NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 3 जन पोषण तथा स्वास्थ्य (Public Nutrition and Health)
Textbook | NCERT |
class | 12th |
Subject | Home Science |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | जन पोषण तथा स्वास्थ्य (Public Nutrition and Health) |
Category | Class 12th Home Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 3 जन पोषण तथा स्वास्थ्य (Public Nutrition and Health)
Chapter – 3
जन पोषण तथा स्वास्थ्य
Question & Answer
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों को समझाइए- बौनापन, जन्म के समय कम भार वाला शिशु, आई.डी.डी., क्षयकारी, कुपोषण का दोहरा भार, मरास्मसउनका , क्वाशिओरकोर, समुदाय। जन्म के समय कम भार वाला शिशु – भारत में जन्म लेने वाले लगभग एक तिहाई बच्चे सामान्य से कम जन्म भार वाले होते है अर्थात् जन्म के समय उनका भार 2.5 kg. से कम होता है। इस कमी के साथ जीवन प्रांरभ करने वाले शिशुाओ का स्वास्थ्य, वृद्धि एव विकास की सभी अवस्थाओं में भी निम्न स्तर का ही रहता है। आई.डी.डी.- आयोडीन हमारे शरीर में बहुत कम मात्रा में पाया जाने वाला खनिज तत्व है परंतु यह सामान्य शारीरिक एवं मानसिक विकास तथा वृद्धि के लिए अनिवार्य है। आयोडीन खनिज थायराइड ग्रंथि(thyroid gland) सुचारू रूप से काम करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरन इस पोषण तत्व की कमी के कारण भ्रूण का विकास प्रभावित होता है जिसके कारण पैदा होने वाले बच्चे में कई प्रकार की मानसिक तथा शारीरिक व्याधियाँ उत्पन्न हो जाती है। क्षयकारी – कुछ पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर में मांसपेशियों का और लगातार ह्रास होता है जैसे की थायरोक्सिन हारर्मोन के असंतुलित स्राव कारण शरीर की उपापचीय दर अत्यधिक बढ़ जाती है जिससे मांसपेशियों का श्रम होना आरंभ हो जाता है एवं व्यक्ति का वजन अत्यधिक कम हो जाता है। कुपोषण का दोहरा भार – उच्च रक्तचाप, ह्रदय, रोग मधुमेह ,कैंसर, गठिया (आथ्इटिया) जैसे रोग तेजी से बढ रहे है। ये रोग असंक्रामक होते हैं और ये अपना कुप्रभाव केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर नहीं डालते, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी काफी हद तक प्रभावित करते हैं और आर्थिक बोझ भी बढ़ाते हैं।अतः कहा जाता है कि भारत में ,कुपोषण का दोहरा भार, उठा रहा है अर्थात यहाँ अल्पपोषण और अतिपोषण दोनों ही पाए जाते हैं। मरास्मस – यह रोग अधिकतम 15 महीने तक के बच्चों में पाया जाता हैं। माँ का दूध समय से पहले छुड़ा देने तथा ऊपर आहार के द्वारा पौष्टिकतत्वों की उपलब्धता एवं मात्रा में अत्याधिक कमी होने से बच्चा बहुत कमजोर हो जाता है व उसका शरीर सूख जाता है। क्वाशिओरकोर – यदि बच्चे के आहार में कैलोरीज की कमी हो जाए, तो शरीर में उपस्थित प्रोटीन ऊर्जा देने लगती हैं और धीरे-धीरे बच्चा क्वाशिओरकोर रोग से पीड़ित हो जाता हो यह 1 से 15 वर्ष तक के बच्चों में अधिक पाया जाता है। ग्रीक भाषा में इस शब्द का अर्थ है – विस्थापित बच्चा। प्रोटीन व कार्बोज खाने में असंतुलन व बच्चोंके भोजन में प्रोटीन की कमी इस रोग का मुख्य कारण है। समुदाय – समुदाय को लोगों के एक ऐसे विशिष्ट समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें कुछ सामान्य विशेषताएं पाई जाती है अर्थात जिनकी एक जैसी भाषा एक ही सरकार राष्ट्रएक , एक राज्य ,एक शहर ,एक जैसे जीवनशैली या फिर एक ही जैसे स्वास्थ्य समस्याएँ होती है। |
प्रश्न 2.जन पोषण समस्याओं से जूझने के लिए उपयोग में लाई जा सकने वाली विभिन्न कार्य नीतियों की विवेचना कीजिए।
यहाँ यह समझना भी जरूरी है कि किसी भी समाज में पोषण संबंधी समस्याएं केवल भोजन से ही संबंधित नहीं होती,अपितु इसके लिए कई अन्य कारण भी उत्तरदायी है परंतु सभी कारको का मूल कारण निर्धनता ही होता है। |
प्रश्न 3.जन स्वास्थ्य पोषण क्या है? उत्तर – जन स्वास्थ्य पोषण,अध्ययन का वह क्षेत्र है जिसमें पोषण संबंधी बीमारियों तथा समस्याओं के नियंत्रण द्वारा अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है |
प्रश्न 4.भारत किन सामान्य पोषण समस्याओं का सामना कर रहा है? प्रोटीन-ऊर्जा कुपोषण (पी.ई.एम.)- इस समस्या का मुख्य कारण आवश्यकता से कम मात्रा में भोजन लेना होता है। छोटे बच्चों में इस समस्या की संभावना सबसे अधिक होती है। आहार में लंबे समय तक उर्जा एवं प्रोटीन की कमी के कारण के क्वाशिओरकोर और सूखा रोग होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। सूक्ष्मपोषकों की कमी- यदि आहार में ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा कम हो तो उसमें अन्य पोषक तत्वों विशेषकर सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे कि- खनिज और विटामिनों की मात्रा कम होने की पूरी संभावना होती है। यदि रक्त में लोहे की कमी हो जाए तो हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं हो पाया जिसमें एनीमिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। विटामिन A की कमी- के कारण कई नेत्र तथा त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं रतौंधी कंजक्टिवाइटिस स्पॉट तथा किरेटोमलेशिया थाइराड ग्रंथि से प्रवाहित होने वाला हारमोन थाइरोक्सिन (thyroxin hormone) शरीर की वृद्धि के लिए बहुत आवश्यक है। इसकेउचित मात्रा द्वारा शरीर का पूर्ण विकास होता है परंतु इसकी कमी से बच्चों के शरीर की बढ़ोतरी रुक जाते हैं मानसिक विकास रुक जाता है आयोडीन की कमी से गलगण्ड(goitre) नामक रोग हो जाता हो जाता है। गर्भावस्था में आयोडीन की अतिरिक्त मात्रा में मिलने से जन्म के पशचात बच्चा बौनेपन(crtinism) से पीड़ित भी हो सकता है। |
प्रश्न 5.आई.डी.ए.और आई.डी.डी.के परिणाम क्या होते हैं? उत्तर – आई.डी.ए (Iron Deficiency Anemia – ADA) के निम्नलिखित परिणाम होते हैं। शारीरिक थकान थोड़ा काम करने पर सांस, फूलना, सिरदर्द, सिर चकराना और शिथिलता।रोगी की नजर कमजोर पड़ जाती हैं। नींद न आना, कम भूख, खाना पचने में परेशानी अथवा जलन की शिकायत रहती हैं। अधिक आयु के व्यक्तियों में रक्तक्षीणता, छाती में दर्द का कारण बन सकती हैं।
आई.डी.डी (Iodine Deficiency Disorder IDD) – की कमी के परिणाम –
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प्रश्न 6. अस्वस्थता / रोग किस प्रकार किसी व्यक्ति की पोषण स्थिति को प्रभावित करता है? सर्वोत्तम पोषण विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाव में व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता के विकास में तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव एवं उनके उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि शरीर को आवश्यकतानुसार पोषण तत्वों की प्राप्ति न हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है धावो को भरने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है, दवाईयों का प्रभाव कम होता है तथा विभिन्न अंगों को सुचार रूप से कार्य करने में कठिनाई होती है। नियमित रूप से ऐसी स्थिति में बने रहने के कारण व्यक्ति और अधिक जटिल बीमारियों का शिकार हो सकता है। इसके अतिरिक्त पोषण बीमारी के दौरान तथा उसके बाद रोगी को उससे उबरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कुछ बीमारियों ने पोस्ट की व्यवस्था की भूमिका निभाती है जबकि कुछ बीमारियों में है |
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