहुत कम रह जाती है। इससे अधिकारियों एवं समितियों की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। (vi) पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार काम करने से खेल अधिकारी एवं कर्मचारी अपने-अपने काम में और अधिक दक्ष हो जाते हैं। इसी दक्षता के कारण वह अपने कर्तव्यों का अधिक प्रभावी रूप से निर्वहन कर पाते हैं। (vii) किसी भी खेल कार्यक्रम की प्रभावी योजना बनाने के लिए उससे जुड़े सभी अधिकारी कई बार बैठ कर विचार-विमर्श करते हैं और अपने-अपने विचार व्यक्त करते हैं। ऐसे में कई बार ऐसी अनूठी योजना तैयार हो जाती है जिससे प्रतियोगिता का संचालन और अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि, योजना बनाने की प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति की सृजनात्मकता में भी वृद्धि होती है। |
2. संगठन (Organising) – “संगठन का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कार्यक्रम संबंधी कार्यों को परिभाषित एवं वर्गीकृत किया जाता है और उन्हें विभिन्न समितियों/व्यक्तियों को सौंपकर उनके अधिकारों और दायित्वों का निर्धारण किया जाता है।” नबंध के प्रथम कार्य अर्थात् योजना को कार्यात्मक रूप देने के लिए खेल कार्यक्रम संबंधी विभिन्न कार्यों एवं भूमिकाओं तथा उनसे संबंधि अधिकारों एवं दायित्वों का निर्धारण करना जरूरी होता है। कार्यक्रम संबंधी भूमिकाओं एवं दायित्वों के निर्धारण को ही संगठन (Organising) कहते है। किसी कार्यक्रम की योजना बनाते समय हम केवल अपने विचारों को लिखते है, लेकिन उन विचारों को वास्तविकता अर्थात् क्रियात्मक रूप में बदलने के लिए विभिन्न व्यक्तियों तथा समूहों/समितियों की आवश्यकता होती। कार्यक्रम से जुड़े लोगों को तथा समूह/समितियों को एक व्यवस्थित क्रम में बनाए रखने के लिए ही संगठन की आवश्यकता होती है। संगठन संबंधित कार्यों के अंतर्गत खेल संबंधी विभिन्न कार्यों को कई छोटे-छोटे कार्यों में विभाजित किया जाता है, फिर सभी कार्यों को किसी-न-किसी पद से जोड़ा जाता है ताकि यह स्पष्ट हो जाए कि एक विशेष क्रिया का निष्पादन किस पद पर होना है। इसके बाद विभिन्न पदों को एक विभाग के रूप में एकीकृत किया जाता है। विभिन्न पदों पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के अधिकार एवं दायित्व स्पष्ट करना तथा विभिन्न पदों/कर्मचारियों के बीच संबंधों की स्पष्ट व्याख्य करना संगठन प्रक्रिया का ही भाग है। |
खेल संबंधी कार्यक्रम की संगठन प्रक्रिया के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य
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खेल कार्यक्रम प्रबंधन में संगठन का महत्व – विभिन्न खेल कार्यक्रमों तथा उनसे संबंधित गतिविधियों के संगठन के महत्व निम्नलिखित है- (i) संगठन के अंतर्गत संपूर्ण कार्यों को अनेक उपकार्यों में बांट दिया जाता है, फिर सभी उपकार्यों के लिए योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति की जाती है जो एक ही कार्य को बार बार करके उसके विशेषज्ञ बन जाते हैं। इस प्रकार कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक कार्य होने लगता है और संस्था को विशिष्टीकरण के लाभ प्राप्त होते हैं। (ii) संगठन विभिन्न समितियों तथा कर्मचारियों के बीच कार्य संबंधों को स्पष्ट करता है, इससे स्पष्ट होता है कि कौन किसको रिपोर्ट करेगा? उचित संगठन के परिणामस्वरूप ही विभिन्न समितियों एवं स्तरों पर संदेशवाहन प्रभावी होता है। (ii) संगठन प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रत्येक क्रिया को करने के लिए एक अलग समिति या कर्मचारी होता है। ऐसा करने से न तो कोई क्रिया पूरी होने से छूटती है और न ही किसी क्रिया को अनावश्यक रूप से दो बार किया जाता है। उचित संगठन के परिणामस्वरूप ही उपलब्ध संसाधनों (जैसे कि- धन, उपकरण, मानवीय शक्ति, आदि) का इष्टतम उपयोग संभव होता है। (iv) संगठन प्रक्रिया प्रत्येक समिति तथा कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं व प्राप्त अधिकारों का स्पष्ट उल्लेख करती है। इसके अतिरिक्त संगठन प्रक्रिया द्वारा ही यह स्पष्ट रूप से निर्धारित कर दिया जाता है कि प्रत्येक समिति किस कार्य के लिए किसको आदेश देगी और वह किसके प्रति उत्तरदायी रहेगी। उचित संगठन प्रक्रिया के फलस्वरूप ही विभिन्न समितियों के अधिकारों को लेकर उत्पन्न होने वाली भ्रम की स्थिति समाप्त हो जाती है। |
3. नियुक्तिकरण (Staffing) – नियुक्तिकरण का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत किसी विशिष्ट पद या कार्य के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति का चयन तथा प्रशिक्षण किया जाता है। नियुक्तिकरण का अर्थ संगठन प्रक्रिया में निर्धारित की गई विभिन्न समितियों एवं उसके पदों पर पद के महत्व के अनुसार योग्य व्यक्तियों को नियुक्त करने से है। अर्थात् अधिक महत्त्वपूर्ण पदों के लिए अधिक योग्य व्यक्तियों का चयन जबकि कम महत्वपूर्ण पदों के लिए अपेक्षाकृत कम योग्य व्यक्तियों से भी काम चल सकता है। अन्य शब्दों में, पद और व्यक्ति में सामंजस्य स्थापित करने के लिए की जाने वाली सभी क्रियाएँ नियुक्तिकरण के अंतर्गत आती है। योजना के दौरान विचारों को लिखित रूप दिया जाता है, संगठन इन विचारों को वास्तविकता में बदलने के उद्देश्य से विभिन्न पदों का स्वरूप तैयार करता है तथा नियुक्तिकरण के अंतर्गत इन पदों को योग्य व्यक्तियों द्वारा भरा जाता है ताकि कार्यों का निष्पादन किया जा सके। इस प्रकार स्टाफिंग प्रक्रिया द्वारा खेल कार्यक्रम से संबंधित सभी स्तरों पर उपयुक्त एवं योग्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपलब्ध कराये जाते हैं, क्योंकि खेल कार्यक्रम की सफलता प्रत्येक व्यक्ति द्वारा कुशलतापूर्वक किए गए कार्य-निष्पादन पर आधारित है इसलिए प्रबंधन के स्टाफिंग कार्य का महत्व और भी बढ़ जाता है। |
खेल संबंधी कार्यक्रम की नियुक्तिकरण प्रक्रिया के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य
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खेल कार्यक्रम प्रबंधन में नियुक्तिकरण का महत्व – विभिन्न खेल कार्यक्रमों से संबंधित गतिविधियों के लिए नियुक्तिकरण के महत्व निम्नलिखित है- (i) नियुक्तिकरण प्रक्रिया के कारण ही विभिन्न पदों के लिए योग्य अधिकारियों/कर्मचारियों की खोज एवं प्राप्ति संभव हो पाती है। (ii) नियुक्तिकरण के माध्यम से सही व्यक्तियों को सही कार्य पर नियुक्त किया जाता है, अर्थात् विभिन्न समितियों में पदों के महत्व को देखते हुए उपयुक्त व्यक्तियों का चयन किया जाता है। उचित नियुक्तिकरण प्रक्रिया के परिणामस्वरूप, कर्मचारियों की कुशलता एवं प्रभावपूर्णता में वृद्धि होती है। (iii) नियुक्तिकरण के अंतर्गत मानव संसाधन से संबंधित सभी क्रियाएँ व्यवस्थित ढंग से की जाती हैं, जिसके कारण कर्मचारियों का अनुकूलतम उपयोग संभव होता है और श्रम लागतों में कमी आती है नियुक्तिकरण के अंतर्गत कर्मचारियों को सही समय पर उपलब्ध करवा कर कार्य में उत्पन्न होने वाली संभावित बाधा को खत्म जाता है। |
4. निर्देशन (Directing) – मानवीय संसाधन को उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जरूरी दिशा-निर्देश देना, उनका मार्गदर्शन करना तथा उन्हें निरंतर रूप से प्रेरित करने की प्रक्रिया को निर्देशन कहते है। प्रबंधन प्रक्रिया में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों (Subordinates) को निर्देशित करने का कार्य, योजना बनाने, संगठन तथा कर्मचारियों की नियुक्ति करने के बाद ही शुरू होता है। विभिन्न पदो के लिए उपयुक्त कर्मचारियों की भर्ती के बाद निर्देशन के माध्यम से ही जरूरी दिशा-निर्देश प्रदान किए जाते है ताकि वह अपने उत्तरदायित्वों के निर्वाहन में जुट जाए और उद्देश्यों की पूर्ति अर्थात् कार्यक्रम की सफलता में अपना योगदान दे सकें। |
खेल संबंधी कार्यक्रम निर्देशन प्रक्रिया के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य
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खेल कार्यक्रम प्रबंधन में निर्देशन का महत्व – विभिन्न खेल कार्यक्रमों से संबंधित गतिविधियों को निर्देशित के महत्व निम्नलिखित है- (i) नव-नियुक्त कर्मचारी तब तक अपना काम शुरू नहीं कर सकते जब तक उन्हें यह नहीं बताया जाए कि उन्हें क्या करना है और कैसे करना है? यह कार्य निर्देशन के माध्यम से ही किया जाता है। (ii) प्रत्येक खेल समिति में अनेक कर्मचारी काम करते हैं। सभी की क्रियाएँ एक-दूसरे से जुड़ी रहती है। खेल कार्यक्रम तभी सफल हो सकते जब सभी समितियाँ तथा उनके सदस्य अपना-अपना काम पूर्ण कुशलता से करें। यदि किसी भी समिति का कोई भी कर्मचारी अपना काम सही ढंग से न करें तो इसका प्रभाव शेष सभी समितियों की कुशलता पर भी पड़ता है। इसलिए सभी समितियों और उनके कर्मचारियों के बीच की क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करना जरूरी है। उचित निर्देशन के माध्यम से भी कर्मचारियों का पर्यवेक्षण करके, अच्छा नेतृत्व प्रदान करके, उन्हें प्रोत्साहित करके एवं विचारों का आदान-प्रदान करके उनकी क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित किया जाता है। (iii) किसी भी खेल कार्यक्रम की सफलता उस खेल कार्यक्रम में कार्यरत विभिन्न समितियों एवं उनके कर्मचारियों के अभिप्रेरण स्तर पर निर्भर करती है। अभिप्रेरणा ही संभवतः एक ऐसा कारक है जो कठिन से कठिन प्रतीत होने वाले उद्देश्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि अभिप्रेरित कर्मचारी ही पूरे लगाव व समर्पण भाव से काम करते हैं। कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने जैसा महत्वपूर्ण कार्य निर्देशन प्रक्रिया के अंतर्गत ही किया जाता है। (iv) अक्सर कर्मचारी किसी भी परिवर्तन के आसानी से स्वीकार नहीं करते जबकि समय की मांग को देखते हुए परिवर्तनों को लागू करना जरूरी होता है। प्रबन्धक निर्देशन के माध्यम से कर्मचारियों को इस प्रकार तैयार करते हैं कि वे परिवर्तनों को सहर्ष स्वीकार करने लगते है। (v) कई बार व्यक्तिगत व खेल कार्यक्रम संबंधी उद्देश्यों में संघर्ष पैदा हो जाता है। निर्देशन इस समस्या को दूर करता है और संगठन में संतुलित स्थिति स्थापित करने में सहायता करता है। निर्देशन के माध्यम से कर्मचारियों को यह समझाया जाता है कि ये खेल कार्यक्रम के उद्देश्य को प्राप्त करते हुए कैसे अपने उद्देश्यों को भी प्राप्त कर सकते हैं। |
5. नियंत्रण (Controlling) – नियंत्रण का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कार्यों को पूर्व निर्धारित योजना के अनुरूप किया जाता है। नियंत्रण का अभिप्राय वास्तविक परिणामों को इच्छित परिणामों के नजदीक लाना है। इसके अंतर्गत खेल कार्यक्रम प्रबंधक यह देखते हैं कि कार्यक्रम का संचालन पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार हा रहा है या नहीं। नियंत्रण प्रक्रिया द्वारा ही वास्तविक परिणामों का पूर्व निर्धारित प्रमाणों के साथ मिलान करके अंतर का पता लगाया जाता है, और यदि आवश्यकता हो तो सुधारात्मक कार्यवाही की जाती है ताकि प्राप्त परिणामों व इच्छित परिणामों के अन्तर को कम किया जा सके। अतः नियंत्रण प्रक्रिया के लागू होने से किसी खेल कार्यक्रम के संचालन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर हो जाती है और सभी समितियों के प्रयास इच्छित दिशा में अग्रसर होने लगते हैं। |
खेल संबंधी कार्यक्रम नियंत्रण प्रक्रिया के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य
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विभिन्न समितियाँ व उनकी जिम्मेदारियाँ (Various Committees and their Responsibilities) – किसी भी कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए एक संगठित टीम की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार खेल प्रतियोगिताओं के कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए भी विभिन्न समितियों की आवश्यकता होती है। ये समितियाँ खेल प्रतियोगिताओं के सफल संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विभिन्न प्रकार की समितियों का गठन प्रतियोगिता के स्तर के अनुसार ही किया जाता है। जैसे कि-
इन सभी समितियों को कोई-न-कोई विशेष जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। सभी समितियों के शीर्ष पर एक प्रशासनिक निदेशक होता है। जिसके निर्देशन में ये समितियाँ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करती हैं। |
प्रशासनिक निदेशक, कार्यकारी समिति, आयोजन समिति
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खेल टूर्नामेंट्स या कार्यक्रम आयोजन के लिए विभिन्न समितियाँ – किसी भी खेल टूर्नामेंट्स या कार्यक्रम के सफल आयोजन एवं प्रबंधन के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया जाता है, जिनकी अलग-अलग जिम्मेदारी होती है। खेल कार्यक्रमों के आयोजन से जुड़ी विभिन्न समितियों का संक्षिप्त विवरण एवं जिम्मेवारियाँ निम्नलिखित है। |
I. टूर्नामेंट से पूर्व समितियाँ (Pre-Tournament Committees) – इन समितियों की मुख्य जिम्मेदारी टूर्नामेंट का सफल आयोजन करना होती है। ये समितियाँ एक उचित योजना बनाती है जिसके अनुसार सभी कार्य किये जाते हैं। इन समितियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टूर्नामेंट के सफल संचालन के सभी पक्ष (aspects) पूरे हो रहे हो। |
टूर्नामेंट-पूर्व गठित की जाने वाली विभिन्न समितियाँ इस प्रकार हैं 1. आयोजन / प्रबंधन समिति (Organising committee) – यह समिति खेल प्रतियोगिता के आयोजन तथा संचालन से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होती है। विभिन्न उप-समितियों के अध्यक्ष इसके सदस्य होते हैं। 2. वित्तीय समिति (Finance committee) – इस समिति का मुख्य कार्य टूर्नामेंट सम्बन्धी वित्तीय प्रबंधन होता है। इस समिति को सभी प्रकार की वित्तीय प्राप्तियों, व्यय का लेखा-जोखा तथा बजट बनाना होता है। 3. प्रचार समिति (Publicity committee) – इस समिति का मुख्य कार्य प्रतियोगिता की तिथि, स्थान तथा प्रतियोगिता के कार्यक्रम के विषय में सूचना प्रसारित करना होता है। यह समिति प्रतियोगिता के प्रचार के लिए भी उत्तरदायी होती है। आयोजन समिति तथा मीडिया के विभिन्न माध्यमों के बीच यह समिति कड़ी का कार्य करती है। 4. तकनीक समिति (Technical committee) – इस समिति में तकनीक दक्षता प्राप्त अधिकारी होते हैं। यह समिति सभी प्रकार के खेल-उपकरणों की देख-रेख, मैदान की देख-रेख तथा प्रकाश-व्यवस्था इत्यादि जैसे व्यवस्थाओं की देख-रेख करती है। 5. क्रय समिति (Purchase committee) – टूर्नामेंट से संबंधित सभी वस्तुओं तथा खेल उपकरणों की खरीद तथा उन्हें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी इसी समिति की होती है। |
दूर्नामेंट से पूर्व की जिम्मेदारियाँ (Pre-Tournament Responsibilities) – किसी भी खेल टूर्नामेंट से पहले विभिन्न समितियों के अधिकारियों की जिम्मेदारियाँ निर्धारित की जाती है। जैसे कि-
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II. टूर्नामेंट के दौरान की समितियाँ (Committees During Tournament) – यह समितियाँ पूरे टूर्नामेंट के दौरान कार्यरत रहती है। इनका प्रमुख कार्य खिलाड़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना, यातायात का प्रबंध करना, पुरस्कार वितरण का आयोजन करना, इत्यादि होता है। टूर्नामेंट के दौरान कार्य करने के लिए गठित की जाने वाली विभिन्न समितियाँ इस प्रकार हैं- 1. स्वागत समिति (Reception committee) – इस समिति के मुख्य कार्य टूर्नामेंट के उद्घाटन तथा समापन समारोह के अवसर पर आने वाले सभी अतिथियों के स्वागत संबंधी कार्यों की देख-रेख करना होता है। 2. परिवहन समिति (Transport committee) – इस समिति का मुख्य कार्य टूर्नामेंट में भाग ले रहे सभी खिलाड़ियों/टीमों तथा अधिकारियों को प्रतियोगिता के स्थान से उनके ठहरने के स्थान तक लाना ले जाना होता है। 3. भोजन तथा आवास समिति (Boarding and lodging committee) – यह समिति, खिलाड़ियों व खेल अधिकारियों के ठहरने तथा उनके भोजन का प्रबंध करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करती है। 4. सजावट तथा समारोह समिति (Decoration and function committee) – खेल के मैदान, स्टेडियम तथा कार्यक्रम के दौरान सभी प्रकार की सजावट की जिम्मेदारी सजावट व समारोह समिति के सदस्यों की ही होती है। इसके अतिरिक्त यह समिति खेलों के उद्घाटन समारोह, पुरस्कार वितरण समारोह व समापन समारोह के लिए आवश्यक प्रबंध करने के लिए भी उत्तरदायी होती है। यह समिति ट्रॉफियों, तमगों (Medals) व प्रमाण-पत्र आदि का भी प्रबंध करती है। 5. पुरस्कार समिति (Prize distribution committee) – इस समिति का प्रमुख कार्य विजयी प्रतियोगियों के लिए पुरस्कार (मैडल, ट्राफी व सर्टिफिकेट्स आदि) की व्यवस्था तथा उनके वितरण की व्यवस्था करना होता है। 6. उद्घोषक समिति (Announcement committee) – यह समिति मुख्यतया स्पोर्ट्स मीट या खेलों के दौरान विभिन्न घोषणाएँ करने के लिए उत्तरदायी होती है। यह समिति उद्घाटन तथा समापन समारोह तथा खेल/स्पोर्ट्स इवेंट की रनिंग कमेंट्री करने के लिए उत्तरदायी होती है। 7. खेल मैदान व उपकरण समिति (Grounds and equipments committee) – इस समिति की मुख्य जिम्मेदारी खेल मैदानों की मार्किंग या ट्रैक एवं फील्ड को तैयार करना होती हैं। इसके अतिरिक्त खेल प्रतियोगिता/स्पोर्ट्स मीट से संबंधित खेल उपकरणों का प्रबंध करना भी इसी समिति की जिम्मेदारी होती है। 8. रिफ्रेशमेंट व मनोरंजन समिति (Refreshments and entertainment committee) – यह समिति मेहमानों, खेल अधिकारियों व प्रतियोगियों आदि को रिफ्रेशमेंट व ड्रिंक्स की आपूर्ति का कार्य-भार संभालती है। यह समिति स्पोर्ट्स इवेंट्स के उद्घाटन व समापन समारोहों पर मनोरंजक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भी उत्तरदायी होती है। 9. एंट्री व कार्यक्रम समिति (Entries and programme committee) – यह समिति प्रतियोगियों एवं टीमों को प्रविष्टि के लिए फार्म भेजती तथा समय रहते उनको प्राप्त करने का कार्यभार संभालती है। ऐथलेटिक मीट की स्थिति में, प्रतियोगियों को चेस्ट नम्बर प्रदान करना तथा हीट्स का प्रबंध करना भी इसी समिति की जिम्मेवारी होती है। प्रतियोगिता में भाग ले रही टीमों के फिक्सचर तैयार करना भी इसी समिति की जिम्मेवारी होती है। यह समिति अतिथियों, टीमों के प्रबंधकों (Team managers), खिलाड़ियों व खेल अधिकारियों को कार्यक्रम संबंधी सभी जानकारी उपलब्ध कराने का उत्तरदायित्व भी निभाती है। 10. ऑफिशियल्स के लिए समिति (Committee for officials) – यह समिति खेल प्रतियोगिता के लिए विभिन्न ऑफिशियल्स जैसे कि- रेफरी, जज, रिकॉर्डकीपर, ट्रैक अम्पायर्स, टाइमकीपर्स इत्यादि का चयन कर नियुक्ति का कार्यभार संभालती है। 11. प्राथमिक चिकित्सा समिति (First aid committee) – इस समिति का मुख्य कार्य प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को चोट लगने की स्थिति में तुरंत प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराना होता है। |
दूर्नामेंट के दौरान की जिम्मेदारियाँ (Responsibilities During Tournament)
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III. टूर्नामेंट के बाद की समितियाँ (Post Tournament Committees) – इन समितियों का कार्य टूर्नामेंट के उपरान्त सभी व्यवस्थाओं को सुनियोजित ढंग से समेटना होता है। टूर्नामेंट के समाप्त होते की सम किपाशील को जाती है। यद्यपि इनमें से कुछ समितियाँ टूर्नामेंट के दौरान कार्य करने वाली समितियाँ ही होती है, यथापि हम इन्हें इनके कार्य के आधार पर विभाजित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, परिवहन समिति का कार्य खिलाड़ियों को उनके आवासीय स्थल से फोड़ा स्थल तक लाना ले जाना होता है। इसी प्रकार खेल समाप्ति पर (टूनमिट के बाद) परिवहन समिति का कार्य खिलाड़ियों को फौदा-स्थल मेंउनके शहरों अथवा देशों तक वापस भेजने की व्यवस्था करना होता है। टूर्नामेंट के समापन के बाद समितियों की निम्न जिम्मेवारियाँ होती है |
टूर्नामेंट के बाद की जिम्मेवारियाँ (Post Tournament Responsibilities)
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विभिन्न प्रकार के खेल टूर्नामेंट्स (Various Types of Sports Tournaments) टूर्नामेंट का अर्थ (Meaning of Tournament) – एक योजना के तहत विभिन्न टीमों के बीच नियमों व विनियमों के अनुसार खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन ‘टूर्नामेंट’ कहलाता है। टूर्नामेंट किसी खेल विशेष की ऐसी प्रतियोगिता होती है जिसमें विभिन्न टीमें या खिलाड़ी भाग लेते हैं तथा निर्धारित नियमों व तालिका के अनुसार एक-दूसरे से कई राउंड में स्पर्धा करते हैं। पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार टीमों में हार-जीत का फैसला किया जाता है और अंत में विजयी होने वाली टीम को टूर्नामेंट का विजेता घोषित कर दिया जाता है। |
टूर्नामेंट का महत्त्व (Importance of Tournament) – विभिन्न प्रकार के खेलों के प्रचार एवं प्रसार में टूर्नामेंट्स का बड़ा महत्त्व है। टूर्नामेंट्स में न केवल खिलाड़ी ही जोश एवं उत्साह में भाग लेते हैं बल्कि उनके प्रशिक्षक/ कोच तथा दर्शक भी पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं। टूर्नामेंट्स के महत्त्व का विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है- 1. खेलों का प्रचार (Publicity of sports) – खेल टूर्नामेंट आयोजित करना उस खेल के प्रचार का एक सबसे अच्छा माध्यम है। टूर्नामेंट में आयोजित मैचों को देखने के लिए आए दर्शकों में उस खेल के प्रति जानकारी तथा रूचि में वृद्धि होती है जिससे कि खेलों का और अधिक प्रचार होता है। जैसे कि, आजकल भारतीय हॉकी लीग के आयोजन के कारण लोगों में अब हॉकी के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है। जिसके कारण अब इस खेल को अधिक-से-अधिक दर्शक मिल रहे हैं। 2. खेल कौशलों का विकास (Development of sports skills) – किसी भी खेल को खेलने के लिए उस खेल के अनुरूप विशेष प्रकार के कौशलों को आवश्यकता होती है। टूनमिट में भाग लेने के उद्देश्य से खिलाड़ी अभ्यास द्वारा इन कौशलों को और अधिक विकसित करने का प्रयास करता है ताकि अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सके। अर्थात् हम कह सकते हैं कि टूर्नामेंट के आयोजन के कारण 3. बड़े स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों के चयन में सहायक (Helpful in selection of players for major tournaments) – टूर्नामेंट में भाग ले रहे विभिन्न खिलाड़ियों में से नियमित रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को चयन कर बड़े स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए एक अच्छी टीम बनाना आसान हो जाता है। यह खिलाड़ियों के चयन का सबसे अच्छा माध्यम होता है। वहीं खिलाड़ियों के लिए भी टूर्नामेंट में अपने अच्छे प्रदर्शन द्वारा राज्य स्तरीय तथा राष्ट्रीय टीम के लिए चुने जाने का अच्छा खिलाड़ियों के कौशलों में भी सुधार आता है तथा उनके खेल का स्तर/प्रदर्शन और बेहतर हो जाता है।अवसर प्रदान करते हैं। 4. मैत्री एवं भाईचारे के विकास में सहायक (Helpful in development of friendship and brotherhood) – टूर्नामेंट्स के आयोजन के कारण उसमें भाग ले रहे विभिन्न क्षेत्रों अथवा देशों से आए खिलाड़ी एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं। इससे खिलाड़ियों को एक-दूसरे की संस्कृति तथा विचारों को समझने का मौका मिलता है। जिससे उनके बीच मैत्री एवं भाईचारे की भावना का विकास होता है। दूसरे शब्दों में कहे तो, टूर्नामेंट खेलों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति एवं भाईचारे को बढ़ाने के सर्वोत्तम साधनों में से एक है। 5. सामाजिक गुणों का विकास (Helps in developing social qualities) – टूर्नामेंट में भाग लेने से प्रतियोगिओं में अनेक सामाजिक गुण जैसे सहनशीलता, सहानुभूति, सहयोग, सामूहिक लगाव, भाईचारा तथा अनुशासन आदि का विकास होता है। खेलों को ईमानदारी तथा नियमों के अनुसार खेलने से उनके नैतिक मूल्यों का भी विकास होता है। 6. स्वस्थ मनोरंजन का स्रोत (Source of healthy recreation) – टूर्नामेंट आयोजन दर्शकों के स्वस्थ मनोरंजन का एक अच्छा स्रोत है। इसलिए क्रिकेट, फुटबॉल तथा हॉकी इत्यादि जैसे विभिन्न टूर्नामेंट्स में दर्शकों की काफी भीड़ रहती है। |
विभिन्न प्रकार के खेल टूर्नामेंट्स (Different Types of Tournaments) – खेल टूर्नामेंट्स मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-
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जरूरी सूचना – CBSE के नवीनतम पाठ्यक्रम के अनुसार इस कक्षा में हम केवल नॉक आउट तथा लीग/राउंड रॉबिन टूर्नामेंट के विषय में ही पढ़ेंगे। |
1. नॉक आउट टूर्नामेंट (Knock-out Tournament) – इस प्रकार के टूर्नामेंट में जो टीम मैच हारती जाती है वह टूर्नामेंट से बाहर होती जाती है अर्थात् टीमें उसे दूसरा अवसर नहीं मिलता। केवल विजेता टीमें ही टूर्नामेंट में बनी रहती हैं। इसलिए इस प्रकार के टूर्नामेंट को एलीमिनेशन टूर्नामेंट भी कहा जाता है। अधिकतर टूर्नामेंट्स इसी आधार पर खेले जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी नॉक आउट टूर्नामेंट में चार टीमें भाग लेती हैं तो टूर्नामेंट का विजेता निम्नलिखित विधि से घोषित किया जाएगा। |
नॉक आउट टूर्नामेंट के उद्देश्य (Aims of Knock out Tournament) – नॉक आउट टूर्नामेंट का आयोजन निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है-
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नॉक आउट टूर्नामेंट के लाभ (Advantages of Knock-out Tournaments)
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नॉक आउट टूर्नामेंट की हानियाँ (Disadvantages of Knock out Tournaments)
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2. लीग या राउंड रोबिन टूर्नामेंट (League or Round Robin Tournament) – लीग अथवा राउंड रोविन टूर्नामेंट ऐसा टूर्नामेंट होता है जिसमें भाग लेने वाली हर टीम टूर्नामेंट में भाग ले रही अन्य सभी टीमों के साथ कम-से-कम एक बार आवश्यक रूप से खेलती है। हालांकि ऐसा केवल सिंगल लीग टूर्नामेंट में ही होता है जबकि डबल लीग टूर्नामेंट में प्रत्येक टीम, भाग ले रही दूसरी सभी टीमों के साथ दो बार खेलती है। इस प्रकार के टूर्नामेंट्स टीमों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के अधिक अवसर प्रदान करते हैं। लीग टूर्नामेंट दो प्रकार के होते हैं-
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1. सिंगल लीग टूर्नामेंट्स (Single League Tournament) – सिंगल लीग टूर्नामेंट्स में प्रत्येक टीम टूर्नामेंट में भाग ले रही अन्य टीमों के साथ केवल एक बार खेलती है। इस प्रकार के टूर्नामेंट में मैचों की संख्या निम्नलिखित सूत्र (formula) के आधार पर निर्धारित की जाती है- टीमों की संख्या (टीमों की संख्या-1)/2 उदाहरण के लिए – यदि टूर्नामेंट में 8 टीमें भाग ले रही हैं तो कुल मैचों की संख्या निम्न प्रकार से निर्धारित की जाएगी। 8(8-1)/2 = 8(7)/2 = 56/2 = 28 मैच |
2. डबल लीग टूर्नामेंट्स (Double League Tournament) – डबल लीग समिट में प्रत्येक टीम टूर्नामेंट में भाग से ही जन्य टीमो साथ दो बार खेलती है। इस प्रकार के में मैचों की संख्या निम्नलिखित सूर (Formula) के आधार पर निर्धारित की जाती है। टीमों की संख्या (टीमों की संख्या -1) उदाहरण के लिए – यदि टूर्नामेंट में दूतमिट टीमें भाग ले रही है तो कुल मैचों की संख्या निम्न प्रकार से निर्धारित की जाएगी। 8(81) = 8(7) = 56 मैच |
लीग टूर्नामेंट के लाभ (Advantages of League Tournaments)
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लीग टूर्नामेंट की हानियाँ (Disadvantages of League Tournaments)
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नॉक-आउट टूर्नामेंट के लिए फिक्सचर फिक्सचर तैयार करना (To Draw Fixtures for Knock-out Tournaments) – नॉक- आउट टूर्नामेंट के लिए फिक्सचर तैयार करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए
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फिक्सचर तैयार करने की विधि (Procedure to Draw Fixtures) • नॉक आउट टूर्नामेंट में खेले जाने वाले कुल मैचों की संख्या की गणना, टूर्नामेंट में खेल रही टीमों की कुल संख्या में से एक (1)घटाकर की जाती है। जैसे कि यदि किसी टूर्नामेंट में 8 टीमें भाग ले रही है तो कुल मैचों की संख्या होगी 8.1-1-7 मैच. • यदि भाग ले रही टीमों की कुल संख्या सम (Even) अर्थात् 2, 4, 6, 8 इत्यादि हो तो दोनों टीमों को दो अधों में बराबर (Two Equal Halves) बांट दिया जाता है। • यदि टूर्नामेंट में भाग ले रही टीमों की कुल संख्या विषम (Odd) अर्थात् 3, 5, 7, 9 इत्यादि हो तो ऐसी स्थिति में कुल टीमों कोदो अर्थों में इस प्रकार बांटा जाता है कि ऊपरी अर्ध में टीमों की संख्या निचले वाली संख्या से 1 अधिक होती है। जैसे कि यदिकिसी टूर्नामेंट में कुल 21 टीमें भाग ले रही हो तो ऊपरी अर्थ में 11 टीमें तथा निचले अर्थ में 10 टीमें होगी। इसके बाद बाई दी जाती है। बाई का संबंध एक ऐसी डम्मी (dummy) टीम से है जो खुद न खेलकर दूसरी टीम को अगले राउंड में पहुंचाने में मदद करती है। • फिक्सचर में बाईज की संख्या टूर्नामेंट में भाग ले रही टीमों की कुल संख्या व अगली 2″पॉवर जैसे कि- 2n = 2, 4, 8, 16, 32 का वास्तविक अंतर होता है। जैसे कि यदि टूर्नामेंट में 15 टीमें भाग ले रही हैं, तो फिक्सचर में बाई निम्न प्रकार से दी जाएगी। • प्रथम राउंड में बाईज देने के कारण दूसरे राउंड में टीमों की संख्या सम (Even) हो जाती है। |
प्रत्येक अर्ध में टीमों की गणना (Calculation of Teams in Each Half) – नॉक-आउट टूर्नामेंट से भाग ले रही टीमों की कुल संख्या यदि सम (Even) हो तो उन्हें दो अधों में बराबर-बराबर बांटना बहुत आसान होताहै, परंतु यदि टीमों की कुल संख्या विषम (Odd) हो तो निम्नलिखित विधि का प्रयोग किया जाता है- ऊपरी अर्ध = टीमों की कुल संख्या + 1\2 उदाहरण के लिए – यदि टूर्नामेंट में 11 टीमें भाग ले रही हों तो ऊपरी तथा निम्न अर्ध में टीमों की गणना निम्न प्रकार से की जाएगी- ऊपरी अर्ध = टीमों की कुल संख्या + 11+1\2=12\2= 6 टीमे |
बाईंज फिक्स करने की विधि (Methods of Fixing Byes) – बाइज फिक्स करने के लिए टीमों की कुल संख्या तथा उनके नाम को एक साफ कागज पर लिख (चित्रानुसार) लिया जाता है। फिर उनके बनाकर उन्हें दो अर्थों में बांट लिया जाता है। |
प्रत्येक क्वार्टर में टीमों की संख्या की गणना (Calculation of Number of Teams in Each Quater) – सामान्यतः टीमों की संख्या कम होने पर उन्हें केवल ऊपरी तथा निम्न अर्थ में विभाजित कर दिया जाता है। यदि टीमों की संख्या अधिक हो तो टीमों को पहले ऊपरी तथा निम्न अर्थ में विभाजित कर प्रत्येक अर्ध को फिर से विभाजित कर दिया जाता है। इससे शुरू के दोनों अर्धी में दो-दो क्वार्टर हो जाते हैं। इस प्रकार के विभाजन में प्रत्येक क्वार्टर के लिए टीमों की संख्या का निर्धारण करने के लिए टीमों की कुल संख्या को 4 से भाग कर दिया जाता है। भाग करने पर यदि शेषफल (Remainder) शून्य हो तो टीमें स्वयं ही बराबर भागों में बट जाती हैं। परंतु यदि शेषफल 1 हो तो पहले क्वांटर में एक अतिरिक्त टीम रखी जाएगी जबकि बाकी तीनों क्वार्टर में टीमों की संख्या बराबर होगी। यदि शेषफल 2 हो तो पहले तथा तीसरे क्वार्टर में एक-एक टीम अतिरिक्त होगी तथा दूसरे तथा चौथे क्वार्टर में टीमों की संख्या बराबर होगी। इसी प्रकार यदि शेषफल 3 आता है तो पहले, दूसरे तथा तीसरे क्वार्टर में एक-एक टीम अतिरिक्त होगी। उपरोक्त समीकरण को निम्नलिखित उदाहरण की सहायता से भी समझा जा सकता है-
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सीडिंग पद्धति (Seeding Method) – नॉक-आउट टूर्नामेंट में कई बार मजबूत टीमें एक ही अर्ध में होने के कारण पहले ही राउंड में आपस में भिड़ जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि मजबूत या अच्छी टीमें प्रारंभिक चक्रों में ही प्रतियोगिता से बाहर हो जाती हैं तथा कमजोर टीमें सेमीफाइनल या फाइनल तक पहुँच जाती हैं। इस प्रकार की कमी को दूर करने के लिए सीडिंग पद्धति का उपयोग किया जाता है। सीडिंग पद्धति के अंतर्गत मजबूत टीमों का चयन करके उन्हें फिक्सचर में ऐसे स्थान पर रखा जाता है कि वे प्रारंभिक चक्रों में आपस में न खेलें। इस पद्धति में, यदि दो टीमों को सीडेड करना हो तो, एक टीम को ऊपरी अर्ध के सबसे ऊपर तथा दूसरी टीम को निम्न अर्ध में सबसे नीचे रखा जाता है। सीडिंग गत वर्ष की विजेता टीमों को निचले भाग में सबसे नीचे रखेंगे, दूसरे स्थान वाली टीमों को ऊपरी अर्ध में सबसे ऊपर रखेंगे, तीसरे स्थान वाली टीम को निचले अर्ध में सबसे ऊपर रखेंगे तथा चौथे स्थान वाली टीमें को ऊपरी अर्ध में सबसे नीचे रखेंगे। सामान्यतः सीडिंग टीमों की संख्या 2 की पॉवर में होंगी; 2, 4, 8, 16 आदि। सीडिंग टीमों के अतिरिक्त बाकी सभी टीमों को लॉट्स (Lots) के द्वारा फिक्सचर में रखा जाता है। |
लीग टूर्नामेंट में फिक्सचर निर्धारित करने की विधि (Methods of Fixture in League Touranment) – लीग टूर्नामेंट में फिक्सचर के लिए निम्न विधियों का प्रयोग किया जाता है- I. स्टेयरकेस विधि (Staircase Method) – स्टेयरकेस विधि में, फिक्सचर्स सीढ़ी की तरह बनाए जाते हैं। इस विधि में कोई बाई नहीं दी जाती तथा टीमों की सम व विषम संख्या की भी कोई समस्या नहीं होती, इसलिए यह सबसे आसान विधि होती है। इस विधि में टीमों अथवा प्रतियोगियों को एक संख्या दे दी जाती है। प्रत्येक संख्या किसी टीमें का प्रतिनिधित्व करती है। इन संख्याओं को टेबुलर विधि में लिखा जाता है। फिक्सचर बनाने के लिए हम शीर्षाभिमुख व समानान्तर कॉलम बना लेते हैं। इस विधि में कॉलमों की संख्या टीमों अथवा प्रतियोगियों की संख्या में एक कम रखी जाती है। II. साइक्लिक विधि (Cyclic Method) – साइक्लिक विधि में, यदि टीमों की संख्या सम (even) हो तो टीम संख्या 1 को दाईं ओर (right side) में सबसे ऊपर फिक्स कर दिया जाता है, फिर दूसरी टीमों को चढ़ते क्रम में नीचे की ओर तथा फिर बायीं तरफ (left side) से ऊपर की ओर रखा जाता है। यदि टीमों की संख्या विषम (odd) संख्या में हो तो दाईं ओर (right side) में सबसे ऊपर बाई फिक्स कर दी जाती है, बाकी विधि सम संख्या की विधि जैसी ही होती है। टीमों को प्रत्येक राउंड में घड़ी की दिशा (clockwise direction) में घुमाया जाता है। यदि टीमों की संख्या सम संख्या में हो, तो राउंड्ज की संख्या (टीमों की संख्या – 1) होती है। यदि टीमों की संख्या विषम संख्या में हो, तो राउंड्ज की संख्या वही रहेगी अर्थात् जितनी टीमें टूर्नामेंट में भाग ले रही हैं। |