NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 1 कार्य, आजीविका तथा जीविका (Work, Livelihood and Career)
Textbook | NCERT |
class | 12th |
Subject | Home Science |
Chapter | 1st |
Chapter Name | कार्य, आजीविका तथा जीविका (Work, Livelihood and Career) |
Category | Class 12th Home Science |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 1 कार्य, आजीविका तथा जीविका (Work, Livelihood and Career) Notes In Hindi कार्य क्या है परिभाषा?, कार्य कितने प्रकार हैं?, कार्य कब होता है?, कार्य और कार्य में क्या अंतर है?, ऊर्जा का सूत्र क्या होता है, कार्य अधिकतम कब होता है?, अधिकार और कर्तव्य क्या है?, कर्त्तव्य से क्या अभिप्राय है?, कर्तव्य कितने प्रकार के होते हैं?, कर्तव्य को सरल शब्दों में क्या कहते हैं?, कर्तव्यों के स्रोत क्या हैं?, कार्य और कर्तव्य में क्या अंतर है?, नौकरी का मतलब क्या होता है?, नौकरी की शुरुआत कब हुई थी?, कैरियर का उद्देश्य क्या है? करियर सेंटर क्यों जरूरी है?, क्या नौकरी को करियर बनाता है?, करियर में सफल कैसे बने? आदि के बारे में पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 1 कार्य, आजीविका तथा जीविका (Work, Livelihood and Career)
Chapter – 1
कार्य, आजीविका तथा जीविका
Notes
कार्य – वह गतिविधि जो किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती हैं, कार्य कहलाती है। कार्य से व्यक्ति नए संबंध स्थापित करता है एवं स्वयं की पहचान बनाता है। किसी भी कार्य को करने के लिए व्यक्ति को कौशल और प्रतिभा की आवश्यकता होती है। |
कार्य के उद्देश्य - धन अर्जित करना
- आत्मनिर्भर बनना
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धन अर्जित करना – ज्यादातर लोग धन कमाने के उद्देश्य से कार्य करते हैं ताकि वह अपने परिवार की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें जैसे :- भोजन, वस्त्र, शिक्षा, आदि। |
आत्मनिर्भर बनना – कार्य से व्यक्ति की समाज में पहचान भी बनती है। किसी भी कार्य को अच्छी तरह करने से व्यक्ति खुद को विकसित कर सकता है। |
कर्त्तव्य (योगदान) – सभी कार्य सिर्फ धन कमाने के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि कई कार्य अपने कर्तव्य के रूप में भी किए जाते हैं। जैसे :- मां का योगदान उनके घर के प्रति। |
अर्थपूर्ण कार्य – ऐसा कोई भी कार्य जो समाज के लिए उपयोगी हो, तथा जिसे पूरी जिम्मेदारी के साथ किया जाए, और जिसे करने में आनंद और मानसिक संतुष्टि प्राप्त हो वह अर्थपूर्ण कार्य कहलाता है। |
नौकरी – ऐसे कार्य जो धन कमाने के उद्देश्य से किए जाते हैं, वह नौकरी कहलाते हैं। |
जीविका / कैरियर – जीविका का मतलब उस व्यवसाय से है जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत को पूरा करता है और अपनी जीवनशैली (Lifestyle) को बनाए रखता है किसी व्यक्ति की जीविका / कैरियर में उसके पसंद का व्यवसाय होता है। कैरियर में कोई निश्चित आय (Income) नहीं होती। |
नौकरी तथा कैरियर में अंतर – - नौकरी में व्यक्ति अपने मालिक या कंपनी के सपने को पूरा करता है, जबकि करियर में व्यक्ति अपने सपनों को पूरा करता है।
- नौकरी के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से ऑफिस जाना पड़ता है, जबकि व्यक्ति कैरियर में ऐसी कोई बात नहीं है।
- नौकरी के दौरान किसी भी प्रकार के नुकसान का जिम्मेदार होने पर नौकरी जा भी सकती है जबकि करियर में ऐसा कुछ नहीं होता है।
- नौकरी में व्यक्ति को सिर्फ कंपनी का लक्ष्य प्राप्त करना होता है जबकि कैरियर में सारा तनाव खुद ही झेलना पड़ता है।
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भारत में परंपरागत व्यवसाय- - कृषि
- भारतीय पार्क प्रणाली तथा मसाले
- मछली पकड़ना
- हस्तशिल्प
- बुनाई
- चित्रकला
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कृषि – आज भी कृषि ही भारत की अधिकता जनसंख्या का मुख्य व्यवसाय है। इसका कारण है भारत की जलवायु जो कि कृषि के लिए अनुकूल है। - भारत की लगभग 70 % जनसंख्या आज भी गांव में ही रहती है।
- नकदी फसलें जो कहीं और जाकर बेचते हैं (फल सब्जियां दालें गेहूं इत्यादि)
- आर्थिक महत्व वाली फसलें (जैसे चाय कॉफी रबड़ इत्यादि)
- भारत विश्व में काजू , नारियल, अदरक, काली मिर्च, तथा हल्दी आदि का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
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हस्तशिल्प – वर्तमान समय में देश के साथ-साथ विदेशों में भी भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों की बहुत मांग है। इसी कारण विभिन्न प्रकार की शिल्प कला जैसे कि :- आभूषण बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना, बुनाई, रंगाई, हाथी दांत, कांच की चूड़ियां, मूर्तिकला, लोहे और मिट्टी की वस्तुएं, दरी, कारपेट इत्यादि बनाना ग्रामीण जनता की जीविका का प्रमुख साधन बन गया है। |
बुनाई – भारत अपनी बुनाई कला के कारण ही विभिन्न प्रकार के कपड़ों का प्रमुख उत्पादक देश रहा है। ग्रामीण स्तर पर बुनाई एक प्रमुख कुटीर उद्योग है भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहां हर राज्य के अपने विशिष्ट वस्त्र होते हैं जो उस क्षेत्र की जीवन शैली की प्रतीक होते हैं इसी कारण हाथ से बुने भारतीय वस्त्रों की विदेशों में बड़ी मांग है। |
वास्तुकला – भारत में चित्रकला का प्रचलन हजारों वर्षों से चला आ रहा है भारत के अलग-अलग भागों में वास्तुकला की भिन्न क्षेत्रीय शैलियां देखने को मिलती है, जो अलग अलग धर्मों को दर्शाती हैं। जैसे कि :- इस्लाम, सिख धर्म, जैन धर्म, ईसाई धर्म, और हिंदू धर्म। |
भारतीय पार्क प्रणाली तथा मसाले – भारत अपने व्यंजनों की विविधता तथा मसालों को लेकर भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। आज भारत के व्यंजनों की हर देश में जबरदस्त माँग है जिसके कारण जीविका के अनेक अवसर उपलब्ध होने लगे हैं। भारत सदियों से ही अलग-अलग प्रकार के मसालों का बहुत बड़ा उत्पादक और निर्यातक रहा है। |
कार्य आयु और जेंडर – लिंग और जेंडर को अक्सर एक ही अर्थ में प्रयोग किया जाता किंतु इनका वास्तविक अर्थ काफी अलग है। लिंग जैविक पहचान (Biological) से संबंधित है, जबकि जेंडर सामाजिक पहचान (Society) पर आधारित है। नर शब्द पुरुष को दर्शाता है जबकि मादा शब्द महिलाओं को। |
कार्य के संबंध में जेंडर मुद्दे – - स्त्रियों को पुरुष से कमतर देखना।
- समान वेतन ना मिलना।
- महिलाओं को घर चलाने वाली ग्रहणी माना जाता है।
- पहले की अपेक्षा महिलाएं अधिक आत्मनिर्भर है और साथ ही साथ परिवार की स्थिति सुधार के लिए भी योगदान दे रही है।
- आज लगभग हर कामकाजी महिला से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बाहर के काम के साथ-साथ देखभाल भी करें।
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समाज में बालिकाओं की स्थिति सुधारने के लिए कुछ प्रमुख सरकारी प्रयास – 1. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
2. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना |
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय – यह सर्व शिक्षा अभियान ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाओं को शिक्षित करने की भारत सरकार की एक योजना है। यह योजना भारत सरकार के कानून (Right to Education) को लागू करने में भी सहायक हो रही है K.G.B.V प्रत्येक जिले के पिछड़े हुए खंडों में खोले जा रहे हैं। |
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना – हमारे देश में हमेशा से ही महिलाओं के अधिकारों को दबाया जाता है। और गांव के क्षेत्र में लड़कियों से ज्यादा लड़कों को महत्व दिया जाता है। उनका मानना है कि लड़के परिवार को आगे बढ़ाएंगे और लड़कियां परिवार के लिए बोझ बनेंग। इस वजह से आज भी कई परिवार वाले लड़की के जन्म के समय ही उनकी हत्या कर देते हैं या उनकी छोटी उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है। इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए देश के केंद्रीय सरकार ने एक योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत गरीब परिवारों की बेटियों को बचा कर उन्हें शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। |
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना एक नजर में – - योजना का नाम (Scheme Name) – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
- लॉन्च (Launch Date) – 22 जनवरी 2015
- घोषणा (Announced by) – भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
- लक्ष्य (Target) – लड़की एवं लड़कियों के लिंग अनुपात को संतुलित रखना
- सोशल मीडिया पर (Hashtag Promotion) – सेल्फी विद डॉक्टर
- ब्रांड एंबेसडर (Brand Ambassador) – माधुरी दीक्षित ने
- योजना की देखरेख (Scheme Supervision) – 3 मंत्रालयों महिला एवं बाल विकास स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा
- बजट का आवंटन (Budget Allocation) – 100 करोड़ रूपया
- योजना के लिए रणनीति (Scheme Strategies) – सामाजिक आंदोलन एवं संचार अभियान
- लाभार्थी (Benefits) – केवल छोटी बच्चियां
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योजना की विशेषताएं – - बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना।
- पैसे की निकासी।
- स्कूलों की फीस नहीं देनी होगी।
- बेहतर ब्याज दर।
- सुकन्या समृद्धि खाता।
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कार्य के प्रति मनोवृत्तियाँ और दृष्टिकोण – मनोवृति का अर्थ है – सोच या धारणा। किसी भी व्यक्ति का अपनी नौकरी से संतुष्ट या असंतुष्ट उसकी मनोवृति यानी सोच पर निर्भर करती है जैसे कि यदि कोई व्यक्ति अपने वेतन, पद या मिलने वाली सुविधाओं की तुलना अपने से ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति से करता है, तो उस में असंतोष की भावना पैदा होने की अधिक संभावना होती है। दूसरी ओर यदि कोई व्यक्ति अपने से एक पद नीचे काम कर रहे व्यक्ति से तुलना करें तो उसमें संतोष और प्रसंता की भावना अधिक होगी। |
जीवन कौशल – जीवन कौशल वे क्षमताएं हैं जिन्हें व्यक्ति अनुकूल और सकारात्मक व्यवहार के लिए विकसित करता है तथा जो व्यक्ति को जीवन की दैनिक आवश्यकताओं को अच्छे तरीके से निपटने के योग्य बनाते हैं। |
विशेषज्ञों द्वारा पहचाने गए 10 कौशल - स्व-जागरूकता (Self awareness)
- संप्रेक्षण सहयोग निर्णय लेना (Communication)
- निर्णय लेना उत्तरदायित्वता (Decision making)
- सृजनात्मक चिंतन (Creative thinking)
- मनोभावों से मुकाबला (Coping with emotions)
- तनाव से मुकाबला (Coping with stress)
- समस्या सुलझाना (Problem solving)
- आलोचनात्मक चिंतन (Critical thinking)
- हमदर्दी (Empathy)
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कार्यस्थल पर आवश्यक कौशल (Essential Soft Skills at Workplace) – - उत्पादकता पूर्ण कार्य (Working Productivity)
- प्रभावी ढंग से सीखना (Learning Effectively)
- स्पष्ट संप्रेक्षण (Communicating Clearly)
- मिलजुल कर काम करना विवेचनात्मक और रचनात्मक सोच (Thinking Critically And Creatively)
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सुकार्यिकी – आर्गोनॉमिक्स व्यक्ति तथा उसके द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरण या मशीनों और कार्य परिवेश के बीच संबंध का विज्ञान है। सुकार्यिकी का अर्थ है कार्य तथा कार्य स्थल को कुशल बनाना, (Ergonomics) दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है Ergon- काम, Nomics – प्राकृतिक नियम मनुष्य और मशीन को एक दूसरे का पूरक माना जाता है। इसके अंतर्गत कार्य स्थल तथा वहां उपयोग की जाने वाली मशीनों और उपकरणों को इस प्रकार डिजाइन किया जाता है ताकि उन्हें प्रयोग करने वाले व्यक्ति को तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना ना करना पड़े। उदाहरण – एक व्यक्ति ऐसी कुर्सी पर बैठता है जो श्रम प्रभावी सुरक्षा के मानदंडों के अनुरूप नहीं है और उस पर बैठकर दफ्तर का कार्य करता है। कुछ दिनों बाद ऐसी कुर्सी पर घंटों बैठने से व्यक्ति की पीठ में दर्द होना शुरू हो जाता है। |
सुकार्यिकी के लाभ – - चोट और दुर्घटनाओं को कम करता है।
- उत्पादकता को बढ़ाता है।
- दक्षता को बढ़ाता है दोबारा कार्य करने की आवश्यकता को कम करता है।
- खराब स्वास्थ्य के कारण होने वाली अनुपस्थिति को कम करता है।
- कर्मचारी के मनोबल को बेहतर बनाता है।
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उद्यमिता (ENTREPRENEURSHIP) – उद्यमिता का अर्थ होता है अपना नया व्यवसाय शुरू करना। किसी भी डिजाइन को दोबारा से नया परिवर्तन करके बदलना जैसे नई तकनीकी विधि का उपयोग करके पुरानी वस्तु को नए तरीके से बनाना होता है। एक उद्यमी व्यक्ति वह होता है जो नए विचार को वास्तविकता का रूप देने का जोखिम उठा सकता है। |
उद्यमिता के लक्षण – - कड़ी मेहनत करने की इच्छा।
- जोखिम उठाने का साहस होना।
- योजना बनाने का ज्ञान और कौशल।
- एक साथ कई कार्य को करने की योग्यता।
- तालमेल बनाने की योग्यता।
- संकट की स्थिति से निपटने की योग्यता।
- अच्छे संप्रेषण कौशलों (Communication Skills) का होना।
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